< लैव्यव्यवस्था 14 >

1 याहवेह ने मोशेह को यह आदेश दिया,
আর সদাপ্রভু মোশিকে বললেন,
2 “किसी कोढ़ी के शुद्ध हो जाने की पुष्टि की विधि यह है: जब उसे पुरोहित के सामने लाया जाए,
“কুষ্ঠরোগীর শুচি হবার দিনের তার পক্ষে এই ব্যবস্থা হবে, তাকে যাজকের কাছে নিয়ে আসা হবে
3 पुरोहित छावनी के बाहर जाकर इसकी जांच करे और यदि उस कोढ़ी की व्याधि स्वस्थ हो गयी है,
যাজক শিবিরের বাইরে গিয়ে দেখবে; আরে দেখ, যদি কুষ্ঠীর কুষ্ঠরোগের ঘায়ের উপশম হয়ে থাকে,
4 तब पुरोहित उस व्यक्ति के लिए, जिसको शुद्ध किया जाना है, दो जीवित शुद्ध पक्षी, देवदार की लकड़ी, जूफ़ा और लाल डोरी लाने का आदेश दे.
তবে যাজক সেই শুচি ব্যক্তির জন্যে দুটি জীবন্ত শুচি পাখি, এরস কাঠ, লাল রঙের লোম ও এসোব, এই সব নিতে আজ্ঞা করবে।
5 फिर पुरोहित बहते हुए जल पर मिट्टी के एक पात्र में एक पक्षी को बलि करने का आदेश भी दे.
আর যাজক মাটির পাত্রে বিশুদ্ধ জলের ওপরে একটি পাখি হত্যা করতে আজ্ঞা করবে।
6 इसके बाद वह उस जीवित पक्षी को देवदार की लकड़ी, लाल डोरी और जूफ़ा के साथ लेकर उन्हें, तथा उस जीवित पक्षी को उस पक्षी के लहू में डूबा दे, जिसे बहते हुए जल पर बलि किया गया था.
পরে সে ঐ জীবিত পাখি, এরস কাঠ, লাল রঙের লোম ও এসোব নিয়ে ঐ বিশুদ্ধ জলের ওপরে নিহত পাখির রক্তে জীবিত পাখির সঙ্গে সে সব ডুবাবে
7 पुरोहित इसे सात बार उस व्यक्ति पर छिड़क दे, जिसे कोढ़ से शुद्ध किया जा रहा है. फिर पुरोहित उस व्यक्ति को शुद्ध घोषित कर दे और उस जीवित पक्षी को खुले मैदान में छोड़ दे.
এবং কুষ্ঠ থেকে শুচি ব্যক্তির ওপরে সাত বার ছিটিয়ে তাকে শুচি বলবে এবং ঐ জীবিত পাখিকে মাঠের দিকে ছেড়ে দেবে।
8 “फिर वह व्यक्ति जिसे शुद्ध किया जा रहा है, अपने वस्त्रों को धो डाले, अपने सारे बाल मुंडवा ले और स्‍नान करके शुद्ध हो जाए. इसके बाद वह छावनी में तो प्रवेश कर सकता है किंतु सात दिन तक वह अपने घर से बाहर ही निवास करे.
তখন সেই শুচি ব্যক্তি নিজের পোশাক ধুয়ে ও সমস্ত চুল ন্যাড়া করে জলে স্নান করবে, তাতে সে শুচি হবে; তারপরে সে শিবিরে প্রবেশ করতে পারবে, কিন্তু সাত দিন নিজের তাঁবুর বাইরে থাকবে।
9 सातवें दिन वह अपने सिर के बाल, दाढ़ी तथा भौंहें, और हां, अपने समस्त बाल मुंडवा ले; अपने वस्त्रों को धो डाले और स्‍नान कर स्वच्छ हो जाए.
পরে সপ্তম দিনের সে নিজের মাথার চুল, দাড়ি, ভ্রূ ও সর্বাঙ্গের লোম ন্যাড়া করবে এবং নিজের পোশাক ধুয়ে নিজে জলে স্নান করে শুচি হবে।
10 “आठवें दिन वह एक वर्षीय दो निर्दोष नर मेमने, एक वर्षीय निर्दोष मादा भेड़, अन्‍नबलि के लिए तेल मिला हुआ पांच किलो मैदा और एक तिहाई लीटर तेल ले;
১০পরে অষ্টম দিনের সে নির্দোষ দুটি মেষশাবক, এক বছরের নির্দোষ একটি মেষবত্সা ও ভক্ষ্য নৈবেদ্যের জন্য তেল মেশানো [এক ঐফা] সূজির দশ অংশের তিন অংশ ও এক লোগ তেল নেবে।
11 फिर जो पुरोहित उस व्यक्ति को शुद्ध घोषित कर रहा है, वह मिलनवाले तंबू के प्रवेश स्थल पर उस व्यक्ति और इन वस्तुओं को याहवेह के सामने भेंट करे.
