< יְהוֹשֻעַ 18 >
וַיִּקָּ֨הֲל֜וּ כָּל־עֲדַ֤ת בְּנֵֽי־יִשְׂרָאֵל֙ שִׁלֹ֔ה וַיַּשְׁכִּ֥ינוּ שָׁ֖ם אֶת־אֹ֣הֶל מוֹעֵ֑ד וְהָאָ֥רֶץ נִכְבְּשָׁ֖ה לִפְנֵיהֶֽם׃ | 1 |
और बनी इस्राईल की सारी जमा'अत ने शीलोह में जमा' होकर ख़ेमा — ए — इजितमा'अ को वहाँ खड़ा किया और वह मुल्क उनके आगे मग़लूब हो चुका था।
וַיִּוָּֽתְרוּ֙ בִּבְנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֔ל אֲשֶׁ֥ר לֹֽא־חָלְק֖וּ אֶת־נַֽחֲלָתָ֑ם שִׁבְעָ֖ה שְׁבָטִֽים׃ | 2 |
और बनी इस्राईल में सात क़बीले ऐसे रह गये थे जिनकी मीरास उनको तक़सीम होने न पाई थी।
וַיֹּ֥אמֶר יְהוֹשֻׁ֖עַ אֶל־בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֑ל עַד־אָ֙נָה֙ אַתֶּ֣ם מִתְרַפִּ֔ים לָבוֹא֙ לָרֶ֣שֶׁת אֶת־הָאָ֔רֶץ אֲשֶׁר֙ נָתַ֣ן לָכֶ֔ם יְהוָ֖ה אֱלֹהֵ֥י אֲבֽוֹתֵיכֶֽם׃ | 3 |
और यशू'अ ने बनी इस्राईल से कहा, कि तुम कब तक उस मुल्क पर क़ब्ज़ा करने से जो ख़ुदावन्द तुम्हारे बाप दादा के ख़ुदा ने तुम को दिया है सुस्ती करोगे?
הָב֥וּ לָכֶ֛ם שְׁלֹשָׁ֥ה אֲנָשִׁ֖ים לַשָּׁ֑בֶט וְאֶשְׁלָחֵ֗ם וְיָקֻ֜מוּ וְיִֽתְהַלְּכ֥וּ בָאָ֛רֶץ וְיִכְתְּב֥וּ אוֹתָ֛הּ לְפִ֥י נַֽחֲלָתָ֖ם וְיָבֹ֥אוּ אֵלָֽי׃ | 4 |
इसलिए तुम अपने लिए हर क़बीले में से तीन शख़्स चुन लो, मैं उनको भेजूँगा और वह जाकर उस मुल्क में सैर करेंगे और अपनी अपनी मीरास के मुवाफ़िक़ उसका हाल लिख कर मेरे पास आएँगें।
וְהִֽתְחַלְּק֥וּ אֹתָ֖הּ לְשִׁבְעָ֣ה חֲלָקִ֑ים יְהוּדָ֞ה יַעֲמֹ֤ד עַל־גְּבוּלוֹ֙ מִנֶּ֔גֶב וּבֵ֥ית יוֹסֵ֛ף יַעַמְד֥וּ עַל־גְּבוּלָ֖ם מִצָּפֽוֹן׃ | 5 |
वह उसके सात हिस्से करेंगे, यहूदाह अपनी सरहद में दख्खिन की तरफ़ और यूसुफ़ का ख़ानदान अपनी सरहद में उत्तर की तरफ़ रहेगा।
וְאַתֶּ֞ם תִּכְתְּב֤וּ אֶת־הָאָ֙רֶץ֙ שִׁבְעָ֣ה חֲלָקִ֔ים וַֽהֲבֵאתֶ֥ם אֵלַ֖י הֵ֑נָּה וְיָרִ֨יתִי לָכֶ֤ם גּוֹרָל֙ פֹּ֔ה לִפְנֵ֖י יְהוָ֥ה אֱלֹהֵֽינוּ׃ | 6 |
