< לוּקָס 22 >

ויקרב חג המצות הנקרא פסח׃ 1
अख़मीरी रोटी का पर्व जो फसह कहलाता है, निकट था।
והכהנים הגדולים והסופרים מבקשים איך יהרגהו כי יראו מפני העם׃ 2
और प्रधान याजक और शास्त्री इस बात की खोज में थे कि उसको कैसे मार डालें, पर वे लोगों से डरते थे।
והשטן נכנס ביהודה המכנה איש קריות והוא במספר שנים העשר׃ 3
और शैतान यहूदा में समाया, जो इस्करियोती कहलाता और बारह चेलों में गिना जाता था।
וילך וידבר עם ראשי הכהנים ושרי החיל איך ימסרנו אל ידם׃ 4
उसने जाकर प्रधान याजकों और पहरुओं के सरदारों के साथ बातचीत की, कि उसको किस प्रकार उनके हाथ पकड़वाए।
וישמחו ויאתו לתת לו כסף׃ 5
वे आनन्दित हुए, और उसे रुपये देने का वचन दिया।
ויבטח אתם ויבקש תואנה למסרו אליהם שלא לעיני ההמון׃ 6
उसने मान लिया, और अवसर ढूँढ़ने लगा, कि बिना उपद्रव के उसे उनके हाथ पकड़वा दे।
ויבא יום המצות אשר זבוח יזבח בו הפסח׃ 7
तब अख़मीरी रोटी के पर्व का दिन आया, जिसमें फसह का मेम्ना बलि करना अवश्य था।
וישלח את פטרוס ואת יוחנן לאמר לכו והכינו לנו את הפסח ונאכלה׃ 8
और यीशु ने पतरस और यूहन्ना को यह कहकर भेजा, “जाकर हमारे खाने के लिये फसह तैयार करो।”
ויאמרו אליו באי זה מקום תחפץ כי נכין אותו׃ 9
उन्होंने उससे पूछा, “तू कहाँ चाहता है, कि हम तैयार करें?”
ויאמר אליהם הנה אתם באים העירה ופגע אתכם איש נשא צפחת מים לכו אחריו אל הבית אשר יבוא שמה׃ 10
१०उसने उनसे कहा, “देखो, नगर में प्रवेश करते ही एक मनुष्य जल का घड़ा उठाए हुए तुम्हें मिलेगा, जिस घर में वह जाए; तुम उसके पीछे चले जाना,
ואמרתם אל בעל הבית כה אמר לך הרב איה המלון אשר אכלה שם את הפסח עם תלמידי׃ 11
११और उस घर के स्वामी से कहो, ‘गुरु तुझ से कहता है; कि वह पाहुनशाला कहाँ है जिसमें मैं अपने चेलों के साथ फसह खाऊँ?’
והוא יראה אתכם עליה גדולה מצעה שם תכינו׃ 12
१२वह तुम्हें एक सजी-सजाई बड़ी अटारी दिखा देगा; वहाँ तैयारी करना।”
וילכו וימצאו כאשר דבר אליהם ויכינו את הפסח׃ 13
१३उन्होंने जाकर, जैसा उसने उनसे कहा था, वैसा ही पाया, और फसह तैयार किया।
ויהי כאשר הגיעה השעה ויסב הוא ושנים עשר השליחים אתו׃ 14
१४जब घड़ी पहुँची, तो वह प्रेरितों के साथ भोजन करने बैठा।
ויאמר אליהם נכסף נכספתי לאכל אתכם את הפסח הזה לפני ענותי׃ 15
१५और उसने उनसे कहा, “मुझे बड़ी लालसा थी, कि दुःख भोगने से पहले यह फसह तुम्हारे साथ खाऊँ।
כי אמר אני לכם אינני אכל אותו עוד עד כי ימלא במלכות האלהים׃ 16
१६क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ, कि जब तक वह परमेश्वर के राज्य में पूरा न हो तब तक मैं उसे कभी न खाऊँगा।”
