< שֹׁפְטִים 6 >
וַיַּעֲשׂ֧וּ בְנֵי־יִשְׂרָאֵ֛ל הָרַ֖ע בְּעֵינֵ֣י יְהוָ֑ה וַיִּתְּנֵ֧ם יְהוָ֛ה בְּיַד־מִדְיָ֖ן שֶׁ֥בַע שָׁנִֽים׃ | 1 |
और बनी — इस्राईल ने ख़ुदावन्द के आगे बुराई की, और ख़ुदावन्द ने उनको सात बरस तक मिदियानियों के हाथ में रख्खा।
וַתָּ֥עָז יַד־מִדְיָ֖ן עַל־יִשְׂרָאֵ֑ל מִפְּנֵ֨י מִדְיָ֜ן עָשֽׂוּ לָהֶ֣ם ׀ בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֗ל אֶת־הַמִּנְהָרוֹת֙ אֲשֶׁ֣ר בֶּֽהָרִ֔ים וְאֶת־הַמְּעָר֖וֹת וְאֶת־הַמְּצָדֽוֹת׃ | 2 |
और मिदियानियों का हाथ इस्राईलियों पर ग़ालिब हुआ; और मिदियानियों की वजह से बनी — इस्राईल ने अपने लिए पहाड़ों में खोह और ग़ार और क़िले' बना लिए।
וְהָיָ֖ה אִם־זָרַ֣ע יִשְׂרָאֵ֑ל וְעָלָ֨ה מִדְיָ֧ן וַֽעֲמָלֵ֛ק וּבְנֵי־קֶ֖דֶם וְעָל֥וּ עָלָֽיו׃ | 3 |
और ऐसा होता था कि जब बनी — इस्राईल कुछ बोते थे, तो मिदियानी और 'अमालीक़ी और मशरिक़ के लोग उन पर चढ़ आते थे;
וַיַּחֲנ֣וּ עֲלֵיהֶ֗ם וַיַּשְׁחִ֙יתוּ֙ אֶת־יְב֣וּל הָאָ֔רֶץ עַד־בּוֹאֲךָ֖ עַזָּ֑ה וְלֹֽא־יַשְׁאִ֤ירוּ מִֽחְיָה֙ בְּיִשְׂרָאֵ֔ל וְשֶׂ֥ה וָשׁ֖וֹר וַחֲמֽוֹר׃ | 4 |
और उनके मुक़ाबिल डेरे लगा कर ग़ज़्ज़ा तक खेतों की पैदावार को बर्बाद कर डालते, और बनी — इस्राईल के लिए न तो कुछ ख़ुराक, न भेड़ — बकरी, न गाय बैल, न गधा छोड़ते थे।
כִּ֡י הֵם֩ וּמִקְנֵיהֶ֨ם יַעֲל֜וּ וְאָהֳלֵיהֶ֗ם וּבָ֤אוּ כְדֵֽי־אַרְבֶּה֙ לָרֹ֔ב וְלָהֶ֥ם וְלִגְמַלֵּיהֶ֖ם אֵ֣ין מִסְפָּ֑ר וַיָּבֹ֥אוּ בָאָ֖רֶץ לְשַׁחֲתָֽהּ׃ | 5 |
क्यूँकि वह अपने चौपायों और डेरों को साथ लेकर आते, और टिड्डियों के दल की तरह आते; और वह और उनके ऊँट बेशुमार होते थे। यह लोग मुल्क को तबाह करने के लिए आ जाते थे।
