< लूका 7 >
1 १ जब वह लोगों को अपनी सारी बातें सुना चुका, तो कफरनहूम में आया।
ⲁ̅ⲉⲡⲉⲓⲇⲏ ⲁϥϫⲉⲕⲛⲉϥϣⲁϫⲉ ⲉⲃⲟⲗ ⲧⲏⲣⲟⲩ ⲉⲙⲙⲁⲁϫⲉ ⲙ̅ⲡⲗⲁⲟⲥ. ⲁϥⲃⲱⲕ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲉⲕⲁⲫⲁⲣⲛⲁⲟⲩⲙ
2 २ और किसी सूबेदार का एक दास जो उसका प्रिय था, बीमारी से मरने पर था।
ⲃ̅ⲛⲉⲣⲉⲡϩⲙ̅ϩⲁⲗ ⲇⲉ ⲛ̅ⲟⲩϩⲉⲕⲁⲧⲟⲛⲧⲁⲣⲭⲟⲥ ⲙⲟⲕϩ̅ ⲡⲉ ⲉϥⲛⲁⲙⲟⲩ ⲡⲁⲓ̈ ⲇⲉ ⲛⲉϥⲧⲁⲓ̈ⲏⲩ ⲛ̅ⲧⲟⲟⲧϥ̅ ⲡⲉ.
3 ३ उसने यीशु की चर्चा सुनकर यहूदियों के कई प्राचीनों को उससे यह विनती करने को उसके पास भेजा, कि आकर मेरे दास को चंगा कर।
ⲅ̅ⲁϥⲥⲱⲧⲙ̅ ⲉⲧⲃⲉⲓ̅ⲥ̅ ⲁϥϫⲟⲟⲩ ⲛϩⲉⲛⲡⲣⲉⲥⲃⲩⲧⲉⲣⲟⲥ ⲛ̅ⲧⲉⲛ̅ⲓ̈ⲟⲩⲇⲁⲓ̈ ϣⲁⲣⲟϥ ⲉⲩⲥⲟⲡⲥ̅ ⲙ̅ⲙⲟϥ. ϫⲉ ⲉϥⲉⲉ͡ⲓ ⲛϥ̅ⲧⲟⲩϫⲉⲡⲉϥϩⲙ̅ϩⲁⲗ
4 ४ वे यीशु के पास आकर उससे बड़ी विनती करके कहने लगे, “वह इस योग्य है, कि तू उसके लिये यह करे,
ⲇ̅ⲛ̅ⲧⲟⲟⲩ ⲇⲉ ⲁⲩⲉ͡ⲓ ϣⲁⲓ̅ⲥ̅ ⲁⲩⲥⲉⲡⲥⲱⲡϥ̅ ϩⲛ̅ⲟⲩⲥⲡⲟⲩⲇⲏ ⲉⲩϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ. ϫⲉ ϥⲙ̅ⲡϣⲁ ⲛ̅ϭⲓⲡⲉⲧⲕ̅ⲛⲁⲣ̅ⲡⲁⲓ̈ ⲛⲁϥ.
5 ५ क्योंकि वह हमारी जाति से प्रेम रखता है, और उसी ने हमारे आराधनालय को बनाया है।”
ⲉ̅ϥⲙⲉ ⲅⲁⲣ ⲙ̅ⲡⲉⲛϩⲉⲑⲛⲟⲥ. ⲁⲩⲱ ⲛ̅ⲧⲟϥ ⲡⲉⲛⲧⲁϥⲕⲱⲧʾ ⲛⲁⲛ ⲛ̅ⲧⲥⲩⲛⲁⲅⲱⲅⲏ.
6 ६ यीशु उनके साथ-साथ चला, पर जब वह घर से दूर न था, तो सूबेदार ने उसके पास कई मित्रों के द्वारा कहला भेजा, “हे प्रभु दुःख न उठा, क्योंकि मैं इस योग्य नहीं, कि तू मेरी छत के तले आए।
ⲋ̅ⲓ̅ⲥ̅ ⲇⲉ ⲁϥⲃⲱⲕ ⲛⲙ̅ⲙⲁⲩ. ⲉⲙⲡⲁⲧϥ̅ϩⲱⲛ ⲇⲉ ⲉⲡⲏⲓ̈. ⲁⲫⲉⲕⲁⲧⲟⲛⲧⲁⲣⲭⲟⲥ ⲧⲛ̅ⲛⲟⲟⲩ ⲛ̅ⲛⲉϥϣⲃⲉⲉⲣ ⲉϥϫⲱ ⲙⲙⲟⲥ ⲛⲁϥ ϫⲉ. ⲡϫⲟⲉⲓⲥ ⲙ̅ⲡⲣ̅ⲥⲕⲩⲗⲗⲉⲓ. ⲛ̅ϯⲙ̅ⲡϣⲁ ⲅⲁⲣ ⲁⲛ ⲉⲧⲣⲉⲕⲉ͡ⲓ ⲉϩⲟⲩⲛ ϩⲁⲧⲁⲟⲩⲉϩⲥⲟⲓ̈.
7 ७ इसी कारण मैंने अपने आपको इस योग्य भी न समझा, कि तेरे पास आऊँ, पर वचन ही कह दे तो मेरा सेवक चंगा हो जाएगा।
ⲍ̅ⲉⲧⲃⲉⲡⲁⲓ̈ ⲣⲱ ⲙ̅ⲡⲓⲁⲁⲧʾ ⲛⲙ̅ⲡϣⲁ ⲉⲉ͡ⲓ ϣⲁⲣⲟⲕ. ⲁⲗⲗⲁ ⲁϫⲓⲥ ⲙ̅ⲙⲁⲧⲉ ⲙ̅ⲡϣⲁϫⲉ ϫⲉ ⲙⲁⲣⲉⲡⲁϩⲙ̅ϩⲁⲗ ⲗⲟ.