১১পরে শুচীকারী যাজক ঐ শুচি লোকটিকে এবং ঐ সব জিনিস নিয়ে সমাগম তাঁবুর দরজার সামনে সদাপ্রভুর সামনে রাখবে।
12 “फिर पुरोहित एक नर मेमने और एक तिहाई लीटर तेल को दोष बलि स्वरूप लेकर लहराने की बलि के रूप में याहवेह के सामने भेंट करे.
১২পরে যাজক একটি মেষশাবক নিয়ে অপরাধের বলিরূপে উৎসর্গ করবে এবং তা ও সেই এক লোগ তেল দোলনীয় নৈবেদ্যরূপে সদাপ্রভুর সামনে দোলাবে।
13 इसके बाद पुरोहित उस नर मेमने का पवित्र स्थान के उस स्थान में वध करे, जहां पापबलि और होमबलि वध की जाती हैं; क्योंकि दोष बलि, पापबलि के समान पुरोहित का निर्धारित अंश है; यह परम पवित्र है.
১৩যে জায়গায় পাপের বলি ও হোমবলি হত্যা করা যায়, সেই পবিত্র জায়গায় ঐ মেষশাবকটিকে হত্যা করবে, কারণ অপরাধের বলি পাপের বলির মতো যাজকের অংশ; তা অতি পবিত্র।
14 पुरोहित उस दोष बलि के रक्त का कुछ भाग लेकर उसे उस व्यक्ति के दाएं कान के सिरे पर, दाएं हाथ के अंगूठे और दाएं पांव के अंगूठे पर लगा दे, जिसको शुद्ध किया जा रहा है.
১৪আর যাজক ঐ অপরাধের বলি নিয়ে বলির কিছুটা রক্ত নিয়ে ঐ শুচি ব্যক্তির ডান কানের শেষে, ডান হাতের বুড়ো আঙ্গুলে ও ডান পায়ের বুড়ো আঙ্গুলে দেবে।
15 इसके बाद पुरोहित उस एक तिहाई तेल में से कुछ भाग लेकर उसे अपने बायीं हथेली पर उंडेल दे;
১৫আর যাজক সেই এক লোগ তেলের কিছুটা নিজের বাম হাতের তালুতে ঢালবে।
16 फिर पुरोहित अपनी बायीं हथेली में रखे बचे हुए तेल में अपने दाएं हाथ की उंगली डुबाकर याहवेह के सामने उस तेल में से कुछ तेल को सात बार छिड़क दे.
১৬পরে যাজক সেই বাম হাতে অবস্থিত তেলে নিজের ডান হাতের আঙ্গুল ডুবিয়ে আঙ্গুলের দ্বারা সেই তেল থেকে কিছু কিছু করে সাত বার সদাপ্রভুর সামনে ছিটিয়ে দেবে।
17 अब जो तेल उसकी हथेली में बचा रह गया है, पुरोहित शुद्ध होनेवाले व्यक्ति के दाएं कान के सिरे पर, दाएं हाथ के अंगूठे और दाएं पांव के अंगूठे पर लगा दे, जिन पर दोष बलि का रक्त लगा हुआ है;
১৭আর নিজের হাতে অবস্থিত বাকি তেলের কিছুটা নিয়ে যাজক শুচি ব্যক্তির ডান কানের শেষে, ডান হাতের বুড়ো আঙ্গুলে ও ডান পায়ে বুড়ো আঙ্গুলে ঐ অপরাধের বলির রক্তের ওপরে দেবে।
18 जबकि पुरोहित की हथेली में रखे बचे हुए तेल को पुरोहित उस व्यक्ति के सिर पर भी लगा दे, जिसे शुद्ध किया जा रहा है. फिर पुरोहित उस व्यक्ति की ओर से याहवेह के सामने प्रायश्चित करे.