וַיִּדַּ֧ל יִשְׂרָאֵ֛ל מְאֹ֖ד מִפְּנֵ֣י מִדְיָ֑ן וַיִּזְעֲק֥וּ בְנֵֽי־יִשְׂרָאֵ֖ל אֶל־יְהוָֽה׃ פ | 6 |
इसलिए इस्राईली मिदियानियों की वजह से निहायत बर्बाद हो गए, और बनी — इस्राईल ख़ुदावन्द से फ़रियाद करने लगे।
וַיְהִ֕י כִּֽי־זָעֲק֥וּ בְנֵֽי־יִשְׂרָאֵ֖ל אֶל־יְהוָ֑ה עַ֖ל אֹד֥וֹת מִדְיָֽן׃ | 7 |
और जब बनी — इस्राईल मिदियानियों की वजह से ख़ुदावन्द से फ़रियाद करने लगे,
וַיִּשְׁלַ֧ח יְהוָ֛ה אִ֥ישׁ נָבִ֖יא אֶל־בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֑ל וַיֹּ֨אמֶר לָהֶ֜ם כֹּה־אָמַ֥ר יְהוָ֣ה ׀ אֱלֹהֵ֣י יִשְׂרָאֵ֗ל אָנֹכִ֞י הֶעֱלֵ֤יתִי אֶתְכֶם֙ מִמִּצְרַ֔יִם וָאֹצִ֥יא אֶתְכֶ֖ם מִבֵּ֥ית עֲבָדִֽים׃ | 8 |
तो ख़ुदावन्द ने बनी — इस्राईल के पास एक नबी को भेजा। उसने उनसे कहा कि ख़ुदावन्द इस्राईल का ख़ुदा यूँ फ़रमाता है: मैं तुम को मिस्र से लाया, और मैंने तुम को ग़ुलामी के घर से बाहर निकाला।
וָאַצִּ֤ל אֶתְכֶם֙ מִיַּ֣ד מִצְרַ֔יִם וּמִיַּ֖ד כָּל־לֹחֲצֵיכֶ֑ם וָאֲגָרֵ֤שׁ אוֹתָם֙ מִפְּנֵיכֶ֔ם וָאֶתְּנָ֥ה לָכֶ֖ם אֶת־אַרְצָֽם׃ | 9 |
मैंने मिस्त्रियों के हाथ से और उन सभों के हाथ से जो तुम को सताते थे तुम को छुड़ाया, और तुम्हारे सामने से उनको दफ़ा' किया और उनका मुल्क तुम को दिया।
וָאֹמְרָ֣ה לָכֶ֗ם אֲנִי֙ יְהוָ֣ה אֱלֹהֵיכֶ֔ם לֹ֤א תִֽירְאוּ֙ אֶת־אֱלֹהֵ֣י הָאֱמֹרִ֔י אֲשֶׁ֥ר אַתֶּ֖ם יוֹשְׁבִ֣ים בְּאַרְצָ֑ם וְלֹ֥א שְׁמַעְתֶּ֖ם בְּקוֹלִֽי׃ פ | 10 |
और मैंने तुम से कहा था कि ख़ुदावन्द तुम्हारा ख़ुदा मैं हूँ; इसलिएतुम उन अमोरियों के मा'बूदों से जिनके मुल्क में बसते हो, मत डरना। लेकिन तुम ने मेरी बात न मानी।
