< भजन संहिता 3 >
1 दावीद का एक स्तोत्र. जब वह अपने पुत्र अबशालोम से बचकर भाग रहे थे. याहवेह! कितने सारे हैं मेरे शत्रु! कितने हैं जो मेरे विरोध में उठ खड़े हुए हैं!
Een psalm van David, bij zijn vlucht voor zijn zoon Absalom. Jahweh, hoe talrijk zijn mijn belagers, Hoe talrijk, die tegen mij opstaan;
2 वे मेरे विषय में कहने लगे हैं, “परमेश्वर उसे उद्धार प्रदान नहीं करेंगे.”
Hoe velen, die van mij zeggen: Voor hem geen heil bij zijn God!
3 किंतु, याहवेह, आप सदैव ही जोखिम में मेरी ढाल हैं, आप ही हैं मेरी महिमा, आप मेरा मस्तक ऊंचा करते हैं.
Toch zijt Gij, Jahweh, het schild dat mij dekt, Mijn glorie en trots!
4 याहवेह! मैंने उच्च स्वर में आपको पुकारा है, और आपने अपने पवित्र पर्वत से मुझे उत्तर दिया.
Ik behoef maar tot Jahweh te roepen, Dan verhoort Hij mij van zijn heilige berg.
5 मैं लेटता और निश्चिंत सो जाता हूं; मैं पुनः सकुशल जाग उठता हूं, क्योंकि याहवेह मेरी रक्षा कर रहे थे.
Ik leg mij neer, slaap rustig in, Ontwaak, want Jahweh beschut mij.
6 मुझे उन असंख्य शत्रुओं का कोई भय नहीं जिन्होंने मुझे चारों ओर से घेर लिया है.
Zo vrees ik de duizenden niet, Die van alle kant mij omringen.
7 उठिए याहवेह! मेरे परमेश्वर, आकर मुझे बचाइए! निःसंदेह आप मेरे समस्त शत्रुओं के जबड़े पर प्रहार करें; आप उन दुष्टों के दांत तोड़ डालें.
Sta op dan, Jahweh; Red mij, mijn God! Want Gij slaat al mijn vijanden in het gezicht, Stoot de bozen hun tanden stuk.
8 उद्धार तो याहवेह में ही है, आपकी प्रजा पर आपकी कृपादृष्टि बनी रहे!
Bij U, Jahweh, is redding; Op uw volk rust uw zegen.