< लैव्यव्यवस्था 26 >

1 “‘न तो तुम अपने लिए मूरतें बनाओगे और न ही किसी खुदी हुई मूरत अथवा पवित्र पत्थर बनाओगे और न ही उसके सामने झुकने के उद्देश्य से किसी पत्थर में से मूरत गढ़ोगे; क्योंकि मैं याहवेह ही तुम्हारा परमेश्वर हूं.
«لَا تَصْنَعُوا لَكُمْ أَوْثَانًا، وَلَا تُقِيمُوا لَكُمْ تِمْثَالًا مَنْحُوتًا أَوْ نَصَبًا، وَلَا تَجْعَلُوا فِي أَرْضِكُمْ حَجَرًا مُصَوَّرًا لِتَسْجُدُوا لَهُ. لِأَنِّي أَنَا ٱلرَّبُّ إِلَهُكُمْ.١
2 “‘तुम मेरे शब्बाथों का पालन करो और मेरे पवित्र स्थान का सम्मान; मैं ही याहवेह हूं.
سُبُوتِي تَحْفَظُونَ وَمَقْدِسِي تَهَابُونَ. أَنَا ٱلرَّبُّ.٢
3 “‘यदि तुम मेरी विधियों का पालन करोगे और मेरी आज्ञाओं का पालन कर उन्हें व्यवहार में लाओगे,
«إِذَا سَلَكْتُمْ فِي فَرَائِضِي وَحَفِظْتُمْ وَصَايَايَ وَعَمِلْتُمْ بِهَا،٣
4 तो मैं वर्षा ऋतु में तुम्हें बारिश दिया करूंगा, जिसके परिणामस्वरूप भूमि अपनी उपज और मैदान के वृक्ष फल उत्पन्‍न करेंगे.
أُعْطِي مَطَرَكُمْ فِي حِينِهِ، وَتُعْطِي ٱلْأَرْضُ غَلَّتَهَا، وَتُعْطِي أَشْجَارُ ٱلْحَقْلِ أَثْمَارَهَا،٤
5 तुम्हारी दांवनी तुम्हारी अंगूर की उपज इकट्ठा करने तक चलेगी और तुम्हारी अंगूर की उपज, बीज बोने तक. इस प्रकार तुम भरपेट भोजन करोगे और इस प्रकार तुम इस देश में सुरक्षापूर्वक निवास कर सकोगे.
وَيَلْحَقُ دِرَاسُكُمْ بِٱلْقِطَافِ، وَيَلْحَقُ ٱلْقِطَافُ بِٱلزَّرْعِ، فَتَأْكُلُونَ خُبْزَكُمْ لِلشِّبَعِ وَتَسْكُنُونَ فِي أَرْضِكُمْ آمِنِينَ.٥
6 “‘देश में मेरे द्वारा दी गई शांति बसेगी, जिससे कि तुम आराम कर सको. कोई तुम्हें भयभीत न करेगा. मैं उस देश से हिंसक पशुओं को भी दूर कर दूंगा और तुम्हारे देश में कोई भी तलवार से मारा न जाएगा.
وَأَجْعَلُ سَلَامًا فِي ٱلْأَرْضِ، فَتَنَامُونَ وَلَيْسَ مَنْ يُزْعِجُكُمْ. وَأُبِيدُ ٱلْوُحُوشَ ٱلرَّدِيئَةَ مِنَ ٱلْأَرْضِ، وَلَا يَعْبُرُ سَيْفٌ فِي أَرْضِكُمْ.٦
7 किंतु तुम अपने शत्रुओं का पीछा करोगे और वे तलवार के वार से तुम्हारे सामने मारे जाएंगे;
وَتَطْرُدُونَ أَعْدَاءَكُمْ فَيَسْقُطُونَ أَمَامَكُمْ بِٱلسَّيْفِ.٧
8 तुममें से पांच एक सौ को और एक सौ दस हज़ार को खदेड़ डालेंगे और तुम्हारे शत्रु तलवार के वार से तुम्हारे सामने मारे जाएंगे.
يَطْرُدُ خَمْسَةٌ مِنْكُمْ مِئَةً، وَمِئَةٌ مِنْكُمْ يَطْرُدُونَ رَبْوَةً، وَيَسْقُطُ أَعْدَاؤُكُمْ أَمَامَكُمْ بِٱلسَّيْفِ.٨
9 “‘फिर मैं तुम्हारी ओर कृपादृष्टि करूंगा और तुम्हें फलवंत कर तुम्हारी संख्या बहुत बढ़ाऊंगा और तुम्हारे साथ की गई मेरी वाचा को पूरी करूंगा.