8 ८ मैं भी पराधीन मनुष्य हूँ; और सिपाही मेरे हाथ में हैं, और जब एक को कहता हूँ, ‘जा,’ तो वह जाता है, और दूसरे से कहता हूँ कि ‘आ,’ तो आता है; और अपने किसी दास को कि ‘यह कर,’ तो वह उसे करता है।”
ⲏ̅ⲕⲁⲓⲅⲁⲣ ⲁⲛⲟⲕ ⲁⲛⲅ̅ⲟⲩⲣⲱⲙⲉ ⲉⲓ̈ϣⲟⲟⲡ ϩⲁⲟⲩⲉⲝⲟⲩⲥⲓⲁ ⲉⲩⲛϩⲉⲛⲙⲁⲧⲟⲓ̈ ϩⲁⲣⲁⲧʾ ϣⲁⲓ̈ϫⲟⲟⲥ ⲙ̅ⲡⲁⲓ̈ ϫⲉ ⲃⲱⲕ ⲁⲩⲱ ϣⲁϥⲃⲱⲕ. ⲁⲩⲱ ⲛ̅ⲕⲉⲟⲩⲁ ϫⲉⲁⲙⲟⲩ. ⲁⲩⲱ ϣⲁϥⲉ͡ⲓ ⲁⲩⲱ ⲙⲡⲁϩⲙ̅ϩⲁⲗ ϫⲉ ⲁⲣⲓⲡⲁⲓ̈ ⲛϥ̅ⲁⲁϥ.
9 ९ यह सुनकर यीशु ने अचम्भा किया, और उसने मुँह फेरकर उस भीड़ से जो उसके पीछे आ रही थी कहा, “मैं तुम से कहता हूँ, कि मैंने इस्राएल में भी ऐसा विश्वास नहीं पाया।”
ⲑ̅ⲁⲓ̅ⲥ̅ ⲇⲉ ⲥⲱⲧⲙ̅ ⲉⲛⲁⲉⲓ ⲁϥⲣ̅ϣⲡⲏⲣⲉ ⲙ̅ⲙⲟϥ ⲁϥⲕⲟⲧϥ̅ ⲉⲛⲉⲧⲟⲩⲏϩ ⲛ̅ⲥⲱϥ ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲁⲩ ϫⲉ. ϯϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ⲛⲏⲧⲛ̅ ϫⲉ ⲟⲩⲇⲉ ⲙ̅ⲡⲓϩⲉ ⲉⲡⲓⲥⲧⲓⲥ ⲛ̅ⲧⲉⲓ̈ϭⲟⲧʾ ϩⲙ̅ⲡⲕⲉⲓ̈ⲥⲣⲁⲏⲗ.
10 १० और भेजे हुए लोगों ने घर लौटकर, उस दास को चंगा पाया।
ⲓ̅ⲁⲛⲉⲛⲧⲁⲩϫⲟⲟⲩⲥⲟⲩ ⲇⲉ ⲕⲟⲧⲟⲩ ⲉⲡⲏⲓ̈ ⲁⲩϩⲉ ⲉⲡʾϩⲙ̅ϩⲁⲗ ⲉⲁϥⲙ̅ⲧⲟⲛ·
11 ११ थोड़े दिन के बाद वह नाईन नाम के एक नगर को गया, और उसके चेले, और बड़ी भीड़ उसके साथ जा रही थी।
ⲓ̅ⲁ̅ⲁⲥϣⲱⲡⲉ ⲇⲉ ⲙ̅ⲙⲛⲛ̅ⲥⲱⲥ ⲁϥⲃⲱⲕ ⲉⲩⲡⲟⲗⲉⲓⲥ ⲉϣⲁⲩⲙⲟⲩⲧⲉ ⲉⲣⲟⲥ ϫⲉ ⲛⲁⲉⲓⲛ ⲉⲣⲉⲛⲉϥⲙⲁⲑⲏⲧⲏⲥ ⲙⲟⲟϣⲉ ⲛⲙ̅ⲙⲁϥ ⲛⲙ̅ⲡⲙⲏⲏϣⲉ ⲉⲧⲛⲁϣⲱϥ.
12 १२ जब वह नगर के फाटक के पास पहुँचा, तो देखो, लोग एक मुर्दे को बाहर लिए जा रहे थे; जो अपनी माँ का एकलौता पुत्र था, और वह विधवा थी: और नगर के बहुत से लोग उसके साथ थे।
ⲓ̅ⲃ̅ⲛ̅ⲧⲉⲣⲉϥϩⲱⲛ ⲇⲉ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲉⲧⲡⲩⲗⲏ ⲛ̅ⲧⲡⲟⲗⲉⲓⲥ ⲉⲓⲥϩⲏⲏⲧⲉ ⲁⲩⲛ̅ⲟⲩⲁ ⲉⲃⲟⲗ ⲉϥⲙⲟⲟⲩⲧʾ ⲟⲩϣⲏⲣⲉ ⲟⲩⲱⲧ̅ʾ ⲛ̅ⲧⲉⲧⲉϥⲙⲁⲁⲩ. ⲛ̅ⲧⲟⲥ ⲇⲉ ⲛⲉⲟⲩⲭⲏⲣⲁ ⲧⲉ. ⲛⲉⲟⲩⲛⲟⲩⲙⲏⲏϣⲉ ⲇⲉ ⲛ̅ⲧⲉⲧⲡⲟⲗⲉⲓⲥ ⲛⲙ̅ⲙⲁⲥ ⲡⲉ.
