< प्रेरितों के काम 5 >

1 हनन्याह नामक एक मनुष्य, और उसकी पत्नी सफीरा ने कुछ भूमि बेची।
ⲁ̅ⲟⲩⲣⲱⲙⲉ ⲇⲉ ⲉⲡⲉϥⲣⲁⲛ ⲡⲉ ⲁⲛⲁⲛⲓⲁⲥ ⲙⲛ̅ⲥⲁⲡⲡⲓⲣⲁ ⲧⲉϥⲥϩⲓⲙⲉ. ⲁϥϯⲟⲩϭⲱⲙ ⲉⲃⲟⲗ.
2 और उसके दाम में से कुछ रख छोड़ा; और यह बात उसकी पत्नी भी जानती थी, और उसका एक भाग लाकर प्रेरितों के पाँवों के आगे रख दिया।
ⲃ̅ⲁⲩⲱ ⲁϥϥⲓ ⲉⲃⲟϩ ϩⲛ̅ⲧⲉϥⲁⲥⲟⲩ ⲉⲣⲉⲧⲉϥⲕⲉⲥϩⲓⲙⲉ ⲥⲟⲟⲩⲛ. ⲁϥⲉⲓⲛⲉ ⲛ̅ⲟⲩⲙⲉⲣⲟⲥ ⲁϥⲕⲁⲁϥ ϩⲁⲣⲁⲧⲟⲩ ⲛ̅ⲁⲡⲟⲥⲧⲟⲗⲟⲥ.
3 परन्तु पतरस ने कहा, “हे हनन्याह! शैतान ने तेरे मन में यह बात क्यों डाली है कि तू पवित्र आत्मा से झूठ बोले, और भूमि के दाम में से कुछ रख छोड़े?
ⲅ̅ⲡⲉϫⲉⲡⲉⲧⲣⲟⲥ ⲇⲉ ⲛⲁϥ ϫⲉ ⲁⲛⲁⲛⲓⲁ. ⲉⲧⲃⲉⲟⲩ ⲁⲡⲥⲁⲧⲁⲛⲁⲥ ⲙⲟⲩϩ ⲙ̅ⲡⲉⲕϩⲏⲧ ⲉⲧⲣⲉⲕϫⲓϭⲟⲗ ⲉⲡⲉⲡ̅ⲛ̅ⲁ̅ ⲉⲧⲟⲩⲁⲁⲃ. ⲁⲩⲱ ⲛⲅ̅ϥⲓ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ̅ⲧⲁⲥⲟⲩ ⲙ̅ⲡϭⲱⲙ.
4 जब तक वह तेरे पास रही, क्या तेरी न थी? और जब बिक गई तो उसकी कीमत क्या तेरे वश में न थी? तूने यह बात अपने मन में क्यों सोची? तूने मनुष्यों से नहीं, परन्तु परमेश्वर से झूठ बोला है।”
ⲇ̅ⲙⲏ ⲛⲉϥϣⲟⲟⲡ ⲛⲁⲕ ⲁⲛ ⲡⲉ. ⲁⲩⲱ ⲛ̅ⲧⲉⲣⲉⲕⲧⲁⲁϥ ⲉⲃⲟⲗ ⲛⲉϥϣⲟⲟⲡ ⲁⲛ ⲡⲉ ϩⲁⲧⲉⲕⲉⲝⲟⲩⲥⲓⲁ. ⲉⲧⲃⲉⲟⲩ ⲁⲕⲕⲁⲡⲁⲓ̈ ϩⲙ̅ⲡⲉⲕϩⲏⲧ ⲉⲉⲓⲣⲉ ⲙ̅ⲡⲉⲓ̈ⲡⲟⲛⲏⲣⲟⲛ. ⲛ̅ⲧⲁⲕϫⲓϭⲟⲗ ⲁⲛ ⲉⲣⲱⲙⲉ ⲁⲗⲗⲁ ⲉⲡⲛⲟⲩⲧⲉ.
5 ये बातें सुनते ही हनन्याह गिर पड़ा, और प्राण छोड़ दिए; और सब सुननेवालों पर बड़ा भय छा गया।
ⲉ̅ⲉϥⲥⲱⲧⲙ̅ ⲇⲉ ⲉⲛⲉⲓ̈ϣⲁϫⲉ ⲛ̅ϭⲓⲁⲛⲁⲛⲓⲁⲥ ⲁϥϩⲉ ⲁϥⲙⲟⲩ. ⲁⲩⲱ ⲁⲩⲛⲟϭ ⲛ̅ϩⲟⲧⲉ ϩⲉ ⲉϩⲣⲁⲓ̈ ⲉϫⲛ̅ⲟⲩⲟⲛ ⲛⲓⲙ ⲉⲧⲥⲱⲧⲙ̅.
