< प्रकाशित वाक्य 6 >

1 तब मैंने मेमने को सात मोहरों में से एक को तोड़ते देखा तथा उन चार प्राणियों में से एक को गर्जन से शब्द में यह कहते सुना: “आओ!”
ᎠᎴ ᏕᏥᎦᏅᎩ ᎤᏃᏕᎾ ᎠᎩᎾ ᎤᏲᏍᏔᏅ ᏌᏉ ᎠᏍᏚᏛ ᎪᏪᎵ; ᎠᎴ ᎠᏆᏛᎦᏅᎩ ᎠᏴᏓᏆᎶᏍᎩ ᏧᏃᏴᎪ ᎾᏍᎩᏯᎢ, ᎾᏍᎩ Ꮎ ᎠᏏᏴᏫ ᏅᎩ ᎢᏯᏂᏛ ᎨᏒ ᏗᏅᏃᏛ, ᎯᎠ ᏂᎦᏪᏍᎬᎩ, ᎡᎭᎦᏔᏄᎦ.
2 तभी वहां मुझे एक घोड़ा दिखाई दिया, जो सफ़ेद रंग का था. उसके हाथ में, जो घोड़े पर बैठा हुआ था, एक धनुष था. उसे एक मुकुट पहनाया गया और वह एक विजेता के समान विजय प्राप्‍त करने निकल पड़ा.
ᎠᎴ ᏫᏓᏆᎧᎾᏅᎩ, ᎠᎴ ᎬᏂᏳᏉ ᎤᏁᎬ ᏐᏈᎵ [ ᏫᏥᎪᎥᎩ ] ᎠᎴ ᎾᎿᎭᎤᎩᎵ ᎦᎶᏣᏗ ᎦᏁᎲᎩ; ᎠᎴ ᎠᎵᏍᏚᎶ ᎠᏥᏅᏁᎸᎩ; ᎠᎴ ᎤᏪᏅᏒᎩ ᏫᏓᏎᎪᎩᏍᎬᎩ, ᎠᎴ ᏫᎬᏓᏎᎪᎩᏏᏒᎩ.
3 जब उसने दूसरी मोहर तोड़ी तो मैंने दूसरे प्राणी को यह कहते सुना: “यहां आओ!”
ᎠᎴ ᏔᎵᏁ ᎠᏍᏚᎲ ᎤᏍᏚᎢᏒ, ᎠᏆᏛᎦᏅᎩ ᏔᎵᏁ ᎬᏃᏛ ᎯᎠ ᏄᏪᏒᎩ, ᎡᎭᎦᏔᏄᎦ.
4 तब मैंने वहां एक अन्य घोड़े को निकलते हुए देखा, जो आग के समान लाल रंग का था. उसे, जो उस पर बैठा हुआ था, एक बड़ी तलवार दी गई थी तथा उसे पृथ्वी पर से शांति उठा लेने की आज्ञा दी गई कि लोग एक दूसरे का वध करें.
ᎠᎴ ᏅᏩᏓᎴ ᏐᏈᎵ ᎤᏄᎪᏨᎩ, ᎠᎩᎦᎨᎢ; ᎠᎴ ᎠᎦᎵᏍᎪᎸᏓᏁᎸᎩ ᎾᎿᎭᎤᎩᎵ ᏅᏩᏙᎯᏯᏛ ᎨᏒ ᎤᏄᎪᏫᏍᏗᏱ ᎡᎶᎯ, ᎠᎴ ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏩᏂᏐᏗᏱ ᎤᏅᏒᏉ ᏧᎾᏓᎯᏍᏗᏱ; ᎠᎴ ᎡᏆ ᎠᏰᎳᏍᏗᎦᏅᎯᏛ ᎠᏥᏕᎸᎩ.
5 जब उसने तीसरी मोहर तोड़ी तो मैंने तीसरे प्राणी को यह कहते हुए सुना: “यहां आओ!” तब मुझे वहां एक घोड़ा दिखाई दिया, जो काले रंग का था. उसके हाथ में, जो उस पर बैठा हुआ था, एक तराज़ू था.
