< उत्पत्ति 49 >

1 फिर याकूब ने अपने पुत्रों को यह कहकर बुलाया, इकट्ठे हो जाओ, मैं तुम को बताऊँगा, कि अन्त के दिनों में तुम पर क्या-क्या बीतेगा।
וַיִּקְרָ֥א יַעֲקֹ֖ב אֶל־בָּנָ֑יו וַיֹּ֗אמֶר הֵאָֽסְפוּ֙ וְאַגִּ֣ידָה לָכֶ֔ם אֵ֛ת אֲשֶׁר־יִקְרָ֥א אֶתְכֶ֖ם בְּאַחֲרִ֥ית הַיָּמִֽים׃
2 हे याकूब के पुत्रों, इकट्ठे होकर सुनो, अपने पिता इस्राएल की ओर कान लगाओ।
הִקָּבְצ֥וּ וְשִׁמְע֖וּ בְּנֵ֣י יַעֲקֹ֑ב וְשִׁמְע֖וּ אֶל־יִשְׂרָאֵ֥ל אֲבִיכֶֽם׃
3 “हे रूबेन, तू मेरा जेठा, मेरा बल, और मेरे पौरूष का पहला फल है; प्रतिष्ठा का उत्तम भाग, और शक्ति का भी उत्तम भाग तू ही है।
רְאוּבֵן֙ בְּכֹ֣רִי אַ֔תָּה כֹּחִ֖י וְרֵאשִׁ֣ית אוֹנִ֑י יֶ֥תֶר שְׂאֵ֖ת וְיֶ֥תֶר עָֽז׃
4 तू जो जल के समान उबलनेवाला है, इसलिए दूसरों से श्रेष्ठ न ठहरेगा; क्योंकि तू अपने पिता की खाट पर चढ़ा, तब तूने उसको अशुद्ध किया; वह मेरे बिछौने पर चढ़ गया।
פַּ֤חַז כַּמַּ֙יִם֙ אַל־תּוֹתַ֔ר כִּ֥י עָלִ֖יתָ מִשְׁכְּבֵ֣י אָבִ֑יךָ אָ֥ז חִלַּ֖לְתָּ יְצוּעִ֥י עָלָֽה׃ פ
5 शिमोन और लेवी तो भाई-भाई हैं, उनकी तलवारें उपद्रव के हथियार हैं।
שִׁמְע֥וֹן וְלֵוִ֖י אַחִ֑ים כְּלֵ֥י חָמָ֖ס מְכֵרֹתֵיהֶֽם׃
6 हे मेरे जीव, उनके मर्म में न पड़, हे मेरी महिमा, उनकी सभा में मत मिल; क्योंकि उन्होंने कोप से मनुष्यों को घात किया, और अपनी ही इच्छा पर चलकर बैलों को पंगु बनाया।
בְּסֹדָם֙ אַל־תָּבֹ֣א נַפְשִׁ֔י בִּקְהָלָ֖ם אַל־תֵּחַ֣ד כְּבֹדִ֑י כִּ֤י בְאַפָּם֙ הָ֣רְגוּ אִ֔ישׁ וּבִרְצֹנָ֖ם עִקְּרוּ־שֽׁוֹר׃
7 धिक्कार उनके कोप को, जो प्रचण्ड था; और उनके रोष को, जो निर्दय था; मैं उन्हें याकूब में अलग-अलग और इस्राएल में तितर-बितर कर दूँगा।
אָר֤וּר אַפָּם֙ כִּ֣י עָ֔ז וְעֶבְרָתָ֖ם כִּ֣י קָשָׁ֑תָה אֲחַלְּקֵ֣ם בְּיַעֲקֹ֔ב וַאֲפִיצֵ֖ם בְּיִשְׂרָאֵֽל׃ ס
8 हे यहूदा, तेरे भाई तेरा धन्यवाद करेंगे, तेरा हाथ तेरे शत्रुओं की गर्दन पर पड़ेगा; तेरे पिता के पुत्र तुझे दण्डवत् करेंगे।
יְהוּדָ֗ה אַתָּה֙ יוֹד֣וּךָ אַחֶ֔יךָ יָדְךָ֖ בְּעֹ֣רֶף אֹיְבֶ֑יךָ יִשְׁתַּחֲוּ֥וּ לְךָ֖ בְּנֵ֥י אָבִֽיךָ׃