وَأَلْتَفِتُ إِلَيْكُمْ وَأُثْمِرُكُمْ وَأُكَثِّرُكُمْ وَأَفِي مِيثَاقِي مَعَكُمْ،٩
10 तुम पुरानी उपज को खाओगे और नई उपज को स्थान देने के उद्देश्य से पुरानी को हटा दोगे.
فَتَأْكُلُونَ ٱلْعَتِيقَ ٱلْمُعَتَّقَ، وَتُخْرِجُونَ ٱلْعَتِيقَ مِنْ وَجْهِ ٱلْجَدِيدِ.١٠
11 इसके अलावा मैं तुम्हारे बीच निवास करूंगा और मेरा प्राण तुमसे घृणा न करेगा.
وَأَجْعَلُ مَسْكَنِي فِي وَسَطِكُمْ، وَلَا تَرْذُلُكُمْ نَفْسِي.١١
12 मैं तुम्हारे बीच चला फिरा भी करूंगा. मैं तुम्हारा परमेश्वर हो जाऊंगा और तुम मेरी प्रजा.
وَأَسِيرُ بَيْنَكُمْ وَأَكُونُ لَكُمْ إِلَهًا وَأَنْتُمْ تَكُونُونَ لِي شَعْبًا.١٢
13 मैं याहवेह ही तुम्हारा परमेश्वर हूं, जो तुम्हें मिस्र देश से निकालकर लाया है कि तुम मिस्रियों के दास न बने रह जाओ, मैंने तुम्हारे जूए की पट्टियों को तोड़ दिया है और तुम्हें सीधा होकर चलने में समर्थ किया है.
أَنَا ٱلرَّبُّ إِلَهُكُمُ ٱلَّذِي أَخْرَجَكُمْ مِنْ أَرْضِ مِصْرَ مِنْ كَوْنِكُمْ لَهُمْ عَبِيدًا، وَقَطَّعَ قُيُودَ نِيرِكُمْ وَسَيَّرَكُمْ قِيَامًا.١٣
14 “‘किंतु यदि तुम मेरी न सुनोगे और इन सारी आज्ञाओं का पालन नहीं करोगे,
«لَكِنْ إِنْ لَمْ تَسْمَعُوا لِي وَلَمْ تَعْمَلُوا كُلَّ هَذِهِ ٱلْوَصَايَا،١٤
15 यदि तुम मेरी विधियों को नकार दोगे; तुम्हारे प्राण मेरे निर्णयों को इतना तुच्छ जानें कि तुम मेरी सारी आज्ञाओं का पालन करना ही छोड़ दो और इस प्रकार मेरी वाचा को तोड़ ही डालो,
وَإِنْ رَفَضْتُمْ فَرَائِضِي وَكَرِهَتْ أَنْفُسُكُمْ أَحْكَامِي، فَمَا عَمِلْتُمْ كُلَّ وَصَايَايَ، بَلْ نَكَثْتُمْ مِيثَاقِي،١٥
16 तो निश्चित ही मैं तुम्हारे साथ यह करूंगा कि मैं तुमको अचानक ही आतंक, क्षय रोग और ज्वर-पीड़ित कर दूंगा, जिसके कारण तुम्हारी आंखें धुंधली हो जाएंगी तथा तुम्हारे प्राण मुरझा जाएंगे, तुम्हारा बीजारोपण भी व्यर्थ ही होगा क्योंकि तुम्हारे शत्रु इसको खा लेंगे.
فَإِنِّي أَعْمَلُ هَذِهِ بِكُمْ: أُسَلِّطُ عَلَيْكُمْ رُعْبًا وَسِلًّا وَحُمَّى تُفْنِي ٱلْعَيْنَيْنِ وَتُتْلِفُ ٱلنَّفْسَ. وَتَزْرَعُونَ بَاطِلًا زَرْعَكُمْ فَيَأْكُلُهُ أَعْدَاؤُكُمْ.١٦
17 मैं तुम्हारे विरुद्ध हो जाऊंगा, जिससे तुम्हारे शत्रु तुम्हें हरा देंगे और जो तुमसे घृणा करते हैं, वे तुम पर शासन करेंगे. जब तुम्हारा पीछा कोई भी न कर रहा होगा, तब भी तुम भागते रहोगे.
