< נחמיה 9 >
וּבְיוֹם֩ עֶשְׂרִ֨ים וְאַרְבָּעָ֜ה לַחֹ֣דֶשׁ הַזֶּ֗ה נֶאֶסְפ֤וּ בְנֵֽי־יִשְׂרָאֵל֙ בְּצ֣וֹם וּבְשַׂקִּ֔ים וַאֲדָמָ֖ה עֲלֵיהֶֽם׃ | 1 |
इसी महीने की चौबीसवीं तारीख पर इस्राएली इकट्ठा हुए. वे उपवास कर रहे थे, वे टाट पहने हुए थे और उन्होंने अपने-अपने सिरों पर धूल भी डाल ली थी.
וַיִּבָּֽדְלוּ֙ זֶ֣רַע יִשְׂרָאֵ֔ל מִכֹּ֖ל בְּנֵ֣י נֵכָ֑ר וַיַּעַמְד֗וּ וַיִּתְוַדּוּ֙ עַל־חַטֹּ֣אתֵיהֶ֔ם וַעֲוֹנ֖וֹת אֲבֹתֵיהֶֽם׃ | 2 |
इस्राएलियों ने अपने आपको सभी परदेशियों से अलग कर लिया था, वे खड़े हो गए और उन्होंने वहां अपने पाप और अपने पूर्वजों के पापों को भी अंगीकार किया.
וַיָּק֙וּמוּ֙ עַל־עָמְדָ֔ם וַֽיִּקְרְא֗וּ בְּסֵ֨פֶר תּוֹרַ֧ת יְהוָ֛ה אֱלֹהֵיהֶ֖ם רְבִעִ֣ית הַיּ֑וֹם וּרְבִעִית֙ מִתְוַדִּ֣ים וּמִֽשְׁתַּחֲוִ֔ים לַיהוָ֖ה אֱלֹהֵיהֶֽם׃ פ | 3 |
जब वे अपनी-अपनी जगह पर ही खड़े थे, वे छः घंटे याहवेह, अपने परमेश्वर की व्यवस्था की पुस्तक को पढ़ते रहे और बाकी छः घंटे वे याहवेह, अपने परमेश्वर के सामने पाप अंगीकार और उनकी स्तुति करते रहे.
וַיָּ֜קָם עַֽל־מַֽעֲלֵ֣ה הַלְוִיִּ֗ם יֵשׁ֨וּעַ וּבָנִ֜י קַדְמִיאֵ֧ל שְׁבַנְיָ֛ה בֻּנִּ֥י שֵׁרֵבְיָ֖ה בָּנִ֣י כְנָ֑נִי וַֽיִּזְעֲקוּ֙ בְּק֣וֹל גָּד֔וֹל אֶל־יְהוָ֖ה אֱלֹהֵיהֶֽם׃ | 4 |
इसके बाद येशुआ, बानी, कदमिएल, शेबानियाह, बुन्नी, शेरेबियाह, बानी और केनानी लेवियों के लिए ठहराई गई चौकी पर खड़े हो गए और ऊंची आवाज में याहवेह, अपने परमेश्वर की दोहाई दी.
וַיֹּאמְר֣וּ הַלְוִיִּ֡ם יֵשׁ֣וּעַ וְ֠קַדְמִיאֵל בָּנִ֨י חֲשַׁבְנְיָ֜ה שֵׁרֵֽבְיָ֤ה הֽוֹדִיָּה֙ שְׁבַנְיָ֣ה פְתַֽחְיָ֔ה ק֗וּמוּ בָּרֲכוּ֙ אֶת־יְהוָ֣ה אֱלֹֽהֵיכֶ֔ם מִן־הָעוֹלָ֖ם עַד־הָעוֹלָ֑ם וִיבָֽרְכוּ֙ שֵׁ֣ם כְּבוֹדֶ֔ךָ וּמְרוֹמַ֥ם עַל־כָּל־בְּרָכָ֖ה וּתְהִלָּֽה׃ | 5 |
इसके बाद लेवियों, येशुआ, कदमिएल, बानी, हशबनेइयाह, शेरेबियाह, होदियाह, शेबानियाह और पेथाइयाह ने भीड़ को आज्ञा दी: “उठो, याहवेह, अपने परमेश्वर की हमेशा स्तुति करते रहो!” “आपका महिमामय नाम धन्य कहा जाए और यह सारी प्रशंसा और स्तुति से ऊपर ही बनी रहे!