6 फिर जवानों ने उठकर उसकी अर्थी बनाई और बाहर ले जाकर गाड़ दिया।
ⲋ̅ⲁⲩⲧⲱⲟⲩⲛⲟⲩ ⲇⲉ ⲛ̅ϭⲓⲛ̅ϩⲣ̅ϣⲓⲣⲉ ⲁⲩⲕⲟⲟⲥϥ̅. ⲁⲩⲱ ⲁⲩϫⲓⲧϥ̅ ⲉⲃⲟⲗ ⲁⲩⲧⲟⲙⲥϥ̅·
7 लगभग तीन घंटे के बाद उसकी पत्नी, जो कुछ हुआ था न जानकर, भीतर आई।
ⲍ̅ⲁⲥϣⲱⲡⲉ ⲇⲉ ⲙⲛ̅ⲛ̅ⲥⲁϣⲟⲙⲧⲉ ⲛ̅ⲟⲩⲛⲟⲩ. ⲧⲉϥⲥϩⲓⲙⲉ ⲛⲥ̅ⲥⲟⲟⲩⲛ ⲁⲛ ⲙ̅ⲡⲉⲛⲧⲁϥϣⲱⲡⲉ. ⲁⲥⲉⲓ ⲉϩⲟⲩⲛ
8 तब पतरस ने उससे कहा, “मुझे बता क्या तुम ने वह भूमि इतने ही में बेची थी?” उसने कहा, “हाँ, इतने ही में।”
ⲏ̅ⲡⲉϫⲉⲡⲉⲧⲣⲟⲥ ⲛⲁⲥ ϫⲉ ⲁϫⲓⲥ ⲉⲣⲟⲓ̈ ϫⲉ ⲛ̅ⲧⲁⲧⲉⲧⲛ̅ϯⲡϭⲱⲙ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲁⲛⲉⲓ̈ϩⲟⲙⲛ̅ⲧ. ⲛ̅ⲧⲟⲥ ⲇⲉ ⲡⲉϫⲁⲥ ϫⲉ ⲉϩⲉ ϩⲁⲛⲁⲓ̈.
9 पतरस ने उससे कहा, “यह क्या बात है, कि तुम दोनों प्रभु के आत्मा की परीक्षा के लिए एक साथ सहमत हो गए? देख, तेरे पति के गाड़नेवाले द्वार ही पर खड़े हैं, और तुझे भी बाहर ले जाएँगे।”
ⲑ̅ⲡⲉⲧⲣⲟⲥ ⲇⲉ ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲁⲥ ϫⲉ ⲉⲧⲃⲉⲟⲩ ⲁⲧⲉⲧⲛ̅ϥⲓ ⲙⲛ̅ⲛⲉⲧⲛ̅ⲉⲣⲏⲩ ⲉⲡⲓⲣⲁⲍⲉ ⲙ̅ⲡⲉⲡ̅ⲛ̅ⲁ̅ ⲙ̅ⲡϫⲟⲉⲓⲥ. ⲉⲓⲥⲛⲟⲩⲉⲣⲏⲧⲉ ⲛ̅ⲛⲉⲛⲧⲁⲩⲧⲱⲙⲥ̅ ⲙ̅ⲡⲟⲩϩⲁⲓ̈ ⲥⲉϩⲓⲣⲙ̅ⲡⲣⲟ ⲁⲩⲱ ⲥⲉⲛⲁϥⲓⲧⲉ ⲉⲃⲟⲗ.
10 १० तब वह तुरन्त उसके पाँवों पर गिर पड़ी, और प्राण छोड़ दिए; और जवानों ने भीतर आकर उसे मरा पाया, और बाहर ले जाकर उसके पति के पास गाड़ दिया।
ⲓ̅ⲛ̅ⲧⲉⲩⲛⲟⲩ ⲇⲉ ⲁⲥϩⲉ ϩⲁⲛⲉϥⲟⲩⲉⲣⲏⲧⲉ ⲁⲩⲱ ⲁⲥⲙⲟⲩ. ⲁⲛϩⲣ̅ϣⲓⲣⲉ ⲇⲉ ⲉⲓ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲁⲩϩⲉ ⲉⲣⲟⲥ ⲉⲥⲙⲟⲟⲩⲧ. ⲁⲩϥⲓⲧⲥ̅ ⲉⲃⲟⲗ. ⲁⲩⲧⲟⲙⲥ̅ⲥ̅ ϩⲁⲧⲙ̅ⲡⲉⲥϩⲁⲓ̈.
11 ११ और सारी कलीसिया पर और इन बातों के सब सुननेवालों पर, बड़ा भय छा गया।
ⲓ̅ⲁ̅ⲁⲩⲛⲟϭ ⲇⲉ ⲛ̅ϩⲟⲧⲉ ϣⲱⲡⲉ ⲉϫⲛ̅ⲧⲉⲕⲕⲗⲏⲥⲓⲁ ⲧⲏⲣⲥ̅ ⲙⲛ̅ⲟⲩⲟⲛ ⲛⲓⲙ ⲉⲧⲥⲱⲧⲙ̅ ⲉⲛⲁⲓ̈.
