< דְּבָרִים 1 >
אֵ֣לֶּה הַדְּבָרִ֗ים אֲשֶׁ֨ר דִּבֶּ֤ר מֹשֶׁה֙ אֶל־כָּל־יִשְׂרָאֵ֔ל בְּעֵ֖בֶר הַיַּרְדֵּ֑ן בַּמִּדְבָּ֡ר בָּֽעֲרָבָה֩ מ֨וֹל ס֜וּף בֵּֽין־פָּארָ֧ן וּבֵֽין־תֹּ֛פֶל וְלָבָ֥ן וַחֲצֵרֹ֖ת וְדִ֥י זָהָֽב׃ | 1 |
१जो बातें मूसा ने यरदन के पार जंगल में, अर्थात् सूफ के सामने के अराबा में, और पारान और तोपेल के बीच, और लाबान हसेरोत और दीजाहाब में, सारे इस्राएलियों से कहीं वे ये हैं।
אַחַ֨ד עָשָׂ֥ר יוֹם֙ מֵֽחֹרֵ֔ב דֶּ֖רֶךְ הַר־שֵׂעִ֑יר עַ֖ד קָדֵ֥שׁ בַּרְנֵֽעַ׃ | 2 |
२होरेब से कादेशबर्ने तक सेईर पहाड़ का मार्ग ग्यारह दिन का है।
וַיְהִי֙ בְּאַרְבָּעִ֣ים שָׁנָ֔ה בְּעַשְׁתֵּֽי־עָשָׂ֥ר חֹ֖דֶשׁ בְּאֶחָ֣ד לַחֹ֑דֶשׁ דִּבֶּ֤ר מֹשֶׁה֙ אֶל־בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֔ל כְּ֠כֹל אֲשֶׁ֨ר צִוָּ֧ה יְהוָ֛ה אֹת֖וֹ אֲלֵהֶֽם׃ | 3 |
३चालीसवें वर्ष के ग्यारहवें महीने के पहले दिन को जो कुछ यहोवा ने मूसा को इस्राएलियों से कहने की आज्ञा दी थी, उसके अनुसार मूसा उनसे ये बातें कहने लगा।
אַחֲרֵ֣י הַכֹּת֗וֹ אֵ֚ת סִיחֹן֙ מֶ֣לֶךְ הָֽאֱמֹרִ֔י אֲשֶׁ֥ר יוֹשֵׁ֖ב בְּחֶשְׁבּ֑וֹן וְאֵ֗ת ע֚וֹג מֶ֣לֶךְ הַבָּשָׁ֔ן אֲשֶׁר־יוֹשֵׁ֥ב בְּעַשְׁתָּרֹ֖ת בְּאֶדְרֶֽעִי׃ | 4 |
४अर्थात् जब मूसा ने एमोरियों के राजा हेशबोनवासी सीहोन और बाशान के राजा अश्तारोतवासी ओग को एद्रेई में मार डाला,
בְּעֵ֥בֶר הַיַּרְדֵּ֖ן בְּאֶ֣רֶץ מוֹאָ֑ב הוֹאִ֣יל מֹשֶׁ֔ה בֵּאֵ֛ר אֶת־הַתּוֹרָ֥ה הַזֹּ֖את לֵאמֹֽר׃ | 5 |
५उसके बाद यरदन के पार मोआब देश में वह व्यवस्था का विवरण ऐसे करने लगा,
יְהוָ֧ה אֱלֹהֵ֛ינוּ דִּבֶּ֥ר אֵלֵ֖ינוּ בְּחֹרֵ֣ב לֵאמֹ֑ר רַב־לָכֶ֥ם שֶׁ֖בֶת בָּהָ֥ר הַזֶּֽה׃ | 6 |
६“हमारे परमेश्वर यहोवा ने होरेब के पास हम से कहा था, ‘तुम लोगों को इस पहाड़ के पास रहते हुए बहुत दिन हो गए हैं;