13 १३ उसे देखकर प्रभु को तरस आया, और उसने कहा, “मत रो।”
ⲓ̅ⲅ̅ⲁⲡϫⲟⲉⲓⲥ ⲇⲉ ⲛⲁⲩ ⲉⲣⲟⲥ ⲁϥϣⲛϩ̅ⲧⲏϥ ⲉϩⲣⲁⲓ̈ ⲉϫⲱⲥ ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲁⲥ ϫⲉ. ⲙ̅ⲡⲣ̅ⲣⲓⲙⲉ.
14 १४ तब उसने पास आकर अर्थी को छुआ; और उठानेवाले ठहर गए, तब उसने कहा, “हे जवान, मैं तुझ से कहता हूँ, उठ!”
ⲓ̅ⲇ̅ⲁϥϯⲡⲉϥⲟⲩⲟⲓ̈ ⲇⲉ ⲁϥϫⲱϩ ⲉⲡⲉϭⲗⲟϭ. ⲛⲉⲧϥⲓ ⲇⲉ ϩⲁⲣⲟϥ ⲁⲩⲁϩⲉⲣⲁⲧⲟⲩ. ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲁϥ ϫⲉ ⲡϩⲣ̅ϣⲓⲣⲉ ⲉⲓ̈ϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ⲛⲁⲕ ⲧⲱⲟⲩⲛⲅ̅.
15 १५ तब वह मुर्दा उठ बैठा, और बोलने लगा: और उसने उसे उसकी माँ को सौंप दिया।
ⲓ̅ⲉ̅ⲁⲡⲉⲧⲙⲟⲟⲩⲧʾ ⲇⲉ ϩⲙⲟⲟⲥ ⲁϥⲁⲣⲭⲓ ⲛ̅ϣⲁϫⲉ ⲁϥⲧⲁⲁϥ ⲛ̅ⲧⲉϥⲙⲁⲁⲩ.
16 १६ इससे सब पर भय छा गया; और वे परमेश्वर की बड़ाई करके कहने लगे, “हमारे बीच में एक बड़ा भविष्यद्वक्ता उठा है, और परमेश्वर ने अपने लोगों पर कृपादृष्टि की है।”
ⲓ̅ⲋ̅ⲁⲑⲟⲧⲉ ⲇⲉ ϫⲓⲧⲟⲩ ⲧⲏⲣⲟⲩ ⲁⲩⲱ ⲁⲩϯⲉⲟⲟⲩ ⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲉⲩϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ϫⲉ ⲁⲩⲛⲟϭ ⲙ̅ⲡⲣⲟⲫⲏⲧⲏⲥ ⲧⲱⲟⲩⲛ ⲛ̅ϩⲏⲧⲛ̅. ⲁⲩⲱ ϫⲉ ⲁⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ϭⲙ̅ⲡϣⲓⲛⲉ ⲙ̅ⲡⲉϥⲗⲁⲟⲥ.
17 १७ और उसके विषय में यह बात सारे यहूदिया और आस-पास के सारे देश में फैल गई।
ⲓ̅ⲍ̅ⲁⲡϣⲁϫⲉ ⲇⲉ ⲉ͡ⲓ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ̅ϯⲟⲩⲇⲁⲓⲁ ⲧⲏⲣⲥ̅ ⲉⲧⲃⲏⲧϥ̅. ⲛⲙ̅ⲧⲡⲉⲣⲓⲭⲱⲣⲟⲥ ⲧⲏⲣⲥ̅.
18 १८ और यूहन्ना को उसके चेलों ने इन सब बातों का समाचार दिया।
ⲓ̅ⲏ̅ⲁⲙⲙⲁⲑⲏⲧⲏⲥ ⲇⲉ ⲛ̅ⲓ̈ⲱϩⲁⲛⲛⲏⲥ ⲧⲁⲙⲟϥ ⲉⲧⲃⲉⲛⲁⲓ̈ ⲧⲏⲣⲟⲩ. ⲁⲓ̈ⲱϩⲁⲛⲛⲏⲥ ⲙⲟⲩⲧⲉ ⲉⲥⲛⲁⲩ ⲛ̅ⲛⲉϥⲙⲁⲑⲏⲧⲏⲥ
19 १९ तब यूहन्ना ने अपने चेलों में से दो को बुलाकर प्रभु के पास यह पूछने के लिये भेजा, “क्या आनेवाला तू ही है, या हम किसी और दूसरे की प्रतीक्षा करे?”
ⲓ̅ⲑ̅ⲁϥϫⲟⲟⲩⲥⲉ ϣⲁⲡϫⲟⲉⲓⲥ ⲉϥϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ. ϫⲉ ⲛ̅ⲧⲟⲕ ⲡⲉⲧⲛⲏⲟⲩ ϫⲉⲉⲛⲛⲁϭⲱϣⲧ̅ ϩⲏⲧϥ̅ ⲛ̅ⲕⲉⲟⲩⲁ.
20 २० उन्होंने उसके पास आकर कहा, “यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले ने हमें तेरे पास यह पूछने को भेजा है, कि क्या आनेवाला तू ही है, या हम दूसरे की प्रतीक्षा करे?”
