< תְהִלִּים 85 >

לַמְנַצֵּ֬חַ ׀ לִבְנֵי־קֹ֬רַח מִזְמֽוֹר׃ רָצִ֣יתָ יְהוָ֣ה אַרְצֶ֑ךָ שַׁ֝֗בְתָּ שְׁבִ֣ית יַעֲקֹֽב׃ 1
प्रधान बजानेवाले के लिये: कोरहवंशियों का भजन हे यहोवा, तू अपने देश पर प्रसन्न हुआ, याकूब को बँधुवाई से लौटा ले आया है।
נָ֭שָׂאתָ עֲוֹ֣ן עַמֶּ֑ךָ כִּסִּ֖יתָ כָל־חַטָּאתָ֣ם סֶֽלָה׃ 2
तूने अपनी प्रजा के अधर्म को क्षमा किया है; और उसके सब पापों को ढाँप दिया है। (सेला)
אָסַ֥פְתָּ כָל־עֶבְרָתֶ֑ךָ הֱ֝שִׁיב֗וֹתָ מֵחֲר֥וֹן אַפֶּֽךָ׃ 3
तूने अपने रोष को शान्त किया है; और अपने भड़के हुए कोप को दूर किया है।
שׁ֭וּבֵנוּ אֱלֹהֵ֣י יִשְׁעֵ֑נוּ וְהָפֵ֖ר כַּֽעַסְךָ֣ עִמָּֽנוּ׃ 4
हे हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर, हमको पुनः स्थापित कर, और अपना क्रोध हम पर से दूर कर!
הַלְעוֹלָ֥ם תֶּֽאֱנַף־בָּ֑נוּ תִּמְשֹׁ֥ךְ אַ֝פְּךָ֗ לְדֹ֣ר וָדֹֽר׃ 5
क्या तू हम पर सदा कोपित रहेगा? क्या तू पीढ़ी से पीढ़ी तक कोप करता रहेगा?
הֲֽלֹא־אַ֭תָּה תָּשׁ֣וּב תְּחַיֵּ֑נוּ וְ֝עַמְּךָ֗ יִשְׂמְחוּ־בָֽךְ׃ 6
क्या तू हमको फिर न जिलाएगा, कि तेरी प्रजा तुझ में आनन्द करे?
הַרְאֵ֣נוּ יְהוָ֣ה חַסְדֶּ֑ךָ וְ֝יֶשְׁעֲךָ֗ תִּתֶּן־לָֽנוּ׃ 7
हे यहोवा अपनी करुणा हमें दिखा, और तू हमारा उद्धार कर।
אֶשְׁמְעָ֗ה מַה־יְדַבֵּר֮ הָאֵ֪ל ׀ יְה֫וָ֥ה כִּ֤י ׀ יְדַבֵּ֬ר שָׁל֗וֹם אֶל־עַמּ֥וֹ וְאֶל־חֲסִידָ֑יו וְֽאַל־יָשׁ֥וּבוּ לְכִסְלָֽה׃ 8
मैं कान लगाए रहूँगा कि परमेश्वर यहोवा क्या कहता है, वह तो अपनी प्रजा से जो उसके भक्त है, शान्ति की बातें कहेगा; परन्तु वे फिरके मूर्खता न करने लगें।
אַ֤ךְ ׀ קָר֣וֹב לִירֵאָ֣יו יִשְׁע֑וֹ לִשְׁכֹּ֖ן כָּב֣וֹד בְּאַרְצֵֽנוּ׃ 9
निश्चय उसके डरवैयों के उद्धार का समय निकट है, तब हमारे देश में महिमा का निवास होगा।
חֶֽסֶד־וֶאֱמֶ֥ת נִפְגָּ֑שׁוּ צֶ֖דֶק וְשָׁל֣וֹם נָשָֽׁקוּ׃ 10
१०करुणा और सच्चाई आपस में मिल गई हैं; धर्म और मेल ने आपस में चुम्बन किया हैं।
אֱ֭מֶת מֵאֶ֣רֶץ תִּצְמָ֑ח וְ֝צֶ֗דֶק מִשָּׁמַ֥יִם נִשְׁקָֽף׃ 11
११पृथ्वी में से सच्चाई उगती और स्वर्ग से धर्म झुकता है।
גַּם־יְ֭הוָה יִתֵּ֣ן הַטּ֑וֹב וְ֝אַרְצֵ֗נוּ תִּתֵּ֥ן יְבוּלָֽהּ׃ 12
१२हाँ, यहोवा उत्तम वस्तुएँ देगा, और हमारी भूमि अपनी उपज देगी।
צֶ֭דֶק לְפָנָ֣יו יְהַלֵּ֑ךְ וְיָשֵׂ֖ם לְדֶ֣רֶךְ פְּעָמָֽיו׃ 13
१३धर्म उसके आगे-आगे चलेगा, और उसके पाँवों के चिन्हों को हमारे लिये मार्ग बनाएगा।

< תְהִלִּים 85 >