פְּנ֣וּ ׀ וּסְע֣וּ לָכֶ֗ם וּבֹ֨אוּ הַ֥ר הָֽאֱמֹרִי֮ וְאֶל־כָּל־שְׁכֵנָיו֒ בָּעֲרָבָ֥ה בָהָ֛ר וּבַשְּׁפֵלָ֥ה וּבַנֶּ֖גֶב וּבְח֣וֹף הַיָּ֑ם אֶ֤רֶץ הַֽכְּנַעֲנִי֙ וְהַלְּבָנ֔וֹן עַד־הַנָּהָ֥ר הַגָּדֹ֖ל נְהַר־פְּרָֽת׃ | 7 |
७इसलिए अब यहाँ से कूच करो, और एमोरियों के पहाड़ी देश को, और क्या अराबा में, क्या पहाड़ों में, क्या नीचे के देश में, क्या दक्षिण देश में, क्या समुद्र के किनारे, जितने लोग एमोरियों के पास रहते हैं उनके देश को, अर्थात् लबानोन पर्वत तक और फरात नाम महानद तक रहनेवाले कनानियों के देश को भी चले जाओ।
רְאֵ֛ה נָתַ֥תִּי לִפְנֵיכֶ֖ם אֶת־הָאָ֑רֶץ בֹּ֚אוּ וּרְשׁ֣וּ אֶת־הָאָ֔רֶץ אֲשֶׁ֣ר נִשְׁבַּ֣ע יְ֠הוָה לַאֲבֹ֨תֵיכֶ֜ם לְאַבְרָהָ֨ם לְיִצְחָ֤ק וּֽלְיַעֲקֹב֙ לָתֵ֣ת לָהֶ֔ם וּלְזַרְעָ֖ם אַחֲרֵיהֶֽם׃ | 8 |
८सुनो, मैं उस देश को तुम्हारे सामने किए देता हूँ; जिस देश के विषय यहोवा ने अब्राहम, इसहाक, और याकूब, तुम्हारे पितरों से शपथ खाकर कहा था कि मैं इसे तुम को और तुम्हारे बाद तुम्हारे वंश को दूँगा, उसको अब जाकर अपने अधिकार में कर लो।’”
וָאֹמַ֣ר אֲלֵכֶ֔ם בָּעֵ֥ת הַהִ֖וא לֵאמֹ֑ר לֹא־אוּכַ֥ל לְבַדִּ֖י שְׂאֵ֥ת אֶתְכֶֽם׃ | 9 |
९“फिर उसी समय मैंने तुम से कहा, ‘मैं तुम्हारा भार अकेला नहीं उठा सकता;
יְהוָ֥ה אֱלֹהֵיכֶ֖ם הִרְבָּ֣ה אֶתְכֶ֑ם וְהִנְּכֶ֣ם הַיּ֔וֹם כְּכוֹכְבֵ֥י הַשָּׁמַ֖יִם לָרֹֽב׃ | 10 |
१०क्योंकि तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने तुम को यहाँ तक बढ़ाया है कि तुम गिनती में आज आकाश के तारों के समान हो गए हो।
יְהוָ֞ה אֱלֹהֵ֣י אֲבֽוֹתֵכֶ֗ם יֹסֵ֧ף עֲלֵיכֶ֛ם כָּכֶ֖ם אֶ֣לֶף פְּעָמִ֑ים וִיבָרֵ֣ךְ אֶתְכֶ֔ם כַּאֲשֶׁ֖ר דִּבֶּ֥ר לָכֶֽם׃ | 11 |
११तुम्हारे पितरों का परमेश्वर तुम को हजारगुणा और भी बढ़ाए, और अपने वचन के अनुसार तुम को आशीष भी देता रहे!
