< 2 शमूएल 18 >

1 तब दाऊद ने अपने संग के लोगों की गिनती ली, और उन पर सहस्त्रपति और शतपति ठहराए।
וַיִּפְקֹ֣ד דָּוִ֔ד אֶת־הָעָ֖ם אֲשֶׁ֣ר אִתּ֑וֹ וַיָּ֣שֶׂם עֲלֵיהֶ֔ם שָׂרֵ֥י אֲלָפִ֖ים וְשָׂרֵ֥י מֵאֽוֹת׃
2 फिर दाऊद ने लोगों की एक तिहाई योआब के, और एक तिहाई सरूयाह के पुत्र योआब के भाई अबीशै के, और एक तिहाई गती इत्तै के, अधिकार में करके युद्ध में भेज दिया। फिर राजा ने लोगों से कहा, “मैं भी अवश्य तुम्हारे साथ चलूँगा।”
וַיְשַׁלַּ֨ח דָּוִ֜ד אֶת־הָעָ֗ם הַשְּׁלִשִׁ֤ית בְּיַד־יוֹאָב֙ וְ֠הַשְּׁלִשִׁית בְּיַ֨ד אֲבִישַׁ֤י בֶּן־צְרוּיָה֙ אֲחִ֣י יוֹאָ֔ב וְהַ֨שְּׁלִשִׁ֔ת בְּיַ֖ד אִתַּ֣י הַגִּתִּ֑י ס וַיֹּ֤אמֶר הַמֶּ֙לֶךְ֙ אֶל־הָעָ֔ם יָצֹ֥א אֵצֵ֛א גַּם־אֲנִ֖י עִמָּכֶֽם׃
3 लोगों ने कहा, “तू जाने न पाएगा। क्योंकि चाहे हम भाग जाएँ, तो भी वे हमारी चिन्ता न करेंगे; वरन् चाहे हम में से आधे मारे भी जाएँ, तो भी वे हमारी चिन्ता न करेंगे। परन्तु तू हमारे जैसे दस हजार पुरुषों के बराबर हैं; इसलिए अच्छा यह है कि तू नगर में से हमारी सहायता करने को तैयार रहे।”
וַיֹּ֨אמֶר הָעָ֜ם לֹ֣א תֵצֵ֗א כִּי֩ אִם־נֹ֨ס נָנ֜וּס לֹא־יָשִׂ֧ימוּ אֵלֵ֣ינוּ לֵ֗ב וְאִם־יָמֻ֤תוּ חֶצְיֵ֙נוּ֙ לֹֽא־יָשִׂ֤ימוּ אֵלֵ֙ינוּ֙ לֵ֔ב כִּֽי־עַתָּ֥ה כָמֹ֖נוּ עֲשָׂרָ֣ה אֲלָפִ֑ים וְעַתָּ֣ה ט֔וֹב כִּי־תִֽהְיֶה־לָּ֥נוּ מֵעִ֖יר לַעְזֽוֹר׃ ס
4 राजा ने उनसे कहा, “जो कुछ तुम्हें भाए वही मैं करूँगा।” इसलिए राजा फाटक की एक ओर खड़ा रहा, और सब लोग सौ-सौ, और हजार, हजार करके निकलने लगे।
וַיֹּ֤אמֶר אֲלֵיהֶם֙ הַמֶּ֔לֶךְ אֲשֶׁר־יִיטַ֥ב בְּעֵינֵיכֶ֖ם אֶעֱשֶׂ֑ה וַיַּעֲמֹ֤ד הַמֶּ֙לֶךְ֙ אֶל־יַ֣ד הַשַּׁ֔עַר וְכָל־הָעָם֙ יָֽצְא֔וּ לְמֵא֖וֹת וְלַאֲלָפִֽים׃
5 राजा ने योआब, अबीशै, और इत्तै को आज्ञा दी, “मेरे निमित्त उस जवान, अर्थात् अबशालोम से कोमलता करना।” यह आज्ञा राजा ने अबशालोम के विषय सब प्रधानों को सब लोगों के सुनाते हुए दी।
