< एज्रा 1 >
1 १ फारस के राजा कुस्रू के राज्य के पहले वर्ष में यहोवा ने फारस के राजा कुस्रू का मन उभारा कि यहोवा का जो वचन यिर्मयाह के मुँह से निकला था वह पूरा हो जाए, इसलिए उसने अपने समस्त राज्य में यह प्रचार करवाया और लिखवा भी दिया:
in anno primo Cyri regis Persarum ut conpleretur verbum Domini ex ore Hieremiae suscitavit Dominus spiritum Cyri regis Persarum et transduxit vocem in universo regno suo etiam per scripturam dicens
2 २ “फारस का राजा कुस्रू यह कहता है: स्वर्ग के परमेश्वर यहोवा ने पृथ्वी भर का राज्य मुझे दिया है, और उसने मुझे आज्ञा दी, कि यहूदा के यरूशलेम में मेरा एक भवन बनवा।
haec dicit Cyrus rex Persarum omnia regna terrae dedit mihi Dominus Deus caeli et ipse praecepit mihi ut aedificarem ei domum in Hierusalem quae est in Iudaea
3 ३ उसकी समस्त प्रजा के लोगों में से तुम्हारे मध्य जो कोई हो, उसका परमेश्वर उसके साथ रहे, और वह यहूदा के यरूशलेम को जाकर इस्राएल के परमेश्वर यहोवा का भवन बनाए - जो यरूशलेम में है वही परमेश्वर है।
quis est in vobis de universo populo eius sit Deus illius cum ipso ascendat Hierusalem quae est in Iudaea et aedificet domum Domini Dei Israhel ipse est Deus qui est in Hierusalem
4 ४ और जो कोई किसी स्थान में रह गया हो, जहाँ वह रहता हो, उस स्थान के मनुष्य चाँदी, सोना, धन और पशु देकर उसकी सहायता करें और इससे अधिक यरूशलेम स्थित परमेश्वर के भवन के लिये अपनी-अपनी इच्छा से भी भेंट चढ़ाएँ।”
et omnes reliqui in cunctis locis ubicumque habitant adiuvent eum viri de loco suo argento et auro et substantia et pecoribus excepto quod voluntarie offerunt templo Dei quod est in Hierusalem
5 ५ तब यहूदा और बिन्यामीन के जितने पितरों के घरानों के मुख्य पुरुषों और याजकों और लेवियों का मन परमेश्वर ने उभारा था कि जाकर यरूशलेम में यहोवा के भवन को बनाएँ, वे सब उठ खड़े हुए;
et surrexerunt principes patrum de Iuda et Beniamin et sacerdotes et Levitae omnis cuius suscitavit Deus spiritum ut ascenderent ad aedificandum templum Domini quod erat in Hierusalem
6 ६ और उनके आस-पास सब रहनेवालों ने चाँदी के पात्र, सोना, धन, पशु और अनमोल वस्तुएँ देकर, उनकी सहायता की; यह उन सबसे अधिक था, जो लोगों ने अपनी-अपनी इच्छा से दिया।
universique qui erant in circuitu adiuverunt manus eorum in vasis argenteis et aureis in substantia in iumentis in supellectili exceptis his quae sponte obtulerunt
7 ७ फिर यहोवा के भवन के जो पात्र नबूकदनेस्सर ने यरूशलेम से निकालकर अपने देवता के भवन में रखे थे,
rex quoque Cyrus protulit vasa templi Domini quae tulerat Nabuchodonosor de Hierusalem et posuerat ea in templo dei sui
8 ८ उनको कुस्रू राजा ने, मिथ्रदात खजांची से निकलवाकर, यहूदियों के शेशबस्सर नामक प्रधान को गिनकर सौंप दिया।
protulit autem ea Cyrus rex Persarum per manum Mitridatis filii Gazabar et adnumeravit ea Sasabassar principi Iudae
9 ९ उनकी गिनती यह थी, अर्थात् सोने के तीस और चाँदी के एक हजार परात और उनतीस छुरी,
et hic est numerus eorum fialae aureae triginta fialae argenteae mille cultri viginti novem scyphi aurei triginta
10 १० सोने के तीस कटोरे और मध्यम प्रकार की चाँदी के चार सौ दस कटोरे तथा अन्य प्रकार के पात्र एक हजार।
scyphi argentei secundi quadringenti decem vasa alia mille
11 ११ सोने चाँदी के पात्र सब मिलाकर पाँच हजार चार सौ थे। इन सभी को शेशबस्सर उस समय ले आया जब बन्धुए बाबेल से यरूशलेम को आए।
omnia vasa aurea et argentea quinque milia quadringenta universa tulit Sasabassar cum his qui ascendebant de transmigratione Babylonis in Hierusalem