12 १२ प्रेरितों के हाथों से बहुत चिन्ह और अद्भुत काम लोगों के बीच में दिखाए जाते थे, और वे सब एक चित्त होकर सुलैमान के ओसारे में इकट्ठे हुआ करते थे।
ⲓ̅ⲃ̅ⲉⲃⲟⲗ ⲇⲉ ϩⲓⲧⲛ̅ⲛ̅ϭⲓϫ ⲛ̅ⲁⲡⲟⲥⲧⲟⲗⲟⲥ ⲛⲉⲩϣⲱⲡⲉ ⲛ̅ϭⲓϩⲉⲛⲙⲁⲉⲓⲛ ⲙⲛ̅ϩⲉⲛϣⲡⲏⲣⲉ ⲉⲛⲁϣⲱⲟⲩ ϩⲙ̅ⲡⲗⲁⲟⲥ. ⲁⲩⲱ ⲛⲉⲩϣⲟⲟⲡ ⲧⲏⲣⲟⲩ ⲙⲛ̅ⲛⲉⲩⲉⲣⲏⲩ ϩⲙ̅ⲡⲣ̅ⲡⲉ ϩⲁⲧⲉⲥⲧⲟⲁ ⲛ̅ⲥⲟⲗⲟⲙⲱⲛ.
13 १३ परन्तु औरों में से किसी को यह साहस न होता था कि, उनमें जा मिलें; फिर भी लोग उनकी बड़ाई करते थे।
ⲓ̅ⲅ̅ⲉⲃⲟⲗ ⲇⲉ ϩⲙ̅ ⲡⲕⲉⲥⲉⲉⲡⲉ ⲙ̅ⲡⲉⲗⲁⲁⲩ ⲧⲟⲗⲙⲁ ⲉⲧⲟϭϥ̅ ⲉⲣⲟⲟⲩ. ⲁⲗⲗⲁ ⲛⲉⲣⲉⲡⲗⲁⲟⲥ ϯⲉⲟⲟⲩ ⲛⲁⲩ
14 १४ और विश्वास करनेवाले बहुत सारे पुरुष और स्त्रियाँ प्रभु की कलीसिया में और भी अधिक आकर मिलते रहे।
ⲓ̅ⲇ̅ⲛ̅ϩⲟⲩⲟ ⲇⲉ ⲛⲉⲩⲟⲩⲱϩ ⲉⲣⲟⲟⲩ ⲛ̅ϭⲓⲛⲉⲧⲡⲓⲥⲧⲉⲩⲉ ⲉⲡϫⲟⲉⲓⲥ. ⲟⲩⲙⲏⲏϣⲉ ⲛ̅ⲣⲱⲙⲉ ϩⲓⲥϩⲓⲙⲉ.
15 १५ यहाँ तक कि लोग बीमारों को सड़कों पर ला-लाकर, खाटों और खटोलों पर लिटा देते थे, कि जब पतरस आए, तो उसकी छाया ही उनमें से किसी पर पड़ जाए।
ⲓ̅ⲉ̅ϩⲱⲥⲧⲉ ⲛ̅ⲥⲉⲉⲓⲛⲉ ⲉⲃⲟⲗ ⲛ̅ⲛⲉⲧϣⲱⲛⲉ ⲉⲛⲉⲡⲗⲁⲧⲓⲁ. ⲛ̅ⲥⲉⲕⲁⲁⲩ ϩⲓϩⲉⲛϭⲗⲟϭ ⲙⲛ̅ϩⲉⲛⲙⲁ ⲛ̅ⲛ̅ⲕⲟⲧⲕ̅. ϫⲉⲕⲁⲥ ⲉⲣⲉⲡⲉⲧⲣⲟⲥ ⲉⲓ ⲉϥⲛⲏⲩ ⲉⲣⲉⲧⲉϥϩⲁⲓ̈ⲃⲉⲥ ⲧⲁϩⲉⲟⲩⲁ ⲙ̅ⲙⲟⲟⲩ.
16 १६ और यरूशलेम के आस-पास के नगरों से भी बहुत लोग बीमारों और अशुद्ध आत्माओं के सताए हुओं को ला-लाकर, इकट्ठे होते थे, और सब अच्छे कर दिए जाते थे।
ⲓ̅ⲋ̅ⲛⲉϣⲁⲩⲥⲱⲟⲩϩ ⲇⲉ ⲟⲛ ⲛ̅ϭⲓⲡⲙⲏⲏϣⲉ ⲛ̅ⲙ̅ⲡⲟⲗⲓⲥ ⲉⲧⲙ̅ⲡⲕⲱⲧⲉ ⲛ̅ⲑⲓⲗⲏ̅ⲙ̅. ⲉⲩⲉⲓⲛⲉ ⲛ̅ⲛⲉⲧϣⲱⲛⲉ ⲙⲛ̅ⲛⲉⲧⲙⲟⲕϩ̅ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲓⲧⲛ̅ⲛⲉⲡ̅ⲛ̅ⲁ̅ ⲛ̅ⲁⲕⲁⲑⲁⲣⲧⲟⲛ. ⲁⲩⲱ ⲛⲉⲩⲣ̅ⲡⲁϩⲣⲉ ⲉⲣⲟⲟⲩ ⲧⲏⲣⲟⲩ.