אַתָּה־ה֣וּא יְהוָה֮ לְבַדֶּךָ֒ אַתָּ֣ה עָשִׂ֡יתָ אֶֽת־הַשָּׁמַיִם֩ שְׁמֵ֨י הַשָּׁמַ֜יִם וְכָל־צְבָאָ֗ם הָאָ֜רֶץ וְכָל־אֲשֶׁ֤ר עָלֶ֙יהָ֙ הַיַּמִּים֙ וְכָל־אֲשֶׁ֣ר בָּהֶ֔ם וְאַתָּ֖ה מְחַיֶּ֣ה אֶת־כֻּלָּ֑ם וּצְבָ֥א הַשָּׁמַ֖יִם לְךָ֥ מִשְׁתַּחֲוִֽים׃ | 6 |
वह याहवेह तो सिर्फ आप ही हैं. आकाशमंडल के बनानेवाले आप ही हैं. आकाशमंडल और सारे नक्षत्र, यह पृथ्वी और उस पर की सारी वस्तुएं, सागर और उनमें की सारी वस्तुएं, आपने उन सबको जीवन दिया है. आकाश की शक्तियां आपके सामने झुककर आपको दंडवत करती हैं.
אַתָּה־הוּא֙ יְהוָ֣ה הָאֱלֹהִ֔ים אֲשֶׁ֤ר בָּחַ֙רְתָּ֙ בְּאַבְרָ֔ם וְהוֹצֵאת֖וֹ מֵא֣וּר כַּשְׂדִּ֑ים וְשַׂ֥מְתָּ שְּׁמ֖וֹ אַבְרָהָֽם׃ | 7 |
“आप ही वह याहवेह परमेश्वर हैं जिन्होंने अब्राम को चुना और उन्हें कसदियों के ऊर में से निकाला और उन्हें वह नाम अब्राहाम दिया.
וּמָצָ֣אתָ אֶת־לְבָבוֹ֮ נֶאֱמָ֣ן לְפָנֶיךָ֒ וְכָר֨וֹת עִמּ֜וֹ הַבְּרִ֗ית לָתֵ֡ת אֶת־אֶרֶץ֩ הַכְּנַעֲנִ֨י הַחִתִּ֜י הָאֱמֹרִ֧י וְהַפְּרִזִּ֛י וְהַיְבוּסִ֥י וְהַגִּרְגָּשִׁ֖י לָתֵ֣ת לְזַרְע֑וֹ וַתָּ֙קֶם֙ אֶת־דְּבָרֶ֔יךָ כִּ֥י צַדִּ֖יק אָֽתָּה׃ | 8 |
आपने यह जान लिया था कि उनका हृदय आपके प्रति विश्वासयोग्य है. इसलिये आपने उनके साथ वाचा बांधी कि आप उन्हें कनानियों, हित्तियों, अमोरियों, परिज्ज़ियों, यबूसियों गिर्गाशियों का देश उनके वंशजों को देंगे. आपने अपनी प्रतिज्ञा पूरी की, क्योंकि आप धर्मी परमेश्वर हैं.
וַתֵּ֛רֶא אֶת־עֳנִ֥י אֲבֹתֵ֖ינוּ בְּמִצְרָ֑יִם וְאֶת־זַעֲקָתָ֥ם שָׁמַ֖עְתָּ עַל־יַם־סֽוּף׃ | 9 |
“मिस्र में हमारे पूर्वजों का दुःख आपने देखा था, लाल सागर तट पर आपने उनकी विनती सुन ली.
וַ֠תִּתֵּן אֹתֹ֨ת וּמֹֽפְתִ֜ים בְּפַרְעֹ֤ה וּבְכָל־עֲבָדָיו֙ וּבְכָל־עַ֣ם אַרְצ֔וֹ כִּ֣י יָדַ֔עְתָּ כִּ֥י הֵזִ֖ידוּ עֲלֵיהֶ֑ם וַתַּֽעַשׂ־לְךָ֥ שֵׁ֖ם כְּהַיּ֥וֹם הַזֶּֽה׃ | 10 |
तब आपने फ़रोह के विरोध में चिन्ह और अद्भुत चमत्कार दिखाए. यह सब आपने फ़रोह के सेवकों और मिस्र देश की प्रजा के विरुद्ध किया, क्योंकि आप यह देख रहे थे, कि वे यह सब हमारे पूर्वजों के विरुद्ध कर रहे थे. ऐसा करके आपने अपने लिए बड़ा नाम किया है, जो आज तक बना है.
