< भजन संहिता 68 >
1 संगीत निर्देशक के लिये. दावीद की रचना. एक स्तोत्र. एक गीत. परमेश्वर उठे, कि उनके शत्रु बिखर जाएं; उनके शत्रु उनके सम्मुख से भाग खड़े हों.
“To the chief musician, by David, a Psalm or song.” Oh that God would arise, that his enemies might be scattered, and those that hate him might flee before him.
2 आप उन्हें वैसे ही उड़ा दें, जैसे हवा धुएं को उड़ा ले जाती है, वे परमेश्वर के सामने उसी प्रकार नष्ट हो जाएं जिस प्रकार अग्नि के सम्मुख आने पर मोम.
As smoke is driven off, so drive them away: as wax melteth before the fire, so let the wicked perish at the presence of God.
3 धर्मी हर्षित हों और वे परमेश्वर की उपस्थिति में हर्षोल्लास में मगन हों; वे आनंद में उल्लसित हों.
But the righteous shall rejoice; they shall exult before God: yea, they shall be exceedingly joyful.
4 परमेश्वर का गुणगान करो, जो मेघों पर विराजमान होकर आगे बढ़ते हैं, उनकी महिमा का स्तवन करो, उनका नाम है याहवेह. उपयुक्त है कि उनके सामने उल्लसित रहा जाए.
Sing unto God, sing praises to his name; extol him who rideth upon the heavens: the Everlasting is his name, and rejoice before him.
5 परमेश्वर अपने पवित्र आवास में अनाथों के पिता तथा विधवाओं के रक्षक हैं.
A father of the fatherless, and a judge of the widows, is God in his holy habitation.
6 वह एकाकियों के लिए स्थायी परिवार निर्धारित करते तथा बंदियों को मुक्त कर देते हैं तब वे हर्ष गीत गाने लगते हैं; किंतु हठीले तपते, सूखे भूमि में निवास करने के लिए छोड़ दिए जाते हैं.
God places those who are solitary in the midst of their families: he bringeth out those who are bound unto happiness; but the rebellious dwell in a dry land.
7 परमेश्वर, जब आप अपनी प्रजा के आगे-आगे चलने के लिए निकल पड़े, जब आप बंजर ज़मीन में से होकर जा रहे थे,
O God, when thou didst go forth before thy people, when thou didst tread along through the wilderness—Selah—
8 पृथ्वी कांप उठी, आकाश ने वृष्टि भेजी, परमेश्वर के सामने, वह जो सीनायी पर्वत के परमेश्वर हैं, परमेश्वर के सामने, जो इस्राएल के परमेश्वर हैं.
The earth quaked, also the heavens dropped at the presence of God, yea, this Sinai, at the presence of God, the God of Israel.
9 परमेश्वर, आपने समृद्ध वृष्टि प्रदान की; आपने अपने थके हुए विरासत को ताज़ा किया.
Rain of beneficence didst thou pour down, O God, whereby thou didst truly strengthen thy heritage, when it was weary.
10 आपकी प्रजा उस देश में बस गई; हे परमेश्वर, आपने अपनी दया के भंडार से असहाय प्रजा की आवश्यकता की व्यवस्था की.
Thy assembly dwelt therein: thou didst prepare it with thy goodness for the afflicted [people]. O God,
11 प्रभु ने आदेश दिया और बड़ी संख्या में स्त्रियों ने यह शुभ संदेश प्रसारित कर दिया:
The Lord gave [happy] tidings; they are published by the female messengers, a numerous host.
12 “राजा और सेना पलायन कर रहे हैं; हां, वे पलायन कर रहे हैं, और वह जो घर पर रह गई है लूट की सामग्री को वितरित करेगी.
The kings of the armies flee away—flee away: yet she that tarried at home divideth the spoil.
13 जब तुम भेड़शाला में लेटते हो, तुम ऐसे लगते हो, मानो कबूतरी के पंखों पर चांदी, तथा उसके पैरों पर प्रकाशमान स्वर्ण मढ़ा गया हो.”
When ye lie still between the folds [of your cattle], [ye will be like] the wings of the dove covered with sliver, and her pinions shining with flaming gold.
14 जब सर्वशक्तिमान ने राजाओं को वहां तितर-बितर किया, ज़लमोन में हिमपात हो रहा था.
When the Almighty scattered kings in the midst of her, then even in darkness shone light [as pure] as snow.
15 ओ देवताओं का पर्वत, बाशान पर्वत, ओ अनेक शिखरयुक्त पर्वत, बाशान पर्वत,
A mountain of God is the mount of Bashan; many peaks hath the mount of Bashan.
16 ओ अनेक शिखरयुक्त पर्वत, तुम उस पर्वत की ओर डाह की दृष्टि क्यों डाल रहे हो, जिसे परमेश्वर ने अपना आवास बनाना चाहा है, निश्चयतः वहां याहवेह सदा-सर्वदा निवास करेंगे?
Why watch ye enviously, ye many-peaked mountains, yonder mountain which God hath chosen for his residence? yea, the Lord will also dwell [there] for ever.
17 परमेश्वर के रथ दस दस हजार, और हजारों हजार हैं; प्रभु अपनी पवित्रता में उनके मध्य हैं, जैसे सीनायी पर्वत पर.
The chariots of God are two myriads; thousands of angels [follow him]: the Lord is among them: so is Sinai holy [among mountains].