17 १७ तब महायाजक और उसके सब साथी जो सदूकियों के पंथ के थे, ईर्ष्या से भर उठे।
ⲓ̅ⲍ̅ⲁϥⲧⲱⲟⲩⲛ ⲇⲉ ⲛ̅ϭⲓⲡⲁⲣⲭⲓⲉⲣⲉⲩⲥ ⲙⲛ̅ⲟⲩⲟⲛ ⲛⲓⲙ ⲉⲧⲛⲙ̅ⲙⲁϥ. ⲁⲩⲱ ⲑⲁⲓⲣⲉⲥⲓⲥ ⲛ̅ⲛ̅ⲥⲁⲇⲇⲟⲩⲕⲁⲓⲟⲥ ⲁⲩⲙⲟⲩϩ ⲛ̅ⲕⲱϩ.
18 १८ और प्रेरितों को पकड़कर बन्दीगृह में बन्द कर दिया।
ⲓ̅ⲏ̅ⲁⲩⲉⲓⲛⲉ ⲛ̅ⲛⲉⲩϭⲓϫ ⲉϫⲛ̅ⲛⲁⲡⲟⲥⲧⲟⲗⲟⲥ ⲁⲩⲛⲟϫⲟⲩ ⲉⲡⲉϣⲧⲉⲕⲟ.
19 १९ परन्तु रात को प्रभु के एक स्वर्गदूत ने बन्दीगृह के द्वार खोलकर उन्हें बाहर लाकर कहा,
ⲓ̅ⲑ̅ⲡⲁⲅⲅⲉⲗⲟⲥ ⲇⲉ ⲙ̅ⲡϫⲟⲉⲓⲥ ⲁϥⲟⲩⲱⲛ ⲛ̅ⲛ̅ⲣⲟ ⲙ̅ⲡⲉϣⲧⲉⲕⲟ ⲛ̅ⲧⲉⲩϣⲏ. ⲁϥⲛ̅ⲧⲟⲩ ⲉⲃⲟⲗ. ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲁⲩ
20 २० “जाओ, मन्दिर में खड़े होकर, इस जीवन की सब बातें लोगों को सुनाओ।”
ⲕ̅ϫⲉ ⲃⲱⲕ ⲛ̅ⲧⲉⲧⲛ̅ⲁϩⲉⲣⲁⲧⲧⲏⲩⲧⲛ̅ ϩⲙ̅ⲡⲉⲣⲡⲉ ⲛ̅ⲧⲉⲧⲛ̅ⲧⲁϣⲉⲟⲉⲓϣ ⲙ̅ⲡⲗⲁⲟⲥ ⲛ̅ⲛ̅ϣⲁϫⲉ ⲧⲏⲣⲟⲩ ⲙ̅ⲡⲉⲓ̈ⲱⲛϩ̅.
21 २१ वे यह सुनकर भोर होते ही मन्दिर में जाकर उपदेश देने लगे। परन्तु महायाजक और उसके साथियों ने आकर महासभा को और इस्राएलियों के सब प्राचीनों को इकट्ठा किया, और बन्दीगृह में कहला भेजा कि उन्हें लाएँ।
ⲕ̅ⲁ̅ⲛ̅ⲧⲉⲣⲟⲩⲥⲱⲧⲙ̅ ⲇⲉ ⲁⲩⲃⲱⲕ ⲉϩⲣⲁⲓ̈ ⲉⲡⲉⲣⲡⲉ ⲙ̅ⲡⲛⲁⲩ ⲛ̅ϣⲱⲣⲡ̅ ⲁⲩⲱ ⲛⲉⲩϯⲥⲃⲱ. ⲁϥⲉⲓ ⲇⲉ ⲛ̅ϭⲓⲡⲁⲣⲭⲓⲉⲣⲉⲩⲥ ⲙⲛ̅ⲛⲉⲧⲛⲙ̅ⲙⲁϥ. ⲁⲩⲥⲱⲟⲩϩ ⲙ̅ⲡⲥⲩⲛϩⲉⲇⲣⲓⲟⲛ. ⲁⲩⲱ ⲛ̅ϩⲗ̅ⲗⲟ ⲧⲏⲣⲟⲩ ⲛ̅ⲛ̅ϣⲏⲣⲉ ⲙ̅ⲡⲓ̅ⲏ̅ⲗ. ⲁⲩϫⲟⲟⲩ ⲉⲡⲉϣⲧⲉⲕⲟ ⲉⲧⲣⲉⲩⲛ̅ⲧⲟⲩ.