וְהַיָּם֙ בָּקַ֣עְתָּ לִפְנֵיהֶ֔ם וַיַּֽעַבְר֥וּ בְתוֹךְ־הַיָּ֖ם בַּיַּבָּשָׁ֑ה וְֽאֶת־רֹ֨דְפֵיהֶ֜ם הִשְׁלַ֧כְתָּ בִמְצוֹלֹ֛ת כְּמוֹ־אֶ֖בֶן בְּמַ֥יִם עַזִּֽים׃ | 11 |
आपने उनके सामने सागर को दो भाग कर दिया. वे सागर के बीच में से सूखी ज़मीन पर चलते हुए चले गए. जो उनका पीछा कर रहे थे, आपने उन्हें गहराइयों में ऐसा ड़ाल दिया जैसे उफ़नते हुए समुद्र में पत्थर डाला जाए.
וּבְעַמּ֣וּד עָנָ֔ן הִנְחִיתָ֖ם יוֹמָ֑ם וּבְעַמּ֥וּד אֵשׁ֙ לַ֔יְלָה לְהָאִ֣יר לָהֶ֔ם אֶת־הַדֶּ֖רֶךְ אֲשֶׁ֥ר יֵֽלְכוּ־בָֽהּ׃ | 12 |
दिन में आप उनका मार्गदर्शन बादल के खंभे से और रात में आग के खंभे से करते थे, कि जिस मार्ग पर उन्हें चलना था उस पर उजाला बना रहे.
וְעַ֤ל הַר־סִינַי֙ יָרַ֔דְתָּ וְדַבֵּ֥ר עִמָּהֶ֖ם מִשָּׁמָ֑יִם וַתִּתֵּ֨ן לָהֶ֜ם מִשְׁפָּטִ֤ים יְשָׁרִים֙ וְתוֹר֣וֹת אֱמֶ֔ת חֻקִּ֥ים וּמִצְוֹ֖ת טוֹבִֽים׃ | 13 |
“तब आपने सीनायी पहाड़ पर उतरकर स्वर्ग से उनसे बातें की; आपने उनके लिए सच्ची व्यवस्था और अच्छी आज्ञाएं दी, आदर्श व्यवस्था और आज्ञा.
וְאֶת־שַׁבַּ֥ת קָדְשְׁךָ֖ הוֹדַ֣עַתָ לָהֶ֑ם וּמִצְו֤וֹת וְחֻקִּים֙ וְתוֹרָ֔ה צִוִּ֣יתָ לָהֶ֔ם בְּיַ֖ד מֹשֶׁ֥ה עַבְדֶּֽךָ׃ | 14 |
आपने उन्हें अपने पवित्र शब्बाथ के बारे में बताया, आपने उनकी भलाई में अपने सेवक मोशेह के द्वारा आज्ञाएं, विधियां और व्यवस्था दीं.
וְ֠לֶחֶם מִשָּׁמַ֜יִם נָתַ֤תָּה לָהֶם֙ לִרְעָבָ֔ם וּמַ֗יִם מִסֶּ֛לַע הוֹצֵ֥אתָ לָהֶ֖ם לִצְמָאָ֑ם וַתֹּ֣אמֶר לָהֶ֗ם לָבוֹא֙ לָרֶ֣שֶׁת אֶת־הָאָ֔רֶץ אֲשֶׁר־נָשָׂ֥אתָ אֶת־יָדְךָ֖ לָתֵ֥ת לָהֶֽם׃ | 15 |
आपने उनकी भूख मिटाने के लिए स्वर्ग से भोजन दिया, उनकी प्यास बुझाने के लिए चट्टान से पानी निकाला. आपने उन्हें आज्ञा दी कि उस देश में प्रवेश कर उस पर अधिकार करें, जिसे देने की आपने उनसे प्रतिज्ञा की थी.