ויקח את הכוס ויברך ויאמר קחו אתה וחלקו ביניכם׃ 17
१७तब उसने कटोरा लेकर धन्यवाद किया और कहा, “इसको लो और आपस में बाँट लो।
כי אמר אני לכם שתה לא אשתה מעתה מתנובת הגפן עד כי תבוא מלכות האלהים׃ 18
१८क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ, कि जब तक परमेश्वर का राज्य न आए तब तक मैं दाखरस अब से कभी न पीऊँगा।”
ויקח את הלחם ויברך ויבצע ויתן להם לאמר זה גופי הנתן בעדכם זאת עשו לזכרוני׃ 19
१९फिर उसने रोटी ली, और धन्यवाद करके तोड़ी, और उनको यह कहते हुए दी, “यह मेरी देह है, जो तुम्हारे लिये दी जाती है: मेरे स्मरण के लिये यही किया करो।”
וכן גם את הכוס אחר הסעודה לאמר זו הכוס היא הברית החדשה בדמי הנשפך בעדכם׃ 20
२०इसी रीति से उसने भोजन के बाद कटोरा भी यह कहते हुए दिया, “यह कटोरा मेरे उस लहू में जो तुम्हारे लिये बहाया जाता है नई वाचा है।
אך הנה יד המסר אותי אתי על השלחן׃ 21
२१पर देखो, मेरे पकड़वानेवाले का हाथ मेरे साथ मेज पर है।
כי הן בן האדם הלך לו כפי אשר נחרץ עליו אבל אוי לאיש ההוא אשר על ידו ימסר׃ 22
२२क्योंकि मनुष्य का पुत्र तो जैसा उसके लिये ठहराया गया, जाता ही है, पर हाय उस मनुष्य पर, जिसके द्वारा वह पकड़वाया जाता है!”
והם החלו לחקר איש את רעהו מי הוא זה מהם אשר יעשה זאת׃ 23
२३तब वे आपस में पूछताछ करने लगे, “हम में से कौन है, जो यह काम करेगा?”
וגם מריבה היתה ביניהם מי יחשב להיות הגדול בהם׃ 24
२४उनमें यह वाद-विवाद भी हुआ; कि हम में से कौन बड़ा समझा जाता है?
ויאמר אליהם מלכי הגוים רדים בהם ושליטיהם יקראו עשי חסד׃ 25
२५उसने उनसे कहा, “अन्यजातियों के राजा उन पर प्रभुता करते हैं; और जो उन पर अधिकार रखते हैं, वेउपकारककहलाते हैं।
ואתם לא כן כי הגדול בכם יהיה כצעיר והמשל יהיה כמשרת׃ 26
२६परन्तु तुम ऐसे न होना; वरन् जो तुम में बड़ा है, वह छोटे के समान और जो प्रधान है, वह सेवक के समान बने।
כי מי הוא הגדול אם המסב או המשרת הלא המסב ואני הנני בתוככם כמו המשרת׃ 27
२७क्योंकि बड़ा कौन है; वह जो भोजन पर बैठा है, या वह जो सेवा करता है? क्या वह नहीं जो भोजन पर बैठा है? पर मैं तुम्हारे बीच में सेवक के समान हूँ।
ואתם הם העמדים עמדי עד עתה בנסיונתי׃ 28
२८“परन्तु तुम वह हो, जो मेरी परीक्षाओं में लगातार मेरे साथ रहे;
לכן אני מנחיל אתכם כאשר הנחילני אבי את המלכות׃ 29
२९और जैसे मेरे पिता ने मेरे लिये एक राज्य ठहराया है, वैसे ही मैं भी तुम्हारे लिये ठहराता हूँ।
למען תאכלו ותשתו על שלחני במלכותי וישבתם על כסאות לשפט את שנים עשר שבטי ישראל׃ 30
३०ताकि तुम मेरे राज्य में मेरी मेज पर खाओ-पीओ; वरन् सिंहासनों पर बैठकर इस्राएल के बारह गोत्रों का न्याय करो।