אֵיכָ֥ה אֶשָּׂ֖א לְבַדִּ֑י טָרְחֲכֶ֥ם וּמַֽשַּׂאֲכֶ֖ם וְרִֽיבְכֶֽם׃ | 12 |
१२परन्तु तुम्हारे झंझट, और भार, और झगड़ों को मैं अकेला कहाँ तक सह सकता हूँ।
הָב֣וּ לָ֠כֶם אֲנָשִׁ֨ים חֲכָמִ֧ים וּנְבֹנִ֛ים וִידֻעִ֖ים לְשִׁבְטֵיכֶ֑ם וַאֲשִׂימֵ֖ם בְּרָאשֵׁיכֶֽם׃ | 13 |
१३इसलिए तुम अपने-अपने गोत्र में से एक-एक बुद्धिमान और समझदार और प्रसिद्ध पुरुष चुन लो, और मैं उन्हें तुम पर मुखिया ठहराऊँगा।’
וַֽתַּעֲנ֖וּ אֹתִ֑י וַתֹּ֣אמְר֔וּ טֽוֹב־הַדָּבָ֥ר אֲשֶׁר־דִּבַּ֖רְתָּ לַעֲשֽׂוֹת׃ | 14 |
१४इसके उत्तर में तुम ने मुझसे कहा, ‘जो कुछ तू हम से कहता है उसका करना अच्छा है।’
וָאֶקַּ֞ח אֶת־רָאשֵׁ֣י שִׁבְטֵיכֶ֗ם אֲנָשִׁ֤ים חֲכָמִים֙ וִֽידֻעִ֔ים וָאֶתֵּ֥ן אֹתָ֛ם רָאשִׁ֖ים עֲלֵיכֶ֑ם שָׂרֵ֨י אֲלָפִ֜ים וְשָׂרֵ֣י מֵא֗וֹת וְשָׂרֵ֤י חֲמִשִּׁים֙ וְשָׂרֵ֣י עֲשָׂרֹ֔ת וְשֹׁטְרִ֖ים לְשִׁבְטֵיכֶֽם׃ | 15 |
१५इसलिए मैंने तुम्हारे गोत्रों के मुख्य पुरुषों को जो बुद्धिमान और प्रसिद्ध पुरुष थे चुनकर तुम पर मुखिया नियुक्त किया, अर्थात् हजार-हजार, सौ-सौ, पचास-पचास, और दस-दस के ऊपर प्रधान और तुम्हारे गोत्रों के सरदार भी नियुक्त किए।
וָאֲצַוֶּה֙ אֶת־שֹׁ֣פְטֵיכֶ֔ם בָּעֵ֥ת הַהִ֖וא לֵאמֹ֑ר שָׁמֹ֤עַ בֵּין־אֲחֵיכֶם֙ וּשְׁפַטְתֶּ֣ם צֶ֔דֶק בֵּֽין־אִ֥ישׁ וּבֵין־אָחִ֖יו וּבֵ֥ין גֵּרֽוֹ׃ | 16 |
१६और उस समय मैंने तुम्हारे न्यायियों को आज्ञा दी, ‘तुम अपने भाइयों के मुकद्दमे सुना करो, और उनके बीच और उनके पड़ोसियों और परदेशियों के बीच भी धार्मिकता से न्याय किया करो।
לֹֽא־תַכִּ֨ירוּ פָנִ֜ים בַּמִּשְׁפָּ֗ט כַּקָּטֹ֤ן כַּגָּדֹל֙ תִּשְׁמָע֔וּן לֹ֤א תָג֙וּרוּ֙ מִפְּנֵי־אִ֔ישׁ כִּ֥י הַמִּשְׁפָּ֖ט לֵאלֹהִ֣ים ה֑וּא וְהַדָּבָר֙ אֲשֶׁ֣ר יִקְשֶׁ֣ה מִכֶּ֔ם תַּקְרִב֥וּן אֵלַ֖י וּשְׁמַעְתִּֽיו׃ | 17 |
१७न्याय करते समय किसी का पक्ष न करना; जैसे बड़े की वैसे ही छोटे मनुष्य की भी सुनना; किसी का मुँह देखकर न डरना, क्योंकि न्याय परमेश्वर का काम है; और जो मुकद्दमा तुम्हारे लिये कठिन हो, वह मेरे पास ले आना, और मैं उसे सुनूँगा।’
