< गिनती 9 >

1 इस्राएलियों के मिस्र देश से निकलने के दूसरे वर्ष के पहले महीने में यहोवा ने सीनै के जंगल में मूसा से कहा,
وَفِي الشَّهْرِ الأَوَّلِ مِنَ السَّنَةِ الثَّانِيَةِ لِخُرُوجِهِمْ مِنْ دِيَارِ مِصْرَ، قَالَ الرَّبُّ لِمُوسَى فِي صَحْرَاءِ سِينَاءَ:١
2 “इस्राएली फसह नामक पर्व को उसके नियत समय पर मनाया करें।
«لِيَحْتَفِلْ شَعْبُ إِسْرَائِيلَ بِالْفِصْحِ فِي أَوَانِهِ.٢
3 अर्थात् इसी महीने के चौदहवें दिन को साँझ के समय तुम लोग उसे सब विधियों और नियमों के अनुसार मानना।”
احْتَفِلُوا بِهِ فِي الْيَوْمِ الرَّابِعَ عَشَرَ مِنَ الشَّهْرِ الأَوَّلِ بَيْنَ غُرُوبِ الشَّمْسِ وَحُلُولِ الظَّلامِ قَائِمِينَ بِكُلِّ شَعَائِرِهِ وَأَحْكَامِهِ».٣
4 तब मूसा ने इस्राएलियों से फसह मानने के लिये कह दिया।
فَأَمَرَ مُوسَى الإِسْرَائِيلِيِّينَ أَنْ يَحْتَفِلُوا بِالْفِصْحِ،٤
5 और उन्होंने पहले महीने के चौदहवें दिन को साँझ के समय सीनै के जंगल में फसह को मनाया; और जो-जो आज्ञाएँ यहोवा ने मूसा को दी थीं उन्हीं के अनुसार इस्राएलियों ने किया।
فَاحْتَفَلُوا بِهِ فِي صَحْرَاءِ سِينَاءَ فِي الْيَوْمِ الرَّابِعَ عَشَرَ مِنَ الشَّهْرِ الأَوَّلِ بَيْنَ غُرُوبِ الشَّمْسِ وَحُلُولِ الظَّلامِ، طِبْقاً لِكُلِّ مَا أَمَرَ الرَّبُّ بِهِ مُوسَى.٥
6 परन्तु कुछ लोग एक मनुष्य के शव के द्वारा अशुद्ध होने के कारण उस दिन फसह को न मना सके; वे उसी दिन मूसा और हारून के समीप जाकर मूसा से कहने लगे,
إِلّا أَنَّ قَوْماً كَانُوا قَدْ لَمَسُوا مَيْتاً فَتَنَجَّسُوا، فَلَمْ يَحِلَّ لَهُمُ الاحْتِفَالُ بِالْفِصْحِ فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ، فَمَثَلُوا أَمَامَ مُوسَى وَهَرُونَ،٦
7 “हम लोग एक मनुष्य की लोथ के कारण अशुद्ध हैं; परन्तु हम क्यों रुके रहें, और इस्राएलियों के संग यहोवा का चढ़ावा नियत समय पर क्यों न चढ़ाएँ?”
وَسَأَلُوهُ: «إِنَّنَا مُتَنَجِّسُونَ لأَنَّنَا لَمَسْنَا مَيْتاً، فَلِمَاذَا نُحْرَمُ مِنْ تَقْدِيمِ قُرْبَانِ الرَّبِّ فِي أَوَانِهِ مِنْ دُونِ شَعْبِ إِسْرَائِيلَ؟»٧
8 मूसा ने उनसे कहा, “ठहरे रहो, मैं सुन लूँ कि यहोवा तुम्हारे विषय में क्या आज्ञा देता है।”
فَأَجَابَهُمْ مُوسَى: «انْتَظِرُوا رَيْثَمَا يُبَلِّغُنِي الرَّبُّ أَمْرَهُ بِشَأْنِكُمْ».٨
9 यहोवा ने मूसा से कहा,
فَقَالَ الرَّبُّ لِمُوسَى:٩
10 १० “इस्राएलियों से कह कि चाहे तुम लोग चाहे तुम्हारे वंश में से कोई भी किसी लोथ के कारण अशुद्ध हो, या दूर की यात्रा पर हो, तो भी वह यहोवा के लिये फसह को माने।