9 यहूदा सिंह का बच्चा है। हे मेरे पुत्र, तू अहेर करके गुफा में गया है वह सिंह अथवा सिंहनी के समान दबकर बैठ गया; फिर कौन उसको छेड़ेगा।
גּ֤וּר אַרְיֵה֙ יְהוּדָ֔ה מִטֶּ֖רֶף בְּנִ֣י עָלִ֑יתָ כָּרַ֨ע רָבַ֧ץ כְּאַרְיֵ֛ה וּכְלָבִ֖יא מִ֥י יְקִימֶֽנּוּ׃
10 १० जब तक शीलो न आए तब तक न तो यहूदा से राजदण्ड छूटेगा, न उसके वंश से व्यवस्था देनेवाला अलग होगा; और राज्य-राज्य के लोग उसके अधीन हो जाएँगे।
לֹֽא־יָס֥וּר שֵׁ֙בֶט֙ מִֽיהוּדָ֔ה וּמְחֹקֵ֖ק מִבֵּ֣ין רַגְלָ֑יו עַ֚ד כִּֽי־יָבֹ֣א שִׁיל֔וֹ וְל֖וֹ יִקְּהַ֥ת עַמִּֽים׃
11 ११ वह अपने जवान गदहे को दाखलता में, और अपनी गदही के बच्चे को उत्तम जाति की दाखलता में बाँधा करेगा; उसने अपने वस्त्र दाखमधु में, और अपना पहरावा दाखों के रस में धोया है।
אֹסְרִ֤י לַגֶּ֙פֶן֙ עִיר֔וֹ וְלַשֹּׂרֵקָ֖ה בְּנִ֣י אֲתֹנ֑וֹ כִּבֵּ֤ס בַּיַּ֙יִן֙ לְבֻשׁ֔וֹ וּבְדַם־עֲנָבִ֖ים סוּתֽוֹ׃
12 १२ उसकी आँखें दाखमधु से चमकीली और उसके दाँत दूध से श्वेत होंगे।
חַכְלִילִ֥י עֵינַ֖יִם מִיָּ֑יִן וּלְבֶן־שִׁנַּ֖יִם מֵחָלָֽב׃ פ
13 १३ जबूलून समुद्र तट पर निवास करेगा, वह जहाजों के लिये बन्दरगाह का काम देगा, और उसका परला भाग सीदोन के निकट पहुँचेगा
זְבוּלֻ֕ן לְח֥וֹף יַמִּ֖ים יִשְׁכֹּ֑ן וְהוּא֙ לְח֣וֹף אֳנִיּ֔וֹת וְיַרְכָת֖וֹ עַל־צִידֹֽן׃ ס
14 १४ इस्साकार एक बड़ा और बलवन्त गदहा है, जो पशुओं के बाड़ों के बीच में दबका रहता है।
יִשָּׂשכָ֖ר חֲמֹ֣ר גָּ֑רֶם רֹבֵ֖ץ בֵּ֥ין הַֽמִּשְׁפְּתָֽיִם׃
15 १५ उसने एक विश्रामस्थान देखकर, कि अच्छा है, और एक देश, कि मनोहर है, अपने कंधे को बोझ उठाने के लिये झुकाया, और बेगारी में दास का सा काम करने लगा।
וַיַּ֤רְא מְנֻחָה֙ כִּ֣י ט֔וֹב וְאֶת־הָאָ֖רֶץ כִּ֣י נָעֵ֑מָה וַיֵּ֤ט שִׁכְמוֹ֙ לִסְבֹּ֔ל וַיְהִ֖י לְמַס־עֹבֵֽד׃ ס
16 १६ दान इस्राएल का एक गोत्र होकर अपने जातिभाइयों का न्याय करेगा।
דָּ֖ן יָדִ֣ין עַמּ֑וֹ כְּאַחַ֖ד שִׁבְטֵ֥י יִשְׂרָאֵֽל׃
17 १७ दान मार्ग में का एक साँप, और रास्ते में का एक नाग होगा, जो घोड़े की नली को डसता है, जिससे उसका सवार पछाड़ खाकर गिर पड़ता है।
יְהִי־דָן֙ נָחָ֣שׁ עֲלֵי־דֶ֔רֶךְ שְׁפִיפֹ֖ן עֲלֵי־אֹ֑רַח הַנֹּשֵׁךְ֙ עִקְּבֵי־ס֔וּס וַיִּפֹּ֥ל רֹכְב֖וֹ אָחֽוֹר׃