וָאֲצַוֶּ֥ה אֶתְכֶ֖ם בָּעֵ֣ת הַהִ֑וא אֵ֥ת כָּל־הַדְּבָרִ֖ים אֲשֶׁ֥ר תַּעֲשֽׂוּן׃ | 18 |
१८और मैंने उसी समय तुम्हारे सारे कर्तव्य तुम को बता दिए।
וַנִּסַּ֣ע מֵחֹרֵ֗ב וַנֵּ֡לֶךְ אֵ֣ת כָּל־הַמִּדְבָּ֣ר הַגָּדוֹל֩ וְהַנּוֹרָ֨א הַה֜וּא אֲשֶׁ֣ר רְאִיתֶ֗ם דֶּ֚רֶךְ הַ֣ר הָֽאֱמֹרִ֔י כַּאֲשֶׁ֥ר צִוָּ֛ה יְהוָ֥ה אֱלֹהֵ֖ינוּ אֹתָ֑נוּ וַנָּבֹ֕א עַ֖ד קָדֵ֥שׁ בַּרְנֵֽעַ׃ | 19 |
१९“हम होरेब से कूच करके अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञा के अनुसार उस सारे बड़े और भयानक जंगल में होकर चले, जिसे तुम ने एमोरियों के पहाड़ी देश के मार्ग में देखा, और हम कादेशबर्ने तक आए।
וָאֹמַ֖ר אֲלֵכֶ֑ם בָּאתֶם֙ עַד־הַ֣ר הָאֱמֹרִ֔י אֲשֶׁר־יְהוָ֥ה אֱלֹהֵ֖ינוּ נֹתֵ֥ן לָֽנוּ׃ | 20 |
२०वहाँ मैंने तुम से कहा, ‘तुम एमोरियों के पहाड़ी देश तक आ गए हो जिसको हमारा परमेश्वर यहोवा हमें देता है।
רְ֠אֵה נָתַ֨ן יְהוָ֧ה אֱלֹהֶ֛יךָ לְפָנֶ֖יךָ אֶת־הָאָ֑רֶץ עֲלֵ֣ה רֵ֗שׁ כַּאֲשֶׁר֩ דִּבֶּ֨ר יְהוָ֜ה אֱלֹהֵ֤י אֲבֹתֶ֙יךָ֙ לָ֔ךְ אַל־תִּירָ֖א וְאַל־תֵּחָֽת׃ | 21 |
२१देखो, उस देश को तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हारे सामने किए देता है, इसलिए अपने पितरों के परमेश्वर यहोवा के वचन के अनुसार उस पर चढ़ो, और उसे अपने अधिकार में ले लो; न तो तुम डरो और न तुम्हारा मन कच्चा हो।’
וַתִּקְרְב֣וּן אֵלַי֮ כֻּלְּכֶם֒ וַתֹּאמְר֗וּ נִשְׁלְחָ֤ה אֲנָשִׁים֙ לְפָנֵ֔ינוּ וְיַחְפְּרוּ־לָ֖נוּ אֶת־הָאָ֑רֶץ וְיָשִׁ֤בוּ אֹתָ֙נוּ֙ דָּבָ֔ר אֶת־הַדֶּ֙רֶךְ֙ אֲשֶׁ֣ר נַעֲלֶה־בָּ֔הּ וְאֵת֙ הֶֽעָרִ֔ים אֲשֶׁ֥ר נָבֹ֖א אֲלֵיהֶֽן׃ | 22 |
२२और तुम सब मेरे पास आकर कहने लगे, ‘हम अपने आगे पुरुषों को भेज देंगे, जो उस देश का पता लगाकर हमको यह सन्देश दें, कि कौन से मार्ग से होकर चलना होगा और किस-किस नगर में प्रवेश करना पड़ेगा?’
