< विलापगीत 1 >
1 कैसी अकेली रह गई है, यह नगरी जिसमें कभी मनुष्यों का बाहुल्य हुआ करता था! कैसा विधवा के सदृश स्वरूप हो गया है इसका, जो राष्ट्रों में सर्वोत्कृष्ट हुआ करती थी! जो कभी प्रदेशों के मध्य राजकुमारी थी आज बंदी बन चुकी है.
[Aleph.] Comment est-il arrivé que la ville si peuplée se trouve si solitaire? que celle qui était grande entre les nations est devenue comme veuve? que celle qui était Dame entre les Provinces a été rendue tributaire?
2 रात्रि में बिलख-बिलखकर रोती रहती है, अश्रु उसके गालों पर सूखते ही नहीं. उसके अनेक-अनेक प्रेमियों में अब उसे सांत्वना देने के लिए कोई भी शेष न रहा. उसके सभी मित्रों ने उससे छल किया है; वस्तुतः वे तो अब उसके शत्रु बन बैठे हैं.
[Beth.] Elle ne cesse de pleurer pendant la nuit, et ses larmes sont sur ses joues; il n'y a pas un de tous ses amis qui la console; ses intimes amis ont agi perfidement contre elle, ils sont devenus ses ennemis.
3 यहूदिया के निर्वासन का कारण था उसकी पीड़ा तथा उसका कठोर दासत्व. अब वह अन्य राष्ट्रों के मध्य में ही है; किंतु उसके लिए अब कोई विश्राम स्थल शेष न रह गया; उसकी पीड़ा ही की स्थिति में वे जो उसका पीछा कर रहे थे, उन्होंने उसे जा पकड़ा.
[Guimel.] La Judée a été emmenée captive tant elle est affligée, et tant est grande sa servitude; elle demeure maintenant entre les nations, et ne trouve point de repos; tous ses persécuteurs l'ont attrapée entre ses détroits.
4 ज़ियोन के मार्ग विलाप के हैं, निर्धारित उत्सवों के लिए कोई भी नहीं पहुंच रहा. समस्त नगर प्रवेश द्वार सुनसान हैं, पुरोहित कराह रहे हैं, नवयुवतियों को घसीटा गया है, नगरी का कष्ट दारुण है.
[Daleth.] Les chemins de Sion mènent deuil de ce qu'il n'y a plus personne qui vienne aux fêtes solennelles; toutes ses portes sont désolées, ses Sacrificateurs sanglotent, ses vierges sont accablées de tristesse; elle est remplie d'amertume.
5 आज उसके शत्रु ही अध्यक्ष बने बैठे हैं; आज समृद्धि उसके शत्रुओं के पक्ष में है. क्योंकि याहवेह ने ही उसे पीड़ित किया है. क्योंकि उसके अपराध असंख्य थे. उसके बालक उसके देखते-देखते ही शत्रु द्वारा बंधुआई में ले जाए गए हैं.
[He.] Ses adversaires ont été établis pour chefs, ses ennemis ont prospéré; car l'Eternel l'a plongée dans l'affliction à cause de la multitude de ses crimes, ses petits enfants ont marché captifs devant l'adversaire;
6 ज़ियोन की पुत्री से उसके वैभव ने विदा ले ली है. उसके अधिकारी अब उस हिरण-सदृश हो गए हैं, जिसे चरागाह ही प्राप्त नहीं हो रहा; वे उनके समक्ष, जो उनका पीछा कर रहे हैं, बलहीन होकर भाग रहे हैं.
[Vau.] Et tout l'honneur de la fille de Sion s'est retiré d'elle; ses principaux sont devenus semblables à des cerfs qui ne trouvent point de pâture, et ils ont marché destitués de force, devant celui qui [les] poursuivait.
7 अब इन पीड़ा के दिनों में, इन भटकाने के दिनों में येरूशलेम को स्मरण आ रहा है वह युग, जब वह अमूल्य वस्तुओं की स्वामिनी थी. जब उसके नागरिक शत्रुओं के अधिकार में जा पड़े, जब सहायता के लिए कोई भी न रह गया. उसके शत्रु बड़े ही संतोष के भाव में उसे निहार रहे हैं, वस्तुतः वे उसके पतन का उपहास कर रहे हैं.
[Zajin.] Jérusalem dans les jours de son affliction et de son pauvre état s’est souvenue de toutes ses choses désirables qu’elle avait depuis si longtemps, lorsque son peuple est tombé par la main de l’ennemi, sans qu’aucun la secourût; les ennemis l’ont vue, et se sont moqués de ses sabbats.
