< उत्पत्ति 42 >

1 जब याकोब को यह पता चला कि मिस्र देश में अन्‍न मिल रहा है, तो उन्होंने अपने बेटों से कहा, “क्यों एक दूसरे का मुख ताक रहे हो?
And when Jacob saw that there was corn in Egypt, Jacob said unto his sons, Why do ye look at one another?
2 मिस्र देश में अन्‍न मिल रहा है. जाओ और वहां से अन्‍न खरीद कर लाओ, कि हम जीवित रह सकें.”
And he said, Behold, I have heard that there is corn in Egypt; get you down thither, and buy for us provision from there, that we may live, and not die.
3 तब योसेफ़ के दस भाई अन्‍न खरीदने मिस्र देश आये.
And ten brothers of Joseph went down to buy corn in Egypt,
4 किंतु याकोब ने योसेफ़ के भाई बिन्यामिन को नहीं भेजा क्योंकि उन्हें यह डर था कि कहीं उस पर कोई कष्ट न आ पड़े.
But Benjamin, Joseph's brother, Jacob sent not with his brothers; for he said, Lest mischief befall him.
5 इसलिये इस्राएल के पुत्र अन्‍न खरीदने मिस्र पहुंचे, क्योंकि कनान देश में भी अकाल था.
And the sons of Israel came to buy corn among those that came; for the famine was in the land of Canaan.
6 योसेफ़ मिस्र देश के प्रशासक थे. वही पूरे राष्ट्र को अन्‍न बेचते थे. योसेफ़ के भाई वहां पहुंचे और उनको प्रणाम किया और उनका मुह ज़मीन की ओर था.
And Joseph—he was the governor over the land, it was he that sold corn to all the people of the land; and Joseph's brothers came, and bowed themselves down before him with the face to the earth.
7 योसेफ़ अपने भाइयों को देखते ही पहचान गए; लेकिन अनजान बनकर वह अपने भाइयों से कठोरता से बात कर रहे थे. योसेफ़ ने उनसे पूछा, “तुम लोग कहां से आए हो?” उन्होंने कहा, “कनान देश से, अन्‍न खरीदने के लिए आए हैं.”
And Joseph saw his brothers, and he recognized them; but made himself strange unto them and spoke roughly unto them; and he said unto them, Whence come ye? And they said, From the land of Canaan to buy food.
8 योसेफ़ ने तो अपने भाइयों को पहचान लिया था, किंतु भाइयों ने उन्हें नहीं पहचाना था.
And Joseph recognized his brothers, but they recognized not him.
9 तब योसेफ़ को अपने स्वप्न याद आये, जो उन्होंने उनके विषय में देखे थे. उन्होंने अपने भाइयों से कहा, “तुम लोग भेदिए हो और तुम यहां हमारे देश की दुर्दशा देखने आए हो.”
And Joseph remembered the dreams which he had dreamed concerning them, and he said unto them, Ye are spies; to see the nakedness of the land are ye come.
10 उन्होंने कहा, “नहीं, अधिपति महोदय, आपके ये सेवक अन्‍न खरीदने यहां आए हैं.
And they said unto him, No, my lord, thy servants are only come to buy food.
11 हम सभी एक ही पिता की संतान हैं. हम, सीधे और सच्चे लोग हैं, कोई जासूस नहीं.”
We are all sons of one man; we are true men; thy servants have never been spies.
12 योसेफ़ ने फिर भी उनसे कहा, “मैं नहीं मान सकता. तुम लोग अवश्य हमारे देश की दुर्दशा देखने आए हो!”
And he said unto them, No! but to see the nakedness of the land are ye come.
13 किंतु वे बार-बार कहते रहे, “आपके ये सेवक बारह भाई हैं, जो एक ही पिता की संतान हैं, हम कनान के रहनेवाले हैं. हमारा छोटा भाई हमारे पिता के साथ ही है. हमारा एक भाई अब जीवित नहीं है.”
And they said, We, thy servants, are twelve brothers, sons of one man in the land of Canaan; and, behold, the youngest is this day with our father, and one is no more.
14 योसेफ़ ने उनसे कहा, “कुछ भी हो, मैं जानता हूं कि तुम लोग जासूस ही हो!