וַיְצַ֣ו הַמֶּ֡לֶךְ אֶת־י֠וֹאָב וְאֶת־אֲבִישַׁ֤י וְאֶת־אִתַּי֙ לֵאמֹ֔ר לְאַט־לִ֖י לַנַּ֣עַר לְאַבְשָׁל֑וֹם וְכָל־הָעָ֣ם שָׁמְע֗וּ בְּצַוֹּ֥ת הַמֶּ֛לֶךְ אֶת־כָּל־הַשָּׂרִ֖ים עַל־דְּבַ֥ר אַבְשָׁלֽוֹם׃
6 अतः लोग इस्राएल का सामना करने को मैदान में निकले; और एप्रैम नामक वन में युद्ध हुआ।
וַיֵּצֵ֥א הָעָ֛ם הַשָּׂדֶ֖ה לִקְרַ֣את יִשְׂרָאֵ֑ל וַתְּהִ֥י הַמִּלְחָמָ֖ה בְּיַ֥עַר אֶפְרָֽיִם׃
7 वहाँ इस्राएली लोग दाऊद के जनों से हार गए, और उस दिन ऐसा बड़ा संहार हुआ कि बीस हजार मारे गए
וַיִּנָּ֤גְפוּ שָׁם֙ עַ֣ם יִשְׂרָאֵ֔ל לִפְנֵ֖י עַבְדֵ֣י דָוִ֑ד וַתְּהִי־שָׁ֞ם הַמַּגֵּפָ֧ה גְדוֹלָ֛ה בַּיּ֥וֹם הַה֖וּא עֶשְׂרִ֥ים אָֽלֶף׃
8 युद्ध उस समस्त देश में फैल गया; और उस दिन जितने लोग तलवार से मारे गए, उनसे भी अधिक वन के कारण मर गए।
וַתְּהִי־שָׁ֧ם הַמִּלְחָמָ֛ה נָפֹ֖צֶת עַל־פְּנֵ֣י כָל־הָאָ֑רֶץ וַיֶּ֤רֶב הַיַּ֙עַר֙ לֶאֱכֹ֣ל בָּעָ֔ם מֵאֲשֶׁ֥ר אָכְלָ֛ה הַחֶ֖רֶב בַּיּ֥וֹם הַהֽוּא׃
9 संयोग से अबशालोम और दाऊद के जनों की भेंट हो गई। अबशालोम एक खच्चर पर चढ़ा हुआ जा रहा था, कि खच्चर एक बड़े बांज वृक्ष की घनी डालियों के नीचे से गया, और उसका सिर उस बांज वृक्ष में अटक गया, और वह अधर में लटका रह गया, और उसका खच्चर निकल गया।
וַיִּקָּרֵא֙ אַבְשָׁל֔וֹם לִפְנֵ֖י עַבְדֵ֣י דָוִ֑ד וְאַבְשָׁל֞וֹם רֹכֵ֣ב עַל־הַפֶּ֗רֶד וַיָּבֹ֣א הַפֶּ֡רֶד תַּ֣חַת שׂוֹבֶךְ֩ הָאֵלָ֨ה הַגְּדוֹלָ֜ה וַיֶּחֱזַ֧ק רֹאשׁ֣וֹ בָאֵלָ֗ה וַיֻּתַּן֙ בֵּ֤ין הַשָּׁמַ֙יִם֙ וּבֵ֣ין הָאָ֔רֶץ וְהַפֶּ֥רֶד אֲשֶׁר־תַּחְתָּ֖יו עָבָֽר׃
10 १० इसको देखकर किसी मनुष्य ने योआब को बताया, “मैंने अबशालोम को बांज वृक्ष में टँगा हुआ देखा।”
וַיַּרְא֙ אִ֣ישׁ אֶחָ֔ד וַיַּגֵּ֖ד לְיוֹאָ֑ב וַיֹּ֗אמֶר הִנֵּה֙ רָאִ֣יתִי אֶת־אַבְשָׁלֹ֔ם תָּל֖וּי בָּאֵלָֽה׃
11 ११ योआब ने बतानेवाले से कहा, “तूने यह देखा! फिर क्यों उसे वहीं मारकर भूमि पर न गिरा दिया? तो मैं तुझे दस टुकड़े चाँदी और एक कमरबन्ध देता।”