וְהֵ֥ם וַאֲבֹתֵ֖ינוּ הֵזִ֑ידוּ וַיַּקְשׁוּ֙ אֶת־עָרְפָּ֔ם וְלֹ֥א שָׁמְע֖וּ אֶל־מִצְוֹתֶֽיךָ׃ | 16 |
“मगर उन्होंने, हमारे पूर्वजों ने घमण्ड़ किया; वे हठीले बन गए और उन्होंने आपके आदेशों को न माना.
וַיְמָאֲנ֣וּ לִשְׁמֹ֗עַ וְלֹא־זָכְר֤וּ נִפְלְאֹתֶ֙יךָ֙ אֲשֶׁ֣ר עָשִׂ֣יתָ עִמָּהֶ֔ם וַיַּקְשׁוּ֙ אֶת־עָרְפָּ֔ם וַיִּתְּנוּ־רֹ֛אשׁ לָשׁ֥וּב לְעַבְדֻתָ֖ם בְּמִרְיָ֑ם וְאַתָּה֩ אֱל֨וֹהַּ סְלִיח֜וֹת חַנּ֧וּן וְרַח֛וּם אֶֽרֶךְ־אַפַּ֥יִם וְרַב־חֶ֖סֶד וְלֹ֥א עֲזַבְתָּֽם׃ | 17 |
उन्होंने आपकी आवाज को सुनना ही न चाहा. उन्होंने आपके द्वारा किए गए अद्भुत चमत्कारों को भुला दिया, जो आपने उनके बीच में किए थे; इसका परिणाम यह हुआ कि उन्होंने मिस्र की बंधुआई में लौट जाने के लक्ष्य से अपने लिए एक प्रधान चुन लिया. किंतु आप क्षमा करनेवाले परमेश्वर हैं, अनुग्रहकारी और दयालु, क्रोध करने में धीमे और प्रेम करने में अपार. आपने उन्हें अकेला न छोड़ा.
אַ֗ף כִּֽי־עָשׂ֤וּ לָהֶם֙ עֵ֣גֶל מַסֵּכָ֔ה וַיֹּ֣אמְר֔וּ זֶ֣ה אֱלֹהֶ֔יךָ אֲשֶׁ֥ר הֶעֶלְךָ֖ מִמִּצְרָ֑יִם וַֽיַּעֲשׂ֔וּ נֶאָצ֖וֹת גְּדֹלֽוֹת׃ | 18 |
उस मौके पर भी नहीं, जब उन्होंने अपने लिए बछड़े की मूर्ति बनायी थी और यह घोषित कर दिया था: ‘यही है तुम्हारा परमेश्वर, जिसने तुम्हें मिस्र से निकाला है,’ इस प्रकार उन्होंने परमेश्वर का बहुत अपमान किया.
וְאַתָּה֙ בְּרַחֲמֶ֣יךָ הָֽרַבִּ֔ים לֹ֥א עֲזַבְתָּ֖ם בַּמִּדְבָּ֑ר אֶת־עַמּ֣וּד הֶ֠עָנָן לֹא־סָ֨ר מֵעֲלֵיהֶ֤ם בְּיוֹמָם֙ לְהַנְחֹתָ֣ם בְּהַדֶּ֔רֶךְ וְאֶת־עַמּ֨וּד הָאֵ֤שׁ בְּלַ֙יְלָה֙ לְהָאִ֣יר לָהֶ֔ם וְאֶת־הַדֶּ֖רֶךְ אֲשֶׁ֥ר יֵֽלְכוּ־בָֽהּ׃ | 19 |
“अपनी अद्भुत दया में आपने उन्हें बंजर भूमि में अकेला न छोड़ा; दिन में न तो बादल के खंभे ने उनका साथ छोड़ा कि उन्हें मार्गदर्शन मिलता रहे, न ही रात में उस आग के खंभे ने, कि उनके रास्ते में उजाला रहे, जिस पर उन्हें आगे बढ़ना था.
וְרוּחֲךָ֨ הַטּוֹבָ֔ה נָתַ֖תָּ לְהַשְׂכִּילָ֑ם וּמַנְךָ֙ לֹא־מָנַ֣עְתָּ מִפִּיהֶ֔ם וּמַ֛יִם נָתַ֥תָּה לָהֶ֖ם לִצְמָאָֽם׃ | 20 |
आपने अपना भला आत्मा उनके लिए दे दिया, कि वह उन्हें समझाते जाएं. आपने उन्हें मन्ना खिलाना न छोड़ा और उनकी प्यास बुझाने के लिए पानी हमेशा बना रहा.