وَأَجْعَلُ وَجْهِي ضِدَّكُمْ فَتَنْهَزِمُونَ أَمَامَ أَعْدَائِكُمْ، وَيَتَسَلَّطُ عَلَيْكُمْ مُبْغِضُوكُمْ، وَتَهْرُبُونَ وَلَيْسَ مَنْ يَطْرُدُكُمْ.١٧
18 “‘इतना सब होने पर भी यदि तुम मेरी आज्ञा नहीं मानोगे, तो मैं तुम्हें तुम्हारे पापों का सात गुणा दंड दूंगा.
«وَإِنْ كُنْتُمْ مَعَ ذَلِكَ لَا تَسْمَعُونَ لِي، أَزِيدُ عَلَى تَأْدِيبِكُمْ سَبْعَةَ أَضْعَافٍ حَسَبَ خَطَايَاكُمْ،١٨
19 मैं तुम्हारे बल के घमण्ड़ को समाप्‍त कर दूंगा और तुम्हारे आकाश को लोहे के समान और तुम्हारी भूमि को कांसे के समान बना दूंगा.
فَأُحَطِّمُ فَخَارَ عِزِّكُمْ، وَأُصَيِّرُ سَمَاءَكُمْ كَٱلْحَدِيدِ، وَأَرْضَكُمْ كَٱلنُّحَاسِ،١٩
20 तुम्हारे द्वारा की गई मेहनत बेकार होगी क्योंकि तुम्हारी भूमि अपनी उपज पैदा न करेगी और न ही देश के वृक्ष अपना फल उत्पन्‍न करेंगे.
فَتُفْرَغُ بَاطِلًا قُوَّتُكُمْ، وَأَرْضُكُمْ لَا تُعْطِي غَلَّتَهَا، وَأَشْجَارُ ٱلْأَرْضِ لَا تُعْطِي أَثْمَارَهَا.٢٠
21 “‘इतना होने पर भी यदि तुम अपना स्वभाव मेरे विरुद्ध ही रखोगे और मेरी आज्ञा न मानोगे, तो मैं तुम्हारे पापों के अनुसार तुम पर महामारी में सात गुणा वृद्धि कर दूंगा.
«وَإِنْ سَلَكْتُمْ مَعِي بِٱلْخِلَافِ، وَلَمْ تَشَاءُوا أَنْ تَسْمَعُوا لِي، أَزِيدُ عَلَيْكُمْ ضَرْبَاتٍ سَبْعَةَ أَضْعَافٍ حَسَبَ خَطَايَاكُمْ.٢١
22 मैं तुम पर जंगली जानवर भेज दूंगा, जो तुम्हें संतानहीन बना डालेंगे और तुम्हारे पशुओं को नष्ट कर डालेंगे. वे तुम्हारी संख्या इतनी कम कर देंगे, कि तुम्हारे रास्ते निर्जन रह जाएंगे.
أُطْلِقُ عَلَيْكُمْ وُحُوشَ ٱلْبَرِّيَّةِ فَتُعْدِمُكُمُ ٱلْأَوْلَادَ، وَتَقْرِضُ بَهَائِمَكُمْ، وَتُقَلِّلُكُمْ فَتُوحَشُ طُرُقُكُمْ.٢٢
23 “‘यदि इस ताड़ना के बाद भी तुम मेरी ओर न मुड़े, बल्कि मेरे विरुद्ध शत्रुता भाव ही बनाए रखा,
«وَإِنْ لَمْ تَتَأَدَّبُوا مِنِّي بِذَلِكَ، بَلْ سَلَكْتُمْ مَعِي بِٱلْخِلَافِ،٢٣
24 तो मैं भी तुमसे शत्रुता भाव रखूंगा और मैं, हां मैं, तुम्हारे पापों के कारण तुम पर सात गुणा आक्रमण करूंगा.
فَإِنِّي أَنَا أَسْلُكُ مَعَكُمْ بِٱلْخِلَافِ، وَأَضْرِبُكُمْ سَبْعَةَ أَضْعَافٍ حَسَبَ خَطَايَاكُمْ.٢٤
25 मैं तुम पर एक तलवार भेजूंगा, जो वाचा को तोड़ने का पूरा बदला लेगी. जब तुम अपने नगरों में इकट्‍ठे होंगे, मैं तुम्हारे बीच महामारी भेजूंगा, और तुम शत्रुओं के अधीन कर दिए जाओ.