וַיֹּ֣אמֶר יוֹאָ֗ב לָאִישׁ֙ הַמַּגִּ֣יד ל֔וֹ וְהִנֵּ֣ה רָאִ֔יתָ וּמַדּ֛וּעַ לֹֽא־הִכִּית֥וֹ שָׁ֖ם אָ֑רְצָה וְעָלַ֗י לָ֤תֶת לְךָ֙ עֲשָׂ֣רָה כֶ֔סֶף וַחֲגֹרָ֖ה אֶחָֽת׃
12 १२ उस मनुष्य ने योआब से कहा, “चाहे मेरे हाथ में हजार टुकड़े चाँदी तौलकर दिए जाएँ, तो भी राजकुमार के विरुद्ध हाथ न बढ़ाऊँगा; क्योंकि हम लोगों के सुनते राजा ने तुझे और अबीशै और इत्तै को यह आज्ञा दी, ‘तुम में से कोई क्यों न हो उस जवान अर्थात् अबशालोम को न छूए।’
וַיֹּ֤אמֶר הָאִישׁ֙ אֶל־יוֹאָ֔ב וְל֨וּא אָנֹכִ֜י שֹׁקֵ֤ל עַל־כַּפַּי֙ אֶ֣לֶף כֶּ֔סֶף לֹֽא־אֶשְׁלַ֥ח יָדִ֖י אֶל־בֶּן־הַמֶּ֑לֶךְ כִּ֣י בְאָזְנֵ֜ינוּ צִוָּ֣ה הַמֶּ֗לֶךְ אֹ֠תְךָ וְאֶת־אֲבִישַׁ֤י וְאֶת־אִתַּי֙ לֵאמֹ֔ר שִׁמְרוּ־מִ֕י בַּנַּ֖עַר בְּאַבְשָׁלֽוֹם׃
13 १३ यदि मैं धोखा देकर उसका प्राण लेता, तो तू आप मेरा विरोधी हो जाता, क्योंकि राजा से कोई बात छिपी नहीं रहती।”
אֽוֹ־עָשִׂ֤יתִי בְנַפְשִׁי֙ שֶׁ֔קֶר וְכָל־דָּבָ֖ר לֹא־יִכָּחֵ֣ד מִן־הַמֶּ֑לֶךְ וְאַתָּ֖ה תִּתְיַצֵּ֥ב מִנֶּֽגֶד׃
14 १४ योआब ने कहा, “मैं तेरे संग ऐसे ही ठहरा नहीं रह सकता!” इसलिए उसने तीन लकड़ी हाथ में लेकर अबशालोम के हृदय में, जो बांज वृक्ष में जीवित ही लटका था, छेद डाला।
וַיֹּ֣אמֶר יוֹאָ֔ב לֹא־כֵ֖ן אֹחִ֣ילָה לְפָנֶ֑יךָ וַיִּקַּח֩ שְׁלֹשָׁ֨ה שְׁבָטִ֜ים בְּכַפּ֗וֹ וַיִּתְקָעֵם֙ בְּלֵ֣ב אַבְשָׁל֔וֹם עוֹדֶ֥נּוּ חַ֖י בְּלֵ֥ב הָאֵלָֽה׃
15 १५ तब योआब के दस हथियार ढोनेवाले जवानों ने अबशालोम को घेर के ऐसा मारा कि वह मर गया।
וַיָּסֹ֙בּוּ֙ עֲשָׂרָ֣ה נְעָרִ֔ים נֹשְׂאֵ֖י כְּלֵ֣י יוֹאָ֑ב וַיַּכּ֥וּ אֶת־אַבְשָׁל֖וֹם וַיְמִיתֻֽהוּ׃
16 १६ फिर योआब ने नरसिंगा फूँका, और लोग इस्राएल का पीछा करने से लौटे; क्योंकि योआब प्रजा को बचाना चाहता था।
וַיִּתְקַ֤ע יוֹאָב֙ בַּשֹּׁפָ֔ר וַיָּ֣שָׁב הָעָ֔ם מִרְדֹ֖ף אַחֲרֵ֣י יִשְׂרָאֵ֑ל כִּֽי־חָשַׂ֥ךְ יוֹאָ֖ב אֶת־הָעָֽם׃
17 १७ तब लोगों ने अबशालोम को उतार के उस वन के एक बड़े गड्ढे में डाल दिया, और उस पर पत्थरों का एक बहुत बड़ा ढेर लगा दिया; और सब इस्राएली अपने-अपने डेरे को भाग गए।