וַיָּבֹ֞א מַלְאַ֣ךְ יְהוָ֗ה וַיֵּ֙שֶׁב֙ תַּ֤חַת הָֽאֵלָה֙ אֲשֶׁ֣ר בְּעָפְרָ֔ה אֲשֶׁ֥ר לְיוֹאָ֖שׁ אֲבִ֣י הָֽעֶזְרִ֑י וְגִדְע֣וֹן בְּנ֗וֹ חֹבֵ֤ט חִטִּים֙ בַּגַּ֔ת לְהָנִ֖יס מִפְּנֵ֥י מִדְיָֽן׃ | 11 |
फिर ख़ुदावन्द का फ़रिश्ता आकर उफ़रा में बलूत के एक दरख़्त के नीचे जो यूआस अबी'अज़र का था बैठा, और उसका बेटा जिदाऊन मय के एक कोल्हू में गेहूँ झाड़ रहा था ताकि उसको मिदियानियों से छिपा रख्खे।
וַיֵּרָ֥א אֵלָ֖יו מַלְאַ֣ךְ יְהוָ֑ה וַיֹּ֣אמֶר אֵלָ֔יו יְהוָ֥ה עִמְּךָ֖ גִּבּ֥וֹר הֶחָֽיִל׃ | 12 |
और ख़ुदावन्द का फ़रिश्ता उसे दिखाई देकर उससे कहने लगा कि ऐ ताक़तवर सूर्मा, ख़ुदावन्द तेरे साथ है।
וַיֹּ֨אמֶר אֵלָ֤יו גִּדְעוֹן֙ בִּ֣י אֲדֹנִ֔י וְיֵ֤שׁ יְהוָה֙ עִמָּ֔נוּ וְלָ֥מָּה מְצָאַ֖תְנוּ כָּל־זֹ֑את וְאַיֵּ֣ה כָֽל־נִפְלְאֹתָ֡יו אֲשֶׁר֩ סִפְּרוּ־לָ֨נוּ אֲבוֹתֵ֜ינוּ לֵאמֹ֗ר הֲלֹ֤א מִמִּצְרַ֙יִם֙ הֶעֱלָ֣נוּ יְהוָ֔ה וְעַתָּה֙ נְטָשָׁ֣נוּ יְהוָ֔ה וַֽיִּתְּנֵ֖נוּ בְּכַף־מִדְיָֽן׃ | 13 |
जिदा'ऊन ने उससे कहा, “ऐ मेरे मालिक! अगर ख़ुदावन्द ही हमारे साथ है तो हम पर यह सब हादसे क्यूँ गुज़रे? और उसके वह सब 'अजीब काम कहाँ गए, जिनका ज़िक्र हमारे बाप — दादा हम से यूँ करते थे, कि क्या ख़ुदावन्द ही हम को मिस्र से नहीं निकाल लाया? लेकिन अब तो ख़ुदावन्द ने हम को छोड़ दिया, और हम को मिदियानियों के हाथ में कर दिया।”
וַיִּ֤פֶן אֵלָיו֙ יְהוָ֔ה וַיֹּ֗אמֶר לֵ֚ךְ בְּכֹחֲךָ֣ זֶ֔ה וְהוֹשַׁעְתָּ֥ אֶת־יִשְׂרָאֵ֖ל מִכַּ֣ף מִדְיָ֑ן הֲלֹ֖א שְׁלַחְתִּֽיךָ׃ | 14 |
तब ख़ुदावन्द ने उस पर निगाह की और कहा कि तू अपने इसी ताक़त में जा, और बनी — इस्राईल की मिदियानियों के हाथ से छुड़ा। क्या मैंने तुझे नहीं भेजा?
