< תְהִלִּים 62 >

לַמְנַצֵּ֥חַ עַֽל־יְדוּת֗וּן מִזְמ֥וֹר לְדָוִֽד׃ אַ֣ךְ אֶל־אֱ֭לֹהִים דּֽוּמִיָּ֣ה נַפְשִׁ֑י מִ֝מֶּ֗נּוּ יְשׁוּעָתִֽי׃ 1
प्रधान बजानेवाले के लिये दाऊद का भजन। यदूतून की राग पर सचमुच मैं चुपचाप होकर परमेश्वर की ओर मन लगाए हूँ मेरा उद्धार उसी से होता है।
אַךְ־ה֣וּא צ֭וּרִי וִֽישׁוּעָתִ֑י מִ֝שְׂגַּבִּ֗י לֹא־אֶמּ֥וֹט רַבָּֽה׃ 2
सचमुच वही, मेरी चट्टान और मेरा उद्धार है, वह मेरा गढ़ है मैं अधिक न डिगूँगा।
עַד־אָ֤נָה ׀ תְּהֽוֹתְת֣וּ עַל אִישׁ֮ תְּרָצְּח֪וּ כֻ֫לְּכֶ֥ם כְּקִ֥יר נָט֑וּי גָּ֝דֵ֗ר הַדְּחוּיָֽה׃ 3
तुम कब तक एक पुरुष पर धावा करते रहोगे, कि सब मिलकर उसका घात करो? वह तो झुकी हुई दीवार या गिरते हुए बाड़े के समान है।
אַ֤ךְ מִשְּׂאֵת֨וֹ ׀ יָעֲצ֣וּ לְהַדִּיחַ֮ יִרְצ֪וּ כָ֫זָ֥ב בְּפִ֥יו יְבָרֵ֑כוּ וּ֝בְקִרְבָּ֗ם יְקַלְלוּ־סֶֽלָה׃ 4
सचमुच वे उसको, उसके ऊँचे पद से गिराने की सम्मति करते हैं; वे झूठ से प्रसन्न रहते हैं। मुँह से तो वे आशीर्वाद देते पर मन में कोसते हैं। (सेला)
אַ֣ךְ לֵ֭אלֹהִים דּ֣וֹמִּי נַפְשִׁ֑י כִּי־מִ֝מֶּ֗נּוּ תִּקְוָתִֽי׃ 5
हे मेरे मन, परमेश्वर के सामने चुपचाप रह, क्योंकि मेरी आशा उसी से है।
אַךְ־ה֣וּא צ֭וּרִי וִֽישׁוּעָתִ֑י מִ֝שְׂגַּבִּ֗י לֹ֣א אֶמּֽוֹט׃ 6
सचमुच वही मेरी चट्टान, और मेरा उद्धार है, वह मेरा गढ़ है; इसलिए मैं न डिगूँगा।
עַל־אֱ֭לֹהִים יִשְׁעִ֣י וּכְבוֹדִ֑י צוּר־עֻזִּ֥י מַ֝חְסִ֗י בֵּֽאלֹהִֽים׃ 7
मेरे उद्धार और मेरी महिमा का आधार परमेश्वर है; मेरी दृढ़ चट्टान, और मेरा शरणस्थान परमेश्वर है।
בִּטְח֘וּ ב֤וֹ בְכָל־עֵ֨ת ׀ עָ֗ם שִׁפְכֽוּ־לְפָנָ֥יו לְבַבְכֶ֑ם אֱלֹהִ֖ים מַחֲסֶה־לָּ֣נוּ סֶֽלָה׃ 8
हे लोगों, हर समय उस पर भरोसा रखो; उससे अपने-अपने मन की बातें खोलकर कहो; परमेश्वर हमारा शरणस्थान है। (सेला)
אַ֤ךְ ׀ הֶ֥בֶל בְּנֵֽי־אָדָם֮ כָּזָ֪ב בְּנֵ֫י אִ֥ישׁ בְּמֹאזְנַ֥יִם לַעֲל֑וֹת הֵ֝֗מָּה מֵהֶ֥בֶל יָֽחַד׃ 9
सचमुच नीच लोग तो अस्थाई, और बड़े लोग मिथ्या ही हैं; तौल में वे हलके निकलते हैं; वे सब के सब साँस से भी हलके हैं।
אַל־תִּבְטְח֣וּ בְעֹשֶׁק֮ וּבְגָזֵ֪ל אַל־תֶּ֫הְבָּ֥לוּ חַ֤יִל ׀ כִּֽי־יָנ֑וּב אַל־תָּשִׁ֥יתוּ לֵֽב׃ 10
१०अत्याचार करने पर भरोसा मत रखो, और लूट पाट करने पर मत फूलो; चाहे धन-सम्पत्ति बढ़े, तो भी उस पर मन न लगाना।
אַחַ֤ת ׀ דִּבֶּ֬ר אֱלֹהִ֗ים שְׁתַּֽיִם־ז֥וּ שָׁמָ֑עְתִּי כִּ֥י עֹ֝֗ז לֵאלֹהִֽים׃ 11
११परमेश्वर ने एक बार कहा है; और दो बार मैंने यह सुना है: कि सामर्थ्य परमेश्वर का है
וּלְךָֽ־אֲדֹנָ֥י חָ֑סֶד כִּֽי־אַתָּ֨ה תְשַׁלֵּ֖ם לְאִ֣ישׁ כְּֽמַעֲשֵֽׂהוּ׃ 12
१२और हे प्रभु, करुणा भी तेरी है। क्योंकि तू एक-एक जन को उसके काम के अनुसार फल देता है।

< תְהִלִּים 62 >