ᎠᎴ ᏦᎢᏁ ᎠᏍᏚᎲ ᎤᏍᏚᎢᏒ, ᎠᏆᏛᎦᏅᎩ ᏦᎢᏁ ᎾᏍᎩ Ꮎ ᎬᏃᏛ ᎯᎠ ᏄᏪᏒᎩ, ᎡᎭᎦᏔᏄᎦ. ᎠᎴ ᏓᏆᎧᎾᏅᎩ, ᎠᎴ ᎬᏂᏳᏉ ᎬᎿᎭᎨ ᏐᏈᎵ; ᎠᎴ ᎾᎿᎭᎤᎩᎵ ᏗᎦᏛᏗ ᏕᎦᏁᎲᎩ.
6 तब मैंने मानो उन चारों प्राणियों के बीच से यह शब्द सुना, “एक दिन की मज़दूरी का एक किलो गेहूं, एक दिन की मज़दूरी का तीन किलो जौ, किंतु तेल और दाखरस की हानि न होने देना.”
ᎠᎴ ᎧᏁᎬ ᎠᏆᏛᎦᏅᎩ [ ᏛᏓᎴᎲᏍᎬᎩ ] ᎠᏰᎵ ᏅᎩ ᎢᏯᏂᏛ ᏗᏅᏃᏛ ᏄᎾᏛᏅᎢ, ᎯᎠ ᏅᏓᎦᏪᏍᎬᎩ, ᏥᏂᎩ ᎠᏟᎶᏍᏗ ᎠᎧᎵᎢ ᎤᏣᎴᏍᏗ ᎠᎩᏏᏧᎬᏩᎶᏗ ᎠᎫᏴᏗ, ᎠᎴ ᏥᏂᎩ ᎠᏟᎶᏍᏗ ᏦᎢ ᎢᏯᎧᎵᎢ ᎤᏣᎴᏍᏗ ᎢᏳᏍᏗ ᎠᎩᏏ-ᏧᎬᏩᎶᏗ ᎠᎫᏴᏗ; ᎠᎴ ᏞᏍᏗ ᎪᎱᏍᏗ ᏗᏨᏁᎸᎩ ᎪᎢ ᎠᎴ ᎩᎦᎨ-ᎠᏗᏔᏍᏗ.
7 जब उसने चौथी मोहर खोली, तब मैंने चौथे प्राणी को यह कहते हुए सुना “यहां आओ!”
ᎠᎴ ᏅᎩᏁ ᎠᏍᏚᎲ ᎤᏍᏚᎢᏒ, ᎠᏆᏛᎦᏅᎩ ᎧᏁᎬ ᏅᎩᏁ ᎾᏍᎩ Ꮎ ᎬᏃᏛ ᎯᎠ ᏂᎦᏪᏍᎬᎢ, ᎡᎭᎦᏔᏄᎦ.
8 तब मुझे वहां एक घोड़ा दिखाई दिया, जो गंदले हरे रंग का था. जो उस पर बैठा था, उसका नाम था मृत्यु. अधोलोक उसके पीछे-पीछे चला आ रहा था. उसे पृथ्वी के एक चौथाई भाग को तलवार, अकाल, महामारी तथा जंगली पशुओं द्वारा नाश करने का अधिकार दिया गया. (Hadēs g86)
ᎠᎴ ᏫᏓᏆᎧᎾᏅᎩ, ᎠᎴ ᎬᏂᏳᏉ ᎤᏬᏓᎸ [ ᏗᎧᏃᏗᏱ ] ᏐᏈᎵ [ ᏫᏥᎪᎥᎩ ]; ᎠᎴ ᎾᎿᎭᎤᎩᎵ ᎠᏲᎱᎯᏍᏗ ᏚᏙᎥᎩ, ᎠᎴ ᏨᏍᎩᏃ ᎤᏍᏓᏩᏗᏒᎩ; ᎠᎴ ᎨᎦᎵᏍᎪᎸᏓᏁᎸᎩ ᎾᏍᎩ ᏅᎩ ᎢᎦᏛᎯ ᎨᏒ ᎡᎶᎯ ᎾᏍᎩ ᏌᏉ ᏄᏓᎥ ᎾᎿᎭᏧᏂᎯᏍᏗᏱ ᎠᏰᎳᏍᏗᎦᏅᎯᏛ ᎬᏗ, ᎠᎴ ᎠᎪᏄ ᎬᏗ, ᎠᎴ ᎥᏳᎩ ᎬᏗ, ᎠᎴ ᎢᎾᎨ ᎠᏁᎯ ᎤᏂᏍᎦᏎᏗ ᏗᎬᏗ. (Hadēs g86)
9 जब उसने पांचवीं मोहर तोड़ी तो मैंने वेदी के नीचे उनकी आत्माओं को देखा, जिनका परमेश्वर के वचन के कारण तथा स्वयं उनमें दी गई गवाही के कारण वध कर दिया गया था.