১৮পরে যাজক নিজের হাতে অবস্থিত বাকি তেল নিয়ে ঐ শুচি ব্যক্তির মাথায় দেবে এবং যাজক সদাপ্রভুর সামনে তার জন্যে প্রায়শ্চিত্ত করবে।
19 “इसके बाद पुरोहित पापबलि भेंट करे, और उस व्यक्ति के लिए प्रायश्चित करे, जिसे उसकी अशुद्धता से परिशोधन किया जा रहा है. यह सब करने के बाद वह होमबलि पशु का वध कर दे.
১৯আর যাজক পাপের বলিদান করবে এবং সেই শুচি ব্যক্তির অশৌচের জন্য প্রায়শ্চিত্ত করবে, তারপরে হোমবলি হত্যা করবে।
20 पुरोहित उस होमबलि एवं अन्‍नबलि को वेदी पर भेंट कर दे. इस प्रकार पुरोहित उस व्यक्ति के लिए प्रायश्चित करे, और वह व्यक्ति शुद्ध हो जाएगा.
২০আর যাজক হোমবলি ও ভক্ষ্য নৈবেদ্য বেদিতে উৎসর্গ করবে এবং যাজক তার জন্য প্রায়শ্চিত্ত করবে; তাতে সে শুচি হবে।
21 “किंतु यदि वह व्यक्ति दरिद्र और लाने के लायक न हो, तो वह अपने लिए प्रायश्चित के लिए, हिलाने की बलि के रूप में भेंट दोष बलि के लिए एक नर मेमना और अन्‍नबलि के लिए तेल मिला हुआ डेढ़ किलो मैदा और एक तिहाई लीटर तेल,
২১আর সে ব্যক্তি যদি গরিব হয়, এত আনতে তার সামর্থ্য না থাকে, তবে সে নিজের জন্য প্রায়শ্চিত্ত করার জন্যে দোলনীয় অপরাধের বলির জন্যে একটি মেষশাবক ও ভক্ষ্য নৈবেদ্য, তেল মেশানো [এক ঐফা] সূজির দশ অংশের এক অংশ ও এক লোগ তেল
22 दो कबूतर अथवा दो कबूतर के बच्‍चे; एक पापबलि के लिए तथा एक होमबलि के लिए, इनमें से वह जो कुछ भी देने में समर्थ हो, ले लें.
২২এবং নিজের সামর্থ্য অনুসারে দুটি ঘুঘু কিংবা দুটি পায়রার শাবক আনবে; তার একটি পাপের বলি, অন্যটি হোমবলি হবে।
23 “आठवें दिन अपने शुद्ध होने के लिए वह इन्हें मिलनवाले तंबू के द्वार पर याहवेह के सामने पुरोहित के पास लेकर आए.
২৩পরে অষ্টম দিনের সে নিজের শুচি করার জন্যে সমাগম তাঁবুর দরজার সামনে সদাপ্রভুর সামনে যাজকের কাছে তাদেরকে আনবে।
24 पुरोहित दोष बलि के इस मेमने और एक तिहाई लीटर तेल को ले और याहवेह के सामने लहराने की बलि के रूप में भेंट करे.
২৪পরে যাজক অপরাধের বলির মেষশাবক ও উক্ত এক লোগ তেল নিয়ে সদাপ্রভুর সামনে দোলনীয় নৈবেদ্যের জন্যে তা দোলাবে।
25 फिर पुरोहित दोष बलि के इस मेमने का वध करे; पुरोहित इस दोष बलि के लहू में से कुछ लहू को लेकर उस व्यक्ति के दाएं कान के सिरे पर, दाएं हाथ के अंगूठे और दाएं पांव के अंगूठे पर लगा दे, जिसको शुद्ध किया जाना है.
২৫পরে সে অপরাধের বলির মেষশাবক হত্যা করবে এবং যাজক অপরাধের বলির কিছু রক্ত নিয়ে শুচি ব্যক্তির ডান কানের শেষে ও তার ডান হাতের বুড়ো আঙ্গুলে ও ডান পায়ের বুড়ো আঙ্গুলে দেবে।
26 पुरोहित अपनी बायीं हथेली में कुछ तेल उण्डेले;
২৬পরে যাজক সেই তেল থেকে কিছুটা নিয়ে নিজের বাম হাতের তালুতে ঢালবে।
27 और अपनी दाएं हाथ की उंगली से अपनी बायीं हथेली में रखे तेल में से कुछ तेल को सात बार याहवेह के सामने छिड़के.