וַיִּיטַ֥ב בְּעֵינַ֖י הַדָּבָ֑ר וָאֶקַּ֤ח מִכֶּם֙ שְׁנֵ֣ים עָשָׂ֣ר אֲנָשִׁ֔ים אִ֥ישׁ אֶחָ֖ד לַשָּֽׁבֶט׃ | 23 |
२३इस बात से प्रसन्न होकर मैंने तुम में से बारह पुरुष, अर्थात् हर गोत्र में से एक पुरुष चुन लिया;
וַיִּפְנוּ֙ וַיַּעֲל֣וּ הָהָ֔רָה וַיָּבֹ֖אוּ עַד־נַ֣חַל אֶשְׁכֹּ֑ל וַֽיְרַגְּל֖וּ אֹתָֽהּ׃ | 24 |
२४और वे पहाड़ पर चढ़ गए, और एशकोल नामक नाले को पहुँचकर उस देश का भेद लिया।
וַיִּקְח֤וּ בְיָדָם֙ מִפְּרִ֣י הָאָ֔רֶץ וַיּוֹרִ֖דוּ אֵלֵ֑ינוּ וַיָּשִׁ֨בוּ אֹתָ֤נוּ דָבָר֙ וַיֹּ֣אמְר֔וּ טוֹבָ֣ה הָאָ֔רֶץ אֲשֶׁר־יְהוָ֥ה אֱלֹהֵ֖ינוּ נֹתֵ֥ן לָֽנוּ׃ | 25 |
२५और उस देश के फलों में से कुछ हाथ में लेकर हमारे पास आए, और हमको यह सन्देश दिया, ‘जो देश हमारा परमेश्वर यहोवा हमें देता है वह अच्छा है।’
וְלֹ֥א אֲבִיתֶ֖ם לַעֲלֹ֑ת וַתַּמְר֕וּ אֶת־פִּ֥י יְהוָ֖ה אֱלֹהֵיכֶֽם׃ | 26 |
२६“तो भी तुम ने वहाँ जाने से मना किया, किन्तु अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञा के विरुद्ध होकर
וַתֵּרָגְנ֤וּ בְאָהֳלֵיכֶם֙ וַתֹּ֣אמְר֔וּ בְּשִׂנְאַ֤ת יְהוָה֙ אֹתָ֔נוּ הוֹצִיאָ֖נוּ מֵאֶ֣רֶץ מִצְרָ֑יִם לָתֵ֥ת אֹתָ֛נוּ בְּיַ֥ד הָאֱמֹרִ֖י לְהַשְׁמִידֵֽנוּ׃ | 27 |
२७अपने-अपने डेरे में यह कहकर कुड़कुड़ाने लगे, ‘यहोवा हम से बैर रखता है, इस कारण हमको मिस्र देश से निकाल ले आया है, कि हमको एमोरियों के वश में करके हमारा सत्यानाश कर डाले।
אָנָ֣ה ׀ אֲנַ֣חְנוּ עֹלִ֗ים אַחֵינוּ֩ הֵמַ֨סּוּ אֶת־לְבָבֵ֜נוּ לֵאמֹ֗ר עַ֣ם גָּד֤וֹל וָרָם֙ מִמֶּ֔נּוּ עָרִ֛ים גְּדֹלֹ֥ת וּבְצוּרֹ֖ת בַּשָּׁמָ֑יִם וְגַם־בְּנֵ֥י עֲנָקִ֖ים רָאִ֥ינוּ שָֽׁם׃ | 28 |
२८हम किधर जाएँ? हमारे भाइयों ने यह कहकर हमारे मन को कच्चा कर दिया है कि वहाँ के लोग हम से बड़े और लम्बे हैं; और वहाँ के नगर बड़े-बड़े हैं, और उनकी शहरपनाह आकाश से बातें करती हैं; और हमने वहाँ अनाकवंशियों को भी देखा है।’