וְאַרְבָּעִ֥ים שָׁנָ֛ה כִּלְכַּלְתָּ֥ם בַּמִּדְבָּ֖ר לֹ֣א חָסֵ֑רוּ שַׂלְמֹֽתֵיהֶם֙ לֹ֣א בָל֔וּ וְרַגְלֵיהֶ֖ם לֹ֥א בָצֵֽקוּ׃ | 21 |
सच तो यह है, कि बंजर भूमि में आप उनकी आवश्यकताओं को पूरा करते रहें, उन्हें किसी प्रकार की कोई कमी न हुई; न उनके कपड़े ही फटे और न ही उनके पैरों में सूजन आई.
וַתִּתֵּ֨ן לָהֶ֤ם מַמְלָכוֹת֙ וַעֲמָמִ֔ים וַֽתַּחְלְקֵ֖ם לְפֵאָ֑ה וַיִּֽירְשׁ֞וּ אֶת־אֶ֣רֶץ סִיח֗וֹן וְאֶת־אֶ֙רֶץ֙ מֶ֣לֶךְ חֶשְׁבּ֔וֹן וְאֶת־אֶ֖רֶץ ע֥וֹג מֶֽלֶךְ־הַבָּשָֽׁן׃ | 22 |
“आपने राज्य और लोग उनके वश में कर दिए और उन्हें क्षेत्र का हर एक कोना भी दे दिया. उन्होंने हेशबोन के राजा सीहोन के देश पर अधिकार कर लिया और बाशान के राजा ओग के देश पर भी.
וּבְנֵיהֶ֣ם הִרְבִּ֔יתָ כְּכֹכְבֵ֖י הַשָּׁמָ֑יִם וַתְּבִיאֵם֙ אֶל־הָאָ֔רֶץ אֲשֶׁר־אָמַ֥רְתָּ לַאֲבֹתֵיהֶ֖ם לָב֥וֹא לָרָֽשֶׁת׃ | 23 |
आपने उनके वंशजों की गिनती आकाश के तारों के समान अनगिनत कर दी और उन्हें उस देश में ले आए, जिसमें प्रवेश कर उस पर अधिकार कर लेने का आदेश आपने उनके पूर्वजों को दिया था.
וַיָּבֹ֤אוּ הַבָּנִים֙ וַיִּֽירְשׁ֣וּ אֶת־הָאָ֔רֶץ וַתַּכְנַ֨ע לִפְנֵיהֶ֜ם אֶת־יֹשְׁבֵ֤י הָאָ֙רֶץ֙ הַכְּנַ֣עֲנִ֔ים וַֽתִּתְּנֵ֖ם בְּיָדָ֑ם וְאֶת־מַלְכֵיהֶם֙ וְאֶת־עַֽמְמֵ֣י הָאָ֔רֶץ לַעֲשׂ֥וֹת בָּהֶ֖ם כִּרְצוֹנָֽם׃ | 24 |
तब उनके वंशजों ने उस देश में प्रवेश किया और उस पर अधिकार कर लिया. आपने ही उनके सामने से उस देश के निवासी कनानियों को उनके अधीन कर दिया. उस देश के राजा और प्रजा को आपने उनके हाथ में दे दिया, कि वे उनके साथ अपनी इच्छा अनुसार व्यवहार करें.
וַֽיִּלְכְּד֞וּ עָרִ֣ים בְּצֻרוֹת֮ וַאֲדָמָ֣ה שְׁמֵנָה֒ וַיִּֽירְשׁ֡וּ בָּתִּ֣ים מְלֵֽאִים־כָּל־ט֠וּב בֹּר֨וֹת חֲצוּבִ֜ים כְּרָמִ֧ים וְזֵיתִ֛ים וְעֵ֥ץ מַאֲכָ֖ל לָרֹ֑ב וַיֹּאכְל֤וּ וַֽיִּשְׂבְּעוּ֙ וַיַּשְׁמִ֔ינוּ וַיִּֽתְעַדְּנ֖וּ בְּטוּבְךָ֥ הַגָּדֽוֹל׃ | 25 |
उन्होंने गढ़ नगरों और उपजाऊ भूमि को अपने अधिकार में ले लिया. उन्होंने उन सभी घरों को अपने अधिकार में कर लिया, जिनमें सब प्रकार के अच्छे-अच्छे सामान भरे हुए थे: चट्टानों में खोदा गया हौद, अंगूर के बगीचे, ज़ैतून के बगीचे और बहुल फलदाई पेड़. वे उनको खाते थे, वे तृप्त हुए, वे अच्छी तरह से पोषित होते चले गए और आपकी बड़ी भलाई के प्रति वे खुशी मनाते रहे.