ⲕ̅ⲛ̅ⲧⲉⲣⲉⲣ̅ⲣⲱⲙⲉ ⲇⲉ ⲉ͡ⲓ ϣⲁⲣⲟϥ ⲡⲉϫⲁⲩ ⲛⲁϥ ϫⲉ ⲓ̈ⲱϩⲁⲛⲛⲏⲥ ⲡⲃⲁⲡⲧⲓⲥⲧⲏⲥ ⲡⲉⲛⲧⲁϥⲧⲛ̅ⲛⲟⲟⲩⲛ ϣⲁⲣⲟⲕ ⲉϥϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ϫⲉ ⲛ̅ⲧⲟⲕ ⲡⲉⲧⲛⲏⲟⲩ ϫⲉⲉⲛⲛⲁϭⲱϣⲧ̅ʾ ϩⲏⲧϥ̅ ⲛ̅ⲕⲉⲟⲩⲁ.
21 २१ उसी घड़ी उसने बहुतों को बीमारियों और पीड़ाओं, और दुष्टात्माओं से छुड़ाया; और बहुत से अंधों को आँखें दी।
ⲕ̅ⲁ̅ϩⲛ̅ⲧⲉⲩⲛⲟⲩ ⲇⲉ ⲉⲧⲙ̅ⲙⲁⲩ ⲛⲉⲁϥⲧⲁⲗϭⲉⲟⲩⲙⲏⲏϣⲉ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ̅ⲛⲉⲩϣⲱⲛⲉ ⲛⲙ̅ⲛⲉⲩⲙⲁⲥⲧⲓⲛⲅ̅ⲝ. ⲁⲩⲱ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ̅ⲛⲉⲡⲛ̅ⲁ ⲙ̅ⲡⲟⲛⲏⲣⲟⲛ ⲟⲩⲙⲏⲏϣⲉ ⲃ̅ⲃⲗ̅ⲗⲉ ⲁϥⲭⲁⲣⲓⲍⲉ ⲛⲁⲩ ⲙ̅ⲡⲛⲁⲩ ⲉⲃⲟⲗ.
22 २२ और उसने उनसे कहा, “जो कुछ तुम ने देखा और सुना है, जाकर यूहन्ना से कह दो; कि अंधे देखते हैं, लँगड़े चलते फिरते हैं, कोढ़ी शुद्ध किए जाते हैं, बहरे सुनते है, और मुर्दे जिलाए जाते है, और कंगालों को सुसमाचार सुनाया जाता है।
ⲕ̅ⲃ̅ⲁϥⲟⲩⲱϣⲃ̅ ⲇⲉ ⲉϥϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ⲛⲁⲩ ϫⲉ ⲃⲱⲕ ⲛ̅ⲧⲉⲧⲛ̅ϫⲓⲡⲟⲩⲱ ⲛ̅ⲓ̈ⲱϩⲁⲛⲛⲏⲥ ⲛ̅ⲛⲉⲛⲧⲁⲧⲉⲧⲛ̅ⲛⲁⲩ ⲉⲣⲟⲟⲩ ⲁⲩⲱ ⲛⲉⲛⲧⲁⲧⲉⲧⲛ̅ⲥⲟⲧⲙⲟⲩ ϫⲉ ⲛ̅ⲃⲗ̅ⲗⲉⲉⲩ ⲛⲁⲩ ⲉⲃⲟⲗ. ⲛϭⲁⲗⲉⲉⲩ ⲙⲟⲟϣⲉ. ⲛⲉⲧⲥⲟⲃϩ̅ ⲧⲃ̅ⲃⲟ. ⲛ̅ⲁⲗ ⲥⲱⲧⲙ̅. ⲛⲉⲧⲙⲟⲟⲩⲧʾ ⲧⲱⲟⲩⲛ. ⲛϩⲏⲕⲉ ⲥⲉⲉⲩⲁⲅⲅⲉⲗⲓⲍⲉ.
23 २३ धन्य है वह, जो मेरे कारण ठोकर न खाए।”
ⲕ̅ⲅ̅ⲁⲩⲱ ⲛⲁⲓ̈ⲁⲧϥ̅ ⲙ̅ⲡⲉⲧⲉⲛϥ̅ⲛⲁⲥⲕⲁⲛⲇⲁⲗⲓⲍⲉ ⲁⲛ ⲛ̅ϩⲏⲧʾ.
24 २४ जब यूहन्ना के भेजे हुए लोग चल दिए, तो यीशु यूहन्ना के विषय में लोगों से कहने लगा, “तुम जंगल में क्या देखने गए थे? क्या हवा से हिलते हुए सरकण्डे को?
ⲕ̅ⲇ̅ⲛ̅ⲧⲉⲣⲟⲩⲃⲱⲕ ⲇⲉ ⲛ̅ϭⲓⲛ̅ϥⲁⲓ̈ϣⲓⲛⲉ ⲛ̅ⲓ̈ⲱϩⲁⲛⲛⲏⲥ ⲁϥⲁⲣⲭⲓ ⲛ̅ϫⲟⲟⲥ ⲛⲙ̅ⲙⲏⲏϣⲉ ⲉⲧⲃⲉⲓ̈ⲱϩⲁⲛⲛⲏⲥ ϫⲉ ⲛ̅ⲧⲁⲧⲉⲧⲛ̅ⲉ͡ⲓ ⲉⲃⲟⲗ ⲉⲧⲉⲣⲏⲙⲟⲥ ⲉⲛⲁⲩ ⲉⲟⲩ ⲉⲩⲕⲁϣ ⲉⲣⲉⲡⲧⲏⲩ ⲕⲓⲙ ⲉⲣⲟϥ.