וַיֹּ֤אמֶר אֵלָיו֙ בִּ֣י אֲדֹנָ֔י בַּמָּ֥ה אוֹשִׁ֖יעַ אֶת־יִשְׂרָאֵ֑ל הִנֵּ֤ה אַלְפִּי֙ הַדַּ֣ל בִּמְנַשֶּׁ֔ה וְאָנֹכִ֥י הַצָּעִ֖יר בְּבֵ֥ית אָבִֽי׃ | 15 |
उसने उससे कहा, “ऐ मालिक! मैं किस तरह बनी — इस्राईल को बचाऊँ? मेरा घराना मनस्सी में सब से ग़रीब है, और मैं अपने बाप के घर में सब से छोटा हूँ।”
וַיֹּ֤אמֶר אֵלָיו֙ יְהוָ֔ה כִּ֥י אֶהְיֶ֖ה עִמָּ֑ךְ וְהִכִּיתָ֥ אֶת־מִדְיָ֖ן כְּאִ֥ישׁ אֶחָֽד׃ | 16 |
ख़ुदावन्द ने उससे कहा, “मैं ज़रूर तेरे साथ हूँगा, और तू मिदियानियों को ऐसा मार लेगा जैसे एक आदमी को।”
וַיֹּ֣אמֶר אֵלָ֔יו אִם־נָ֛א מָצָ֥אתִי חֵ֖ן בְּעֵינֶ֑יךָ וְעָשִׂ֤יתָ לִּי֙ א֔וֹת שָׁאַתָּ֖ה מְדַבֵּ֥ר עִמִּֽי׃ | 17 |
तब उसने उससे कहा कि अगर अब मुझ पर तेरे करम की नज़र हुई है, तो इसका मुझे कोई निशान दिखा कि मुझ से तू ही बातें करता है।
אַל־נָ֨א תָמֻ֤שׁ מִזֶּה֙ עַד־בֹּאִ֣י אֵלֶ֔יךָ וְהֹֽצֵאתִי֙ אֶת־מִנְחָתִ֔י וְהִנַּחְתִּ֖י לְפָנֶ֑יךָ וַיֹּאמַ֕ר אָנֹכִ֥י אֵשֵׁ֖ב עַ֥ד שׁוּבֶֽךָ׃ | 18 |
और मैं तेरी मिन्नत करता हूँ, कि तू यहाँ से न जा जब तक मैं तेरे पास फिर न आऊँ और अपना हदिया निकाल कर तेरे आगे न रखूँ। उसने कहा कि जब तक तू फिर आ न जाए, मैं ठहरा रहूँगा।
וְגִדְע֣וֹן בָּ֗א וַיַּ֤עַשׂ גְּדִֽי־עִזִּים֙ וְאֵיפַת־קֶ֣מַח מַצּ֔וֹת הַבָּשָׂר֙ שָׂ֣ם בַּסַּ֔ל וְהַמָּרַ֖ק שָׂ֣ם בַּפָּר֑וּר וַיּוֹצֵ֥א אֵלָ֛יו אֶל־תַּ֥חַת הָאֵלָ֖ה וַיַּגַּֽשׁ׃ ס | 19 |
तब जिदा'ऊन ने जाकर बकरी का एक बच्चा और एक ऐफ़ा आटे की फ़तीरी रोटियाँ तैयार कीं, और गोश्त को एक टोकरी में और शोरबा एक हॉण्डी में डालकर उसके पास बलूत के दरख़्त के नीचे लाकर पेश किया।
וַיֹּ֨אמֶר אֵלָ֜יו מַלְאַ֣ךְ הָאֱלֹהִ֗ים קַ֣ח אֶת־הַבָּשָׂ֤ר וְאֶת־הַמַּצּוֹת֙ וְהַנַּח֙ אֶל־הַסֶּ֣לַע הַלָּ֔ז וְאֶת־הַמָּרַ֖ק שְׁפ֑וֹךְ וַיַּ֖עַשׂ כֵּֽן׃ | 20 |