וַיִּקְח֣וּ אֶת־אַבְשָׁל֗וֹם וַיַּשְׁלִ֨יכוּ אֹת֤וֹ בַיַּ֙עַר֙ אֶל־הַפַּ֣חַת הַגָּד֔וֹל וַיַּצִּ֧בוּ עָלָ֛יו גַּל־אֲבָנִ֖ים גָּד֣וֹל מְאֹ֑ד וְכָל־יִשְׂרָאֵ֔ל נָ֖סוּ אִ֥ישׁ לְאֹהָלָֽיו׃ ס
18 १८ अपने जीते जी अबशालोम ने यह सोचकर कि मेरे नाम का स्मरण करानेवाला कोई पुत्र मेरा नहीं है, अपने लिये वह स्तम्भ खड़ा कराया था जो राजा की तराई में है; और स्तम्भ का अपना ही नाम रखा, जो आज के दिन तक अबशालोम का स्तम्भ कहलाता है।
וְאַבְשָׁלֹ֣ם לָקַ֗ח וַיַּצֶּב־ל֤וֹ בְחַיָּיו֙ אֶת־מַצֶּ֙בֶת֙ אֲשֶׁ֣ר בְּעֵֽמֶק־הַמֶּ֔לֶךְ כִּ֤י אָמַר֙ אֵֽין־לִ֣י בֵ֔ן בַּעֲב֖וּר הַזְכִּ֣יר שְׁמִ֑י וַיִּקְרָ֤א לַמַּצֶּ֙בֶת֙ עַל־שְׁמ֔וֹ וַיִּקָּ֤רֵא לָהּ֙ יַ֣ד אַבְשָׁלֹ֔ם עַ֖ד הַיּ֥וֹם הַזֶּֽה׃ ס
19 १९ तब सादोक के पुत्र अहीमास ने कहा, “मुझे दौड़कर राजा को यह समाचार देने दे, कि यहोवा ने न्याय करके तुझे तेरे शत्रुओं के हाथ से बचाया है।”
וַאֲחִימַ֤עַץ בֶּן־צָדוֹק֙ אָמַ֔ר אָר֣וּצָה נָּ֔א וַאֲבַשְּׂרָ֖ה אֶת־הַמֶּ֑לֶךְ כִּי־שְׁפָט֥וֹ יְהוָ֖ה מִיַּ֥ד אֹיְבָֽיו׃
20 २० योआब ने उससे कहा, “तू आज के दिन समाचार न दे; दूसरे दिन समाचार देने पाएगा, परन्तु आज समाचार न दे, इसलिए कि राजकुमार मर गया है।”
וַיֹּ֧אמֶר ל֣וֹ יוֹאָ֗ב לֹא֩ אִ֨ישׁ בְּשֹׂרָ֤ה אַתָּה֙ הַיּ֣וֹם הַזֶּ֔ה וּבִשַּׂרְתָּ֖ בְּי֣וֹם אַחֵ֑ר וְהַיּ֤וֹם הַזֶּה֙ לֹ֣א תְבַשֵּׂ֔ר כִּֽי־עַל־כֵּ֥ן בֶּן־הַמֶּ֖לֶךְ מֵֽת׃
21 २१ तब योआब ने एक कूशी से कहा, “जो कुछ तूने देखा है वह जाकर राजा को बता दे।” तो वह कूशी योआब को दण्डवत् करके दौड़ गया।
וַיֹּ֤אמֶר יוֹאָב֙ לַכּוּשִׁ֔י לֵ֛ךְ הַגֵּ֥ד לַמֶּ֖לֶךְ אֲשֶׁ֣ר רָאִ֑יתָה וַיִּשְׁתַּ֧חוּ כוּשִׁ֛י לְיוֹאָ֖ב וַיָּרֹֽץ׃
22 २२ फिर सादोक के पुत्र अहीमास ने दूसरी बार योआब से कहा, “जो हो सो हो, परन्तु मुझे भी कूशी के पीछे दौड़ जाने दे।” योआब ने कहा, “हे मेरे बेटे, तेरे समाचार का कुछ बदला न मिलेगा, फिर तू क्यों दौड़ जाना चाहता है?”