25 २५ तो तुम फिर क्या देखने गए थे? क्या कोमल वस्त्र पहने हुए मनुष्य को? देखो, जो भड़कीला वस्त्र पहनते, और सुख-विलास से रहते हैं, वे राजभवनों में रहते हैं।
ⲕ̅ⲉ̅ⲁⲗⲗⲁ ⲛ̅ⲧⲁⲧⲉⲧⲛ̅ⲉ͡ⲓ ⲉⲃⲟⲗ ⲉⲛⲁⲩ ⲉⲟⲩ. ⲉⲩⲣⲱⲙⲉ ⲉⲣⲉϩⲉⲛϩⲃⲥⲱ ⲉⲩϭⲏⲛ ⲧⲟ ϩⲓⲱⲱϥ ⲉⲓⲥⲛⲉⲧϩⲛ̅ⲛϩⲃ̅ⲥⲱ ⲉⲧʾⲧⲁⲉⲓⲏⲩ ⲛⲙ̅ⲛⲉⲧⲣⲩⲫⲏ ϩⲛ̅ⲛ̅ⲏⲓ̈ ⲛ̅ⲛⲉⲣⲣⲱⲟⲩ.
26 २६ तो फिर क्या देखने गए थे? क्या किसी भविष्यद्वक्ता को? हाँ, मैं तुम से कहता हूँ, वरन् भविष्यद्वक्ता से भी बड़े को।
ⲕ̅ⲋ̅ⲁⲗⲗⲁ ⲛ̅ⲧⲁⲧⲉⲧⲛ̅ⲉ͡ⲓ ⲉⲃⲟⲗ ⲉⲛⲁⲩ ⲉⲟⲩ ⲉⲩⲡⲣⲟⲫⲏⲧⲏⲥ. ⲉϩⲉ ϯϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ⲛⲏⲧⲛ̅ ϫⲉ ⲟⲩϩⲟⲩⲉⲡⲣⲟⲫⲏⲧⲏⲥ ⲡⲉ
27 २७ यह वही है, जिसके विषय में लिखा है: ‘देख, मैं अपने दूत को तेरे आगे-आगे भेजता हूँ, जो तेरे आगे मार्ग सीधा करेगा।’
ⲕ̅ⲍ̅ⲡⲁⲓ̈ ⲡⲉⲧⲥⲏϩ ⲉⲧⲃⲏⲧϥ̅ ϫⲉ ⲉⲓⲥϩⲏⲏⲧⲉ ϯⲛⲁⲧⲛ̅ⲛⲟⲟⲩ ⲙ̅ⲡⲁⲁⲅⲅⲉⲗⲟⲥ ϩⲁⲧⲉⲕϩⲏ ⲡⲁⲓ̈ ⲉⲧⲛⲁⲥⲟⲩⲧⲛ̅ⲧⲉⲕϩⲓⲏ ⲙ̅ⲡⲉⲕⲙ̅ⲧⲟ ⲉⲃⲟⲗ.
28 २८ “मैं तुम से कहता हूँ, कि जो स्त्रियों से जन्मे हैं, उनमें से यूहन्ना से बड़ा कोई नहीं पर जो परमेश्वर के राज्य में छोटे से छोटा है, वह उससे भी बड़ा है।”
ⲕ̅ⲏ̅ϯϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ⲛⲏⲧⲛ̅ ϫⲉ ⲙ̅ⲙⲛ̅ⲡⲉⲧⲟ ⲛ̅ⲛⲟϭ ⲉⲓ̈ⲱϩⲁⲛⲛⲏⲥ ϩⲛ̅ⲛⲉϫⲡⲟ ⲛ̅ⲛⲉϩⲓⲟⲙⲉ. ⲡⲕⲟⲩⲓ̈ ⲇⲉ ⲉⲣⲟϥ ⲡⲛⲟϭ ⲉⲣⲟϥ ⲡⲉ ϩⲛ̅ⲧⲙⲛ̅ⲧⲉⲣⲟ ⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ.
29 २९ और सब साधारण लोगों ने सुनकर और चुंगी लेनेवालों ने भी यूहन्ना का बपतिस्मा लेकर परमेश्वर को सच्चा मान लिया।
ⲕ̅ⲑ̅ⲡⲗⲁⲟⲥ ⲇⲉ ⲧⲏⲣϥ̅ ⲛⲙ̅ⲛ̅ⲧⲉⲗⲱⲛⲏⲥ ⲛ̅ⲧⲉⲣⲟⲩⲥⲱⲧⲙ̅ ⲁⲩⲧⲁⲓ̈ⲉⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ϫⲉ ⲁⲩϫⲓⲃⲁⲡⲧⲓⲥⲙⲁ ϩⲙⲡⲃⲁ(ⲡ)ⲧⲓⲥⲙⲁ ⲛ̅ⲓ̈ⲱϩⲁⲛⲛⲏⲥ
30 ३० पर फरीसियों और व्यवस्थापकों ने उससे बपतिस्मा न लेकर परमेश्वर की मनसा को अपने विषय में टाल दिया।
ⲗ̅ⲛⲉⲫⲁⲣⲓⲥⲥⲁⲓⲟⲥ ⲇⲉ ⲛⲙ̅ⲛ̅ⲛⲟⲙⲓⲕⲟⲥ ⲁⲩⲁⲑⲉⲧⲓ ⲙ̅ⲡʾϣⲟϫⲛⲉ ⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲉⲙⲡⲟⲩϫⲓⲃⲁⲡⲧⲓⲥⲙⲁ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲓⲧⲟⲟⲧϥ̅.
31 ३१ “अतः मैं इस युग के लोगों की उपमा किस से दूँ कि वे किसके समान हैं?