22 २२ परन्तु अधिकारियों ने वहाँ पहुँचकर उन्हें बन्दीगृह में न पाया, और लौटकर सन्देश दिया,
ⲕ̅ⲃ̅ⲛ̅ϩⲩⲡⲏⲣⲉⲧⲏⲥ ⲇⲉ ⲛ̅ⲧⲉⲣⲟⲩⲃⲱⲕ ⲙ̅ⲡⲟⲩϭⲛ̅ⲧⲟⲩ ϩⲙ̅ⲡⲉϣⲧⲉⲕⲟ. ⲁⲩⲕⲟⲧⲟⲩ ⲇⲉ ⲁⲩⲧⲁⲙⲟⲟⲩ
23 २३ “हमने बन्दीगृह को बड़ी सावधानी से बन्द किया हुआ, और पहरेवालों को बाहर द्वारों पर खड़े हुए पाया; परन्तु जब खोला, तो भीतर कोई न मिला।”
ⲕ̅ⲅ̅ⲉⲩϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ϫⲉ ⲁⲛϩⲉ ⲙⲉⲛ ⲉⲡⲉϣⲧⲉⲕⲟ ⲉϥϣⲟⲧⲙ̅ ϩⲛ̅ⲱⲣϫ̅ ⲛⲓⲙ. ⲁⲩⲱ ⲛⲁⲛⲟⲩⲣ̅ϣⲉ ⲉⲩⲁϩⲉⲣⲁⲧⲟⲩ ϩⲓⲣⲛ̅ⲛ̅ⲣⲟ ⲛ̅ⲧⲉⲣⲛ̅ⲟⲩⲱⲛ ⲇⲉ ⲙ̅ⲡⲛ̅ϭⲛ̅ⲗⲁⲁⲩ ⲛ̅ϩⲟⲩⲛ.
24 २४ जब मन्दिर के सरदार और प्रधान याजकों ने ये बातें सुनीं, तो उनके विषय में भारी चिन्ता में पड़ गए कि उनका क्या हुआ!
ⲕ̅ⲇ̅ⲛ̅ⲧⲉⲣⲉϥⲥⲱⲧⲙ̅ ⲇⲉ ⲉⲛⲉⲓ̈ϣⲁϫⲉ ⲛ̅ϭⲓⲡⲉⲥⲧⲣⲁⲧⲏⲅⲟⲥ ⲙ̅ⲡⲉⲣⲡⲉ ⲙⲛ̅ⲛⲁⲣⲭⲓⲉⲣⲉⲩⲥ ⲁⲩⲁⲡⲟⲣⲣⲓ ⲉⲧⲃⲏⲏⲧⲟⲩ.
25 २५ इतने में किसी ने आकर उन्हें बताया, “देखो, जिन्हें तुम ने बन्दीगृह में बन्द रखा था, वे मनुष्य मन्दिर में खड़े हुए लोगों को उपदेश दे रहे हैं।”
ⲕ̅ⲉ̅ⲁⲟⲩⲁ ⲇⲉ ⲉⲓ ⲁϥⲧⲁⲙⲟⲟⲩ ϫⲉ ⲉⲓⲥⲛ̅ⲣⲱⲙⲉ ⲛ̅ⲧⲁⲧⲉⲧⲛ̅ⲛⲟϫⲟⲩ ⲉⲡⲉϣⲧⲉⲕⲟ ⲥⲉⲁϩⲉⲣⲁⲧⲟⲩ ϩⲙ̅ⲡⲉⲣⲡⲉ ⲉⲩϯⲥⲃⲱ ⲙ̅ⲡⲗⲁⲟⲥ.
26 २६ तब सरदार, अधिकारियों के साथ जाकर, उन्हें ले आया, परन्तु बलपूर्वक नहीं, क्योंकि वे लोगों से डरते थे, कि उन पर पथराव न करें।
ⲕ̅ⲋ̅ⲧⲟⲧⲉ ⲁϥⲃⲱⲕ ⲛ̅ϭⲓⲡⲉⲥⲧⲣⲁⲧⲏⲕⲟⲥ ⲙⲛ̅ⲛ̅ϩⲩⲡⲏⲣⲉⲧⲏⲥ ⲁⲩⲛ̅ⲧⲟⲩ ⲛϫⲛⲁϩ ⲁⲛ. ⲛⲉⲩⲣ̅ϩⲟⲧⲉ ⲅⲁⲣ ϩⲏⲧϥ̅ ⲙ̅ⲡⲗⲁⲟⲥ ⲙⲏⲡⲱⲥ ⲛ̅ⲥⲉϩⲓⲱⲛⲉ ⲉⲣⲟⲟⲩ.
27 २७ उन्होंने उन्हें फिर लाकर महासभा के सामने खड़ा कर दिया और महायाजक ने उनसे पूछा,
ⲕ̅ⲍ̅ⲛ̅ⲧⲉⲣⲟⲩⲛ̅ⲧⲟⲩ ⲇⲉ ⲁⲩⲧⲁϩⲟⲟⲩ ⲉⲣⲁⲧⲟⲩ ϩⲙ̅ⲡⲥⲩⲛϩⲉⲇⲣⲓⲟⲛ. ⲁⲩⲱ ⲁϥϫⲛⲟⲩⲟⲩ ⲛ̅ϭⲓⲡⲁⲣⲭⲓⲉⲣⲉⲩⲥ
28 २८ “क्या हमने तुम्हें चिताकर आज्ञा न दी थी, कि तुम इस नाम से उपदेश न करना? फिर भी देखो, तुम ने सारे यरूशलेम को अपने उपदेश से भर दिया है और उस व्यक्ति का लहू हमारी गर्दन पर लाना चाहते हो।”
ⲕ̅ⲏ̅ⲉϥϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ. ϫⲉ ⲙⲏ ϩⲛ̅ⲟⲩⲡⲁⲣⲁⲅⲅⲉⲗⲓⲁ ⲙ̅ⲡⲛ̅ⲡⲁⲣⲁⲅⲅⲓⲗⲉ ⲛⲏⲧⲛ̅. ⲉⲧⲙ̅ϯⲥⲃⲱ ⲉϩⲣⲁⲓ̈ ⲉϫⲙ̅ⲡⲉⲓ̈ⲣⲁⲛ. ⲁⲩⲱ ⲉⲓⲥϩⲏⲏⲧⲉ ⲁⲧⲉⲧⲛ̅ⲙⲟⲩϩ ⲛ̅ⲑⲓⲗⲏ̅ⲙ̅ ⲛ̅ⲧⲉⲧⲛ̅ⲥⲃⲱ. ⲁⲩⲱ ⲧⲉⲧⲛ̅ⲟⲩⲱϣ ⲉⲉⲓⲛⲉ ⲉϩⲣⲁⲓ̈ ⲉϫⲱⲛ ⲙ̅ⲡⲉⲥⲛⲟϥ ⲙ̅ⲡⲣⲱⲙⲉ ⲉⲧⲙ̅ⲙⲁⲩ.