8 येरूशलेम ने घोर पाप किया है परिणामस्वरूप वह अशुद्ध हो गई. उन सबको उससे घृणा हो गई, जिनके लिए वह सामान्य थी, क्योंकि वे उसकी निर्लज्जता के प्रत्यक्षदर्शी हैं; वस्तुतः अब तो वही कराहते हुए अपना मुख फेर रही है.
[Heth.] Jérusalem a grièvement péché; c'est pourquoi on a branlé la tête contre elle; tous ceux qui l'honoraient l'ont méprisée, parce qu'ils ont vu son ignominie; elle en a aussi sangloté, et s'est retournée en arrière.
9 उसकी गंदगी तो उसके वस्त्रों में थी; उसने अपने भविष्य का कोई ध्यान न रखा. इसलिये उसका पतन ऐसा घोर है; अब किसी से भी उसे सांत्वना प्राप्त नहीं हो रही. “याहवेह, मेरी पीड़ा पर दृष्टि कीजिए, क्योंकि जय शत्रु की हुई है.”
[Teth.] Sa souillure était dans les pans de sa robe, [et] elle ne s'est point souvenue de sa fin; elle a été extraordinairement abaissée, et elle n'a point de consolateur. Regarde, ô Eternel! mon affliction, car l'ennemi s'est élevé [avec orgueil].
10 शत्रु ने अपनी भुजाएं उसके समस्त गौरव की ओर विस्तीर्ण कर रखी है; उसके देखते-देखते जनताओं ने उसके पवित्र स्थान में बलात प्रवेश कर लिया है, उस पवित्र स्थान में, जहां प्रवेश आपकी सभा तक के लिए वर्जित था.
[Jod.] L'ennemi a étendu sa main sur toutes ses choses désirables; car elle a vu entrer dans son Sanctuaire les nations au sujet desquelles tu avais donné cet ordre: Elles n'entreront point dans ton assemblée.
11 उसके सभी नागरिक कराहते हुए भोजन की खोज कर रहे हैं; वे अपनी मूल्यवान वस्तुओं का विनिमय भोजन के लिए कर रहे हैं, कि उनमें शक्ति का संचार हो सके. “याहवेह, देखिए, ध्यान से देखिए, क्योंकि मैं घृणा का पात्र हो चुकी हूं.”
[Caph.] Tout son peuple sanglote, cherchant du pain; ils ont donné leurs choses désirables pour des aliments, afin de se faire revenir le cœur; regarde, ô Eternel! et contemple; car je suis devenue méprisée.
12 “तुम सभी के लिए, जो इस मार्ग से होकर निकल जाते हो, क्या यह तुम्हारे लिए कुछ भी नहीं? खोज करके देख लो. कि कहीं भी क्या मुझ पर आई वेदना जैसी देखी गई है, मुझे दी गई वह दारुण वेदना, जो याहवेह ने अपने उग्र कोप के दिन मुझ पर प्रभावी कर दी है?
[Lamed.] Cela ne vous touche-t-il point? Vous tous passants, contemplez, et voyez s'il y a une douleur, comme ma douleur, qui m'a été faite, à moi que l'Eternel a accablée de douleur au jour de l'ardeur de sa colère.
13 “उच्च स्थान से याहवेह ने मेरी अस्थियों में अग्नि लगा दी, यह अग्नि उन पर प्रबल रही. मेरे पैरों के लिए याहवेह ने जाल बिछा दिया और उन्होंने मुझे लौटा दिया. उन्होंने मुझे सारे दिन के लिए, निर्जन एवं मनोबल विहीन कर दिया है.
[Mem.] Il a envoyé d'en haut le feu dans mes os, lequel les a tous gagnés; il a tendu un rets à mes pieds, et m'a fait aller en arrière; il m'a rendue désolée [et] languissante pendant tout le jour.
14 “मेरे अपराध मुझ पर ही जूआ बना दिए गए हैं; उन्हें तो याहवेह ने गूंध दिया है. वे मेरे गले पर आ पड़े हैं, मेरे बल को उन्होंने विफल कर दिया है. याहवेह ने मुझे उनके अधीन कर दिया है, मैं जिनका सामना करने में असमर्थ हूं.
[Nun.] Le joug de mes iniquités est tenu serré par sa main; ils sont entortillés, [et] appliqués sur mon cou; il a fait déchoir ma force; le Seigneur m’a livrée entre les mains [de ceux] dont je ne pourrai point me relever.
15 “प्रभु ने मेरे सभी शूर योद्धाओं को अयोग्य घोषित कर दिया है; जो हमारी सेना के अंग थे, उन्होंने मेरे विरुद्ध एक ऐसा दिन निर्धारित कर दिया है जब वह मेरे युवाओं को कुचल देंगे. प्रभु ने यहूदिया की कुंवारी कन्या को ऐसे कुचल दिया है, जैसे रसकुंड में द्राक्षा कुचली जाती है.