২৭আর যাজক ডান হাতের আঙ্গুল দিয়ে বাম হাতে অবস্থিত তেল থেকে কিছু কিছু করে সাত বার সদাপ্রভুর সামনে ছিটিয়ে দেবে।
28 अब पुरोहित जो तेल उसकी हथेली में बचा रह गया है, उससे कुछ तेल जिस व्यक्ति को शुद्ध किया जा रहा है उसके दाएं कान के सिरे पर लगाएगा, कुछ तेल व्यक्ति के दाएं हाथ के अंगूठे और उसके दाएं पैर के अंगूठे पर लगाएगा. दोष बलि के खून लगे स्थान पर ही पुरोहित तेल लगाएगा.
২৮আর যাজক নিজের হাতে অবস্থিত তেল থেকে কিছুটা নিয়ে শুচি ব্যক্তির ডান কানের শেষে, ডান হাতের বুড়ো আঙ্গুলে ও ডান পায়ের বুড়ো আঙ্গুলে অপরাধের বলির রক্তের জায়গার ওপরে দেবে।
29 पुरोहित की हथेली में रखे बचे हुए तेल को पुरोहित उस व्यक्ति के सिर पर लगा दे, जिसको शुद्ध किया जा रहा है कि पुरोहित उस व्यक्ति की ओर से याहवेह के सामने प्रायश्चित करे.
২৯আর যাজক ব্যক্তির জন্যে সদাপ্রভুর সামনে প্রায়শ্চিত্ত করার জন্য নিজের হাতে অবস্থিত বাকি তেল তার মাথায় দেবে।
30 इसके बाद पुरोहित एक कबूतर अथवा एक युवा कबूतर, जो भी वह व्यक्ति देने में समर्थ हो, भेंट करे;
৩০পরে সে সামর্থ্য অনুসারে দেওয়া দুটি ঘুঘুর কিংবা পায়রাশাবকের মধ্যে একটি উৎসর্গ করবে;
31 अन्‍नबलि के साथ, पापबलि के लिए एक तथा होमबलि के लिए एक. फिर पुरोहित उस व्यक्ति की ओर से याहवेह के सामने प्रायश्चित करे, जिसको शुद्ध किया जाना है.
৩১অর্থাৎ সামর্থ্য অনুসারে ভক্ষ্য নৈবেদ্যের সঙ্গে একটি পাপের বলি, অন্যটি হোমবলি রূপে উৎসর্গ করবে এবং যাজক শুচি ব্যক্তির জন্যে সদাপ্রভুর সামনে প্রায়শ্চিত্ত করবে।
32 “यह उस व्यक्ति के लिए एक विधि है, जिसमें कोढ़ रोग का संक्रमण है और जिसके अपने शुद्ध होने की आवश्यकताओं के लिए साधन सीमित हैं.”
৩২কুষ্ঠরোগের ঘা বিশিষ্ট যে ব্যক্তি নিজের শুদ্ধতার বিষয়ে সামর্থ্যহীন, তার জন্য এই ব্যবস্থা।”
33 फिर याहवेह ने मोशेह और अहरोन को यह आदेश दिया
৩৩পরে সদাপ্রভু মোশি ও হারোণকে বললেন,
34 “जब तुम कनान देश में प्रवेश करो, जिसका अधिकारी मैंने तुम्हें बनाया है, तुम्हारे आधिपत्य देश के एक आवास में कोढ़ रोग की फफूंदी मैं लगा दूंगा,
৩৪“আমি যে দেশ অধিকারের জন্যে তোমাদেরকে দেব, সেই কনান দেশে তোমাদের প্রবেশের পর যদি আমি তোমাদের অধিকার করা দেশের কোনো গৃহে কুষ্ঠরোগের কলঙ্ক বিস্তার করি,
35 तब वह गृहस्वामी पुरोहित के पास आकर यह सूचना देगा, ‘मुझे अपने घर में कोढ़ रोग के समान एक चिन्ह दिखाई दिया है.’
৩৫তবে সে গৃহের স্বামী এসে যাজককে এই সংবাদ দেবে, আমার দৃষ্টিতে গৃহে কলঙ্কের মত দেখা দিচ্ছে।
36 इससे पहले कि पुरोहित उस घर में जाकर उस चिन्ह की जांच करे, वह यह आदेश दे कि वे उस घर को खाली कर दें, ऐसा न हो कि उस आवास में मौजूद सारी वस्तुएं अशुद्ध हो जाएं. उसके बाद पुरोहित उस आवास में प्रवेश कर उसकी जांच करे.