ויאמר האדון שמעון שמעון הנה תבע אתכם השטן לזרותכם כחטים׃ 31
३१“शमौन, हे शमौन, शैतान ने तुम लोगों को माँग लिया है किगेहूँ के समान फटके।
ואני התפללתי בעדך אשר לא תכלה אמונתך ואתה כאשר תשוב חזק את אחיך׃ 32
३२परन्तु मैंने तेरे लिये विनती की, कि तेरा विश्वास जाता न रहे और जब तू फिरे, तो अपने भाइयों को स्थिर करना।”
והוא אמר אליו אדני הנני נכון ללכת אתך גם לבית האסורים גם למות׃ 33
३३उसने उससे कहा, “हे प्रभु, मैं तेरे साथ बन्दीगृह जाने, वरन् मरने को भी तैयार हूँ।”
ויאמר אני אמר לך פטרוס לא יקרא תרנגל היום עד כי שלש פעמים כחשת בי לאמר לא ידעתיו׃ 34
३४उसने कहा, “हे पतरस मैं तुझ से कहता हूँ, कि आज मुर्गा बाँग देगा जब तक तू तीन बार मेरा इन्कार न कर लेगा कि मैं उसे नहीं जानता।”
ויאמר אליהם כאשר שלחתי אתכם בלי כיס ותרמיל ונעלים החסרתם דבר ויאמרו לא חסרנו כל דבר׃ 35
३५और उसने उनसे कहा, “जब मैंने तुम्हें बटुए, और झोली, और जूते बिना भेजा था, तो क्या तुम को किसी वस्तु की घटी हुई थी?” उन्होंने कहा, “किसी वस्तु की नहीं।”
ויאמר אליהם אכן עתה אשר לו כיס ישאהו וכן גם את התרמיל ואשר אין לו הוא ימכר את בגדו ויקנה חרב׃ 36
३६उसने उनसे कहा, “परन्तु अब जिसके पास बटुआ हो वह उसे ले, और वैसे ही झोली भी, और जिसके पास तलवार न हो वह अपने कपड़े बेचकर एक मोल ले।
כי אמר אני לכם אשר צריך עוד להתמלא בי הכתוב הזה ואת פשעים נמנה כי כל הכתוב עלי בא עד קצו׃ 37
३७क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ, कि यह जो लिखा है, ‘वह अपराधी के साथ गिना गया,’ उसका मुझ में पूरा होना अवश्य है; क्योंकि मेरे विषय की बातें पूरी होने पर हैं।”
ויאמרו אדנינו הנה פה שתי חרבות ויאמר אליהם די׃ 38
३८उन्होंने कहा, “हे प्रभु, देख, यहाँ दो तलवारें हैं।” उसने उनसे कहा, “बहुत हैं।”
ויצא וילך כיום ביום על הר הזיתים וילכו אחריו גם תלמידיו׃ 39
३९तब वह बाहर निकलकर अपनी रीति के अनुसार जैतून के पहाड़ पर गया, और चेले उसके पीछे हो लिए।
ויבא אל המקום ויאמר אליהם התפללו לבלתי בוא לידי נסיון׃ 40
४०उस जगह पहुँचकर उसने उनसे कहा, “प्रार्थना करो, कि तुम परीक्षा में न पड़ो।”
והוא נפרד מהם הרחק כקלע אבן ויכרע על ברכיו ויתפלל לאמר׃ 41
४१और वह आप उनसे अलग एक ढेला फेंकने की दूरी भर गया, और घुटने टेककर प्रार्थना करने लगा।
אבי אם רצונך להעביר מעלי את הכוס הזאת אך אל יהי כרצוני כי אם כרצונך׃ 42
४२“हे पिता यदि तू चाहे तो इस कटोरे को मेरे पास से हटा ले, फिर भी मेरी नहीं परन्तु तेरी ही इच्छा पूरी हो।”
וירא אליו מלאך מן השמים ויחזקהו׃ 43