[Samech.] Le Seigneur a abattu tous les [hommes] forts que j'avais au milieu de moi; il a appelé contre moi ses gens assignés, pour mettre en pièces mes gens d'élite. Le Seigneur a tiré le pressoir sur la vierge de la fille de Juda.
16 “यही सब मेरे रोने का कारण हैं और मेरे नेत्रों से हो रहा अश्रुपात बहता है. क्योंकि मुझसे अत्यंत दूर है सांत्वना देनेवाला, जिसमें मुझमें नवजीवन संचार करने की क्षमता है. मेरे बालक अब निस्सहाय रह गए हैं, क्योंकि शत्रु प्रबल हो गया है.”
[Hajin.] A cause de ces choses je pleure, [et] mon œil, mon œil se fond en eau; car le consolateur qui me faisait revenir le cœur est loin de moi; mes enfants sont désolés, parce que l'ennemi a été le plus fort.
17 ज़ियोन ने अपने हाथ फैलाए हैं, कोई भी नहीं, जो उसे सांत्वना दे सके. याकोब के संबंध में याहवेह का आदेश प्रसारित हो चुका है, कि वे सभी जो याकोब के आस-पास बने रहते हैं, वस्तुतः वे उसके शत्रु हैं; उनके मध्य अब येरूशलेम एक घृणित वस्तु होकर रह गया है.
[Pe.] Sion se déchire de ses mains, et personne ne la console; l'Eternel a mandé contre Jacob ses ennemis à l'entour de lui; Jérusalem est devenue entre eux, comme une femme séparée à cause de sa souillure.
18 “याहवेह सच्चा हैं, फिर भी विद्रोह तो मैंने उनके आदेश के विरुद्ध किया है. अब सभी लोग यह सुन लें; तथा मेरी इस वेदना को देख लें. मेरे युवक एवं युवतियां बंधुआई में जा चुके हैं.
[Tsadi.] L'Eternel est juste, car je me suis rebellée contre son commandement. Ecoutez, je vous prie, vous tous peuples, et regardez ma douleur; mes vierges et mes gens d'élite sont allés en captivité.
19 “मैंने अपने प्रेमियों को पुकारा, किंतु उन्होंने मुझे धोखा दे दिया. मेरे पुरोहित एवं मेरे पूर्वज नगर में ही नष्ट हो चुके हैं, जब वे स्वयं अपनी खोई शक्ति की पुनःप्राप्ति के उद्देश्य से भोजन खोज रहे थे.
[Koph.] J'ai appelé mes amis, mais ils m'ont trompée. Mes Sacrificateurs, et mes Anciens sont morts dans la ville; car ils ont cherché à manger pour eux, afin de se faire revenir le cœur.
20 “याहवेह, मेरी ओर दृष्टि कीजिए! क्योंकि मैं पीड़ा में डूबी हुई हूं, अत्यंत प्रचंड है मेरी आत्मा की वेदना, अपने इस विकट विद्रोह के कारण मेरे अंतर में मेरा हृदय अत्यंत व्यग्र है. बाहर तो तलवार संहार में सक्रिय है; यहां आवास में मानो मृत्यु व्याप्त है.
[Resch.] Regarde, ô Eternel! car je suis dans la détresse; mes entrailles bruient, mon cœur palpite au dedans de moi, parce que je n'ai fait qu'être rebelle; au dehors l’épée m’a privée d’enfants; au dedans il y a comme la mort.
21 “उन्होंने मेरी कराहट सुन ली है, कोई न रहा जो मुझे सांत्वना दे सके. मेरे समस्त शत्रुओं तक मेरे इस विनाश का समाचार पहुंच चुका है; आपने जो किया है, उस पर वे आनंद मनाते हैं. उत्तम तो यह होता कि आप उस दिन का सूत्रपात कर देते जिसकी आप पूर्वघोषणा कर चुके हैं, कि मेरे शत्रु मेरे सदृश हो जाते.
[Scin.] On m'a ouïe sangloter, [et] je n'ai personne qui me console; tous mes ennemis ont appris mon malheur, et s’en sont réjouis, parce que tu l’as fait; tu amèneras le jour que tu as assigné, et ils seront dans mon état.
22 “उनकी समस्त दुष्कृति आपके समक्ष प्रकट हो जाए; आप उनके साथ वही व्यवहार करें, जैसा आपने मेरे साथ किया है मेरे समस्त अपराध के परिणामस्वरूप. गहन है मेरी कराहट तथा शून्य रह गया है मेरा मनोबल.”
[Thau.] Que toute leur malice vienne en ta présence, et fais-leur comme tu m'as fait à cause de tous mes péchés; car mes sanglots sont en grand nombre, et mon cœur est languissant.