וַיֹּ֨סֶף ע֜וֹד אֲחִימַ֤עַץ בֶּן־צָדוֹק֙ וַיֹּ֣אמֶר אֶל־יוֹאָ֔ב וִ֣יהִי מָ֔ה אָרֻֽצָה־נָּ֥א גַם־אָ֖נִי אַחֲרֵ֣י הַכּוּשִׁ֑י וַיֹּ֣אמֶר יוֹאָ֗ב לָֽמָּה־זֶּ֞ה אַתָּ֥ה רָץ֙ בְּנִ֔י וּלְכָ֖ה אֵין־בְּשׂוֹרָ֥ה מֹצֵֽאת׃
23 २३ उसने यह कहा, “जो हो सो हो, परन्तु मुझे दौड़ जाने दे।” उसने उससे कहा, “दौड़।” तब अहीमास दौड़ा, और तराई से होकर कूशी के आगे बढ़ गया।
וִיהִי־מָ֣ה אָר֔וּץ וַיֹּ֥אמֶר ל֖וֹ ר֑וּץ וַיָּ֤רָץ אֲחִימַ֙עַץ֙ דֶּ֣רֶךְ הַכִּכָּ֔ר וַֽיַּעֲבֹ֖ר אֶת־הַכּוּשִֽׁי׃
24 २४ दाऊद तो दो फाटकों के बीच बैठा था, कि पहरुआ जो फाटक की छत से होकर शहरपनाह पर चढ़ गया था, उसने आँखें उठाकर क्या देखा, कि एक मनुष्य अकेला दौड़ा आता है।
וְדָוִ֥ד יוֹשֵׁ֖ב בֵּין־שְׁנֵ֣י הַשְּׁעָרִ֑ים וַיֵּ֨לֶךְ הַצֹּפֶ֜ה אֶל־גַּ֤ג הַשַּׁ֙עַר֙ אֶל־הַ֣חוֹמָ֔ה וַיִּשָּׂ֤א אֶת־עֵינָיו֙ וַיַּ֔רְא וְהִנֵּה־אִ֖ישׁ רָ֥ץ לְבַדּֽוֹ׃
25 २५ जब पहरुए ने पुकारके राजा को यह बता दिया, तब राजा ने कहा, “यदि अकेला आता हो, तो सन्देशा लाता होगा।” वह दौड़ते-दौड़ते निकल आया।
וַיִּקְרָ֤א הַצֹּפֶה֙ וַיַּגֵּ֣ד לַמֶּ֔לֶךְ וַיֹּ֣אמֶר הַמֶּ֔לֶךְ אִם־לְבַדּ֖וֹ בְּשׂוֹרָ֣ה בְּפִ֑יו וַיֵּ֥לֶךְ הָל֖וֹךְ וְקָרֵֽב׃
26 २६ फिर पहरुए ने एक और मनुष्य को दौड़ते हुए देख फाटक के रखवाले को पुकारके कहा, “सुन, एक और मनुष्य अकेला दौड़ा आता है।” राजा ने कहा, “वह भी सन्देशा लाता होगा।”
וַיַּ֣רְא הַצֹּפֶה֮ אִישׁ־אַחֵ֣ר רָץ֒ וַיִּקְרָ֤א הַצֹּפֶה֙ אֶל־הַשֹּׁעֵ֔ר וַיֹּ֕אמֶר הִנֵּה־אִ֖ישׁ רָ֣ץ לְבַדּ֑וֹ וַיֹּ֥אמֶר הַמֶּ֖לֶךְ גַּם־זֶ֥ה מְבַשֵּֽׂר׃
27 २७ पहरुए ने कहा, “मुझे तो ऐसा देख पड़ता है कि पहले का दौड़ना सादोक के पुत्र अहीमास का सा है।” राजा ने कहा, “वह तो भला मनुष्य है, तो भला सन्देश लाता होगा।”
וַיֹּ֙אמֶר֙ הַצֹּפֶ֔ה אֲנִ֤י רֹאֶה֙ אֶת־מְרוּצַ֣ת הָרִאשׁ֔וֹן כִּמְרֻצַ֖ת אֲחִימַ֣עַץ בֶּן־צָד֑וֹק וַיֹּ֤אמֶר הַמֶּ֙לֶךְ֙ אִֽישׁ־ט֣וֹב זֶ֔ה וְאֶל־בְּשׂוֹרָ֥ה טוֹבָ֖ה יָבֽוֹא׃
28 २८ तब अहीमास ने पुकारके राजा से कहा, “सब कुशल है।” फिर उसने भूमि पर मुँह के बल गिर राजा को दण्डवत् करके कहा, “तेरा परमेश्वर यहोवा धन्य है, जिसने मेरे प्रभु राजा के विरुद्ध हाथ उठानेवाले मनुष्यों को तेरे वश में कर दिया है!”