ⲗ̅ⲁ̅ⲉⲓ̈ⲛⲁⲧⲟⲛⲧⲛⲛⲣⲱⲙⲉ ϭⲉ ⲛ̅ⲧⲉⲓ̈ⲅⲉⲛⲉⲁ ⲉⲛⲓⲙ ⲁⲩⲱ ⲉⲩⲓ̈ⲛⲉ ⲛⲛⲓⲙ
32 ३२ वे उन बालकों के समान हैं जो बाजार में बैठे हुए एक दूसरे से पुकारकर कहते हैं, ‘हमने तुम्हारे लिये बाँसुरी बजाई, और तुम न नाचे, हमने विलाप किया, और तुम न रोए!’
ⲗ̅ⲃ̅ⲉⲩⲧⲛ̅ⲧⲱⲛ ⲉϩⲉⲛϣⲏⲣⲉ ϣⲏⲙ ⲉⲩϩⲙⲟⲟⲥ ϩⲓⲧⲁⲅⲟⲣⲁ ⲉⲩⲙⲟⲩⲧⲉ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲉⲛⲉⲩϣⲃⲉⲉⲣ ⲉⲩϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ϫⲉ ⲁⲛϫⲱ ⲉⲣⲱⲧⲛ̅ ⲙ̅ⲡⲉⲧⲛ̅ϭⲟⲥϭⲥ̅ ⲁⲛⲧⲟⲓ̈ⲧʾ ⲙ̅ⲡⲉⲧⲛ̅ⲣⲓⲙⲉ.
33 ३३ क्योंकि यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला न रोटी खाता आया, न दाखरस पीता आया, और तुम कहते हो, उसमें दुष्टात्मा है।
ⲗ̅ⲅ̅ⲁⲓ̈ⲱϩⲁⲛⲛⲏⲥ ⲅⲁⲣ ⲡⲃⲁⲡⲧⲓⲥⲧⲏⲥ ⲉ͡ⲓ ⲉⲛϥⲟⲩⲉⲙⲟⲉⲓⲕ ⲁⲛ ⲉⲛϥ̅ⲥⲉⲏⲣⲡ̅ ⲁⲛ ⲡⲉϫⲏⲧⲛ̅ ϫⲉ ⲟⲩⲛⲟⲩⲇⲁⲓⲙⲟⲛⲓⲟⲛ ϩⲓⲱⲱϥ.
34 ३४ मनुष्य का पुत्र खाता-पीता आया है; और तुम कहते हो, ‘देखो, पेटू और पियक्कड़ मनुष्य, चुंगी लेनेवालों का और पापियों का मित्र।’
ⲗ̅ⲇ̅ⲁⲡϣⲏⲣⲉ ⲙ̅ⲡⲣⲱⲙⲉ ⲉ͡ⲓ ⲉϥⲟⲩⲱⲙ ⲉϥⲥⲱ ⲡⲉϫⲏⲧⲛ̅ ϫⲉ ⲓ̈ⲥⲟⲩⲣⲱⲙⲉ ⲣ̅ⲣⲉϥⲟⲩⲱⲙ ⲁⲩⲱ ⲣ̅ⲣⲉϥⲥⲉⲏⲣⲡ̅ ⲛϣⲃⲏⲣ ⲛ̅ⲧⲉⲗⲱⲛⲏⲥ ϩⲓⲣⲉϥⲣ̅ⲛⲟⲃⲉ.
35 ३५ पर ज्ञान अपनी सब सन्तानों से सच्चा ठहराया गया है।”
ⲗ̅ⲉ̅ⲁⲧⲥⲟⲫⲓⲁ ⲧⲙⲁⲓ̈ⲟ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ̅ⲛⲉⲥϣⲏⲣⲉ ⲧⲏⲣⲟⲩ.
36 ३६ फिर किसी फरीसी ने उससे विनती की, कि मेरे साथ भोजन कर; अतः वह उस फरीसी के घर में जाकर भोजन करने बैठा।
ⲗ̅ⲋ̅ⲁⲟⲩⲁ ⲇⲉ ⲛ̅ⲛⲉⲫⲁⲣⲓⲥⲥⲁⲓⲟⲥ ⲥⲉⲡⲥⲱⲡϥ̅ ϫⲉ ⲉϥⲉⲟⲩⲱⲙ ⲛⲙ̅ⲙⲁϥ ⲁϥⲃⲱⲕ ⲇⲉ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲉⲡⲏⲓ̈ ⲙ̅ⲡⲉⲫⲁⲣⲓⲥⲥⲁⲓⲟⲥ ⲁϥⲛⲟϫϥ̅.
37 ३७ वहाँ उस नगर की एक पापिनी स्त्री यह जानकर कि वह फरीसी के घर में भोजन करने बैठा है, संगमरमर के पात्र में इत्र लाई।
ⲗ̅ⲍ̅ⲉⲓⲥⲟⲩⲥϩⲓⲙⲉ ⲇⲉ ⲉⲥϩⲛ̅ⲧⲡⲟⲗⲉⲓⲥ ⲉⲩⲣⲉϥⲣ̅ⲛⲟⲃⲉ ⲧⲉ. ⲁⲥⲉ͡ⲓⲙⲉ ϫⲉ ϥⲛⲏϫ ϩⲙ̅ⲡⲏⲓ̈ ⲙ̅ⲡⲉⲫⲁⲣⲓⲥⲥⲁⲓⲟⲥ. ⲁⲥϫⲓ ⲛⲟⲩⲁⲗⲁⲃⲁⲥⲧⲣⲟⲛ ⲛ̅ⲥⲟϭⲛ̅
38 ३८ और उसके पाँवों के पास, पीछे खड़ी होकर, रोती हुई, उसके पाँवों को आँसुओं से भिगाने और अपने सिर के बालों से पोंछने लगी और उसके पाँव बार बार चूमकर उन पर इत्र मला।
ⲗ̅ⲏ̅ⲁⲥⲁϩⲉⲣⲁⲧⲥ̅ ϩⲓⲡⲁϩⲟⲩ ⲙ̅ⲙⲟϥ ϩⲁⲣⲁⲧϥ̅ ⲉⲥⲣⲓⲙⲉ ⲁⲥⲁⲣⲭⲓ ⲛ̅ϩⲣ̅ⲡⲛⲉϥⲟⲩⲉⲣⲏⲧⲉ ⲛ̅ⲛⲉⲥⲣⲙ̅ⲓ̈ⲟⲟⲩⲉ ⲉⲁⲥϥⲟⲧⲟⲩ ⲙ̅ⲡϥⲱ ⲛ̅ⲧⲉⲥⲁⲡⲉ. ⲁⲥϣⲱⲡⲉ ⲉⲥϯⲡⲓ ⲉⲛⲉϥⲟⲩⲉⲣⲏⲧⲉ ⲉⲥⲧⲱϩⲥ̅ ⲙ̅ⲙⲟⲟⲩ ⲙ̅ⲡⲥⲟϭⲛ̅.