And Joseph said unto them, It is as I have spoken unto you, saying, Ye are spies;
15 अब तुम्हें जांचने का एक ही तरीका हैं: फ़रोह के जीवन की शपथ, तुम्हारे छोटे भाई को यहां आना होगा.
Hereby shall ye be proved: By the life of Pharaoh, ye shall not go forth hence, except your youngest brother come hither.
16 तुममें से कोई जाकर अपने भाई को यहां लेकर आओ; फ़रोह की शपथ, तब तक तुम सभी बंदी बनकर यहीं रहोगे, और तुमने कितना सच कहा है वह पता चल जायेगा.”
Send one of you, and let him fetch your brother, and ye shall be kept in prison, that your words may be proved, whether the truth be with you; and if not, by the life of Pharaoh, ye are surely spies.
17 तब योसेफ़ ने उन्हें तीन दिन के लिए बंदीगृह में डाल दिया.
And he put them together into ward three days.
18 तीसरे दिन योसेफ़ ने उनसे कहा, “यदि जीवित रहना चाहते हो, तो तुम्हें यह करना होगा; क्योंकि मुझमें परमेश्वर का भय है:
And Joseph said unto them on the third day, This do, and live; I fear God.
19 यदि तुम सच्चे हो, तो तुममें से एक भाई कारागार में रहे और बाकी तुम लोग वापस घर जाओ और अपने परिवार को अकाल से बचाने के लिए अन्‍न ले जाओ.
If ye be true men, let one of your brothers remain imprisoned in the house of your confinement; but ye, go, carry home what you have bought for the want of your household.
20 और अपने छोटे भाई को यहां लेकर आना, ताकि वह तुम्हारे शब्दों को साबित कर सके और तुम्हारी मृत्यु न हो!” उन्होंने इस बात को माना.
But your youngest brother bring unto me; so shall your words be verified, and ye shall not die. And they did so.
21 तब वे आपस में बात करने लगे, “हम अपने भाई के प्रति दोषी हैं, क्योंकि जब वह हमसे लगातार दया मांगी, और उसके प्राणों की वेदना दिख रही थी, किंतु हमने ही अपना मन कठोर बना लिया था. यही कारण कि आज हम पर यह कष्ट आ पड़ा है.”
And they said to one another, Truly we are guilty concerning our brother, in that we saw the anguish of his soul, when he besought us, and we would not hear; therefore is this distress come upon us.
22 रियूबेन ने कहा, “क्या मैं नहीं कह रहा था, लड़के के विरुद्ध कोई अपराध मत करो? तुमने मेरी बात न सुनी. अब समय आ गया है; उसकी हत्या का बदला पाने का.”
And Reuben answered them, saying, Did I not say unto you, thus, Do not sin against the child; and ye would not hear? and behold, his blood also is now required.
23 उन्हें मालूम नहीं पड़ा कि योसेफ़ उनकी बात को समझ रहे थे.
And they knew not that Joseph understood them; for he spoke unto them by an interpreter.
24 योसेफ़ उनके सामने से अलग जाकर रोने लगे; फिर वापस आकर उन्होंने उन्हीं के सामने शिमओन को पकड़ा और बांध दिया.
And he turned himself away from them, and wept; and returned to them again, and spoke with them, and took from them Simeon, and bound him before their eyes.
25 फिर योसेफ़ ने आदेश दिया कि उनके बोरों को अन्‍न से भर दिया जाए और जो दाम दिया है, वह भी उसी के बोरे में रख दिया जाए. और योसेफ़ ने कहा कि उनकी यात्रा के लिए आवश्यक सामान भी उन्हें दे दिया जाए.
And Joseph commanded to fill their sacks with corn, and to restore every man's money into his sack, and to give them provision for the way; and he did unto them thus.
26 तब भाइयों ने अपने-अपने गधों पर अन्‍न के बोरे रखे और वहां से चल पड़े.
And they loaded their asses with their corn, and departed thence.
27 जब रास्ते में गधे को चारा देने के उद्देश्य से उनमें से एक ने बोरा खोला, तो उसे वही रुपया दिखा जिसे उसने उन्हें दिया था.
And one of them opened his sack to give his ass provender in the inn: when he espied his money, for, behold, it was in the mouth of his sack.