29 २९ तब पतरस और, अन्य प्रेरितों ने उत्तर दिया, “मनुष्यों की आज्ञा से बढ़कर परमेश्वर की आज्ञा का पालन करना ही हमारा कर्तव्य है।
ⲕ̅ⲑ̅ⲁϥⲟⲩⲱϣⲃ̅ ⲇⲉ ⲛ̅ϭⲓⲡⲉⲧⲣⲟⲥ ⲁⲩⲱ ⲛⲁⲡⲟⲥⲧⲟⲗⲟⲥ ⲉⲩϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ϫⲉ ϣ̅ϣⲉ ⲉⲥⲱⲧⲙ̅ ⲛ̅ⲥⲁⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲉϩⲟⲩⲉⲛ̅ⲣⲱⲙⲉ.
30 ३० हमारे पूर्वजों के परमेश्वर ने यीशु को जिलाया, जिसे तुम ने क्रूस पर लटकाकर मार डाला था।
ⲗ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲛ̅ⲛⲉⲛⲉⲓⲟⲧⲉ ⲁϥⲧⲟⲩⲛⲉⲥⲓ̅ⲥ̅. ⲡⲁⲓ̈ ⲛ̅ⲧⲱⲧⲛ̅ ⲛ̅ⲧⲁⲧⲉⲧⲛ̅ⲙⲟⲩⲟⲩⲧ ⲙ̅ⲙⲟϥ. ⲉⲁⲧⲉⲧⲛ̅ⲁϣⲧϥ̅ ⲉⲩϣⲉ.
31 ३१ उसी को परमेश्वर ने प्रभु और उद्धारकर्ता ठहराकर, अपने दाहिने हाथ से सर्वोच्च किया, कि वह इस्राएलियों को मन फिराव और पापों की क्षमा प्रदान करे।
ⲗ̅ⲁ̅ⲡⲁⲓ̈ ⲁⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ϫⲁⲥⲧϥ̅ ⲛ̅ⲛⲁⲣⲭⲓⲅⲟⲥ. ⲁⲩⲱ ⲛ̅ⲥⲱⲧⲏⲣ ϩⲙ̅ⲡⲉϥⲉⲟⲟⲩ. ⲉⲧⲣⲉϥϯ ⲛⲟⲩⲙⲉⲧⲁⲛⲟⲓⲁ ⲙ̅ⲡⲓ̅ⲏ̅ⲗ. ⲁⲩⲱ ⲟⲩⲕⲁⲛⲟⲃⲉ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲣⲁⲓ̈ ⲛ̅ϩⲏⲧϥ̅.
32 ३२ और हम इन बातों के गवाह हैं, और पवित्र आत्मा भी, जिसे परमेश्वर ने उन्हें दिया है, जो उसकी आज्ञा मानते हैं।”
ⲗ̅ⲃ̅ⲁⲩⲱ ⲁⲛⲟⲛ ⲛⲉ ⲙ̅ⲙⲛ̅ⲧⲣⲉ ⲛ̅ⲛⲉⲓ̈ϣⲁϫⲉ. ⲁⲩⲱ ⲡⲉⲡ̅ⲛ̅ⲁ̅ ⲉⲧⲟⲩⲁⲁⲃ ⲁⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲧⲁⲁϥ ⲛ̅ⲛⲉⲧⲥⲱⲧⲙ̅ ⲛ̅ⲥⲱϥ.
33 ३३ यह सुनकर वे जल उठे, और उन्हें मार डालना चाहा।
ⲗ̅ⲅ̅ⲛ̅ⲧⲉⲣⲟⲩⲥⲱⲧⲙ̅ ⲇⲉ ⲁⲩϭⲱⲛⲧ̅ ⲁⲩⲱ ⲁⲩⲟⲩⲉϣⲙⲟⲟⲩⲧⲟⲩ.
