< सभोपदेशक 9 >

1 मैंने सभी कामों में अपना मन लगाया और यह मतलब निकाला कि धर्मी, बुद्धिमान और उनके सारे काम परमेश्वर के हाथ में हैं. मनुष्य को यह मालूम नहीं होता कि उसके सामने क्या होगा; प्रेम या नफ़रत.
כִּ֣י אֶת־כָּל־זֶ֞ה נָתַ֤תִּי אֶל־לִבִּי֙ וְלָב֣וּר אֶת־כָּל־זֶ֔ה אֲשֶׁ֨ר הַצַּדִּיקִ֧ים וְהַחֲכָמִ֛ים וַעֲבָדֵיהֶ֖ם בְּיַ֣ד הָאֱלֹהִ֑ים גַּֽם־אַהֲבָ֣ה גַם־שִׂנְאָ֗ה אֵ֤ין יוֹדֵ֙עַ֙ הָֽאָדָ֔ם הַכֹּ֖ל לִפְנֵיהֶֽם׃
2 यह सभी के लिए बराबर है. धर्मी और दुष्ट, भले और बुरे, शुद्ध और अशुद्ध, जो बलि चढ़ाता है और जो बलि नहीं चढ़ाता, सभी का अंत एक समान है. जिस तरह एक भला व्यक्ति है, उसी तरह एक पापी भी है; और जिस तरह एक शपथ खानेवाला है, उसी तरह वह व्यक्ति है जिसके सामने शपथ खाना भय की बात है.
הַכֹּ֞ל כַּאֲשֶׁ֣ר לַכֹּ֗ל מִקְרֶ֨ה אֶחָ֜ד לַצַּדִּ֤יק וְלָרָשָׁע֙ לַטּוֹב֙ וְלַטָּה֣וֹר וְלַטָּמֵ֔א וְלַזֹּבֵ֔חַ וְלַאֲשֶׁ֖ר אֵינֶ֣נּוּ זֹבֵ֑חַ כַּטּוֹב֙ כַּֽחֹטֶ֔א הַנִּשְׁבָּ֕ע כַּאֲשֶׁ֖ר שְׁבוּעָ֥ה יָרֵֽא׃
3 सूरज के नीचे किए जा रहे हर एक काम में मैंने यही बुराई देखी कि सभी मनुष्यों का एक ही अंत है. मनुष्यों के हृदय बुराई से भरे हैं और उनके पूरे जीवन में पागलपन उनके हृदयों में भरा रहता है. इसके बाद उनकी मृत्यु हो जाती है.
זֶ֣ה ׀ רָ֗ע בְּכֹ֤ל אֲשֶֽׁר־נַעֲשָׂה֙ תַּ֣חַת הַשֶּׁ֔מֶשׁ כִּֽי־מִקְרֶ֥ה אֶחָ֖ד לַכֹּ֑ל וְגַ֣ם לֵ֣ב בְּֽנֵי־הָ֠אָדָם מָלֵא־רָ֨ע וְהוֹלֵל֤וֹת בִּלְבָבָם֙ בְּחַיֵּיהֶ֔ם וְאַחֲרָ֖יו אֶל־הַמֵּתִֽים׃
4 जो जीवित है उसके लिए आशा है क्योंकि निश्चय ही मरे हुए शेर से जीवित कुत्ता ज्यादा अच्छा है.
כִּי־מִי֙ אֲשֶׁ֣ר יבחר אֶ֥ל כָּל־הַחַיִּ֖ים יֵ֣שׁ בִּטָּח֑וֹן כִּֽי־לְכֶ֤לֶב חַי֙ ה֣וּא ט֔וֹב מִן־הָאַרְיֵ֖ה הַמֵּֽת׃
5 जीवितों को यह मालूम होता है कि उनकी मृत्यु ज़रूर होगी, मगर मरे हुओं को कुछ भी मालूम नहीं होता; उन्हें तो कोई ईनाम भी नहीं मिलता, और जल्द ही उन्हें भुला दिया जाता है.
כִּ֧י הַֽחַיִּ֛ים יוֹדְעִ֖ים שֶׁיָּמֻ֑תוּ וְהַמֵּתִ֞ים אֵינָ֧ם יוֹדְעִ֣ים מְא֗וּמָה וְאֵֽין־ע֤וֹד לָהֶם֙ שָׂכָ֔ר כִּ֥י נִשְׁכַּ֖ח זִכְרָֽם׃
6 इस तरह उनका प्रेम, घृणा और उत्साह खत्म हो गया, और सूरज के नीचे किए गए किसी भी काम में उनका कोई भाग न होगा.
