< अय्यूब 26 >
2 २ “निर्बल जन की तूने क्या ही बड़ी सहायता की, और जिसकी बाँह में सामर्थ्य नहीं, उसको तूने कैसे सम्भाला है?
Kvar helst hev du den veike hjelpt? Når studde du den trøytte arm?
3 ३ निर्बुद्धि मनुष्य को तूने क्या ही अच्छी सम्मति दी, और अपनी खरी बुद्धि कैसी भली भाँति प्रगट की है?
Kvar gav du uklok mann ei råd? Kor ovleg visdom hev du synt?
4 ४ तूने किसके हित के लिये बातें कही? और किसके मन की बातें तेरे मुँह से निकलीं?”
Kven hev du bore melding til? Kva ånd hev tala gjenom deg?
5 ५ “बहुत दिन के मरे हुए लोग भी जलनिधि और उसके निवासियों के तले तड़पते हैं।
Skuggarne i angest skjelva, vatsdjup og dei som deri bur.
6 ६ अधोलोक उसके सामने उघड़ा रहता है, और विनाश का स्थान ढँप नहीं सकता। (Sheol )
Helheimen open ligg for honom, avgrunnen utan noko dekkje. (Sheol )
7 ७ वह उत्तर दिशा को निराधार फैलाए रहता है, और बिना टेक पृथ्वी को लटकाए रखता है।
Nordheimen han i audni spana, og hengde jordi yver inkje.
8 ८ वह जल को अपनी काली घटाओं में बाँध रखता, और बादल उसके बोझ से नहीं फटता।
Han vatnet inn i skyer bind; og skyi brest ei under det.
9 ९ वह अपने सिंहासन के सामने बादल फैलाकर चाँद को छिपाए रखता है।
Kongsstolen sin han gøymer burt og breider skyer yver honom.
10 १० उजियाले और अंधियारे के बीच जहाँ सीमा बंधी है, वहाँ तक उसने जलनिधि का सीमा ठहरा रखी है।
Kring vatni han ei grensa set, der som ljos og myrker byta skal.
11 ११ उसकी घुड़की से आकाश के खम्भे थरथराते और चकित होते हैं।
Stolparne under himmelen skjelv, og rædde vert dei for hans trugsmål.
12 १२ वह अपने बल से समुद्र को शान्त, और अपनी बुद्धि से रहब को छेद देता है।
Han rører havet upp med velde, og med sit vit han krasar ubeist.
13 १३ उसकी आत्मा से आकाशमण्डल स्वच्छ हो जाता है, वह अपने हाथ से वेग से भागनेवाले नाग को मार देता है।
Og himmelen klårnar ved hans ande; hans hand den snøgge ormen drap.
14 १४ देखो, ये तो उसकी गति के किनारे ही हैं; और उसकी आहट फुसफुसाहट ही सी तो सुन पड़ती है, फिर उसके पराक्रम के गरजने का भेद कौन समझ सकता है?”
Sjå her utkanten av hans veg; det berre kviskring er me høyrer. Kven skynar, når hans allmagt torar?