४३तब स्वर्ग से एक दूत उसको दिखाई दिया जो उसे सामर्थ्य देता था।
ויבאו עליו חבלי מות ויוסף להתפלל בחזקה ותהי זעתו כנטפי דם ירדים לארץ׃ 44
४४और वह अत्यन्त संकट में व्याकुल होकर और भी हार्दिक वेदना से प्रार्थना करने लगा; और उसका पसीना मानो लहू की बड़ी-बड़ी बूँदों के समान भूमि पर गिर रहा था।
ויקם מהתפלל ויבא אל התלמידים וימצאם ישנים מיגון׃ 45
४५तब वह प्रार्थना से उठा और अपने चेलों के पास आकर उन्हें उदासी के मारे सोता पाया।
ויאמר אליהם למה תישנו קומו והתפללו אשר לא תבאו לידי נסיונ, עודנו מדבר והנה המון ואחד משנים העשר הנקרא יהודה הלך לפניהם ויקרב אל ישוע לנשק לו׃ 46
४६और उनसे कहा, “क्यों सोते हो? उठो, प्रार्थना करो, कि परीक्षा में न पड़ो।”
47
४७वह यह कह ही रहा था, कि देखो एक भीड़ आई, और उन बारहों में से एक जिसका नाम यहूदा था उनके आगे-आगे आ रहा था, वह यीशु के पास आया, कि उसे चूम ले।
ויאמר ישוע אליו יהודה הבנשיקה אתה מוסר את בן האדם׃ 48
४८यीशु ने उससे कहा, “हे यहूदा, क्या तू चूमा लेकर मनुष्य के पुत्र को पकड़वाता है?”
והאנשים אשר אתו ראים את אשר יהיה ויאמרו אליו אדנינו הנכה בחרב׃ 49
४९उसके साथियों ने जब देखा कि क्या होनेवाला है, तो कहा, “हे प्रभु, क्या हम तलवार चलाएँ?”
ויך אחד מהם את עבד הכהן הגדול ויקצץ את אזנו הימנית׃ 50
५०और उनमें से एक ने महायाजक के दास पर तलवार चलाकर उसका दाहिना कान काट दिया।
ויען ישוע ויאמר רב עתה הרפו ויגע באזנו וירפאהו׃ 51
५१इस पर यीशु ने कहा, “अब बस करो।” और उसका कान छूकर उसे अच्छा किया।
ויאמר ישוע אל ראשי הכהנים ושרי המקדש והזקנים אשר באו עליו לאמר כמו על פריץ יצאתם עלי בחרבות ובמקלות׃ 52
५२तब यीशु ने प्रधान याजकों और मन्दिर के पहरुओं के सरदारों और प्राचीनों से, जो उस पर चढ़ आए थे, कहा, “क्या तुम मुझे डाकू जानकर तलवारें और लाठियाँ लिए हुए निकले हो?
ואהי אצלכם יום יום בהיכל ולא שלחתם בי יד ואולם זאת היא שעתכם ושלטן החשך׃ 53
५३जब मैं मन्दिर में हर दिन तुम्हारे साथ था, तो तुम ने मुझ पर हाथ न डाला; पर यह तुम्हारी घड़ी है, और अंधकार का अधिकार है।”
ויתפשו אותו ויוליכהו ויביאהו בית הכהן הגדול ופטרוס הלך אחריו מרחוק׃ 54
५४फिर वे उसे पकड़कर ले चले, और महायाजक के घर में लाए और पतरस दूर ही दूर उसके पीछे-पीछे चलता था।
ויהי כי בערו אש בתוך החצר וישבו יחדו וישב גם פטרוס בתוכם׃ 55
५५और जब वे आँगन में आग सुलगाकर इकट्ठे बैठे, तो पतरस भी उनके बीच में बैठ गया।
ותראהו השפחה יושב נגד האור ותבט בו ותאמר גם זה היה עמו׃ 56
५६और एक दासी उसे आग के उजियाले में बैठे देखकर और उसकी ओर ताक कर कहने लगी, “यह भी तो उसके साथ था।”
ויכחש בו ויאמר אשה לא ידעתיו׃ 57