וָאֹמַ֖ר אֲלֵכֶ֑ם לֹא־תַֽעַרְצ֥וּן וְֽלֹא־תִֽירְא֖וּן מֵהֶֽם׃ | 29 |
२९मैंने तुम से कहा, ‘उनके कारण भय मत खाओ और न डरो।
יְהוָ֤ה אֱלֹֽהֵיכֶם֙ הַהֹלֵ֣ךְ לִפְנֵיכֶ֔ם ה֖וּא יִלָּחֵ֣ם לָכֶ֑ם כְּ֠כֹל אֲשֶׁ֨ר עָשָׂ֧ה אִתְּכֶ֛ם בְּמִצְרַ֖יִם לְעֵינֵיכֶֽם׃ | 30 |
३०तुम्हारा परमेश्वर यहोवा जो तुम्हारे आगे-आगे चलता है वह आप तुम्हारी ओर से लड़ेगा, जैसे कि उसने मिस्र में तुम्हारे देखते तुम्हारे लिये किया;
וּבַמִּדְבָּר֙ אֲשֶׁ֣ר רָאִ֔יתָ אֲשֶׁ֤ר נְשָׂאֲךָ֙ יְהוָ֣ה אֱלֹהֶ֔יךָ כַּאֲשֶׁ֥ר יִשָׂא־אִ֖ישׁ אֶת־בְּנ֑וֹ בְּכָל־הַדֶּ֙רֶךְ֙ אֲשֶׁ֣ר הֲלַכְתֶּ֔ם עַד־בֹּאֲכֶ֖ם עַד־הַמָּק֥וֹם הַזֶּֽה׃ | 31 |
३१फिर तुम ने जंगल में भी देखा कि जिस रीति कोई पुरुष अपने लड़के को उठाए चलता है, उसी रीति हमारा परमेश्वर यहोवा हमको इस स्थान पर पहुँचने तक, उस सारे मार्ग में जिससे हम आए हैं, उठाए रहा।’
וּבַדָּבָ֖ר הַזֶּ֑ה אֵֽינְכֶם֙ מַאֲמִינִ֔ם בַּיהוָ֖ה אֱלֹהֵיכֶֽם׃ | 32 |
३२इस बात पर भी तुम ने अपने उस परमेश्वर यहोवा पर विश्वास नहीं किया,
הַהֹלֵ֨ךְ לִפְנֵיכֶ֜ם בַּדֶּ֗רֶךְ לָת֥וּר לָכֶ֛ם מָק֖וֹם לַֽחֲנֹֽתְכֶ֑ם בָּאֵ֣שׁ ׀ לַ֗יְלָה לַרְאֹֽתְכֶם֙ בַּדֶּ֙רֶךְ֙ אֲשֶׁ֣ר תֵּֽלְכוּ־בָ֔הּ וּבֶעָנָ֖ן יוֹמָֽם׃ | 33 |
३३जो तुम्हारे आगे-आगे इसलिए चलता रहा कि डेरे डालने का स्थान तुम्हारे लिये ढूँढ़े, और रात को आग में और दिन को बादल में प्रगट होकर चला, ताकि तुम को वह मार्ग दिखाए जिससे तुम चलो।
וַיִּשְׁמַ֥ע יְהוָ֖ה אֶת־ק֣וֹל דִּבְרֵיכֶ֑ם וַיִּקְצֹ֖ף וַיִּשָּׁבַ֥ע לֵאמֹֽר׃ | 34 |
३४“परन्तु तुम्हारी वे बातें सुनकर यहोवा का कोप भड़क उठा, और उसने यह शपथ खाई,
אִם־יִרְאֶ֥ה אִישׁ֙ בָּאֲנָשִׁ֣ים הָאֵ֔לֶּה הַדּ֥וֹר הָרָ֖ע הַזֶּ֑ה אֵ֚ת הָאָ֣רֶץ הַטּוֹבָ֔ה אֲשֶׁ֣ר נִשְׁבַּ֔עְתִּי לָתֵ֖ת לַאֲבֹתֵיכֶֽם׃ | 35 |