וַיַּמְר֨וּ וַֽיִּמְרְד֜וּ בָּ֗ךְ וַיַּשְׁלִ֤כוּ אֶת־תּוֹרָֽתְךָ֙ אַחֲרֵ֣י גַוָּ֔ם וְאֶת־נְבִיאֶ֣יךָ הָרָ֔גוּ אֲשֶׁר־הֵעִ֥ידוּ בָ֖ם לַהֲשִׁיבָ֣ם אֵלֶ֑יךָ וַֽיַּעֲשׂ֔וּ נֶאָצ֖וֹת גְּדוֹלֹֽת׃ | 26 |
“फिर भी वे आपसे फिर गए और उन्होंने आपसे विद्रोह किया. उन्होंने तो आपकी व्यवस्था को अपने पीठ पीछे फेंक दिया, वे उन भविष्यवक्ताओं का वध कर देते थे, जो उन्हें इस उद्देश्य से चेतावनी और झिड़कियां देते थे, कि वे आपकी ओर लौट जाएं, वे परमेश्वर की घोर निन्दाएं करते चले गए.
וַֽתִּתְּנֵם֙ בְּיַ֣ד צָֽרֵיהֶ֔ם וַיָּצֵ֖רוּ לָהֶ֑ם וּבְעֵ֤ת צָֽרָתָם֙ יִצְעֲק֣וּ אֵלֶ֔יךָ וְאַתָּה֙ מִשָּׁמַ֣יִם תִּשְׁמָ֔ע וּֽכְרַחֲמֶ֣יךָ הָֽרַבִּ֗ים תִּתֵּ֤ן לָהֶם֙ מֽוֹשִׁיעִ֔ים וְיוֹשִׁיע֖וּם מִיַּ֥ד צָרֵיהֶֽם׃ | 27 |
यही कारण था कि आपने उन्हें उनके सतानेवालों के अधीन कर दिया, जो उन्हें सताते रहे; मगर जब अपने दुःख के समय में उन्होंने आपकी दोहाई दी, आपने अपनी बड़ी करुणा के अनुसार स्वर्ग से उनकी सुन ली, आपने उनके लिए छुड़ानेवाले भी भेजे.
וּכְנ֣וֹחַ לָהֶ֔ם יָשׁ֕וּבוּ לַעֲשׂ֥וֹת רַ֖ע לְפָנֶ֑יךָ וַתַּֽעַזְבֵ֞ם בְּיַ֤ד אֹֽיְבֵיהֶם֙ וַיִּרְדּ֣וּ בָהֶ֔ם וַיָּשׁ֙וּבוּ֙ וַיִּזְעָק֔וּךָ וְאַתָּ֞ה מִשָּׁמַ֧יִם תִּשְׁמַ֛ע וְתַצִּילֵ֥ם כְּֽרַחֲמֶ֖יךָ רַבּ֥וֹת עִתִּֽים׃ | 28 |
“मगर जैसे ही उन्हें यह छुटकारा मिलता था, वे आपके सामने दोबारा बुराई करने लगते थे; फलस्वरूप आपने उन्हें उनके शत्रुओं के अधीन कर दिया कि वे उन पर शासन करें. जब उन्होंने आपकी दोहाई दी, आपने स्वर्ग से उनकी सुन ली. बहुत बार आपने अपनी करुणा के अनुसार उन्हें छुड़ाया.