أَجْلِبُ عَلَيْكُمْ سَيْفًا يَنْتَقِمُ نَقْمَةَ ٱلْمِيثَاقِ، فَتَجْتَمِعُونَ إِلَى مُدُنِكُمْ وَأُرْسِلُ فِي وَسَطِكُمُ ٱلْوَبَأَ فَتُدْفَعُونَ بِيَدِ ٱلْعَدُوِّ.٢٥
26 जब मैं तुम्हारे भोजन के आधार को दूर कर दूंगा, तब दस महिलाएं एक ही चूल्हे पर रोटी सेकेंगी और वे इन्हें तोल-तोल कर छोटी संख्या में बांट देंगी, कि तुम उनको खाओगे, परंतु तृप्‍त न होंगे.
بِكَسْرِي لَكُمْ عَصَا ٱلْخُبْزِ. تَخْبِزُ عَشَرُ نِسَاءٍ خُبْزَكُمْ فِي تَنُّورٍ وَاحِدٍ، وَيَرْدُدْنَ خُبْزَكُمْ بِٱلْوَزْنِ، فَتَأْكُلُونَ وَلَا تَشْبَعُونَ.٢٦
27 “‘इतना सब होने पर भी यदि तुम मेरी आज्ञा का पालन नहीं करोगे, बल्कि मेरे विरुद्ध शत्रु सा व्यवहार ही बनाए रखोगे,
«وَإِنْ كُنْتُمْ بِذَلِكَ لَا تَسْمَعُونَ لِي بَلْ سَلَكْتُمْ مَعِي بِٱلْخِلَافِ،٢٧
28 तब मैं अत्यंत क्रोधित होकर तुमसे शत्रुता रखूंगा और मैं, हां मैं, तुम्हारे पापों के लिए तुम्हें सात गुणा दंड दूंगा.
فَأَنَا أَسْلُكُ مَعَكُمْ بِٱلْخِلَافِ سَاخِطًا، وَأُؤَدِّبُكُمْ سَبْعَةَ أَضْعَافٍ حَسَبَ خَطَايَاكُمْ،٢٨
29 तुम अपने पुत्रों के मांस को खाओगे और हां, तुम अपनी पुत्रियों के मांस को खाओगे.
فَتَأْكُلُونَ لَحْمَ بَنِيكُمْ، وَلَحْمَ بَنَاتِكُمْ تَأْكُلُونَ.٢٩
30 मैं तुम्हारे ऊंचे पूजा स्थलों को नाश कर, तुम्हारी धूप वेदियों को तोड़ दूंगा, मैं तुम्हारे शवों को तुम्हारी मूर्तियों के ढेर पर फेंक दूंगा, और मेरा आत्मा तुमसे घृणा करेगा.
وَأُخْرِبُ مُرْتَفَعَاتِكُمْ، وَأَقْطَعُ شَمْسَاتِكُمْ، وَأُلْقِي جُثَثَكُمْ عَلَى جُثَثِ أَصْنَامِكُمْ، وَتَرْذُلُكُمْ نَفْسِي.٣٠
31 मैं तुम्हारे नगरों को भी उजाड़ दूंगा और तुम्हारे पवित्र स्थानों को सूना कर दूंगा, मैं तुम्हारी सुखद-सुगंध को स्वीकार नहीं करूंगा.
وَأُصَيِّرُ مُدُنَكُمْ خَرِبَةً، وَمَقَادِسَكُمْ مُوحِشَةً، وَلَا أَشْتَمُّ رَائِحَةَ سَرُورِكُمْ.٣١
32 मैं तुम्हारे नगरों को सूना बना दूंगा जिससे कि तुम्हारे शत्रु जो वहां बसने आएंगे, इसे देख भयभीत हो जाएंगे.
وَأُوحِشُ ٱلْأَرْضَ فَيَسْتَوْحِشُ مِنْهَا أَعْدَاؤُكُمُ ٱلسَّاكِنُونَ فِيهَا.٣٢
33 तुम जाति-जाति के बीच बिखर जाओगे और तलवार तुम्हारा पीछा करेगी, तुम्हारा देश निर्जन और तुम्हारे नगर उजाड़ हो जाएंगे.