«أَوْصِ بَنِي إِسْرَائِيلَ وَقُلْ لَهُمْ: فِي وُسْعِ كُلِّ إِنْسَانٍ مِنْكُمْ وَمِنْ أَعْقَابِكُمْ تَنَجَّسَ لِلَمْسِهِ مَيْتاً أَوْ كَانَ فِي سَفَرٍ بَعِيدٍ، أَنْ يَحْتَفِلَ بِفِصْحِ الرَّبِّ.١٠
11 ११ वे उसे दूसरे महीने के चौदहवें दिन को साँझ के समय मनाएँ; और फसह के बलिपशु के माँस को अख़मीरी रोटी और कड़वे सागपात के साथ खाएँ।
احْتَفِلُوا بِهِ فِي الْيَوْمِ الرَّابِعَ عَشَرَ مِنَ الشَّهْرِ الثَّانِي بَيْنَ غُرُوبِ الشَّمْسِ وَحُلُولِ الظَّلامِ فَتَأْكُلُوا الْفِصْحَ مَعَ فَطِيرٍ وَأَعْشَابٍ مُرَّةٍ.١١
12 १२ और उसमें से कुछ भी सवेरे तक न रख छोड़े, और न उसकी कोई हड्डी तोड़े; वे फसह के पर्व को सारी विधियों के अनुसार मनाएँ।
لَا تَتْرُكُوا مِنْهُ شَيْئاً إِلَى الصَّبَاحِ، وَلا تَكْسِرُوا مِنْهُ عَظْماً. احْتَفِلُوا بِهِ طِبْقاً لِشَعَائِرِ الْفِصْحِ كُلِّهَا.١٢
13 १३ परन्तु जो मनुष्य शुद्ध हो और यात्रा पर न हो, परन्तु फसह के पर्व को न माने, वह मनुष्य अपने लोगों में से नाश किया जाए, उस मनुष्य को यहोवा का चढ़ावा नियत समय पर न ले आने के कारण अपने पाप का बोझ उठाना पड़ेगा।
وَلَكِنْ مَنْ كَانَ طَاهِراً وَلَيْسَ فِي سَفَرٍ، وَأَغْفَلَ الاحْتِفَالَ بِالْفِصْحِ، فَإِنَّهُ يُسْتَأْصَلُ مِنْ بَيْنِ شَعْبِهِ، لأَنَّهُ لَمْ يُقَدِّمْ قُرْبَانَ الرَّبِّ فِي أَوَانِهِ. ذَلِكَ الإِنْسَانُ يَتَحَمَّلُ عِقَابَ خَطِيئَتِهِ.١٣
14 १४ यदि कोई परदेशी तुम्हारे साथ रहकर चाहे कि यहोवा के लिये फसह मनाएँ, तो वह उसी विधि और नियम के अनुसार उसको माने; देशी और परदेशी दोनों के लिये तुम्हारी एक ही विधि हो।”
وَإذَا حَلَّ عِنْدَكُمْ غَرِيبٌ فَلْيَحْتَفِلْ بِالْفِصْحِ طِبْقاً لِشَعَائِرِ الْفِصْحِ وَأَحْكَامِهِ، فَتَكُونَ لَكُمْ فَرِيضَةً وَاحِدَةً لِلْغَرِيبِ وَلِلْمُوَاطِنِ عَلَى حَدٍّ سَوَاءٍ».١٤
15 १५ जिस दिन निवास जो, साक्षी का तम्बू भी कहलाता है, खड़ा किया गया, उस दिन बादल उस पर छा गया; और संध्या को वह निवास पर आग के समान दिखाई दिया और भोर तक दिखाई देता रहा।
وَفِي الْيَوْمِ الَّذِي نُصِبَ فِيهِ الْمَسْكَنُ غَطَّتِ السَّحَابَةُ خَيْمَةَ الشَّهَادَةِ. وَفِي الْمَسَاءِ بَدَا وَكَأَنَّ عَلَى الْمَسْكَنِ نَاراً بَقِيَتْ حَتَّى الصَّبَاحِ.١٥
16 १६ प्रतिदिन ऐसा ही हुआ करता था; अर्थात् दिन को बादल छाया रहता, और रात को आग दिखाई देती थी।
وَاسْتَمَرَّ الأَمْرُ عَلَى هَذِهِ الْحَالِ، إِذْ كَانَتِ السَّحَابَةُ تُغَطِّي الْمَسْكَنَ نَهَاراً، وَتَتَحَوَّلُ إِلَى مَا يُشْبِهُ النَّارَ لَيْلاً.١٦
17 १७ और जब जब वह बादल तम्बू पर से उठ जाता तब इस्राएली प्रस्थान करते थे; और जिस स्थान पर बादल ठहर जाता वहीं इस्राएली अपने डेरे खड़े करते थे।
