< 2 इतिहास 27 >
1 जब योथाम शासन करने लगा तब उसकी उम्र पच्चीस साल थी. उसने येरूशलेम में सोलह साल शासन किया. उसकी माता का नाम येरूशा था, वह सादोक की पुत्री थी.
Jotham was twenty-five years old when he began to reign; and he reigned sixteen years in Jerusalem: and his mother's name was Jerushah the daughter of Zadok.
2 उसने वह किया, जो याहवेह की दृष्टि में सही था, जैसा उसके पिता उज्जियाह ने किया था. हां, उसने याहवेह के मंदिर में प्रवेश नहीं किया. मगर प्रजा में भ्रष्टाचार फैला था.
He did that which was right in the eyes of YHWH, according to all that his father Uzziah had done: however he did not enter into YHWH's temple. The people still did corruptly.
3 उसने याहवेह के भवन के ऊपरी द्वार को बनवाया. उसने शहरपनाह के उस भाग को बनवाया, जिसे ओफेल कहा जाता था.
He built the Upper Gate of the house of YHWH, and he carried out considerable work on the wall of Ophel.
4 इसके अलावा उसने यहूदिया के पहाड़ी क्षेत्र में नगरों को बनवाया. उसने जंगली पहाड़ियों पर गढ़ और पहरेदारों के मीनारों को बनवाया.
Moreover he built cities in the hill country of Judah, and in the forests he built fortresses and towers.
5 उसने अम्मोनी राजा से युद्ध किया और उन पर विजयी हुआ. फलस्वरूप अम्मोनियों ने उसे उस साल साढ़े तीन हज़ार किलो चांदी, 1,800 टन गेहूं और 1,800 टन जौ भेंट और कर के रूप में दिया. यही सब अम्मोनियों ने उसे दूसरे और तीसरे साल में भी दिया.
He fought also with the king of the people of Ammon, and prevailed against them. The people of Ammon gave him the same year one hundred talents of silver, and ten thousand measures of wheat, and ten thousand of barley. The people of Ammon gave that much to him in the second year also, and in the third.
6 तब योथाम बलवान हो गया क्योंकि उसने अपनी नीतियां याहवेह अपने परमेश्वर की खुशी के अनुसार बनाई थी.
So Jotham became mighty, because he ordered his ways before YHWH his God.
7 योथाम के बाकी काम, उसके युद्ध, उसके दूसरे काम इस्राएल और यहूदिया के राजा नामक पुस्तक में लिखे हैं.
Now the rest of the acts of Jotham, and all his wars, and his ways, look, they are written in the book of the kings of Israel and Judah.
8 शासन शुरू करते समय उसकी उम्र पच्चीस साल थी. उसने येरूशलेम में सोलह साल शासन किया.
He was five and twenty years old when he began to reign, and reigned sixteen years in Jerusalem.
9 योथाम हमेशा के लिए अपने पूर्वजों से जा मिला. उन्होंने उसे दावीद के नगर में गाड़ दिया. उसके स्थान पर उसका पुत्र आहाज़ राजा बना.
Jotham slept with his fathers, and they buried him in the City of David: and Ahaz his son reigned in his place.