28 यह उसने अपने भाइयों को बताया, “मैंने जो रुपया दिया था वह मेरे बोरे में मिला है.” वे सभी आश्चर्य करने लगे. और कांपने लगे तथा एक दूसरे की ओर देखते हुए कहने लगे, “परमेश्वर ने हमारे साथ यह क्या कर दिया है?”
And he said unto his brothers, My money hath been restored; and, lo, it is even in my sack: and their heart failed them, and they were afraid, saying one to another, What is this that God hath done unto us?
29 जब वे कनान देश में अपने पिता याकोब के पास पहुंचे, तब उन्होंने अपने पिता को पूरी घटना बताई.
And they came unto Jacob their father unto the land of Canaan, and they told him all that had befallen them; saying,
30 और कहा, “उस देश का अधिपति हमसे कठोर होकर बात कर रहा था. उसने हमें अपने देश का जासूस समझा.
The man, the lord of the land, spoke roughly to us, and took us as though we were espying the country.
31 हमने उन्हें समझाया, ‘हम सच्चे लोग हैं; जासूस नहीं.
And we said unto him, We are true men; we have never been spies:
32 और बताया कि हम बारह भाई हैं, एक ही पिता की संतान. एक भाई अब जीवित नहीं रहा, तथा हमारा छोटा भाई पिता के साथ कनान देश में ही है.’
We are twelve brothers, sons of our father; the one is no more, and the youngest is this day with our father in the land of Canaan.
33 “उस देश के अधिपति ने हमसे कहा, ‘तुम्हारी सच्चाई तब प्रकट होगी जब तुम अपने भाइयों में से एक को मेरे पास छोड़कर जाओगे; और अब अकाल में अपने परिवारों के लिए अन्‍न लेकर जाओ.
And the man, the lord of the country, said unto us, Hereby shall I know that ye are true men: leave one of your brothers here with me, and [the food for] the want of your households take ye and be gone;
34 जब तुम अपने छोटे भाई को मेरे पास लाओगे, तब मालूम पड़ेगा कि तुम जासूस नहीं हो, फिर मैं तुम्हारे भाई को छोड़ दूंगा और तुम इस देश में व्यापार कर सकोगे.’”
And bring your youngest brother unto me; then shall I know that ye are no spies, but that ye are true men; your brother I will give up to you, and in the land ye shall be allowed to traffic.
35 जब वे अपने-अपने बोरे खाली कर रहे थे, उन सभी ने देखा कि सबके बोरों में उनके रुपये की थैलियां रखी हुई है! जब उन्होंने तथा उनके पिता ने रुपये की थैली देखी, तब वे डर गए.
And it came to pass as they were emptying their sacks, that, behold, every man's bundle of money was in his sack: and when they saw the bundles of their money, they and their father, they were afraid.
36 उनके पिता याकोब ने उनसे कहा, “तुम लोगों ने तो मुझसे मेरी संतान ही छीन ली है. योसेफ़ नहीं रहा और अब तुम लोग बिन्यामिन को ले जा रहे हो. यह सब मेरे विरुद्ध ही हो रहा है!”
And Jacob their father said unto them, Me ye have bereaved of my children: Joseph is gone, and Simeon is gone, and Benjamin ye will take away; all these things are against me.
37 रियूबेन ने अपने पिता को यह आश्वासन दिया, “अगर मैं बिन्यामिन को यहां वापस न लाऊं, तो आप मेरे दोनों पुत्रों की हत्या कर देना. आप बिन्यामिन को मेरे हाथों में सौंप दीजिए, मैं उसे वापस लाऊंगा.”
And Reuben said unto his father, thus, Two of my sons shalt thou slay, if I bring him not to thee; deliver him into my hand, and I will bring him back to thee.
38 किंतु याकोब कहते रहे, “मेरा पुत्र तुम्हारे साथ न जाएगा; क्योंकि उसके भाई की मृत्यु हो ही चुकी है, इसलिये वह अकेला ही रह गया है. यदि इस यात्रा में उसके साथ कुछ अनर्थ हुआ तो तुम इस बुढ़ापे में मुझे घोर वेदना के साथ कब्र में नीचे उतारोगे.” (Sheol h7585)
And he said, My son shall not go down with you; for his brother is dead, and he alone is left: and if mischief befall him by the way in which ye go, then will ye bring down my gray hairs with sorrow to the grave. (Sheol h7585)

< उत्पत्ति 42 >