18 १८ हे यहोवा, मैं तुझी से उद्धार पाने की बाट जोहता आया हूँ।
לִֽישׁוּעָתְךָ֖ קִוִּ֥יתִי יְהוָֽה׃
19 १९ गाद पर एक दल चढ़ाई तो करेगा; पर वह उसी दल के पिछले भाग पर छापा मारेगा।
גָּ֖ד גְּד֣וּד יְגוּדֶ֑נּוּ וְה֖וּא יָגֻ֥ד עָקֵֽב׃ ס
20 २० आशेर से जो अन्न उत्पन्न होगा वह उत्तम होगा, और वह राजा के योग्य स्वादिष्ट भोजन दिया करेगा।
מֵאָשֵׁ֖ר שְׁמֵנָ֣ה לַחְמ֑וֹ וְה֥וּא יִתֵּ֖ן מַֽעֲדַנֵּי־מֶֽלֶךְ׃ ס
21 २१ नप्ताली एक छूटी हुई हिरनी है; वह सुन्दर बातें बोलता है।
נַפְתָּלִ֖י אַיָּלָ֣ה שְׁלֻחָ֑ה הַנֹּתֵ֖ן אִמְרֵי־שָֽׁפֶר׃ ס
22 २२ यूसुफ बलवन्त लता की एक शाखा है, वह सोते के पास लगी हुई फलवन्त लता की एक शाखा है; उसकी डालियाँ दीवार पर से चढ़कर फैल जाती हैं।
בֵּ֤ן פֹּרָת֙ יוֹסֵ֔ף בֵּ֥ן פֹּרָ֖ת עֲלֵי־עָ֑יִן בָּנ֕וֹת צָעֲדָ֖ה עֲלֵי־שֽׁוּר׃
23 २३ धनुर्धारियों ने उसको खेदित किया, और उस पर तीर मारे, और उसके पीछे पड़े हैं।
וַֽיְמָרֲרֻ֖הוּ וָרֹ֑בּוּ וַֽיִּשְׂטְמֻ֖הוּ בַּעֲלֵ֥י חִצִּֽים׃
24 २४ पर उसका धनुष दृढ़ रहा, और उसकी बाँह और हाथ याकूब के उसी शक्तिमान परमेश्वर के हाथों के द्वारा फुर्तीले हुए, जिसके पास से वह चरवाहा आएगा, जो इस्राएल की चट्टान भी ठहरेगा।
וַתֵּ֤שֶׁב בְּאֵיתָן֙ קַשְׁתּ֔וֹ וַיָּפֹ֖זּוּ זְרֹעֵ֣י יָדָ֑יו מִידֵי֙ אֲבִ֣יר יַעֲקֹ֔ב מִשָּׁ֥ם רֹעֶ֖ה אֶ֥בֶן יִשְׂרָאֵֽל׃
25 २५ यह तेरे पिता के उस परमेश्वर का काम है, जो तेरी सहायता करेगा, उस सर्वशक्तिमान का जो तुझे ऊपर से आकाश में की आशीषें, और नीचे से गहरे जल में की आशीषें, और स्तनों, और गर्भ की आशीषें देगा।
מֵאֵ֨ל אָבִ֜יךָ וְיַעְזְרֶ֗ךָּ וְאֵ֤ת שַׁדַּי֙ וִיבָ֣רְכֶ֔ךָּ בִּרְכֹ֤ת שָׁמַ֙יִם֙ מֵעָ֔ל בִּרְכֹ֥ת תְּה֖וֹם רֹבֶ֣צֶת תָּ֑חַת בִּרְכֹ֥ת שָׁדַ֖יִם וָרָֽחַם׃
26 २६ तेरे पिता के आशीर्वाद मेरे पितरों के आशीर्वादों से अधिक बढ़ गए हैं और सनातन पहाड़ियों की मनचाही वस्तुओं के समान बने रहेंगे वे यूसुफ के सिर पर, जो अपने भाइयों से अलग किया गया था, उसी के सिर के मुकुट पर फूले फलेंगे।
בִּרְכֹ֣ת אָבִ֗יךָ גָּֽבְרוּ֙ עַל־בִּרְכֹ֣ת הוֹרַ֔י עַֽד־תַּאֲוַ֖ת גִּבְעֹ֣ת עוֹלָ֑ם תִּֽהְיֶ֙ין֙ לְרֹ֣אשׁ יוֹסֵ֔ף וּלְקָדְקֹ֖ד נְזִ֥יר אֶחָֽיו׃ פ