وَكُلَّمَا ارْتَفَعَتِ السَّحَابَةُ عَنِ الْخَيْمَةِ كَانَ عَلَى شَعْبِ إِسْرَائِيلَ الارْتِحَالُ، وَحَيْثُمَا حَلَّتِ السَّحَابَةُ كَانُوا يَنْزِلُونَ هُنَاكَ،١٧
18 १८ यहोवा की आज्ञा से इस्राएली कूच करते थे, और यहोवा ही की आज्ञा से वे डेरे खड़े भी करते थे; और जितने दिन तक वह बादल निवास पर ठहरा रहता, उतने दिन तक वे डेरे डाले पड़े रहते थे।
فَكَانَ بَنُو إِسْرَائِيلَ يَرْتَحِلُونَ حَسَبَ قَوْلِ الرَّبِّ، وَبِمُوْجِبِ أَمْرِهِ كَانُوا يَنْزِلُونَ، وَيَمْكُثُونَ مُقِيمِينَ طَوَالَ أَيَّامِ حُلُولِ السَّحَابَةِ عَلَى الْمَسْكَنِ.١٨
19 १९ जब बादल बहुत दिन निवास पर छाया रहता, तब भी इस्राएली यहोवा की आज्ञा मानते, और प्रस्थान नहीं करते थे।
وَإِنْ طَالَ أَمَدُ حُلُولِ السَّحَابَةِ عَلَى الْمَسْكَنِ أَيَّاماً كَثِيرَةً، كَانَ شَعْبُ إِسْرَائِيلَ يُطِيعُونَ أَمْرَ الرَّبِّ، وَيَلْبَثُونَ مُقِيمِينَ لَا يَرْتَحِلُونَ.١٩
20 २० और कभी-कभी वह बादल थोड़े ही दिन तक निवास पर रहता, और तब भी वे यहोवा की आज्ञा से डेरे डाले पड़े रहते थे; और फिर यहोवा की आज्ञा ही से वे प्रस्थान करते थे।
وَكَانَتِ السَّحَابَةُ تُخَيِّمُ أَحْيَاناً عَلَى الْمَسْكَنِ أَيَّاماً قَلِيلَةً، فَكَانَ الإِسْرَائِيلِيُّونَ يَنْزِلُونَ حَسَبَ قَوْلِ الرَّبِّ، وَوَفْقاً لأَمْرِهِ كَانُوا يَرْتَحِلُونَ.٢٠
21 २१ और कभी-कभी बादल केवल संध्या से भोर तक रहता; और जब वह भोर को उठ जाता था तब वे प्रस्थान करते थे, और यदि वह रात दिन बराबर रहता, तो जब बादल उठ जाता, तब ही वे प्रस्थान करते थे।
وَإذَا حَلَّتِ السَّحَابَةُ مِنَ الْمَسَاءِ إِلَى الصَّبَاحِ ثُمَّ ارْتَفَعَتْ عِنْدَ الصَّبَاحِ فَإِنَّهُمْ كَانُوا يَرْتَحِلُونَ، وَكَذَلِكَ إِنْ حَلَّتْ يَوْماً وَلَيْلَةً ثُمَّ ارْتَفَعَتْ، كَانُوا يَرْتَحِلُونَ.٢١
22 २२ वह बादल चाहे दो दिन, चाहे एक महीना, चाहे वर्ष भर, जब तक निवास पर ठहरा रहता, तब तक इस्राएली अपने डेरों में रहते और प्रस्थान नहीं करते थे; परन्तु जब वह उठ जाता तब वे प्रस्थान करते थे।
أَوْ إِنْ مَكَثَتِ السَّحَابَةُ يَوْمَيْنِ أَوْ شَهْراً أَوْ سَنَةً، كَانَ الإِسْرَائِيلِيُّونَ يُقِيمُونَ وَلا يَرْتَحِلُونَ مَادَامَتِ السَّحَابَةُ حَالَّةً عَلَى الْمَسْكَنِ. وَمَتَى ارْتَفَعَتْ كَانُوا يَرْتَحِلُونَ.٢٢
23 २३ यहोवा की आज्ञा से वे अपने डेरे खड़े करते, और यहोवा ही की आज्ञा से वे प्रस्थान करते थे; जो आज्ञा यहोवा मूसा के द्वारा देता था, उसको वे माना करते थे।
وَهَكَذَا كَانُوا فِي نُزُولِهِمْ وَرَحِيلِهِمْ يَأْتَمِرُونَ بِقَوْلِ الرَّبِّ، فَأَطَاعُوا أَوَامِرَ الرَّبِّ طِبْقاً لِمَا أَوْصَى بِهِ مُوسَى.٢٣

< गिनती 9 >