وَأُذَرِّيكُمْ بَيْنَ ٱلْأُمَمِ، وَأُجَرِّدُ وَرَاءَكُمُ ٱلسَّيْفَ فَتَصِيرُ أَرْضُكُمْ مُوحَشَةً، وَمُدُنُكُمْ تَصِيرُ خَرِبَةً.٣٣
34 तुम्हारे इस भूमि पर निवास करने की स्थिति में, भूमि को जो विश्राम तुम्हारे शब्बाथों में प्राप्‍त नहीं हुआ था, वह उस विश्राम अब, इस पूरे खाली समय की अवधि में, प्राप्‍त होगा. इस प्रकार भूमि को अपने शब्बाथ प्राप्‍त हो जाएंगे. जब तुम अपने शत्रुओं के देश में जाओगे, तब सूनेपन की अवस्था में भूमि अपने शब्बाथों का आनंद उठाएगी.
حِينَئِذٍ تَسْتَوْفِي ٱلْأَرْضُ سُبُوتَهَا كُلَّ أَيَّامِ وَحْشَتِهَا وَأَنْتُمْ فِي أَرْضِ أَعْدَائِكُمْ. حِينَئِذٍ تَسْبِتُ ٱلْأَرْضُ وَتَسْتَوْفِي سُبُوتَهَا.٣٤
كُلَّ أَيَّامِ وَحْشَتِهَا تَسْبِتُ مَا لَمْ تَسْبِتْهُ مِنْ سُبُوتِكُمْ فِي سَكَنِكُمْ عَلَيْهَا.٣٥
36 “‘तुममें जो बचे रह गए होंगे, मैं उनके शत्रुओं के देश में उनका मनोबल इतना कमजोर कर दूंगा कि वे हवा के द्वारा छितराए पत्ते की खड़खड़ाहट सुनकर भाग खड़े होंगे. जब कोई उनका पीछा भी नहीं कर रहा होगा, तो भी वे भाग खड़े होंगे, मानो कोई तलवार लिए उनका पीछा कर रहा हो और वे गिर-गिर पड़ेंगे.
وَٱلْبَاقُونَ مِنْكُمْ أُلْقِي ٱلْجَبَانَةَ فِي قُلُوبِهِمْ فِي أَرَاضِي أَعْدَائِهِمْ، فَيَهْزِمُهُمْ صَوْتُ وَرَقَةٍ مُنْدَفِعَةٍ، فَيَهْرُبُونَ كَٱلْهَرَبِ مِنَ ٱلسَّيْفِ، وَيَسْقُطُونَ وَلَيْسَ طَارِدٌ.٣٦
37 वे लड़खड़ा कर एक दूसरे पर ऐसे गिरेंगे, मानो वे तलवार से भाग रहे हों, जबकि कोई भी उनका पीछा नहीं कर रहा होगा; तुम्हारे शत्रुओं के सामने खड़ा होने के लिए तुम्हारे अंदर शक्ति न बचेगी.
وَيَعْثُرُ بَعْضُهُمْ بِبَعْضٍ كَمَا مِنْ أَمَامِ ٱلسَّيْفِ وَلَيْسَ طَارِدٌ، وَلَا يَكُونُ لَكُمْ قِيَامٌ أَمَامَ أَعْدَائِكُمْ،٣٧
38 तुम बंधुआई में देशों के बीच नाश हो जाओगे और तुम्हारे शत्रुओं का देश तुम्हें चट कर डालेगा;
فَتَهْلِكُونَ بَيْنَ ٱلشُّعُوبِ وَتَأْكُلُكُمْ أَرْضُ أَعْدَائِكُمْ.٣٨
39 तुममें से जो बचे रह जाएंगे, वे अपने और उनके पुरखों के अधर्म के कारण उनके शत्रुओं के देश में गल जाएंगे.