וַתָּ֨עַד בָּהֶ֜ם לַהֲשִׁיבָ֣ם אֶל־תּוֹרָתֶ֗ךָ וְהֵ֨מָּה הֵזִ֜ידוּ וְלֹא־שָׁמְע֤וּ לְמִצְוֹתֶ֙יךָ֙ וּבְמִשְׁפָּטֶ֣יךָ חָֽטְאוּ־בָ֔ם אֲשֶׁר־יַעֲשֶׂ֥ה אָדָ֖ם וְחָיָ֣ה בָהֶ֑ם וַיִּתְּנ֤וּ כָתֵף֙ סוֹרֶ֔רֶת וְעָרְפָּ֥ם הִקְשׁ֖וּ וְלֹ֥א שָׁמֵֽעוּ׃ | 29 |
“उन्हें अपनी व्यवस्था की ओर फेरने के उद्देश्य से आप उन्हें चेतावनी पर चेतावनी देते रहें. मगर वे अपने हठ में ही अड़े रहें, आपके आदेशों को न मानते थे और आपके नियमों के विरुद्ध पाप करते रहें, जिनका पालन करने में ही मानव का जीवन है. अपने हठ में वे आपकी आज्ञा को ठुकराते चले गए.
וַתִּמְשֹׁ֤ךְ עֲלֵיהֶם֙ שָׁנִ֣ים רַבּ֔וֹת וַתָּ֨עַד בָּ֧ם בְּרוּחֲךָ֛ בְּיַד־נְבִיאֶ֖יךָ וְלֹ֣א הֶאֱזִ֑ינוּ וַֽתִּתְּנֵ֔ם בְּיַ֖ד עַמֵּ֥י הָאֲרָצֹֽת׃ | 30 |
फिर भी, सालों तक आप उनकी सहते रहे. आप उन्हें अपनी आत्मा के द्वारा अपने भविष्यवक्ताओं के माध्यम से चेतावनी देते रहे; मगर तब भी उन्होंने आपकी न सुनी. इसलिये आपने उन्हें उन देशों के निवासियों के अधीन कर दिया.
וּֽבְרַחֲמֶ֧יךָ הָרַבִּ֛ים לֹֽא־עֲשִׂיתָ֥ם כָּלָ֖ה וְלֹ֣א עֲזַבְתָּ֑ם כִּ֛י אֵֽל־חַנּ֥וּן וְרַח֖וּם אָֽתָּה׃ | 31 |
फिर भी, अपनी अपार दया में आपने उन्हें मिटा नहीं दिया और न ही उन्हें अकेला छोड़ दिया; क्योंकि आप दयालु और अनुग्रहकारी परमेश्वर हैं.
וְעַתָּ֣ה אֱ֠לֹהֵינוּ הָאֵ֨ל הַגָּד֜וֹל הַגִּבּ֣וֹר וְהַנּוֹרָא֮ שׁוֹמֵ֣ר הַבְּרִ֣ית וְהַחֶסֶד֒ אַל־יִמְעַ֣ט לְפָנֶ֡יךָ אֵ֣ת כָּל־הַתְּלָאָ֣ה אֲֽשֶׁר־מְ֠צָאַתְנוּ לִמְלָכֵ֨ינוּ לְשָׂרֵ֧ינוּ וּלְכֹהֲנֵ֛ינוּ וְלִנְבִיאֵ֥נוּ וְלַאֲבֹתֵ֖ינוּ וּלְכָל־עַמֶּ֑ךָ מִימֵי֙ מַלְכֵ֣י אַשּׁ֔וּר עַ֖ד הַיּ֥וֹם הַזֶּֽה׃ | 32 |
“इसलिये, हमारे परमेश्वर, आप जो महान, सर्वशक्तिमान और भय-योग्य हैं, जो अपनी वाचा को स्थिर रखते हैं, जो करुणा से भरपूर हैं, आपकी नज़रों में हमारी सारी कठिनाइयां छोटी न जानी जाएं. वे सभी कठिनाइयां हम पर, हमारे राजाओं पर, हमारे शासकों पर, हमारे पुरोहितों पर, हमारे भविष्यवक्ताओं पर, हमारे पूर्वजों पर और आपके सभी लोगों पर अश्शूर के राजाओं के समय से आज तक आती रही हैं.
וְאַתָּ֣ה צַדִּ֔יק עַ֖ל כָּל־הַבָּ֣א עָלֵ֑ינוּ כִּֽי־אֱמֶ֥ת עָשִׂ֖יתָ וַאֲנַ֥חְנוּ הִרְשָֽׁעְנוּ׃ | 33 |
फिर भी, जो कुछ आपने हम पर भेजा है, उसमें आप न्यायी ही हैं; क्योंकि आपका व्यवहार विश्वासयोग्य था, मगर हमने ही दुष्टता की है.