इसलिए तुम उस मुल्क के सात हिस्से लिख कर मेरे पास यहाँ लाओ ताकि मैं ख़ुदावन्द के आगे जो हमारा ख़ुदा है तुम्हारे लिए पर्ची डालूँ।
כִּ֠י אֵֽין־חֵ֤לֶק לַלְוִיִּם֙ בְּקִרְבְּכֶ֔ם כִּֽי־כְהֻנַּ֥ת יְהוָ֖ה נַחֲלָת֑וֹ וְגָ֡ד וּרְאוּבֵ֡ן וַחֲצִי֩ שֵׁ֨בֶט הַֽמְנַשֶּׁ֜ה לָקְח֣וּ נַחֲלָתָ֗ם מֵעֵ֤בֶר לַיַּרְדֵּן֙ מִזְרָ֔חָה אֲשֶׁר֙ נָתַ֣ן לָהֶ֔ם מֹשֶׁ֖ה עֶ֥בֶד יְהוָֽה׃ | 7 |
क्यूँकि तुम्हारे बीच लावियों का कोई हिस्सा नहीं इसलिए कि ख़ुदावन्द की कहानत उनकी मीरास है और जद्द और रूबिन और मनस्सी के आधे क़बीले को यरदन के उस पार पूरब की तरफ़ मीरास मिल चुकी है जिसे ख़ुदावन्द के बन्दे मूसा ने उनको दिया।
וַיָּקֻ֥מוּ הָאֲנָשִׁ֖ים וַיֵּלֵ֑כוּ וַיְצַ֣ו יְהוֹשֻׁ֡עַ אֶת־הַהֹלְכִים֩ לִכְתֹּ֨ב אֶת־הָאָ֜רֶץ לֵאמֹ֗ר לְ֠כוּ וְהִתְהַלְּכ֨וּ בָאָ֜רֶץ וְכִתְב֤וּ אוֹתָהּ֙ וְשׁ֣וּבוּ אֵלַ֔י וּ֠פֹה אַשְׁלִ֨יךְ לָכֶ֥ם גּוֹרָ֛ל לִפְנֵ֥י יְהוָ֖ה בְּשִׁלֹֽה׃ | 8 |
तब वह आदमी उठ कर रवाना हुए और यशू'अ ने उनको जो उस मुल्क का हाल लिखने के लिए गये ताकीद की कि तुम जाकर उस मुल्क में सैर करो और उसका हाल लिख कर फिर मेरे पास आओ और मैं शीलोह में ख़ुदावन्द के आगे तुम्हारे लिए पर्ची डालूँगा।
וַיֵּלְכ֤וּ הָֽאֲנָשִׁים֙ וַיַּעַבְר֣וּ בָאָ֔רֶץ וַיִּכְתְּב֧וּהָ לֶֽעָרִ֛ים לְשִׁבְעָ֥ה חֲלָקִ֖ים עַל־סֵ֑פֶר וַיָּבֹ֧אוּ אֶל־יְהוֹשֻׁ֛עַ אֶל־הַֽמַּחֲנֶ֖ה שִׁלֹֽה׃ | 9 |
चुनाँचे उन्होंने जाकर उस मुल्क में सैर की और शहरों के सात हिस्से कर के उनका हाल किताब में लिखा और शीलोह की ख़ेमागाह में यशू'अ के पास लौटे।
וַיַּשְׁלֵךְ֩ לָהֶ֨ם יְהוֹשֻׁ֧עַ גּוֹרָ֛ל בְּשִׁלֹ֖ה לִפְנֵ֣י יְהוָ֑ה וַיְחַלֶּק־שָׁ֨ם יְהוֹשֻׁ֧עַ אֶת־הָאָ֛רֶץ לִבְנֵ֥י יִשְׂרָאֵ֖ל כְּמַחְלְקֹתָֽם׃ פ | 10 |
तब यशू'अ ने शीलोह में उनके लिए ख़ुदावन्द के सामने पर्ची डाली और वहीं यशू'अ ने उस मुल्क को बनी इस्राईल की हिस्सों के मुताबिक़ उनको बाँट दिया।
וַיַּ֗עַל גּוֹרַ֛ל מַטֵּ֥ה בְנֵֽי־בִנְיָמִ֖ן לְמִשְׁפְּחֹתָ֑ם וַיֵּצֵא֙ גְּב֣וּל גּֽוֹרָלָ֔ם בֵּ֚ין בְּנֵ֣י יְהוּדָ֔ה וּבֵ֖ין בְּנֵ֥י יוֹסֵֽף׃ | 11 |