وَٱلْبَاقُونَ مِنْكُمْ يَفْنَوْنَ بِذُنُوبِهِمْ فِي أَرَاضِي أَعْدَائِكُمْ. وَأَيْضًا بِذُنُوبِ آبَائِهِمْ مَعَهُمْ يَفْنَوْنَ.٣٩
40 “‘यदि वे अपनी और अपने पूर्वजों के उन अधर्मों को स्वीकार कर लेंगे, जो उन्होंने अपने विश्वासघात और मेरे विरुद्ध शत्रु के भाव की स्थिति में की थी,
لَكِنْ إِنْ أَقَرُّوا بِذُنُوبِهِمْ وَذُنُوبِ آبَائِهِمْ فِي خِيَانَتِهِمِ ٱلَّتِي خَانُونِي بِهَا، وَسُلُوكِهِمْ مَعِيَ ٱلَّذِي سَلَكُوا بِٱلْخِلَافِ،٤٠
41 जिससे मैंने भी उनके विरुद्ध हो उन्हें उनके शत्रुओं के देश में बसा दिया; अथवा उनका खतना-रहित हृदय इस प्रकार दब जाए कि वे अपने अधर्मों के लिए प्रायश्चित्त कर लें,
وَإِنِّي أَيْضًا سَلَكْتُ مَعَهُمْ بِٱلْخِلَافِ وَأَتَيْتُ بِهِمْ إِلَى أَرْضِ أَعْدَائِهِمْ. إِلَّا أَنْ تَخْضَعَ حِينَئِذٍ قُلُوبُهُمُ ٱلْغُلْفُ، وَيَسْتَوْفُوا حِينَئِذٍ عَنْ ذُنُوبِهِمْ،٤١
42 तो मैं याकोब के साथ अपनी वाचा को, यित्सहाक के साथ अपनी वाचा को और अब्राहाम के साथ अपनी वाचा को, और इस देश को भी स्मरण करूंगा.
أَذْكُرُ مِيثَاقِي مَعَ يَعْقُوبَ، وَأَذْكُرُ أَيْضًا مِيثَاقِي مَعَ إِسْحَاقَ، وَمِيثَاقِي مَعَ إِبْرَاهِيمَ، وَأَذْكُرُ ٱلْأَرْضَ.٤٢
43 किंतु उनके निकल जाने के कारण यह देश सूना हो जाएगा, कि यह भूमि अपने शब्बाथों के नुकसान की पूर्ति कर ले. इसी अवधि में वे अपने अधर्मों के लिए प्रायश्चित करेंगे; क्योंकि उन्होंने मेरे नियमों को नकार दिया था और मेरी विधियों से घृणा की थी.
وَٱلْأَرْضُ تُتْرَكُ مِنْهُمْ وَتَسْتَوْفِي سُبُوتَهَا فِي وَحْشَتِهَا مِنْهُمْ، وَهُمْ يَسْتَوْفُونَ عَنْ ذُنُوبِهِمْ لِأَنَّهُمْ قَدْ أَبَوْا أَحْكَامِي وَكَرِهَتْ أَنْفُسُهُمْ فَرَائِضِي.٤٣
44 इतना होने पर भी, जब वे अपने शत्रुओं के देश में होंगे, तब भी मैं उनको नहीं छोडूंगा और न ही उनसे इतनी घृणा करूंगा कि मैं उनका नाश कर दूं और उनके साथ अपनी वाचा को भंग करूं. मैं ही याहवेह, उनका परमेश्वर हूं.
وَلَكِنْ مَعَ ذَلِكَ أَيْضًا مَتَى كَانُوا فِي أَرْضِ أَعْدَائِهِمْ، مَا أَبَيْتُهُمْ وَلَا كَرِهْتُهُمْ حَتَّى أُبِيدَهُمْ وَأَنْكُثَ مِيثَاقِي مَعَهُمْ، لِأَنِّي أَنَا ٱلرَّبُّ إِلَهُهُمْ.٤٤
45 मैं उनके उन पूर्वजों से की गई वाचा को स्मरण करूंगा, जिन्हें मैं जातियों के देखते-देखते मिस्र से निकालकर लाया था कि मैं उनका परमेश्वर हो जाऊं. मैं ही याहवेह हूं.’”
بَلْ أَذْكُرُ لَهُمْ ٱلْمِيثَاقَ مَعَ ٱلْأَوَّلِينَ ٱلَّذِينَ أَخْرَجْتُهُمْ مِنْ أَرْضِ مِصْرَ أَمَامَ أَعْيُنِ ٱلشُّعُوبِ لِأَكُونَ لَهُمْ إِلَهًا. أَنَا ٱلرَّبُّ».٤٥
46 यही वे विधियां, व्यवस्था और नियम हैं, जिन्हें याहवेह ने, मोशेह के द्वारा सीनायी पर्वत पर अपने और इस्राएल के घराने के बीच ठहराई.
هَذِهِ هِيَ ٱلْفَرَائِضُ وَٱلْأَحْكَامُ وَٱلشَّرَائِعُ ٱلَّتِي وَضَعَهَا ٱلرَّبُّ بَيْنَهُ وَبَيْنَ بَنِي إِسْرَائِيلَ فِي جَبَلِ سِينَاءَ بِيَدِ مُوسَى.٤٦

< लैव्यव्यवस्था 26 >