גַּ֣ם אַהֲבָתָ֧ם גַּם־שִׂנְאָתָ֛ם גַּם־קִנְאָתָ֖ם כְּבָ֣ר אָבָ֑דָה וְחֵ֨לֶק אֵין־לָהֶ֥ם עוֹד֙ לְעוֹלָ֔ם בְּכֹ֥ל אֲשֶֽׁר־נַעֲשָׂ֖ה תַּ֥חַת הַשָּֽׁמֶשׁ׃
7 इसलिये जाओ और आनंद से भोजन करो और मन में सुख मानकर अंगूर का रस पिया करो क्योंकि पहले ही परमेश्वर तुम्हारे कामों से खुश हैं.
לֵ֣ךְ אֱכֹ֤ל בְּשִׂמְחָה֙ לַחְמֶ֔ךָ וּֽשֲׁתֵ֥ה בְלֶב־ט֖וֹב יֵינֶ֑ךָ כִּ֣י כְבָ֔ר רָצָ֥ה הָאֱלֹהִ֖ים אֶֽת־מַעֲשֶֽׂיךָ׃
8 तुम्हारे कपड़े हमेशा उजले रहें और तुम्हारे सिर पर तेल की कमी न हो.
בְּכָל־עֵ֕ת יִהְי֥וּ בְגָדֶ֖יךָ לְבָנִ֑ים וְשֶׁ֖מֶן עַל־רֹאשְׁךָ֥ אַל־יֶחְסָֽר׃
9 सूरज के नीचे परमेश्वर द्वारा दिए गए बेकार के जीवन में अपनी प्यारी पत्नी के साथ खुश रहो, क्योंकि तुम्हारे जीवन का और सूरज के नीचे की गई मेहनत का ईनाम यही है.
רְאֵ֨ה חַיִּ֜ים עִם־אִשָּׁ֣ה אֲשֶׁר־אָהַ֗בְתָּ כָּל־יְמֵי֙ חַיֵּ֣י הֶבְלֶ֔ךָ אֲשֶׁ֤ר נָֽתַן־לְךָ֙ תַּ֣חַת הַשֶּׁ֔מֶשׁ כֹּ֖ל יְמֵ֣י הֶבְלֶ֑ךָ כִּ֣י ה֤וּא חֶלְקְךָ֙ בַּֽחַיִּ֔ים וּבַעֲמָ֣לְךָ֔ אֲשֶׁר־אַתָּ֥ה עָמֵ֖ל תַּ֥חַת הַשָּֽׁמֶשׁ׃
10 अपने सामने आए हर एक काम को पूरी लगन से करो क्योंकि अधोलोक में जिसकी ओर तुम बढ़ रहे हो, वहां न तो कोई काम या तरकीब, न ज्ञान और न ही बुद्धि है. (Sheol h7585)
כֹּ֠ל אֲשֶׁ֨ר תִּמְצָ֧א יָֽדְךָ֛ לַעֲשׂ֥וֹת בְּכֹחֲךָ֖ עֲשֵׂ֑ה כִּי֩ אֵ֨ין מַעֲשֶׂ֤ה וְחֶשְׁבּוֹן֙ וְדַ֣עַת וְחָכְמָ֔ה בִּשְׁא֕וֹל אֲשֶׁ֥ר אַתָּ֖ה הֹלֵ֥ךְ שָֽׁמָּה׃ ס (Sheol h7585)
11 मैंने दोबारा सूरज के नीचे देखा, कि न तो दौड़ में तेज दौड़ने वाले और न युद्ध में बलवान ही जीतते हैं, न बुद्धिमान को भोजन मिलता है और न ही ज्ञानवान को धन-दौलत और न ही योग्य को अनुग्रह; क्योंकि ये समय और संयोग के वश में हैं.