39 ३९ यह देखकर, वह फरीसी जिसने उसे बुलाया था, अपने मन में सोचने लगा, “यदि यह भविष्यद्वक्ता होता तो जान जाता, कि यह जो उसे छू रही है, वह कौन और कैसी स्त्री है? क्योंकि वह तो पापिन है।”
ⲗ̅ⲑ̅ⲁϥⲛⲁⲩ ⲇⲉ ⲛ̅ϭⲓⲡⲉⲫⲁⲣⲓⲥⲥⲁⲓⲟⲥ ⲉⲛⲧⲁϥⲧⲁϩⲙⲉϥ ⲡⲉϫⲁϥ ϩⲣⲁⲓ̈ ⲛ̅ϩⲏⲧʾϥ ⲉϥϫⲱ ⲙⲙⲟⲥ ϫⲉ ⲉⲛⲉⲟⲩⲡⲣⲟⲫⲏⲧⲏⲥ ⲡⲉ ⲡⲁⲓ̈ ⲛⲉϥⲛⲁⲉ͡ⲓⲙⲉ ϫⲉ ⲟⲩ ⲧⲉ ⲁⲩⲱ ⲟⲩⲁϣ ⲙ̅ⲙⲓⲛⲉ ⲧⲉ ⲧⲉⲥϩⲓⲙⲉ ⲉⲧϫⲱϩ ⲉⲣⲟϥ ϫⲉ ⲟⲩⲣⲉϥⲣ̅ⲛⲟⲃⲉ ⲧⲉ.
40 ४० यह सुन यीशु ने उसके उत्तर में कहा, “हे शमौन, मुझे तुझ से कुछ कहना है।” वह बोला, “हे गुरु, कह।”
ⲙ̅ⲁⲓ̅ⲥ̅ ⲇⲉ ⲟⲩⲱϣⲃ̅ ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲁϥ ϫⲉ ⲥⲓⲙⲱⲛ ⲟⲩⲛϯⲟⲩϣⲁϫⲉ ⲉϫⲟⲟϥ ⲛⲁⲕ ⲛ̅ⲧⲟϥ ⲇⲉ ⲡⲉϫⲁϥ ϫⲉ ⲡⲥⲁϩ ⲁϫⲓϥ.
41 ४१ “किसी महाजन के दो देनदार थे, एक पाँच सौ, और दूसरा पचास दीनार देनदार था।
ⲙ̅ⲁ̅ⲛⲉⲩⲛ̅ⲧⲉⲟⲩⲇⲁⲛⲓⲥⲧⲏⲥ ⲉⲣⲱⲙⲉ ⲥⲛⲁⲩ ⲡⲉ. ⲛⲉⲩⲛ̅ⲧϥ̅ϯⲟⲩ ⲛ̅ϣⲉ ⲛ̅ⲥⲁⲧⲉⲉⲣⲉ ⲉⲩⲁ ⲉⲩⲛⲧϥ̅ⲧⲁⲓ̈ⲟⲩ ⲉⲩⲁ.
42 ४२ जबकि उनके पास वापस लौटाने को कुछ न रहा, तो उसने दोनों को क्षमा कर दिया। अतः उनमें से कौन उससे अधिक प्रेम रखेगा?”
ⲙ̅ⲃ̅ⲉⲙⲙⲛ̅ⲧⲁⲩ ⲇⲉ ⲉϯ ⲁϥⲕⲁⲁϥ ⲛⲁⲩ ⲉⲃⲟⲗ ⲙ̅ⲡⲉⲥⲛⲁⲩ ⲛⲓⲙ ϭⲉ ⲙ̅ⲙⲟⲟⲩ ⲡⲉⲧⲛⲁⲙⲉⲣⲓⲧϥ̅ ⲛϩⲟⲩⲟ̅.
43 ४३ शमौन ने उत्तर दिया, “मेरी समझ में वह, जिसका उसने अधिक छोड़ दिया।” उसने उससे कहा, “तूने ठीक विचार किया है।”
ⲙ̅ⲅ̅ⲁⲥⲓⲙⲱⲛ ⲟⲩⲱϣⲃ̅ ⲡⲉϫⲁϥ ϫⲉ ϯⲙⲉⲉⲩⲉ ϫⲉ ⲡⲉⲛⲧⲁϥⲕⲁⲡⲉϩⲟⲩⲟ ϭⲉ ⲛⲁϥ ⲉⲃⲟⲗ. ⲛ̅ⲧⲟϥ ⲇⲉ ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲁϥ ϫⲉ ⲁⲕⲕⲣⲓⲛⲉ ϩⲛ̅ⲟⲩⲥⲟⲟⲩⲧⲛ̅.