34 ३४ परन्तु गमलीएल नामक एक फरीसी ने जो व्यवस्थापक और सब लोगों में माननीय था, महासभा में खड़े होकर प्रेरितों को थोड़ी देर के लिये बाहर कर देने की आज्ञा दी।
ⲗ̅ⲇ̅ⲁϥⲧⲱⲟⲩⲛ ⲇⲉ ϩⲙ̅ⲡⲥⲩⲛϩⲉⲇⲣⲓⲟⲛ ⲛ̅ϭⲓⲟⲩⲫⲁⲣⲓⲥⲁⲓⲟⲥ ⲉⲡⲉϥⲣⲁⲛ ⲡⲉ ⲅⲁⲙⲁⲗⲓⲏⲗ. ⲟⲩⲛⲟⲙⲟⲇⲓⲇⲁⲥⲕⲁⲗⲟⲥ ⲉϥⲧⲁⲓ̈ⲏⲩ ⲛ̅ⲛⲁϩⲣⲙ̅ⲡⲗⲁⲟⲥ ⲧⲏⲣϥ̅. ⲁϥⲟⲩⲉϩⲥⲁϩⲛⲉ ⲉⲧⲣⲉⲛⲁⲡⲟⲥⲧⲟⲗⲟⲥ ⲣ̅ⲡⲃⲟⲗ ⲙ̅ⲡⲙⲁ ⲛ̅ⲟⲩⲕⲟⲩⲓ̈.
35 ३५ तब उसने कहा, “हे इस्राएलियों, जो कुछ इन मनुष्यों से करना चाहते हो, सोच समझ के करना।
ⲗ̅ⲉ̅ⲁⲩⲱ ⲡⲉϫⲁϥ ⲛ̅ⲛⲁϩⲣⲛ̅ⲛⲁⲣⲭⲱⲛ ⲙⲛ̅ⲛⲉⲧⲥⲟⲟⲩϩ ϫⲉ ⲛ̅ⲣⲱⲙⲉ ⲛ̅ⲧⲉⲡⲓ̅ⲏ̅ⲗ. ϯϩⲧⲏⲧⲛ̅ ⲉⲣⲱⲧⲛ̅ ϫⲉ ⲟⲩ ⲡⲉⲧⲉⲧⲛⲁⲁⲁϥ ⲉⲧⲃⲉⲛⲉⲓ̈ⲣⲱⲙⲉ.
36 ३६ क्योंकि इन दिनों से पहले थियूदास यह कहता हुआ उठा, कि मैं भी कुछ हूँ; और कोई चार सौ मनुष्य उसके साथ हो लिए, परन्तु वह मारा गया; और जितने लोग उसे मानते थे, सब तितर-बितर हुए और मिट गए।
ⲗ̅ⲋ̅ϩⲁⲑⲏ ⲅⲁⲣ ⲛ̅ⲛⲉⲓ̈ϩⲟⲟⲩ ⲁϥⲧⲱⲟⲩⲛ ⲛ̅ϭⲓⲑⲉⲩⲧⲁⲥ ⲉϥϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ⲉⲣⲟϥ ϫⲉ ⲁⲛⲟⲕ ⲡⲉ. ⲡⲁⲓ̈ ⲛ̅ⲧⲁⲩⲟⲩⲁϩⲟⲩ ⲛ̅ⲥⲱϥ ⲛ̅ϭⲓⲁϥⲧⲟⲩϣⲉ ⲛ̅ⲣⲱⲙⲉ. ⲡⲁⲓ̈ ⲇⲉ ⲁⲩϩⲟⲧⲃⲉϥ. ⲁⲩⲱ ⲟⲩⲟⲛ ⲛⲓⲙ ⲉⲧⲥⲱⲧⲙ̅ ⲛ̅ⲥⲱϥ ⲁⲩⲃⲱⲗ ⲉⲃⲟⲗ ⲁⲩϣⲱⲡⲉ ⲉⲩⲗⲁⲁⲩ.
37 ३७ उसके बाद नाम लिखाई के दिनों में यहूदा गलीली उठा, और कुछ लोग अपनी ओर कर लिए; वह भी नाश हो गया, और जितने लोग उसे मानते थे, सब तितर-बितर हो गए।
ⲗ̅ⲍ̅ⲙⲛ̅ⲛ̅ⲥⲁⲡⲁⲓ̈ ⲁϥⲧⲱⲟⲩⲛ ⲛ̅ϭⲓⲓ̈ⲟⲩⲇⲁⲥ ⲡⲅⲁⲗⲓⲗⲁⲓⲟⲥ ϩⲛ̅ⲛⲉϩⲟⲟⲩ ⲛ̅ⲧⲁ(ⲡⲟ)ⲅⲣⲁⲫⲏ. ⲁⲩⲱ ⲁϥⲡⲉϣ̅ⲥⲟⲩⲗⲁⲟⲥ ⲉⲛⲁϣⲱϥ ϩⲓⲡⲁϩⲟⲩ ⲙ̅ⲙⲟϥ. ⲛ̅ⲧⲟϥ ⲇⲉ ϩⲱⲱϥ ⲟⲛ ⲁⲩⲧⲁⲕⲟϥ. ⲁⲩⲱ ⲟⲩⲟⲛ ⲛⲓⲙ ⲉⲧⲥⲱⲧⲙ̅ ⲛ̅ⲥⲱϥ ⲁⲩϫⲱⲱⲣⲉ ⲉⲃⲟⲗ.