५७परन्तु उसने यह कहकर इन्कार किया, “हे नारी, मैं उसे नहीं जानता।”
ואחרי מעט ראהו אדם אחר ויאמר גם אתה מהם ויאמר פטרוס לא אדם כי אינני׃ 58
५८थोड़ी देर बाद किसी और ने उसे देखकर कहा, “तू भी तो उन्हीं में से है।” पतरस ने कहा, “हे मनुष्य, मैं नहीं हूँ।”
ואחרי עבר כשעה אחת קים איש אחר לאמר אמנם גם זה היה עמו כי אף הוא גלילי׃ 59
५९कोई घंटे भर के बाद एक और मनुष्य दृढ़ता से कहने लगा, “निश्चय यह भी तो उसके साथ था; क्योंकि यह गलीली है।”
ויאמר פטרוס בן אדם לא ידעתי מה אתה אמר והוא עודנו מדבר והתרנגול קרא׃ 60
६०पतरस ने कहा, “हे मनुष्य, मैं नहीं जानता कि तू क्या कहता है?” वह कह ही रहा था कि तुरन्त मुर्गे ने बाँग दी।
ויפן האדון ויבט אל פטרוס ויזכר פטרוס את דבר האדון אשר דבר אליו כי בטרם יקרא התרנגל תכחש בי שלש פעמים׃ 61
६१तब प्रभु ने घूमकर पतरस की ओर देखा, और पतरस को प्रभु की वह बात याद आई जो उसने कही थी, “आज मुर्गे के बाँग देने से पहले, तू तीन बार मेरा इन्कार करेगा।”
ויצא פטרוס החוצה וימרר בבכי׃ 62
६२और वह बाहर निकलकर फूट फूटकर रोने लगा।
והאנשים אשר אחזו את ישוע התעללו בו ויכהו׃ 63
६३जो मनुष्य यीशु को पकड़े हुए थे, वे उसका उपहास करके पीटने लगे;
ויחפו את ראשו ויכהו על פניו וישאלהו לאמר הנבא מי הוא ההלם אותך׃ 64
६४और उसकी आँखें ढाँपकर उससे पूछा, “भविष्यद्वाणी करके बता कि तुझे किसने मारा।”
ועוד גדופים אחרים הרבו עליו׃ 65
६५और उन्होंने बहुत सी और भी निन्दा की बातें उसके विरोध में कहीं।
ובהית הבקר נקהלו זקני העם והכהנים הגדולים והסופרים ויעלהו לפני הסנהדרין שלהם ויאמרו האתה הוא המשיח אמר לנו׃ 66
६६जब दिन हुआ तो लोगों के पुरनिए और प्रधान याजक और शास्त्री इकट्ठे हुए, और उसे अपनी महासभा में लाकर पूछा,
ויאמר אליהם כי אגיד לכם לא תאמינו׃ 67
६७“यदि तू मसीह है, तो हम से कह दे!” उसने उनसे कहा, “यदि मैं तुम से कहूँ तो विश्वास न करोगे।
וגם אם אשאל לא תשיבו דבר ולא תשלחוני׃ 68
६८और यदि पूछूँ, तो उत्तर न दोगे।
אבל מעתה יהיה בן האדם ישב לימין גבורת האלהים׃ 69
६९परन्तु अब से मनुष्य का पुत्र सर्वशक्तिमान परमेश्वर की दाहिनी ओर बैठा रहेगा।”
ויאמרו כלם הכי אתה הוא בן האלהים ויאמר אליהם אתם אמרתם כי אני הוא׃ 70
७०इस पर सब ने कहा, “तो क्या तू परमेश्वर का पुत्र है?” उसने उनसे कहा, “तुम आप ही कहते हो, क्योंकि मैं हूँ।”
ויאמרו מה לנו עוד לבקש עדות הלא באזנינו שמענוה מפיו׃ 71
७१तब उन्होंने कहा, “अब हमें गवाही की क्या आवश्यकता है; क्योंकि हमने आप ही उसके मुँह से सुन लिया है।”

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