44 ४४ और उस स्त्री की ओर फिरकर उसने शमौन से कहा, “क्या तू इस स्त्री को देखता है? मैं तेरे घर में आया परन्तु तूने मेरे पाँव धोने के लिये पानी न दिया, पर इसने मेरे पाँव आँसुओं से भिगाए, और अपने बालों से पोंछा।”
ⲙ̅ⲇ̅ⲁϥⲕⲟⲧϥ̅ ⲇⲉ ⲉⲧⲉⲥϩⲓⲙⲉ ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲥⲓⲙⲱⲛ ϫⲉ ⲕⲛⲁⲩ ⲉⲧⲉⲓ̈ⲥϩⲓⲙⲉ. ⲁ(ⲓ)ⲉ͡ⲓ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲉⲡⲉⲕⲏⲓ̈ ⲙ̅ⲡⲕ̅ϯⲙⲟⲟⲩ ⲛⲁⲓ̈ ⲉⲓ̈ⲁⲣⲁⲧʾ ⲛ̅ⲧⲟⲥ ⲇⲉ ⲁⲥϩⲣⲡ̅ⲛⲁⲟⲩⲉⲣⲏⲧⲉ ⲛ̅ⲛⲉⲥⲣⲙ̅ⲓ̈ⲟⲟⲩⲉ ⲉⲁⲥϥⲟⲧⲟⲩ ⲙ̅ⲡⲉⲥϥⲱ.
45 ४५ तूने मुझे चूमा न दिया, पर जब से मैं आया हूँ तब से इसने मेरे पाँवों का चूमना न छोड़ा।
ⲙ̅ⲉ̅ⲙ̅ⲡⲕ̅ϯⲡⲓ ⲉⲣⲱⲓ̈. ⲧⲁⲓ̈ ⲇⲉ ϫⲓⲛⲧⲁⲓ̈ⲉ͡ⲓ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲙ̅ⲡⲥ̅ⲗⲟ ⲉⲥϯⲡⲓ ⲉⲛⲁⲟⲩⲉⲣⲏⲧⲉ.
46 ४६ तूने मेरे सिर पर तेल नहीं मला; पर इसने मेरे पाँवों पर इत्र मला है।
ⲙ̅ⲋ̅ⲙ̅ⲡⲕ̅ⲧⲉϩⲥ̅ⲧⲁⲁⲡⲉ ⲛ̅ⲛⲉϩ ⲧⲁⲓ̈ ⲇⲉ ⲁⲥⲧⲉϩⲥⲛⲁⲟⲩⲉⲣⲏⲧⲉ ⲛ̅ⲥⲟϭⲛ̅.
47 ४७ “इसलिए मैं तुझ से कहता हूँ; कि इसके पाप जो बहुत थे, क्षमा हुए, क्योंकि इसने बहुत प्रेम किया; पर जिसका थोड़ा क्षमा हुआ है, वह थोड़ा प्रेम करता है।”
ⲙ̅ⲍ̅ⲉⲧⲃⲉⲡⲁⲓ̈ ϯϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ⲛⲁⲕ ϫⲉ ⲛⲉⲥⲛⲟⲃⲉ ⲉⲧⲛⲁϣⲱⲟⲩ ⲕⲏ ⲛⲁⲥ ⲉⲃⲟⲗ ϫⲉ ⲁⲥⲙⲉ ⲉⲙⲁⲧⲉ. ⲡⲉϣⲁⲩⲕⲁⲟⲩⲕⲟⲩⲓ̈ ⲇⲉ ⲛⲁϥ ⲉⲃⲟⲗ ϣⲁϥⲙⲉ ⲛ̅ⲟⲩⲕⲟⲩⲉⲓ.
48 ४८ और उसने स्त्री से कहा, “तेरे पाप क्षमा हुए।”
ⲙ̅ⲏ̅ⲡⲉϫⲁϥ ⲇⲉ ⲛⲁⲥ. ϫⲉ ⲛⲟⲩⲛⲟⲃⲉ ⲕⲏ ⲛⲉ ⲉⲃⲟⲗ.
49 ४९ तब जो लोग उसके साथ भोजन करने बैठे थे, वे अपने-अपने मन में सोचने लगे, “यह कौन है जो पापों को भी क्षमा करता है?”
ⲙ̅ⲑ̅ⲁⲩⲁⲣⲭⲓ ⲛ̅ϭⲓⲛⲉⲧⲛⲏϫ ⲛⲙ̅ⲙⲁϥ. ⲉϫⲟⲟⲥ ϩⲙ̅ⲡⲉⲩϩⲏⲧʾ. ϫⲉ ⲛⲓⲙ ⲡⲉ ⲡⲁⲓ̈ ⲉⲧⲕⲁⲛⲟⲃⲉ ⲉⲃⲟⲗ.
50 ५० पर उसने स्त्री से कहा, “तेरे विश्वास ने तुझे बचा लिया है, कुशल से चली जा।”
ⲛ̅ⲡⲉϫⲁϥ ⲇⲉ ⲛ̅ⲧⲉⲥϩⲓⲙⲉ ϫⲉ ⲧⲟⲩⲡⲓⲥⲧⲓⲥ ⲧⲉ ⲛ̅ⲧⲁⲥⲛⲁϩⲙⲉ ⲃⲱⲕ ϩⲛ̅ⲟⲩⲓ̈ⲣⲏⲛⲏ·