שַׁ֜בְתִּי וְרָאֹ֣ה תַֽחַת־הַשֶּׁ֗מֶשׁ כִּ֣י לֹא֩ לַקַּלִּ֨ים הַמֵּר֜וֹץ וְלֹ֧א לַגִּבּוֹרִ֣ים הַמִּלְחָמָ֗ה וְ֠גַם לֹ֣א לַחֲכָמִ֥ים לֶ֙חֶם֙ וְגַ֨ם לֹ֤א לַנְּבֹנִים֙ עֹ֔שֶׁר וְגַ֛ם לֹ֥א לַיֹּדְעִ֖ים חֵ֑ן כִּי־עֵ֥ת וָפֶ֖גַע יִקְרֶ֥ה אֶת־כֻּלָּֽם׃
12 मनुष्य अपने समय के बारे में नहीं जानता: जैसे बुरे जाल में फंसी एक मछली के, और फंदे में फंसे पक्षियों के समान, वैसे ही मनुष्य बुरे समय में जा फंसेगा जब यह अचानक ही उस पर आ पड़ेगा.
כִּ֡י גַּם֩ לֹֽא־יֵדַ֨ע הָאָדָ֜ם אֶת־עִתּ֗וֹ כַּדָּגִים֙ שֶׁנֶּֽאֱחָזִים֙ בִּמְצוֹדָ֣ה רָעָ֔ה וְכַ֨צִּפֳּרִ֔ים הָאֲחֻז֖וֹת בַּפָּ֑ח כָּהֵ֗ם יֽוּקָשִׁים֙ בְּנֵ֣י הָֽאָדָ֔ם לְעֵ֣ת רָעָ֔ה כְּשֶׁתִּפּ֥וֹל עֲלֵיהֶ֖ם פִּתְאֹֽם׃
13 मैंने सूरज के नीचे बुद्धि का एक और उदाहरण देखा, जिसने मुझे बहुत प्रभावित किया.
גַּם־זֹ֛ה רָאִ֥יתִי חָכְמָ֖ה תַּ֣חַת הַשָּׁ֑מֶשׁ וּגְדוֹלָ֥ה הִ֖יא אֵלָֽי׃
14 बहुत ही थोड़े लोगों का एक छोटा नगर था इसमें एक बहुत ही सम्मानित राजा आया और उसने इस नगर के विरुद्ध घेराव किया.
עִ֣יר קְטַנָּ֔ה וַאֲנָשִׁ֥ים בָּ֖הּ מְעָ֑ט וּבָֽא־אֵלֶ֜יהָ מֶ֤לֶךְ גָּדוֹל֙ וְסָבַ֣ב אֹתָ֔הּ וּבָנָ֥ה עָלֶ֖יהָ מְצוֹדִ֥ים גְּדֹלִֽים׃
15 मगर उस नगर के एक साधारण लेकिन बुद्धिमान ने अपनी बुद्धि द्वारा इस नगर को छुड़वा दिया. फिर भी उस सीधे-सादे को किसी ने याद नहीं किया.
וּמָ֣צָא בָ֗הּ אִ֤ישׁ מִסְכֵּן֙ חָכָ֔ם וּמִלַּט־ה֥וּא אֶת־הָעִ֖יר בְּחָכְמָת֑וֹ וְאָדָם֙ לֹ֣א זָכַ֔ר אֶת־הָאִ֥ישׁ הַמִּסְכֵּ֖ן הַהּֽוּא׃
16 इसलिये मैंने यह कहा, “बुद्धि शक्ति से बढ़कर है.” लेकिन किसी सीधे-सादे की बुद्धि को तुच्छ ही जाना जाता है और उसकी बातों पर ध्यान नहीं दिया जाता.
וְאָמַ֣רְתִּי אָ֔נִי טוֹבָ֥ה חָכְמָ֖ה מִגְּבוּרָ֑ה וְחָכְמַ֤ת הַמִּסְכֵּן֙ בְּזוּיָ֔ה וּדְבָרָ֖יו אֵינָ֥ם נִשְׁמָעִֽים׃
17 मूर्खों के बीच राजा की चिल्लाहट से अकेले में बुद्धिमान की बातें सुन लेना कहीं ज्यादा अच्छा है.
דִּבְרֵ֣י חֲכָמִ֔ים בְּנַ֖חַת נִשְׁמָעִ֑ים מִזַּעֲקַ֥ת מוֹשֵׁ֖ל בַּכְּסִילִֽים׃
18 युद्ध के शस्त्रों की तुलना में बुद्धि ज्यादा अच्छी है, मगर एक पापी हर एक अच्छी चीज़ का नाश कर देता है.
טוֹבָ֥ה חָכְמָ֖ה מִכְּלֵ֣י קְרָ֑ב וְחוֹטֶ֣א אֶחָ֔ד יְאַבֵּ֥ד טוֹבָ֥ה הַרְבֵּֽה׃

< सभोपदेशक 9 >