וְאֶת־מְלָכֵ֤ינוּ שָׂרֵ֙ינוּ֙ כֹּהֲנֵ֣ינוּ וַאֲבֹתֵ֔ינוּ לֹ֥א עָשׂ֖וּ תּוֹרָתֶ֑ךָ וְלֹ֤א הִקְשִׁ֙יבוּ֙ אֶל־מִצְוֹתֶ֔יךָ וּלְעֵ֣דְוֹתֶ֔יךָ אֲשֶׁ֥ר הַעִידֹ֖תָ בָּהֶֽם׃ | 34 |
क्योंकि हमारे राजाओं ने, हमारे पुरोहितों ने और हमारे पूर्वजों ने आपकी व्यवस्था का पालन नहीं किया और न ही उन्होंने आपके आदेशों की ओर ध्यान दिया है, न आपकी चेतावनियों पर.
וְהֵ֣ם בְּמַלְכוּתָם֩ וּבְטוּבְךָ֨ הָרָ֜ב אֲשֶׁר־נָתַ֣תָּ לָהֶ֗ם וּבְאֶ֨רֶץ הָרְחָבָ֧ה וְהַשְּׁמֵנָ֛ה אֲשֶׁר־נָתַ֥תָּ לִפְנֵיהֶ֖ם לֹ֣א עֲבָד֑וּךָ וְֽלֹא־שָׁ֔בוּ מִמַּֽעַלְלֵיהֶ֖ם הָרָעִֽים׃ | 35 |
वह राज्य, जो आपने उन्हें अपनी भलाई में दिया था, वह देश, जो विशाल और फलवंत देश था, जो उन्हें आपकी दी हुई भेंट थी, उसमें उन्होंने न तो आपकी सेवा की और न ही अपने बुरे कामों से दूर हुए.
הִנֵּ֛ה אֲנַ֥חְנוּ הַיּ֖וֹם עֲבָדִ֑ים וְהָאָ֜רֶץ אֲשֶׁר־נָתַ֣תָּה לַאֲבֹתֵ֗ינוּ לֶאֱכֹ֤ל אֶת־פִּרְיָהּ֙ וְאֶת־טוּבָ֔הּ הִנֵּ֛ה אֲנַ֥חְנוּ עֲבָדִ֖ים עָלֶֽיהָ׃ | 36 |
“देख लीजिए: हम आज भी दास ही हैं. हम उसी देश में दास होकर रह रहे हैं, जिसे आपने हमारे पूर्वजों को यह कहते हुए दिया था: ‘इसकी अच्छी उपज को खाओ!’
וּתְבוּאָתָ֣הּ מַרְבָּ֗ה לַמְּלָכִ֛ים אֲשֶׁר־נָתַ֥תָּה עָלֵ֖ינוּ בְּחַטֹּאותֵ֑ינוּ וְעַ֣ל גְּ֠וִיֹּתֵינוּ מֹשְׁלִ֤ים וּבִבְהֶמְתֵּ֙נוּ֙ כִּרְצוֹנָ֔ם וּבְצָרָ֥ה גְדוֹלָ֖ה אֲנָֽחְנוּ׃ פ | 37 |
इसकी उपज अब उन राजाओं की होकर रह गई है, जिन्हें आपने ही हमारे पापों के कारण हम पर अधिकारी बना दिया है. वे तो हमारे शरीर और हमारे पशुओं तक पर अपनी इच्छा के अनुसार कर रहे हैं. इसके कारण हम बहुत दर्द में पड़े हैं.
וּבְכָל־זֹ֕את אֲנַ֛חְנוּ כֹּרְתִ֥ים אֲמָנָ֖ה וְכֹתְבִ֑ים וְעַל֙ הֶֽחָת֔וּם שָׂרֵ֥ינוּ לְוִיֵּ֖נוּ כֹּהֲנֵֽינוּ׃ | 38 |
“यह सब देख हम अब एक वाचा लिखकर बना रहे हैं; इस पर हमारे नायकों, लेवियों और पुरोहितों के नाम की मोहर भी लगा देते हैं.”