וַיִּקְרָ֣א אֲחִימַ֗עַץ וַיֹּ֤אמֶר אֶל־הַמֶּ֙לֶךְ֙ שָׁל֔וֹם וַיִּשְׁתַּ֧חוּ לַמֶּ֛לֶךְ לְאַפָּ֖יו אָ֑רְצָה ס וַיֹּ֗אמֶר בָּרוּךְ֙ יְהוָ֣ה אֱלֹהֶ֔יךָ אֲשֶׁ֤ר סִגַּר֙ אֶת־הָ֣אֲנָשִׁ֔ים אֲשֶׁר־נָשְׂא֥וּ אֶת־יָדָ֖ם בַּֽאדֹנִ֥י הַמֶּֽלֶךְ׃
29 २९ राजा ने पूछा, “क्या वह जवान अबशालोम सकुशल है?” अहीमास ने कहा, “जब योआब ने राजा के कर्मचारी को और तेरे दास को भेज दिया, तब मुझे बड़ी भीड़ देख पड़ी, परन्तु मालूम न हुआ कि क्या हुआ था।”
וַיֹּ֣אמֶר הַמֶּ֔לֶךְ שָׁל֥וֹם לַנַּ֖עַר לְאַבְשָׁל֑וֹם וַיֹּ֣אמֶר אֲחִימַ֡עַץ רָאִיתִי֩ הֶהָמ֨וֹן הַגָּד֜וֹל לִ֠שְׁלֹחַ אֶת־עֶ֨בֶד הַמֶּ֤לֶךְ יוֹאָב֙ וְאֶת־עַבְדֶּ֔ךָ וְלֹ֥א יָדַ֖עְתִּי מָֽה׃
30 ३० राजा ने कहा; “हटकर यहीं खड़ा रह।” और वह हटकर खड़ा रहा।
וַיֹּ֣אמֶר הַמֶּ֔לֶךְ סֹ֖ב הִתְיַצֵּ֣ב כֹּ֑ה וַיִּסֹּ֖ב וַֽיַּעֲמֹֽד׃
31 ३१ तब कूशी भी आ गया; और कूशी कहने लगा, “मेरे प्रभु राजा के लिये समाचार है। यहोवा ने आज न्याय करके तुझे उन सभी के हाथ से बचाया है जो तेरे विरुद्ध उठे थे।”
וְהִנֵּ֥ה הַכּוּשִׁ֖י בָּ֑א וַיֹּ֣אמֶר הַכּוּשִׁ֗י יִתְבַּשֵּׂר֙ אֲדֹנִ֣י הַמֶּ֔לֶךְ כִּֽי־שְׁפָטְךָ֤ יְהוָה֙ הַיּ֔וֹם מִיַּ֖ד כָּל־הַקָּמִ֥ים עָלֶֽיךָ׃ ס
32 ३२ राजा ने कूशी से पूछा, “क्या वह जवान अर्थात् अबशालोम कुशल से है?” कूशी ने कहा, “मेरे प्रभु राजा के शत्रु, और जितने तेरी हानि के लिये उठे हैं, उनकी दशा उस जवान की सी हो।”
וַיֹּ֤אמֶר הַמֶּ֙לֶךְ֙ אֶל־הַכּוּשִׁ֔י הֲשָׁל֥וֹם לַנַּ֖עַר לְאַבְשָׁל֑וֹם וַיֹּ֣אמֶר הַכּוּשִׁ֗י יִהְי֤וּ כַנַּ֙עַר֙ אֹֽיְבֵי֙ אֲדֹנִ֣י הַמֶּ֔לֶךְ וְכֹ֛ל אֲשֶׁר־קָ֥מוּ עָלֶ֖יךָ לְרָעָֽה׃ ס
33 ३३ तब राजा बहुत घबराया, और फाटक के ऊपर की अटारी पर रोता हुआ चढ़ने लगा; और चलते-चलते यह कहता गया, “हाय मेरे बेटे अबशालोम! मेरे बेटे, हाय! मेरे बेटे अबशालोम! भला होता कि मैं आप तेरे बदले मरता, हाय! अबशालोम! मेरे बेटे, मेरे बेटे!”
וַיִּרְגַּ֣ז הַמֶּ֗לֶךְ וַיַּ֛עַל עַל־עֲלִיַּ֥ת הַשַּׁ֖עַר וַיֵּ֑בְךְּ וְכֹ֣ה ׀ אָמַ֣ר בְּלֶכְתּ֗וֹ בְּנִ֤י אַבְשָׁלוֹם֙ בְּנִ֣י בְנִ֣י אַבְשָׁל֔וֹם מִֽי־יִתֵּ֤ן מוּתִי֙ אֲנִ֣י תַחְתֶּ֔יךָ אַבְשָׁל֖וֹם בְּנִ֥י בְנִֽי׃

< 2 शमूएल 18 >