तब ख़ुदा के फ़रिश्ते ने उससे कहा, “इस गोश्त और फ़तीरी रोटियों कों ले जाकर उस चट्टान पर रख, और शोरबे को उंडेल दे।” उसने वैसा ही किया।
וַיִּשְׁלַ֞ח מַלְאַ֣ךְ יְהוָ֗ה אֶת־קְצֵ֤ה הַמִּשְׁעֶ֙נֶת֙ אֲשֶׁ֣ר בְּיָד֔וֹ וַיִּגַּ֥ע בַּבָּשָׂ֖ר וּבַמַּצּ֑וֹת וַתַּ֨עַל הָאֵ֜שׁ מִן־הַצּ֗וּר וַתֹּ֤אכַל אֶת־הַבָּשָׂר֙ וְאֶת־הַמַּצּ֔וֹת וּמַלְאַ֣ךְ יְהוָ֔ה הָלַ֖ךְ מֵעֵינָֽיו׃ | 21 |
तब ख़ुदावन्द के फ़रिश्ते ने उस लाठी की नोक से जो उसके हाथ में थी, गोश्त और फ़तीरी रोटियों को छुआ; और उस पत्थर से आग निकली और उसने गोश्त और फ़तीरी रोटियों को भसम कर दिया। तब ख़ुदावन्द का फ़रिश्ता उसकी नज़र से ग़ायब हो गया।
וַיַּ֣רְא גִּדְע֔וֹן כִּֽי־מַלְאַ֥ךְ יְהוָ֖ה ה֑וּא ס וַיֹּ֣אמֶר גִּדְע֗וֹן אֲהָהּ֙ אֲדֹנָ֣י יְהוִ֔ה כִּֽי־עַל־כֵּ֤ן רָאִ֙יתִי֙ מַלְאַ֣ךְ יְהוָ֔ה פָּנִ֖ים אֶל־פָּנִֽים׃ | 22 |
और जिदा'ऊन ने जान लिया के वह ख़ुदावन्द का फ़रिश्ता था; इसलिए जिदा'ऊन कहने लगा, “अफ़सोस है ऐ मालिक, ख़ुदावन्द, कि मैंने ख़ुदावन्द के फ़रिश्ते को आमने — सामने देखा।”
וַיֹּ֨אמֶר ל֧וֹ יְהוָ֛ה שָׁל֥וֹם לְךָ֖ אַל־תִּירָ֑א לֹ֖א תָּמֽוּת׃ | 23 |
ख़ुदावन्द ने उससे कहा, “तेरी सलामती हो, ख़ौफ़ न कर, तू मरेगा नहीं।”
וַיִּבֶן֩ שָׁ֨ם גִּדְע֤וֹן מִזְבֵּ֙חַ֙ לַֽיהוָ֔ה וַיִּקְרָא־ל֥וֹ יְהוָ֖ה שָׁל֑וֹם עַ֚ד הַיּ֣וֹם הַזֶּ֔ה עוֹדֶ֕נּוּ בְּעָפְרָ֖ת אֲבִ֥י הָעֶזְרִֽי׃ פ | 24 |
तब जिदाऊन ने वहाँ ख़ुदावन्द के लिए मज़बह बनाया, और उसका नाम यहोवा सलोम रख्खा; वह अबी'अज़रियों के 'उफ़रा में आज तक मौजूद है।
וַיְהִי֮ בַּלַּ֣יְלָה הַהוּא֒ וַיֹּ֧אמֶר ל֣וֹ יְהוָ֗ה קַ֤ח אֶת־פַּר־הַשּׁוֹר֙ אֲשֶׁ֣ר לְאָבִ֔יךָ וּפַ֥ר הַשֵּׁנִ֖י שֶׁ֣בַע שָׁנִ֑ים וְהָרַסְתָּ֗ אֶת־מִזְבַּ֤ח הַבַּ֙עַל֙ אֲשֶׁ֣ר לְאָבִ֔יךָ וְאֶת־הָאֲשֵׁרָ֥ה אֲשֶׁר־עָלָ֖יו תִּכְרֹֽת׃ | 25 |
और उसी रात ख़ुदावन्द ने उसे कहा कि अपने बाप का जवान बैल, या'नी वह दूसरा बैल जो सात बरस का है ले, और बा'ल के मज़बह को जो तेरे बाप का है ढा दे, और उसके पास की यसीरत को काट डाल;
