< भजन संहिता 50 >

1 आसफ का एक स्तोत्र. वह, जो सर्वशक्तिमान हैं, याहवेह, परमेश्वर, सूर्योदय से सूर्यास्त तक पृथ्वी को संबोधित करते हैं.
Ein Psalm Asafs. / El Elohim Jahwe: Er redet / Und ruft der Erde d vom Aufgang der Sonne bis zum Niedergang.
2 ज़ियोन के परम सौंदर्य में, परमेश्वर तेज दिखा रहे हैं.
Aus Zion, der Schönheit Krone, / Strahlt Elohim hervor.
3 हमारे परमेश्वर आ रहे हैं, वह निष्क्रिय नहीं रह सकते; उनके आगे-आगे भस्मकारी अग्नि चलती है, और उनके चारों ओर है प्रचंड आंधी.
Unser Gott, er kommt und schweiget nicht. / Verzehrend Feuer geht vor ihm her, / Rings um ihn stürmt es gewaltig.
4 उन्होंने आकाश तथा पृथ्वी को आह्वान किया, कि वे अपनी प्रजा की न्याय-प्रक्रिया प्रारंभ करें.
Er ruft die Himmel droben herbei. / Und die Erde, sein Volk zu richten:
5 उन्होंने आदेश दिया, “मेरे पास मेरे भक्तों को एकत्र करो, जिन्होंने बलि अर्पण के द्वारा मुझसे वाचा स्थापित की है.”
"Versammelt mir die Frommen, / Die den Bund mit mir im Opfer geschlossen!"
6 आकाश उनकी धार्मिकता की पुष्टि करता है, क्योंकि परमेश्वर ही न्यायाध्यक्ष हैं.
Die Himmel künden seine Gerechtigkeit; / Denn Elohim — er ist's, der richtet! (Sela)
7 “मेरी प्रजा, मेरी सुनो, मैं कुछ कह रहा हूं; इस्राएल, मैं तुम्हारे विरुद्ध साक्ष्य दे रहा हूं, परमेश्वर मैं हूं, तुम्हारा परमेश्वर.
"Höre, mein Volk, o laß mich reden! / Israel, laß mich dich warnen! / Elohim, dein Gott, bin ich.
8 तुम्हारी बलियों के कारण मैं तुम्हें डांट नहीं रहा और न मैं तुम्हारी अग्निबलियों की आलोचना कर रहा हूं, जो नित मुझे अर्पित की जा रही हैं.
Nicht deiner Schlachtopfer wegen rüge ich dich — / Sind doch deine Brandopfer immer vor mir.
9 मुझे न तो तुम्हारे पशुशाले से बैल की आवश्यकता है और न ही तुम्हारे झुंड से किसी बकरे की,
Nicht brauche ich Stiere aus deinem Hause / Noch Böcke aus deinen Hürden.
10 क्योंकि हर एक वन्य पशु मेरा है, वैसे ही हजारों पहाड़ियों पर चर रहे पशु भी मेरे ही हैं.
Denn mein ist alles Wild des Waldes, / Das viele Getier auf den Bergen.
11 पर्वतों में बसे समस्त पक्षियों को मैं जानता हूं, मैदान में चलते फिरते सब प्राणी भी मेरे ही हैं.
Ich kenne jeden Vogel der Berge, / Und was auf den Feldern sich regt, ist mein.
12 तब यदि मैं भूखा होता तो तुमसे नहीं कहता, क्योंकि समस्त संसार तथा इसमें मगन सभी वस्तुएं मेरी ही हैं.
Sollte mich hungern, dir sagte ich's nicht. / Denn mein ist der Erdkreis und was ihn erfüllt.
13 क्या बैलों का मांस मेरा आहार है और बकरों का रक्त मेरा पेय?
Esse ich etwa der Stiere Fleisch / Und trink ich der Böcke Blut?
14 “परमेश्वर को धन्यवाद का बलि अर्पित करो, सर्वोच्च परमेश्वर के लिए अपनी प्रतिज्ञा पूर्ण करो,
Opfere Elohim Dank / Und bezahle dem Höchsten deine Gelübde!
15 तब संकट काल में मुझे पुकारो; तो मैं तुम्हारा उद्धार करूंगा और तुम मुझे सम्मान दोगे.”
"Rufe mich an am Tage der Not: / Dann will ich dich retten, daß du mich ehrest."
16 किंतु दुष्ट से, परमेश्वर कहते हैं: “जब तुम मेरी शिक्षाओं से घृणा करते, और मेरे निर्देशों को हेय मानते हो?
Aber zum Frevler spricht Elohim: / Wie? du zählst meine Satzungen auf / Und redest von meinem Bund?
17 तो क्या अधिकार है तुम्हें मेरी व्यवस्था का वाचन करने, अथवा मेरी वाचा को बोलने का?
Das wagst du und hasset doch Zucht / Und wirfst meine Worte hinter dich?
18 चोर को देखते ही तुम उसके साथ हो लेते हो; वैसे ही तुम व्यभिचारियों के साथ व्यभिचार में सम्मिलित हो जाते हो.
Siehst du einen Dieb, so gesellst du dich ihm, / Und mit Ehebrechern gehest du um.
19 तुमने अपने मुख को बुराई के लिए समर्पित कर दिया है, तुम्हारी जीभ छल-कपट के लिए तत्पर रहती है.
Du lässest deinen Mund zum Bösen los, / Und deine Zunge spinnet Trug.
20 तुम निरंतर अपने ही भाई की निंदा करते रहते हो, अपने ही सगे भाई के विरुद्ध चुगली लगाते रहते हो.
Mit andern verleumdest du deinen Bruder, / Deiner Mutter Sohn hängst du Schande an.
21 तुम यह सब करते रहे, किंतु मैं चुप रहा, और तुम यह समझते रहे कि मैं तुमसे सहमत हूं. किंतु मैं अब तुम्ही पर शासन करूंगा और तुम्हारे ही सम्मुख तुम पर आरोप लगाऊंगा.
Das hast du getan, und ich schwieg dazu. / Da dachtest du denn: ich wäre wie du. / Aber ich will dich zur Rechenschaft ziehn, / Dir's unter die Augen stellen."
22 “तुम, जो परमेश्वर को भूलनेवाले हो गए हो, विचार करो, ऐसा न हो कि मैं तुम्हें टुकड़े-टुकड़े कर नष्ट कर दूं और कोई तुम्हारी रक्षा न कर सके:
Merkt das wohl, die ihr Gottes vergeßt; / Sonst werd ich zerreißen, und niemand rettet.
23 जो कोई मुझे धन्यवाद की बलि अर्पित करता है, मेरा सम्मान करता है, मैं उसे, जो सन्मार्ग का आचरण करता है, परमेश्वर के उद्धार का अनुभव करवाऊंगा.”
Wer Dank opfert, der ehret mich recht, / Und er bahnet den Weg, / Auf dem ich ihm zeige das Heil Elohims.

< भजन संहिता 50 >