৩৬তারপরে গৃহের সব জিনিস যেন অশুচি না হয়, এই জন্যে ঐ কলঙ্ক দেখার জন্য যাজকের প্রবেশের পুর্বে গৃহ শূন্য করতে যাজক আজ্ঞা করবে; পরে যাজক দেখতে প্রবেশ করবে।
37 वह उस चिन्ह की जांच करे और यदि घर की दीवारों पर यह चिन्ह हरी अथवा लाल सतह से नीचे दबी हुई प्रतीत हो,
৩৭আর সে সেই কলঙ্ক দেখবে; আর দেখ, যদি গৃহের ভিত্তিতে কলঙ্ক নিম্ন ও ঈষৎ হলুদ কিংবা লাল হয় এবং তার দৃষ্টি থেকে নিম্ন বোধ হয়,
38 तो पुरोहित उस घर से बाहर निकलकर प्रवेश द्वार पर आकर उस घर को सात दिन के लिए उसे बंद कर दे.
৩৮তবে যাজক গৃহ থেকে বের হয়ে গৃহের দরজায় গিয়ে সাত দিন ঐ গৃহ আবদ্ধ করে রাখবে।
39 सातवें दिन पुरोहित उसको दोबारा जांचे. यदि वास्तव में वह चिन्ह घर की दीवारों में फैल गया है,
৩৯সপ্তম দিনের যাজক আবার এসে দেখবে; আর দেখ, গৃহের দেওয়ালে সেই কলঙ্ক যদি বেড়ে থাকে,
40 तो पुरोहित उन्हें यह आदेश दे कि वे उन चिन्हयुक्त पत्थरों को निकालकर नगर से बाहर कूड़े के ढेर पर फेंक दें.
৪০তবে যাজক আজ্ঞা করবে, যেন কলঙ্কবিশিষ্ট পাথর সব তুলে দিয়ে লোকেরা শহরের বাইরে অশুচি জায়গায় ফেলে দেয়।
41 इसके बाद पुरोहित उस संपूर्ण घर को भीतर से खुरचवा दे और वे उस खुरचन को नगर के बाहर अशुद्ध स्थान पर फेंक दें.
৪১পরে সে গৃহের ভিতরের চারিদিক ঘর্ষণ করাবে ও তারা সেই ঘর্ষণের ধূলা শহরের বাইরে অশুচি জায়গায় ফেলে দেবে।
42 फिर वे दूसरे पत्थर लेकर उन्हें निकाले गए पत्थरों के स्थान पर लगा दें और गारा लेकर उस आवास की पुनः लीपाई-पोताई कर दें.
৪২আর তারা অন্য পাথর নিয়ে সেই পাথরের জায়গায় বসাবে ও অন্য প্রলেপ দিয়ে গৃহ লেপন করবে।
43 “किंतु यदि उसके द्वारा पत्थरों को निकालवाए जाने, घर को खुरचे जाने तथा पुनः पलस्तर लीपे पोते जाने के बाद उस घर में वह फफूंदी फूट पड़ती है,
৪৩এই ভাবে পাথর তুলে ফেললে এবং গৃহ ঘর্ষণ ও লেপন করলে পর যদি আবার কলঙ্ক জন্মে গৃহে ছড়িয়ে যায়, তবে যাজক এসে দেখবে;
44 तो पुरोहित उसमें प्रवेश कर उसकी जांच करे. यदि उसे यह प्रतीत होता है कि वास्तव में वह चिन्ह आवास में फैल गया है, तो यह उस आवास में एक असाध्य रोग है; यह अशुद्ध है.
৪৪আর দেখ, যদি ঐ গৃহে কলঙ্ক বেড়ে থাকে, তবে সেই গৃহে ক্ষতিকারক কুষ্ঠ আছে, সেই গৃহ অশুচি।
45 इसलिये उस आवास को ढाह दिया जाए, वह उसके पत्थर, लकड़ी और संपूर्ण पलस्तर को नगर के बाहर अशुद्ध स्थान पर ले जाए.
৪৫লোকেরা ঐ গৃহ ভেঙে ফেলবে এবং গৃহের পাথর, কাঠ ও প্রলেপ সকল শহরের বাইরে অশুচি জায়গায় নিয়ে যাবে।
46 “इसके अतिरिक्त, यदि कोई व्यक्ति उस समय में उस घर में प्रवेश कर ले, जिसे पुरोहित ने बंद कर दिया था, तो वह व्यक्ति शाम तक अशुद्ध रहेगा.