27 २७ बिन्यामीन फाड़नेवाला भेड़िया है, सवेरे तो वह अहेर भक्षण करेगा, और साँझ को लूट बाँट लेगा।”
בִּנְיָמִין֙ זְאֵ֣ב יִטְרָ֔ף בַּבֹּ֖קֶר יֹ֣אכַל עַ֑ד וְלָעֶ֖רֶב יְחַלֵּ֥ק שָׁלָֽל׃
28 २८ इस्राएल के बारहों गोत्र ये ही हैं और उनके पिता ने जिस-जिस वचन से उनको आशीर्वाद दिया, वे ये ही हैं; एक-एक को उसके आशीर्वाद के अनुसार उसने आशीर्वाद दिया।
כָּל־אֵ֛לֶּה שִׁבְטֵ֥י יִשְׂרָאֵ֖ל שְׁנֵ֣ים עָשָׂ֑ר וְ֠זֹאת אֲשֶׁר־דִּבֶּ֨ר לָהֶ֤ם אֲבִיהֶם֙ וַיְבָ֣רֶךְ אוֹתָ֔ם אִ֛ישׁ אֲשֶׁ֥ר כְּבִרְכָת֖וֹ בֵּרַ֥ךְ אֹתָֽם׃
29 २९ तब उसने यह कहकर उनको आज्ञा दी, “मैं अपने लोगों के साथ मिलने पर हूँ: इसलिए मुझे हित्ती एप्रोन की भूमिवाली गुफा में मेरे बापदादों के साथ मिट्टी देना,
וַיְצַ֣ו אוֹתָ֗ם וַיֹּ֤אמֶר אֲלֵהֶם֙ אֲנִי֙ נֶאֱסָ֣ף אֶל־עַמִּ֔י קִבְר֥וּ אֹתִ֖י אֶל־אֲבֹתָ֑י אֶל־הַ֨מְּעָרָ֔ה אֲשֶׁ֥ר בִּשְׂדֵ֖ה עֶפְר֥וֹן הַֽחִתִּֽי׃
30 ३० अर्थात् उसी गुफा में जो कनान देश में मम्रे के सामने वाली मकपेला की भूमि में है; उस भूमि को अब्राहम ने हित्ती एप्रोन के हाथ से इसलिए मोल लिया था, कि वह कब्रिस्तान के लिये उसकी निज भूमि हो।
בַּמְּעָרָ֞ה אֲשֶׁ֨ר בִּשְׂדֵ֧ה הַמַּכְפֵּלָ֛ה אֲשֶׁ֥ר עַל־פְּנֵי־מַמְרֵ֖א בְּאֶ֣רֶץ כְּנָ֑עַן אֲשֶׁר֩ קָנָ֨ה אַבְרָהָ֜ם אֶת־הַשָּׂדֶ֗ה מֵאֵ֛ת עֶפְרֹ֥ן הַחִתִּ֖י לַאֲחֻזַּת־קָֽבֶר׃
31 ३१ वहाँ अब्राहम और उसकी पत्नी सारा को मिट्टी दी गई थी; और वहीं इसहाक और उसकी पत्नी रिबका को भी मिट्टी दी गई; और वहीं मैंने लिआ को भी मिट्टी दी।
שָׁ֣מָּה קָֽבְר֞וּ אֶת־אַבְרָהָ֗ם וְאֵת֙ שָׂרָ֣ה אִשְׁתּ֔וֹ שָׁ֚מָּה קָבְר֣וּ אֶת־יִצְחָ֔ק וְאֵ֖ת רִבְקָ֣ה אִשְׁתּ֑וֹ וְשָׁ֥מָּה קָבַ֖רְתִּי אֶת־לֵאָֽה׃
32 ३२ वह भूमि और उसमें की गुफा हित्तियों के हाथ से मोल ली गई।”
מִקְנֵ֧ה הַשָּׂדֶ֛ה וְהַמְּעָרָ֥ה אֲשֶׁר־בּ֖וֹ מֵאֵ֥ת בְּנֵי־חֵֽת׃
33 ३३ याकूब जब अपने पुत्रों को यह आज्ञा दे चुका, तब अपने पाँव खाट पर समेट प्राण छोड़े, और अपने लोगों में जा मिला।
וַיְכַ֤ל יַעֲקֹב֙ לְצַוֹּ֣ת אֶת־בָּנָ֔יו וַיֶּאֱסֹ֥ף רַגְלָ֖יו אֶל־הַמִּטָּ֑ה וַיִּגְוַ֖ע וַיֵּאָ֥סֶף אֶל־עַמָּֽיו׃

< उत्पत्ति 49 >