38 ३८ इसलिए अब मैं तुम से कहता हूँ, इन मनुष्यों से दूर ही रहो और उनसे कुछ काम न रखो; क्योंकि यदि यह योजना या काम मनुष्यों की ओर से हो तब तो मिट जाएगा;
ⲗ̅ⲏ̅ⲧⲉⲛⲟⲩ ϭⲉ ϯϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ⲛⲏⲧⲛ̅ ϫⲉ ⲥⲁϩⲉⲧⲏⲩⲧⲛ̅ ⲉⲃⲟⲗ ⲛ̅ⲛⲉⲓ̈ⲣⲱⲙⲉ ⲁⲩⲱ ⲛ̅ⲧⲉⲧⲛ̅ⲕⲁⲁⲩ. ϫⲉ ⲉϣⲱⲡⲉ ⲡⲉⲓ̈ϣⲟϫⲛⲉ ⲏ̅ ⲡⲉⲓ̈ϩⲱⲃ ⲟⲩⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ̅ⲛ̅ⲣⲱⲙⲉ ⲡⲉ ⲉⲓ̈ⲉ ϥⲛⲁⲃⲱⲗ ⲉⲃⲟⲗ.
39 ३९ परन्तु यदि परमेश्वर की ओर से है, तो तुम उन्हें कदापि मिटा न सकोगे; कहीं ऐसा न हो, कि तुम परमेश्वर से भी लड़नेवाले ठहरो।”
ⲗ̅ⲑ̅ⲉϣⲱⲡⲉ ⲇⲉ ⲟⲩⲉⲃⲟⲗ ϩⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲡⲉ ⲛ̅ⲧⲉⲧⲛⲁϣϭⲙ̅ϭⲟⲙ ⲁⲛ ⲉⲃⲟⲗϥ̅ ⲉⲃⲟⲗ. ⲙⲏⲡⲱⲥ ⲛ̅ϣⲉϭⲛ̅ⲧⲏⲩⲧⲛ̅ ⲉⲧⲉⲧⲛ̅ϯ ⲟⲩⲃⲉⲡⲛⲟⲩⲧⲉ. ⲁⲩⲡⲓⲑⲉ ⲇⲉ ⲛⲁϥ.
40 ४० तब उन्होंने उसकी बात मान ली; और प्रेरितों को बुलाकर पिटवाया; और यह आज्ञा देकर छोड़ दिया, कि यीशु के नाम से फिर बातें न करना।
ⲙ̅ⲁⲩⲱ ⲁⲩⲙⲟⲩⲧⲉ ⲉⲛⲁⲡⲟⲥⲧⲟⲗⲟⲥ. ⲁⲩϩⲓⲟⲩⲉ ⲉⲣⲟⲟⲩ. ⲁⲩⲱ ⲁⲩⲡⲁⲣⲁⲅⲅⲓⲗⲉ ⲛⲁⲩ ⲉⲧⲙ̅ϣⲁϫⲉ ⲉϫⲙ̅ⲡⲣⲁⲛ ⲛ̅ⲓ̅ⲥ̅ ⲁⲩⲱ ⲁⲩⲕⲁⲁⲩ ⲉⲃⲟⲗ.
41 ४१ वे इस बात से आनन्दित होकर महासभा के सामने से चले गए, कि हम उसके नाम के लिये निरादर होने के योग्य तो ठहरे।
ⲙ̅ⲁ̅ⲛ̅ⲧⲟⲟⲩ ⲇⲉ ⲁⲩⲃⲱⲕ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲙ̅ⲡⲥⲩⲛϩⲉⲇⲣⲓⲟⲛ ⲉⲩⲣⲁϣⲉ ϫⲉ ⲁⲩⲙ̅ⲡϣⲁ ⲉⲧⲣⲉⲩⲥⲟϣⲟⲩ ⲉϩⲣⲁⲓ̈ ⲉϫⲙ̅ⲡⲣⲁⲛ.
42 ४२ इसके बाद हर दिन, मन्दिर में और घर-घर में, वे लगातार सिखाते और प्रचार करते थे कि यीशु ही मसीह है।
ⲙ̅ⲃ̅ⲙ̅ⲙⲏⲛⲉ ⲇⲉ ϩⲣⲁⲓ̈ ϩⲙ̅ⲡⲉⲣⲡⲉ ⲁⲩⲱ ϩⲣⲁⲓ̈ ϩⲙ̅ⲡⲉⲩⲏⲓ̈. ⲛⲉⲩⲕⲓⲙ ⲁⲛ ⲉⲩϯⲥⲃⲱ. ⲁⲩⲱ ⲉⲩⲧⲁϣⲉⲟⲓϣ ⲙ̅ⲡϫⲟⲉⲓⲥ ⲓ̅ⲥ̅ ⲡⲉⲭ̅ⲥ̅·

< प्रेरितों के काम 5 >