וּבָנִ֨יתָ מִזְבֵּ֜חַ לַיהוָ֣ה אֱלֹהֶ֗יךָ עַ֣ל רֹ֧אשׁ הַמָּע֛וֹז הַזֶּ֖ה בַּמַּֽעֲרָכָ֑ה וְלָֽקַחְתָּ֙ אֶת־הַפָּ֣ר הַשֵּׁנִ֔י וְהַעֲלִ֣יתָ עוֹלָ֔ה בַּעֲצֵ֥י הָאֲשֵׁרָ֖ה אֲשֶׁ֥ר תִּכְרֹֽת׃ | 26 |
और ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के लिए इस गढ़ी की चोटी पर क़ा'इदे के मुताबिक़ एक मज़बह बना; और उस दूसरे बैल को लेकर, उस यसीरत की लकड़ी से जिसे तू काट डालेगा, सोख़्तनी क़ुर्बानी गुज़ार।
וַיִּקַּ֨ח גִּדְע֜וֹן עֲשָׂרָ֤ה אֲנָשִׁים֙ מֵֽעֲבָדָ֔יו וַיַּ֕עַשׂ כַּאֲשֶׁ֛ר דִּבֶּ֥ר אֵלָ֖יו יְהוָ֑ה וַיְהִ֡י כַּאֲשֶׁ֣ר יָרֵא֩ אֶת־בֵּ֨ית אָבִ֜יו וְאֶת־אַנְשֵׁ֥י הָעִ֛יר מֵעֲשׂ֥וֹת יוֹמָ֖ם וַיַּ֥עַשׂ לָֽיְלָה׃ | 27 |
तब जिदा'ऊन ने अपने नौकरों में से दस आदमियों को साथ लेकर जैसा ख़ुदावन्द ने उसे फ़रमाया था किया; और चूँकि वह यह काम अपने बाप के ख़ान्दान और उस शहर के बाशिंदों के डर से दिन को न कर सका, इसलिए उसे रात को किया।
וַיַּשְׁכִּ֜ימוּ אַנְשֵׁ֤י הָעִיר֙ בַּבֹּ֔קֶר וְהִנֵּ֤ה נֻתַּץ֙ מִזְבַּ֣ח הַבַּ֔עַל וְהָאֲשֵׁרָ֥ה אֲשֶׁר־עָלָ֖יו כֹּרָ֑תָה וְאֵת֙ הַפָּ֣ר הַשֵּׁנִ֔י הֹֽעֲלָ֔ה עַל־הַמִּזְבֵּ֖חַ הַבָּנֽוּי׃ | 28 |
जब उस शहर के लोग सुबह सवेरे उठे तो क्या देखते हैं, कि बा'ल का मज़बह ढाया हुआ, और उसके पास की यसीरत कटी हुई, और उस मज़बह पर जो बनाया गया था वह दूसरा बैल चढ़ाया हुआ है।
וַיֹּֽאמְרוּ֙ אִ֣ישׁ אֶל־רֵעֵ֔הוּ מִ֥י עָשָׂ֖ה הַדָּבָ֣ר הַזֶּ֑ה וַֽיִּדְרְשׁוּ֙ וַיְבַקְשׁ֔וּ וַיֹּ֣אמְר֔וּ גִּדְעוֹן֙ בֶּן־יוֹאָ֔שׁ עָשָׂ֖ה הַדָּבָ֥ר הַזֶּֽה׃ | 29 |
और वह आपस में कहने लगे, “किसने यह काम किया?” और जब उन्होंने तहक़ीक़ात और पूछ — ताछ की तो लोगों ने कहा, “यूआस के बेटे जिदा'ऊन ने यह काम किया है।”
וַיֹּ֨אמְר֜וּ אַנְשֵׁ֤י הָעִיר֙ אֶל־יוֹאָ֔שׁ הוֹצֵ֥א אֶת־בִּנְךָ֖ וְיָמֹ֑ת כִּ֤י נָתַץ֙ אֶת־מִזְבַּ֣ח הַבַּ֔עַל וְכִ֥י כָרַ֖ת הָאֲשֵׁרָ֥ה אֲשֶׁר־עָלָֽיו׃ | 30 |
