< गलातियों 5 >
1 इसी स्वतंत्रता में बने रहने के लिए मसीह ने हमें स्वतंत्र किया है. इसलिये स्थिर रहो और दोबारा दासत्व के जूए में न जुतो.
Stand fast, and be not held again under the yoke of bondage.
2 यह समझ लो! मैं, पौलॉस, तुम्हें बताना चाहता हूं कि यदि तुम ख़तना के पक्ष में निर्णय लेते हो तो तुम्हारे लिए मसीह की कोई उपयोगिता न रह जायेगी.
Behold, I Paul tell you, that if you be circumcised, Christ shall profit you nothing.
3 मैं ख़तना के हर एक समर्थक से दोबारा कहना चाहता हूं कि वह सारी व्यवस्था का पालन करने के लिए मजबूर है.
And I testify again to every man circumcising himself, that he is a debtor to the whole law.
4 तुम, जो धर्मी ठहराए जाने के लिए व्यवस्था पर निर्भर रहना चाहते हो, मसीह से अलग हो गए हो और अनुग्रह से तुम गिर चुके हो.
You are made void of Christ, you who are justified in the law: you are fallen from grace.
5 किंतु हम पवित्र आत्मा के द्वारा विश्वास से धार्मिकता की आशा की बाट जोहते हैं.
For we in spirit, by faith, wait for the hope of justice.
6 ख़तनित होना या न होना मसीह येशु में किसी महत्व का नहीं है; महत्व है सिर्फ विश्वास का जिसका प्रभाव दिखता है प्रेम में.
For in Christ Jesus neither circumcision availeth any thing, nor uncircumcision: but faith that worketh by charity.
7 दौड़ में बहुत बढ़िया था तुम्हारा विकास. कौन बन गया तुम्हारे सच्चाई पर चलने में रुकावट?
You did run well, who hath hindered you, that you should not obey the truth?
8 यह उकसावा उनकी ओर से नहीं है, जिन्होंने तुम्हें बुलाया.
This persuasion is not from him that calleth you.
9 “थोड़ा-सा खमीर सारे आटे को खमीर कर देता है.”
A little leaven corrupteth the whole lump.
10 प्रभु में मुझे तुम पर भरोसा है कि तुम किसी अन्य विचार को स्वीकार न करोगे. जो भी तुम्हें भरमाएगा व डांवा-डोल करेगा, वह दंड भोगेगा, चाहे वह कोई भी क्यों न हो.
I have confidence in you in the Lord: that you will not be of another mind: but he that troubleth you, shall bear the judgment, whosoever he be.
11 प्रिय भाई बहनो, यदि मैं अब तक ख़तना का प्रचार कर रहा हूं तो मुझ पर यह सताना क्यों? इस स्थिति में तो क्रूस के प्रति विरोध समाप्त हो गया होता.
And I, brethren, if I yet preach circumcision, why do I yet suffer persecution? Then is the scandal of the cross made void.
12 उत्तम तो यही होता कि वे, जो तुम्हें डांवा-डोल कर रहे हैं, स्वयं को नपुंसक बना लेते!
I would they were even cut off, who trouble you.
13 प्रिय भाई बहनो, तुम्हारा बुलावा स्वतंत्रता के लिए किया गया है. अपनी स्वतंत्रता को अपनी शारीरिक इच्छाओं की पूर्ति का सुअवसर मत बनाओ परंतु प्रेमपूर्वक एक दूसरे की सेवा करो.
For you, brethren, have been called unto liberty: only make not liberty an occasion to the flesh, but by charity of the spirit serve one another.
14 क्योंकि सारी व्यवस्था का सार सिर्फ एक वाक्य में छिपा हुआ है: “जैसे तुम स्वयं से प्रेम करते हो, वैसे ही अपने पड़ोसी से भी प्रेम करो.”
For all the law is fulfilled in one word: Thou shalt love thy neighbour as thyself.
15 यदि तुम एक दूसरे को हिंसक पशुओं की भांति काटते-फाड़ते रहे, तो सावधान! कहीं तुम्हीं एक दूसरे का नाश न कर बैठो.
But if you bite and devour one another; take heed you be not consumed one of another.
16 मेरी सलाह यह है, तुम्हारा स्वभाव आत्मा से प्रेरित हो, तब तुम किसी भी प्रकार से शारीरिक लालसाओं की पूर्ति नहीं करोगे.
I say then, walk in the spirit, and you shall not fulfill the lusts of the flesh.
17 शरीर आत्मा के विरुद्ध और आत्मा शरीर के विरुद्ध लालसा करता है. ये आपस में विरोधी हैं कि तुम वह न कर सको, जो तुम करना चाहते हो.
For the flesh lusteth against the spirit: and the spirit against the flesh; for these are contrary one to another: so that you do not the things that you would.
18 यदि तुम पवित्र आत्मा द्वारा चलाए चलते हो तो तुम व्यवस्था के अधीन नहीं हो.
But if you are led by the spirit, you are not under the law.
19 शरीर द्वारा उत्पन्न काम स्पष्ट हैं: वेश्यागामी, अशुद्धता, भ्रष्टाचार,
Now the works of the flesh are manifest, which are fornication, uncleanness, immodesty, luxury,
20 मूर्ति पूजा, जादू-टोना, शत्रुता, झगड़ा, जलन, क्रोध, स्वार्थ, मतभेद, विधर्म;
Idolatry, witchcrafts, enmities, contentions, emulations, wraths, quarrels, dissensions, sects,
21 डाह, मतवालापन, लीला-क्रीड़ा तथा इनके समान अन्य, जिनके विषय में मैं तुम्हें चेतावनी दे रहा हूं कि जिनका स्वभाव इस प्रकार का है, वे मेरी पूर्व चेतावनी के अनुरूप परमेश्वर के राज्य के वारिस नहीं होंगे.
Envies, murders, drunkenness, revellings, and such like. Of the which I foretell you, as I have foretold to you, that they who do such things shall not obtain the kingdom of God.
22 परंतु आत्मा का फल है प्रेम, आनंद, शांति, धीरज, दया, उदारता, विश्वस्तता,
But the fruit of the Spirit is, charity, joy, peace, patience, benignity, goodness, longanimity,
23 विनम्रता तथा आत्मसंयम; कोई भी विधान इनके विरुद्ध नहीं है.
Mildness, faith, modesty, continency, chastity. Against such there is no law.
24 जो मसीह येशु के हैं, उन्होंने शरीर को उसकी वासनाओं और अभिलाषाओं सहित क्रूस पर चढ़ा दिया है.
And they that are Christ’s, have crucified their flesh, with the vices and concupiscences.
25 अब, जबकि हमने पवित्र आत्मा द्वारा जीवन प्राप्त किया है, हमारा स्वभाव भी आत्मा से प्रेरित हो.
If we live in the Spirit, let us also walk in the Spirit.
26 न हम घमंडी बनें, न एक दूसरे को उकसाएं और न ही आपस में द्वेष रखें.
Let us not be made desirous of vain glory, provoking one another, envying on another.