< निर्गमन 27 >

1 “फिर वेदी को बबूल की लकड़ी की, पाँच हाथ लम्बी और पाँच हाथ चौड़ी बनवाना; वेदी चौकोर हो, और उसकी ऊँचाई तीन हाथ की हो।
I naèini oltar od drveta sitima, pet lakata u dužinu i pet lakata u širinu, èetvorouglast da bude oltar, tri lakta visok.
2 और उसके चारों कोनों पर चार सींग बनवाना; वे उस समेत एक ही टुकड़े के हों, और उसे पीतल से मढ़वाना।
I na èetiri ugla naèini mu rogove, iz njega da izlaze rogovi, i okovaæeš ga u mjed.
3 और उसकी राख उठाने के पात्र, और फावड़ियां, और कटोरे, और काँटे, और अँगीठियाँ बनवाना; उसका कुल सामान पीतल का बनवाना।
I naèiniæeš mu lonce za pepeo i lopatice i kotliæe i viljuške i mašice; sve mu posuðe naèini od mjedi.
4 और उसके पीतल की जाली की एक झंझरी बनवाना; और उसके चारों सिरों में पीतल के चार कड़े लगवाना।
I naèini mu rešetku od mjedi kao mrežu, i naèini u rešetke èetiri bioèuga od mjedi na èetiri ugla njezina.
5 और उस झंझरी को वेदी के चारों ओर की कँगनी के नीचे ऐसे लगवाना कि वह वेदी की ऊँचाई के मध्य तक पहुँचे।
I metni je ispod oltara unaokolo, da bude rešetka do sredine oltara.
6 और वेदी के लिये बबूल की लकड़ी के डंडे बनवाना, और उन्हें पीतल से मढ़वाना।
Naèini i poluge oltaru, poluge od drveta sitima, i okuj ih u mjed.
7 और डंडे कड़ों में डाले जाएँ, कि जब जब वेदी उठाई जाए तब वे उसकी दोनों ओर पर रहें।
I poluge da se provuku kroz bioèuge, da budu poluge s dvije strane oltaru, kad se nosi.
8 वेदी को तख्तों से खोखली बनवाना; जैसी वह इस पर्वत पर तुझे दिखाई गई है वैसी ही बनाई जाए।
Naèiniæeš ga od dasaka da bude iznutra šupalj; kao što ti je pokazano na gori tako neka naèine.
9 “फिर निवास के आँगन को बनवाना। उसकी दक्षिण ओर के लिये तो बटी हुई सूक्ष्म सनी के कपड़े के सब पर्दों को मिलाए कि उसकी लम्बाई सौ हाथ की हो; एक ओर पर तो इतना ही हो।
I naèiniæeš trijem šatoru na južnoj strani; zavjesi trijemu da budu od tankoga platna uzvedenoga, sto lakata u dužinu na jednoj strani.
10 १० और उनके बीस खम्भे बनें, और इनके लिये पीतल की बीस कुर्सियाँ बनें, और खम्भों के कुण्डे और उनकी पट्टियाँ चाँदी की हों।
I dvadeset stupova i pod njih dvadeset stopica od mjedi, a kuke na stupovima i pasovi njihovi od srebra.
11 ११ और उसी भाँति आँगन की उत्तर ओर की लम्बाई में भी सौ हाथ लम्बे पर्दे हों, और उनके भी बीस खम्भे और इनके लिये भी पीतल के बीस खाने हों; और उन खम्भों के कुण्डे और पट्टियाँ चाँदी की हों।
Tako i sa zapadne strane da budu zavjesi sto lakata dugi, i dvadeset stupova i dvadeset stopica od mjedi, na stupovima kuke i njihovi pasovi od srebra.
12 १२ फिर आँगन की चौड़ाई में पश्चिम की ओर पचास हाथ के पर्दे हों, उनके खम्भे दस और खाने भी दस हों।
A širina æe trijemu imati sa zapadne strane zavjese od pedeset lakata, deset stupova za njih i deset stopica pod njih.
13 १३ पूरब की ओर पर आँगन की चौड़ाई पचास हाथ की हो।
A na prednjoj strani prema istoku biæe trijem širok pedeset lakata.
14 १४ और आँगन के द्वार की एक ओर पन्द्रह हाथ के पर्दे हों, और उनके खम्भे तीन और खाने तीन हों।
Od petnaest lakata neka budu zavjesi na jednoj strani, i za njih tri stupa i tri stopice pod njih;
15 १५ और दूसरी ओर भी पन्द्रह हाथ के पर्दे हों, उनके भी खम्भे तीन और खाने तीन हों।
Na drugoj strani zavjesi od petnaest lakata, i tri stupa za njih i tri stopice pod njih.
16 १६ आँगन के द्वार के लिये एक परदा बनवाना, जो नीले, बैंगनी और लाल रंग के कपड़े और बटी हुई सूक्ष्म सनी के कपड़े का कामदार बना हुआ बीस हाथ का हो, उसके खम्भे चार और खाने भी चार हों।
A nad vratima od trijema zavjes od dvadeset lakata od porfire i od skerleta i od crvca i od tankoga platna uzvedenoga, vezen, i èetiri stupa za nj, i pod njih èetiri stopice.
17 १७ आँगन के चारों ओर के सब खम्भे चाँदी की पट्टियों से जुड़े हुए हों, उनके कुण्डे चाँदी के और खाने पीतल के हों।
Svi stupovi u trijemu unaokolo da budu opasani srebrom, i kuke da su im srebrne a stopice od mjedi.
18 १८ आँगन की लम्बाई सौ हाथ की, और उसकी चौड़ाई बराबर पचास हाथ की और उसकी कनात की ऊँचाई पाँच हाथ की हो, उसकी कनात बटी हुई सूक्ष्म सनी के कपड़े की बने, और खम्भों के खाने पीतल के हों।
U dužinu æe trijem imati sto lakata, u širinu pedeset svuda, a u visinu pet lakata, da bude od tankoga platna uzvedenoga, a stopice od mjedi.
19 १९ निवास के भाँति-भाँति के बर्तन और सब सामान और उसके सब खूँटे और आँगन के भी सब खूँटे पीतल ही के हों।
Sve posuðe u šatoru za svaku službu, i sve kolje u njemu i sve kolje u trijemu da bude od mjedi.
20 २० “फिर तू इस्राएलियों को आज्ञा देना, कि मेरे पास दीवट के लिये कूट के निकाला हुआ जैतून का निर्मल तेल ले आना, जिससे दीपक नित्य जलता रहे।
I ti zapovjedi sinovima Izrailjevim da ti donesu ulja maslinova èistoga cijeðenoga za vidjelo, da bi žišci gorjeli svagda.
21 २१ मिलापवाले तम्बू में, उस बीचवाले पर्दे से बाहर जो साक्षीपत्र के आगे होगा, हारून और उसके पुत्र दीवट साँझ से भोर तक यहोवा के सामने सजा कर रखें। यह विधि इस्राएलियों की पीढ़ियों के लिये सदैव बनी रहेगी।
U šatoru od sastanka pred zavjesom, koji æe zaklanjati svjedoèanstvo, neka ih Aron i sinovi njegovi spremaju da gore od veèera do jutra pred Gospodom. To neka je uredba vjeèna koljenima njihovijem meðu sinovima Izrailjevim.

< निर्गमन 27 >