३५‘निश्चय इस बुरी पीढ़ी के मनुष्यों में से एक भी उस अच्छे देश को देखने न पाएगा, जिसे मैंने उनके पितरों को देने की शपथ खाई थी।
זֽוּלָתִ֞י כָּלֵ֤ב בֶּן־יְפֻנֶּה֙ ה֣וּא יִרְאֶ֔נָּה וְלֽוֹ־אֶתֵּ֧ן אֶת־הָאָ֛רֶץ אֲשֶׁ֥ר דָּֽרַךְ־בָּ֖הּ וּלְבָנָ֑יו יַ֕עַן אֲשֶׁ֥ר מִלֵּ֖א אַחֲרֵ֥י יְהוָֽה׃ | 36 |
३६केवल यपुन्ने का पुत्र कालेब ही उसे देखने पाएगा, और जिस भूमि पर उसके पाँव पड़े हैं उसे मैं उसको और उसके वंश को भी दूँगा; क्योंकि वह मेरे पीछे पूरी रीति से हो लिया है।’
גַּם־בִּי֙ הִתְאַנַּ֣ף יְהוָ֔ה בִּגְלַלְכֶ֖ם לֵאמֹ֑ר גַּם־אַתָּ֖ה לֹא־תָבֹ֥א שָֽׁם׃ | 37 |
३७और मुझ पर भी यहोवा तुम्हारे कारण क्रोधित हुआ, और यह कहा, ‘तू भी वहाँ जाने न पाएगा;
יְהוֹשֻׁ֤עַ בִּן נוּן֙ הָעֹמֵ֣ד לְפָנֶ֔יךָ ה֖וּא יָ֣בֹא שָׁ֑מָּה אֹת֣וֹ חַזֵּ֔ק כִּי־ה֖וּא יַנְחִלֶ֥נָּה אֶת־יִשְׂרָאֵֽל׃ | 38 |
३८नून का पुत्र यहोशू जो तेरे सामने खड़ा रहता है, वह तो वहाँ जाने पाएगा; इसलिए तू उसको हियाव दे, क्योंकि उस देश को इस्राएलियों के अधिकार में वही कर देगा।
וְטַפְּכֶם֩ אֲשֶׁ֨ר אֲמַרְתֶּ֜ם לָבַ֣ז יִהְיֶ֗ה וּ֠בְנֵיכֶם אֲשֶׁ֨ר לֹא־יָדְע֤וּ הַיּוֹם֙ ט֣וֹב וָרָ֔ע הֵ֖מָּה יָבֹ֣אוּ שָׁ֑מָּה וְלָהֶ֣ם אֶתְּנֶ֔נָּה וְהֵ֖ם יִירָשֽׁוּהָּ׃ | 39 |
३९फिर तुम्हारे बाल-बच्चे जिनके विषय में तुम कहते हो कि ये लूट में चले जाएँगे, और तुम्हारे जो बच्चे अभी भले बुरे का भेद नहीं जानते, वे वहाँ प्रवेश करेंगे, और उनको मैं वह देश दूँगा, और वे उसके अधिकारी होंगे।
וְאַתֶּ֖ם פְּנ֣וּ לָכֶ֑ם וּסְע֥וּ הַמִּדְבָּ֖רָה דֶּ֥רֶךְ יַם־סֽוּף׃ | 40 |
४०परन्तु तुम लोग घूमकर कूच करो, और लाल समुद्र के मार्ग से जंगल की ओर जाओ।’