ᎠᎴ ᎯᏍᎩᏁ ᎠᏍᏚᎲ ᎤᏍᏚᎢᏒ, ᎠᏥᎸᎨᎳᏍᏗᏱ ᎭᏫᏂᏢ ᏓᎩᎪᎲᎩ ᏧᎾᏓᏅᏙ ᎾᏍᎩ Ꮎ ᏗᎨᏥᎸᎯ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᏤᎵ ᎧᏃᎮᏛ ᎤᏂᏍᏛᏛᎯ, ᎠᎴ ᏄᏍᏛ ᎤᏃᎯᏳᏔᏅ ᎤᏂᏍᏛᏛᎯ;
10 वे आत्माएं ऊंचे शब्द में पुकार उठीं, “कब तक, सबसे महान प्रभु! सच पर चलनेवाले और पवित्र! आप न्याय शुरू करने के लिए कब तक ठहरे रहेंगे और पृथ्वी पर रहनेवालों से हमारे लहू का बदला कब तक न लेंगे?”
ᎠᎴ ᎠᏍᏓᏯ ᎤᏁᎷᏅᎩ ᎯᎠ ᏄᏂᏪᏒᎩ, ᎢᎳᎪ ᏅᏓᎪᎯᏥ ᏣᎬᏫᏳᎯ, ᏂᎯ ᏂᏍᎦᏅᎾ ᎠᎴ ᏚᏳᎪᏛ ᎢᎭᏛᏁᎯ, ᎩᎳ ᏙᏓᎩᏳᎪᏓᏁᎸ ᏓᎩᏍᏛᏗᏍᏔᏂ ᎠᎴ ᏓᎩᏯᏞᏤᎢ ᎣᎩᎩᎬ [ ᎤᏂᏨᏅ ] ᎾᏍᎩ Ꮎ ᎡᎶᎯ ᏣᏁᎭ.
11 उनमें से प्रत्येक को सफ़ेद वस्त्र देकर उनसे कहा गया कि वे कुछ और प्रतीक्षा करें, जब तक उनके उन सहकर्मियों और भाई बहनों की तय की गई संख्या पूरी न हो जाए, जिनकी हत्या उन्हीं की तरह की जाएगी.
ᎠᎴ ᎠᏂᏏᏴᏫᎭ ᎨᏒ ᏧᏁᎬ ᏕᎨᏥᏅᏁᎸᎩ ᏗᏄᏬ; ᎠᎴ ᎨᏥᏃᏁᎸᎩ ᎠᏏ ᏞᎦ ᎤᎾᏣᏪᏐᎸᏍᏙᏗᏱ ᎨᏒ ᎬᏂ ᎢᏧᎳᎭ ᎨᏥᏅᏏᏙᎸᎯ ᎠᎴ ᎾᏍᏉ ᎠᎾᎵᏅᏟ ᏄᏂᎪᎸᎾ ᏂᎨᎬᏁᎸ, ᎾᏍᎩ ᏕᎨᏥᎸ ᎾᏍᎩᏯ ᎤᏅᏒ ᏂᎨᎬᏁᎸᎢ.
12 मैंने उसे छठी मोहर तोड़ते हुए देखा. तभी एक भीषण भूकंप आया. सूर्य ऐसा काला पड़ गया, जैसे बालों से बनाया हुआ कंबल और पूरा चंद्रमा ऐसा लाल हो गया जैसे लहू.
ᎠᎴ ᏑᏓᎵᏁ ᎠᏍᏚᎲ ᎤᏍᏚᎢᏒ ᏕᏥᎦᏅᎩ, ᎠᎴ ᎬᏂᏳᏉ ᎦᏙᎯ ᎤᏣᏘ ᎤᎵᏖᎸᏅᎩ; ᎠᎴ ᏅᏙ ᎢᎦ-ᎡᎯ ᎬᎿᎭᎨ ᏄᎵᏍᏔᏅᎩ ᎾᏍᎩᏯ ᎤᏏᏕᏅ ᎠᏄᏬ ᎪᏢᏔᏅᎯ, ᏅᏙᏃ ᏒᏃᏱ ᎡᎯ ᎩᎬ ᎾᏍᎩᏯ ᏄᎵᏍᏔᏅᎩ.
13 तारे पृथ्वी पर ऐसे आ गिरे जैसे आंधी आने पर कच्चे अंजीर भूमि पर आ गिरते हैं.