तब उस शहर के लोगों ने यूआस से कहा, “अपने बेटे को निकाल ला ताकि क़त्ल किया जाए, इसलिए कि उसने बा'ल का मज़बह ढा दिया, और उसके पास की यसीरत काट डाली है।”
וַיֹּ֣אמֶר יוֹאָ֡שׁ לְכֹל֩ אֲשֶׁר־עָמְד֨וּ עָלָ֜יו הַאַתֶּ֣ם ׀ תְּרִיב֣וּן לַבַּ֗עַל אִם־אַתֶּם֙ תּוֹשִׁיע֣וּן אוֹת֔וֹ אֲשֶׁ֨ר יָרִ֥יב ל֛וֹ יוּמַ֖ת עַד־הַבֹּ֑קֶר אִם־אֱלֹהִ֥ים הוּא֙ יָ֣רֶב ל֔וֹ כִּ֥י נָתַ֖ץ אֶֽת־מִזְבְּחֽוֹ׃ | 31 |
यूआस ने उन सभों को जो उसके सामने खड़े थे कहा, “क्या तुम बा'ल के वास्ते झगड़ा करोगे? या तुम उसे बचा लोगे? जो कोई उसकी तरफ़ से झगड़ा करे वह इसी सुबह मारा जाए। अगर वह ख़ुदा है तो आप ही अपने लिए झगड़े, क्यूँकि किसी ने उसका मज़बह ढा दिया है।”
וַיִּקְרָא־ל֥וֹ בַיּוֹם־הַה֖וּא יְרֻבַּ֣עַל לֵאמֹ֑ר יָ֤רֶב בּוֹ֙ הַבַּ֔עַל כִּ֥י נָתַ֖ץ אֶֽת־מִזְבְּחֽוֹ׃ פ | 32 |
इसलिए उसने उस दिन जिदा'ऊन का नाम यह कहकर यरुब्बा'ल रख्खा, कि बा'ल आप इससे झगड़ ले, इसलिए कि इसने उसका मज़बह ढा दिया है।
וְכָל־מִדְיָ֧ן וַעֲמָלֵ֛ק וּבְנֵי־קֶ֖דֶם נֶאֶסְפ֣וּ יַחְדָּ֑ו וַיַּעַבְר֥וּ וַֽיַּחֲנ֖וּ בְּעֵ֥מֶק יִזְרְעֶֽאל׃ | 33 |
तब सब मिदियानी और 'अमालीकी और मशरिक़ के लोग इकट्ठे हुए, और पार होकर यज़र'एल की वादी में उन्होंने डेरा किया।
וְר֣וּחַ יְהוָ֔ה לָבְשָׁ֖ה אֶת־גִּדְע֑וֹן וַיִּתְקַע֙ בַּשּׁוֹפָ֔ר וַיִזָּעֵ֥ק אֲבִיעֶ֖זֶר אַחֲרָֽיו׃ | 34 |
तब ख़ुदावन्द की रूह जिदा'ऊन पर नाज़िल हुई, इसलिए उसने नरसिंगा फूंका और अबी'अएज़र के लोग उसकी पैरवी में इकट्ठे हुए।
וּמַלְאָכִים֙ שָׁלַ֣ח בְּכָל־מְנַשֶּׁ֔ה וַיִזָּעֵ֥ק גַּם־ה֖וּא אַחֲרָ֑יו וּמַלְאָכִ֣ים שָׁלַ֗ח בְּאָשֵׁ֤ר וּבִזְבֻלוּן֙ וּבְנַפְתָּלִ֔י וַֽיַּעֲל֖וּ לִקְרָאתָֽם׃ | 35 |
फिर उसने सारे मनस्सी के पास क़ासिद भेजे, तब वह भी उसकी पैरवी में इकट्ठे हुए। और उसने आशर और ज़बूलून और नफ़्ताली के पास भी क़ासिद रवाना किए, इसलिए वह उनके इस्तक़बाल को आए।