וַֽתַּעֲנ֣וּ ׀ וַתֹּאמְר֣וּ אֵלַ֗י חָטָאנוּ֮ לַֽיהוָה֒ אֲנַ֤חְנוּ נַעֲלֶה֙ וְנִלְחַ֔מְנוּ כְּכֹ֥ל אֲשֶׁר־צִוָּ֖נוּ יְהוָ֣ה אֱלֹהֵ֑ינוּ וַֽתַּחְגְּר֗וּ אִ֚ישׁ אֶת־כְּלֵ֣י מִלְחַמְתּ֔וֹ וַתָּהִ֖ינוּ לַעֲלֹ֥ת הָהָֽרָה׃ | 41 |
४१“तब तुम ने मुझसे कहा, ‘हमने यहोवा के विरुद्ध पाप किया है; अब हम अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञा के अनुसार चढ़ाई करेंगे और लड़ेंगे।’ तब तुम अपने-अपने हथियार बाँधकर पहाड़ पर बिना सोचे समझे चढ़ने को तैयार हो गए।
וַיֹּ֨אמֶר יְהוָ֜ה אֵלַ֗י אֱמֹ֤ר לָהֶם֙ לֹ֤א תַֽעֲלוּ֙ וְלֹא־תִלָּ֣חֲמ֔וּ כִּ֥י אֵינֶ֖נִּי בְּקִרְבְּכֶ֑ם וְלֹא֙ תִּנָּֽגְפ֔וּ לִפְנֵ֖י אֹיְבֵיכֶֽם׃ | 42 |
४२तब यहोवा ने मुझसे कहा, ‘उनसे कह दे कि तुम मत चढ़ो, और न लड़ो; क्योंकि मैं तुम्हारे मध्य में नहीं हूँ; कहीं ऐसा न हो कि तुम अपने शत्रुओं से हार जाओ।’
וָאֲדַבֵּ֥ר אֲלֵיכֶ֖ם וְלֹ֣א שְׁמַעְתֶּ֑ם וַתַּמְרוּ֙ אֶת־פִּ֣י יְהוָ֔ה וַתָּזִ֖דוּ וַתַּעֲל֥וּ הָהָֽרָה׃ | 43 |
४३यह बात मैंने तुम से कह दी, परन्तु तुम ने न मानी; किन्तु ढिठाई से यहोवा की आज्ञा का उल्लंघन करके पहाड़ पर चढ़ गए।
וַיֵּצֵ֨א הָאֱמֹרִ֜י הַיֹּשֵׁ֨ב בָּהָ֤ר הַהוּא֙ לִקְרַאתְכֶ֔ם וַיִּרְדְּפ֣וּ אֶתְכֶ֔ם כַּאֲשֶׁ֥ר תַּעֲשֶׂ֖ינָה הַדְּבֹרִ֑ים וַֽיַּכְּת֥וּ אֶתְכֶ֛ם בְּשֵׂעִ֖יר עַד־חָרְמָֽה׃ | 44 |
४४तब उस पहाड़ के निवासी एमोरियों ने तुम्हारा सामना करने को निकलकर मधुमक्खियों के समान तुम्हारा पीछा किया, और सेईर देश के होर्मा तक तुम्हें मारते-मारते चले आए।
וַתָּשֻׁ֥בוּ וַתִּבְכּ֖וּ לִפְנֵ֣י יְהוָ֑ה וְלֹֽא־שָׁמַ֤ע יְהוָה֙ בְּקֹ֣לְכֶ֔ם וְלֹ֥א הֶאֱזִ֖ין אֲלֵיכֶֽם׃ | 45 |
४५तब तुम लौटकर यहोवा के सामने रोने लगे; परन्तु यहोवा ने तुम्हारी न सुनी, न तुम्हारी बातों पर कान लगाया।
וַתֵּשְׁב֥וּ בְקָדֵ֖שׁ יָמִ֣ים רַבִּ֑ים כַּיָּמִ֖ים אֲשֶׁ֥ר יְשַׁבְתֶּֽם׃ | 46 |
४६और तुम कादेश में बहुत दिनों तक रहे, यहाँ तक कि एक युग हो गया।