ᏃᏈᏏᏃ ᎦᎸᎶᎢ ᎠᏂᎧᎸ ᎤᏂᏅᎪᎣᏒᎩ ᎠᎴ ᎡᎶᎯ ᎤᏂᎳᎨᏯᏛᏨᎩ, ᎾᏍᎩᏯ ᏒᎦᏔ-ᎢᏳᏍᏗ ᏡᎬ ᏣᏂᏅᎪᎠᏍᎪ ᎤᎾᏓᏙᏗᏱ ᏂᎨᏒᎾ ᎨᏒ ᎤᎾᏓᏔᏅᎯ, ᎾᎯᏳ ᎤᏣᏘ ᎦᏃᎸᎥᏍᎬ ᏧᏖᎸᎲᏍᎪᎢ;
14 आकाश फटकर ऐसा हो गया जैसे चमड़े का पत्र लिपट जाता है. हर एक पहाड़ और द्वीप अपने स्थान से हटा दिये गये.
ᎠᎴ ᎦᎸᎶᎢ ᎤᏓᏅᏒᎩ ᎾᏍᎩᏯ ᎪᏪᎵ ᏣᎦᏇᏅᏍᎪᎢ; ᎠᎴ ᏂᎦᏛ ᏕᎣᏓᎸ ᎠᎴ ᎠᎹᏰᎵ ᏚᏪᎧᎲᎢ ᏚᏓᏅᏒᎩ ᎾᎿᎭᏄᎾᏛᏅᎢ.
15 तब पृथ्वी के राजा, महापुरुष, सेनानायक, सम्पन्‍न तथा बलवंत, सभी दास तथा स्वतंत्र व्यक्ति गुफाओं तथा पहाड़ों के पत्थरों में जा छिपे,
ᎠᎴ ᎤᏂᎬᏫᏳᎯ ᎡᎶᎯ ᎠᏁᎯ, ᎠᎴ ᎨᏥᎸᏉᏗ ᎠᏂᏍᎦᏯ, ᎠᎴ ᏧᏁᎿᎭᎢ ᎠᏂᏍᎦᏯ, ᎠᎴ ᏄᏂᎬᏫᏳᏒ ᏗᎾᏓᏘᏂᏙᎯ, ᎠᎴ ᏧᎾᎵᏂᎩᏛ ᎠᏂᏍᎦᏯ, ᎠᎴ ᎾᏂᎥ ᏗᎨᏥᎾᏝᎢ, ᎠᎴ ᎾᏂᎥ ᏂᏗᎨᏥᎾᏝᎥᎾ, ᎤᎾᏗᏍᎦᎳᏅᎩ ᏚᏍᏓᎦᎸᎢ, ᎠᎴ ᏅᏲᎯ ᏕᎨᏒ ᏙᏓᎸᎢ;
16 वे पहाड़ों तथा पत्थरों से कहने लगे, “हम पर आ गिरो और हमें मेमने के क्रोध से बचा लो तथा उनकी उपस्थिति से छिपा लो, जो सिंहासन पर बैठे हैं,
ᎠᎴ ᏙᏓᎸ ᎠᎴ ᏅᏯ ᎯᎠ ᏂᏚᏂᏪᏎᎸᎩ, ᏍᎩᏯᏐᎥᎦ, ᎠᎴ ᏍᎩᏴᏍᎦᎸᎥᎦ ᎾᏍᎩ ᎣᎩᎪᏩᏛᏗᏱ ᏂᎨᏒᎾ ᎾᏍᎩ Ꮎ ᎦᏍᎩᎸ ᎤᏬᎵ, ᎠᎴ ᎤᏃᏕᎾ ᎠᎩᎾ ᎤᏔᎳᏬᎯᏍᏗ ᎨᏒ ᎣᎦᏢᏔᏍᏗᏱ ᏂᎨᏒᎾ;
17 क्योंकि उनके क्रोध का भयानक दिन आ पहुंचा है और कौन इसे सह सकेगा?”
ᎦᎸᏉᏗᏳᏰᏃ ᎢᎦ ᎾᎯᏳ ᎤᏔᎳᏬᎯᏍᏗ ᎨᏒ ᎤᏍᏆᎸᎲ; ᎦᎪᏃ ᏰᎵ ᎬᏩᎴᏗ ᎨᏎᏍᏗ?

< प्रकाशित वाक्य 6 >