18 जब आप ऊंचाइयों पर चढ़ गए, और आप अपने साथ बड़ी संख्या में युद्धबन्दी ले गए; आपने मनुष्यों से, हां, हठीले मनुष्यों से भी भेंट स्वीकार की, कि आप, याहवेह परमेश्वर वहां निवास करें.
Thou didst ascend on high, lead away captives, receive gifts among men, yea, even the rebellious, to dwell among them. O Lord God.
19 परमेश्वर, हमारे प्रभु, हमारे उद्धारक का स्तवन हो, जो प्रतिदिन के जीवन में हमारे सहायक हैं.
Blessed be the Lord; day by day he loadeth us [with benefits]; our God is our salvation. (Selah)
20 हमारे परमेश्वर वह परमेश्वर हैं, जो हमें उद्धार प्रदान करते हैं; मृत्यु से उद्धार सर्वसत्ताधारी अधिराज याहवेह से ही होता है.
Our God is to us the God of salvation: and by the Eternal the Lord are the escapes from death.
21 इसमें कोई संदेह नहीं, कि परमेश्वर अपने शत्रुओं के सिर कुचल देंगे, केश युक्त सिर, जो पापों में लिप्त रहते हैं.
But God will crush the head of his enemies, the hairy skull of him who walketh in his guiltiness.
22 प्रभु ने घोषणा की, “मैं तुम्हारे शत्रुओं को बाशान से भी खींच लाऊंगा; मैं उन्हें सागर की गहराइयों तक से निकाल लाऊंगा,
The Lord hath said, From Bashan will I bring back, I will bring back from the depths of the sea:
23 कि तुम अपने पांव अपने शत्रुओं के रक्त में डूबा सको, और तुम्हारे कुत्ते भी अपनी जीभ तृप्त कर सकें.”
In order that thou mayest wade with thy feet in blood, feeding the tongue of thy dogs from the enemies' blood.
24 हे परमेश्वर, आपकी शोभायात्रा अब दिखने लगी है; वह शोभायात्रा, जो मेरे परमेश्वर और मेरे राजा की है, जो मंदिर की ओर बढ़ रही है!
Men see thy goings forth, O God! the goings forth of my God, my King, into the sanctuary.
25 इस शोभायात्रा में सबसे आगे चल रहा है गायक-वृन्द, उसके पीछे है वाद्य-वृन्द; जिनमें युवतियां भी हैं जो डफ़ बजा रही हैं.
First come singers, then follow players on instruments, in the midst of maidens playing on timbrels.
26 विशाल जनसभा में परमेश्वर का स्तवन किया जाए; इस्राएल राष्ट्र की महासभा में याहवेह का स्तवन किया जाए.
In assemblies bless ye God, [praise] the Lord, ye sprung from Israel's fountain.
27 बिन्यामिन का छोटा गोत्र उनके आगे-आगे चल रहा है, वहीं यहूदी गोत्र के न्यायियों का विशाल समूह है, ज़ेबुलून तथा नफताली गोत्र के प्रधान भी उनमें सम्मिलित हैं.
There Benjamin the youngest leadeth them on, the princes of Judah in purple robes, the princes of Zebulun, the princes of Naphtali.
28 हे परमेश्वर, अपनी सामर्थ्य को आदेश दीजिए, हम पर अपनी शक्ति प्रदर्शित कीजिए, हे परमेश्वर, जैसा आपने पहले भी किये हैं!
Thy God hath ordained the rule to thee: strengthen, O God, what thou hast wrought for us.
29 येरूशलेम में आपके मंदिर की महिमा के कारण, राजा अपनी भेंटें आपको समर्पित करेंगे.
Because of thy temple over Jerusalem shall kings bring presents unto thee.
30 सरकंडों के मध्य घूमते हिंसक पशुओं को, राष्ट्रों के बछड़ों के मध्य सांड़ों के झुंड को आप फटकार लगाइए. उन्हें रौंद डालिए, जिन्हें भेंट पाने की लालसा रहती है. युद्ध के लिए प्रसन्न राष्ट्रों की एकता भंग कर दीजिए.
Rebuke the wild beasts hiding among the reeds, the troops of steers among the calves of nations, that hasten along with presents of silver. He scattereth nations that are eager for the fight.
31 मिस्र देश से राजदूत आएंगे; तथा कूश देश परमेश्वर के सामने समर्पित हो जाएगा.
Nobles will come out of Egypt: Ethiopia will stretch forth eagerly her hands unto God.
32 पृथ्वी के समस्त राज्यो, परमेश्वर का गुणगान करो, प्रभु का स्तवन करो.
Kingdoms of the earth, sing unto God; sing praises unto the Lord: (Selah)
33 उन्हीं का स्तवन, जो सनातन काल से स्वर्ग में चलते फिरते रहे हैं, जिनका स्वर मेघ के गर्जन समान है.
To him who rideth over the highest heavens, of ancient days: hear! he sendeth forth his voice, the voice of might.
34 उन परमेश्वर के सामर्थ्य की घोषणा करो, जिनका वैभव इस्राएल राष्ट्र पर छाया है, जिनका नियंत्रण समस्त स्वर्ग पर प्रगट है.
Ascribe ye strength unto God: his excellency is over Israel, and his strength is in the skies.
35 परमेश्वर, अपने मंदिर में आप कितने शोभायमान लगते हैं; इस्राएल के परमेश्वर अपनी प्रजा को अधिकार एवं सामर्थ्य प्रदान करते हैं. परमेश्वर का स्तवन होता रहे!
Thou art tremendous, O God, from thy holy residences: O God of Israel, [thou art] he that givest strength and power unto [thy] people. Blessed be God.