৪৬আর ঐ গৃহ যতক্ষণ আবদ্ধ থাকে, ততক্ষণ যে কেউ তার ভিতরে যায়, সে সন্ধ্যা পর্যন্ত অশুচি থাকবে।
47 इसी प्रकार जो कोई व्यक्ति उस घर में विश्राम करता है, या भोजन कर लेता है, वह भी अपने वस्त्रों को शुद्ध करे.
৪৭আর যে কেউ সেই গৃহে শোয়, সে নিজের পোশাক ধোবে এবং যে কেউ সেই গৃহে খায়, সেও নিজের পোশাক ধোবে।
48 “यदि इसके विपरीत, पुरोहित उस आवास में प्रवेश कर निरीक्षण करे, और यह पाए कि उस घर की पुनः पलस्तर करने के बाद वह फफूंदी वास्तव में नहीं फैली है, तो पुरोहित उस आवास को शुद्ध घोषित कर दे, क्योंकि यह रोग उसमें पुनः प्रकट नहीं हुआ है.
৪৮আর যদি যাজক প্রবেশ করে দেখে, আর দেখ, সেই গৃহ লেপনের পর আর বাড়েনি, তবে যাজক সেই গৃহকে শুচি বলবে; কারণ কলঙ্কের উপশম হয়েছে।
49 तब पुरोहित उस आवास को शुद्ध करने के लिए दो पक्षी, देवदार की लकड़ी, जूफ़ा और लाल डोरी लेकर,
৪৯পরে সে ঐ গৃহ শুচি করার জন্যে দুটি পাখি, এরসকাঠ, লাল রঙয়ের লোম ও এসোব নেবে
50 एक पक्षी को बहते हुए जल पर मिट्टी के एक पात्र में बलि करे.
৫০এবং মাটির পাত্রে বিশুদ্ধ জলের ওপরে একটি পাখি হত্যা করবে।
51 इसके बाद वह उस जीवित पक्षी के साथ देवदार की लकड़ी, जूफ़ा और लाल डोरी को उस बलि किए हुए पक्षी के रक्त तथा बहते हुए जल में डुबाकर उस घर पर सात बार छिड़के.
৫১পরে সে ঐ এরসকাঠ, এসোব, লাল রঙয়ের লোম ও জীবিত পাখি, এই সব নিয়ে নিহত পাখির রক্তে ও বিশুদ্ধ জলে ডুবিয়ে সাত বার গৃহে ছিটিয়ে দেবে।
52 इस प्रकार वह उस घर का शुद्धीकरण उस पक्षी के लहू तथा बहते हुए जल के साथ साथ देवदार की लकड़ी, जूफ़ा तथा लाल डोरी के साथ करे.
৫২এইরূপে পাখির রক্ত, বিশুদ্ধ জল, জীবিত পাখি, এরসকাঠ, এসোব ও লাল রঙয়ের লোম, এই সবের দ্বারা সেই গৃহ শুচি করবে।
53 फिर वह उस जीवित पक्षी को नगर के बाहर खुले मैदान में छोड़ दे. इस प्रकार वह उस घर के लिए प्रायश्चित पूरा करे और वह आवास शुद्ध हो जाएगा.”
৫৩পরে ঐ জীবিত পাখিকে শহরের বাইরে মাঠের দিকে ছেড়ে দেবে এবং গৃহের জন্য প্রায়শ্চিত্ত করবে; তাতে তা শুচি হবে।
54 किसी भी प्रकार के कोढ़ के रोग के लिए यही विधि है; सेहुंआ के लिए,
৫৪এই ব্যবস্থা সর্বপ্রকার কুষ্ঠরোগের,
55 कोढ़ से संक्रमित वस्त्र अथवा घर के लिए,
৫৫শ্বিত্ররোগের, পোশাকে অবস্থিত কুষ্ঠের ও গৃহের
56 सूजन के लिए, पपड़ी के लिए अथवा किसी भी प्रकार के चमकदार धब्बे के लिए;
৫৬এবং শোথ, ফুসকুড়ি ও স্বেতির দাগের;
57 उन पर यह प्रकट हो जाए कि क्या अशुद्ध है अथवा क्या शुद्ध. कोढ़ रोग के लिए यही विधि है.
৫৭এই সব কোন দিনের অশুচি ও কোন্ দিনের শুচী, তা জানাবার জন্য; কুষ্ঠরোগের এই ব্যবস্থা।”

< लैव्यव्यवस्था 14 >