וַיֹּ֥אמֶר גִּדְע֖וֹן אֶל־הָאֱלֹהִ֑ים אִם־יֶשְׁךָ֞ מוֹשִׁ֧יעַ בְּיָדִ֛י אֶת־יִשְׂרָאֵ֖ל כַּאֲשֶׁ֥ר דִּבַּֽרְתָּ׃ | 36 |
तब जिदा'ऊन ने खुदा से कहा, “अगर तू अपने क़ौल के मुताबिक़ मेरे हाथ के वसीले से बनी — इस्राईल को रिहाई देना चाहता है,
הִנֵּ֣ה אָנֹכִ֗י מַצִּ֛יג אֶת־גִּזַּ֥ת הַצֶּ֖מֶר בַּגֹּ֑רֶן אִ֡ם טַל֩ יִהְיֶ֨ה עַֽל־הַגִּזָּ֜ה לְבַדָּ֗הּ וְעַל־כָּל־הָאָ֙רֶץ֙ חֹ֔רֶב וְיָדַעְתִּ֗י כִּֽי־תוֹשִׁ֧יעַ בְּיָדִ֛י אֶת־יִשְׂרָאֵ֖ל כַּאֲשֶׁ֥ר דִּבַּֽרְתָּ׃ | 37 |
तो देख, मैं भेड़ की ऊन खलिहान में रख दूँगा; इसलिए अगर ओस सिर्फ़ ऊन ही पर पड़े और आस — पास की ज़मीन सब सूखी रहे, तो मैं जान लूंगा कि तू अपने क़ौल के मुताबिक़ बनी — इस्राईल को मेरे हाथों के वसीले से रिहाई बख़्शेगा।”
וַיְהִי־כֵ֕ן וַיַּשְׁכֵּם֙ מִֽמָּחֳרָ֔ת וַיָּ֖זַר אֶת־הַגִּזָּ֑ה וַיִּ֤מֶץ טַל֙ מִן־הַגִּזָּ֔ה מְל֥וֹא הַסֵּ֖פֶל מָֽיִם׃ | 38 |
और ऐसा ही हुआ। क्यूँकि वह सुबह को जूँ ही सवेरे उठा, और उस ऊन को दबाया और ऊन में से ओस निचोड़ी तो प्याला भर पानी निकला।
וַיֹּ֤אמֶר גִּדְעוֹן֙ אֶל־הָ֣אֱלֹהִ֔ים אַל־יִ֤חַר אַפְּךָ֙ בִּ֔י וַאֲדַבְּרָ֖ה אַ֣ךְ הַפָּ֑עַם אֲנַסֶּ֤ה נָּא־רַק־הַפַּ֙עַם֙ בַּגִּזָּ֔ה יְהִי־נָ֨א חֹ֤רֶב אֶל־הַגִּזָּה֙ לְבַדָּ֔הּ וְעַל־כָּל־הָאָ֖רֶץ יִֽהְיֶה־טָּֽל׃ | 39 |
तब जिदा'ऊन ने ख़ुदा से कहा कि तेरा ग़ुस्सा मुझ पर न भड़के, मैं सिर्फ़ एक बार और 'अर्ज़ करता हूँ, मैं तेरी मिन्नत करता हूँ कि सिर्फ़ एक बार और इस ऊन से आज़माइश कर लूँ, अब सिर्फ़ ऊन ही ऊन ख़ुश्क रहे और आस पास की सब ज़मीन पर ओस पड़े।
וַיַּ֧עַשׂ אֱלֹהִ֛ים כֵּ֖ן בַּלַּ֣יְלָה הַה֑וּא וַיְהִי־חֹ֤רֶב אֶל־הַגִּזָּה֙ לְבַדָּ֔הּ וְעַל־כָּל־הָאָ֖רֶץ הָ֥יָה טָֽל׃ פ | 40 |
तब ख़ुदा ने उस रात ऐसा ही किया क्यूँकि ऊन ही ख़ुश्क रही और सारी ज़मीन पर ओस पड़ी।