और बनी बिन यमीन के क़बीले की पर्ची उनके घरानों के मुताबिक़ निकली और उनके हिस्से की हद बनी यहूदाह और बनी यूसुफ़ के बीच पड़ी।
וַיְהִ֨י לָהֶ֧ם הַגְּב֛וּל לִפְאַ֥ת צָפ֖וֹנָה מִן־הַיַּרְדֵּ֑ן וְעָלָ֣ה הַגְּבוּל֩ אֶל־כֶּ֨תֶף יְרִיח֜וֹ מִצָּפ֗וֹן וְעָלָ֤ה בָהָר֙ יָ֔מָּה וְהָיוּ֙ תֹּֽצְאֹתָ֔יו מִדְבַּ֖רָה בֵּ֥ית אָֽוֶן׃ | 12 |
इसलिए उनकी उत्तरी हद यरदन से शुरू'' हुई और यह हद यरीहू के पास से उत्तर की तरफ़ गुज़र कर पहाड़ी मुल्क से होती हुई पश्चिम की तरफ़ बैत आवन के वीराने तक पहुँची।
וְעָבַר֩ מִשָּׁ֨ם הַגְּב֜וּל ל֗וּזָה אֶל־כֶּ֤תֶף ל֙וּזָה֙ נֶ֔גְבָּה הִ֖יא בֵּֽית־אֵ֑ל וְיָרַ֤ד הַגְּבוּל֙ עַטְר֣וֹת אַדָּ֔ר עַל־הָהָ֕ר אֲשֶׁ֛ר מִנֶּ֥גֶב לְבֵית־חֹר֖וֹן תַּחְתּֽוֹן׃ | 13 |
और वह हद वहाँ से लूज़ को जो बैत — एल है गयी और लूज़ के दख्खिन से उस पहाड़ के बराबर होती हुई जो नीचे के बैत हौरून के दख्खिन में है 'अतारात अदार को जा निकली।
וְתָאַ֣ר הַגְּבוּל֩ וְנָסַ֨ב לִפְאַת־יָ֜ם נֶ֗גְבָּה מִן־הָהָר֙ אֲשֶׁ֨ר עַל־פְּנֵ֥י בֵית־חֹרוֹן֮ נֶגְבָּה֒ וְהָי֣וּ תֹֽצְאֹתָ֗יו אֶל־קִרְיַת־בַּ֙עַל֙ הִ֚יא קִרְיַ֣ת יְעָרִ֔ים עִ֖יר בְּנֵ֣י יְהוּדָ֑ה זֹ֖את פְּאַת־יָֽם׃ | 14 |
और वह पश्चिम की तरफ़ से मुड़ कर दख्खिन को झुकी और बैत हौरून के सामने के पहाड़ से होती हुई दख्खिन की तरफ़ बनी यहूदाह के एक शहर क़रयत बा'ल तक जो क़रयत या'रीम है चली गयी, यह पश्चिमी हिस्सा था।
וּפְאַת־נֶ֕גְבָּה מִקְצֵ֖ה קִרְיַ֣ת יְעָרִ֑ים וְיָצָ֤א הַגְּבוּל֙ יָ֔מָּה וְיָצָ֕א אֶל־מַעְיַ֖ן מֵ֥י נֶפְתּֽוֹחַ׃ | 15 |
और दख्खिनी हद क़रयत या'रीम की इन्तिहा से शुरू''हुई और वह हद पश्चिम की तरफ़ आब — ए — नफ़तूह के चश्मे तक चली गयी;
וְיָרַ֨ד הַגְּב֜וּל אֶל־קְצֵ֣ה הָהָ֗ר אֲשֶׁר֙ עַל־פְּנֵי֙ גֵּ֣י בֶן־הִנֹּ֔ם אֲשֶׁ֛ר בְּעֵ֥מֶק רְפָאִ֖ים צָפ֑וֹנָה וְיָרַד֩ גֵּ֨י הִנֹּ֜ם אֶל־כֶּ֤תֶף הַיְבוּסִי֙ נֶ֔גְבָּה וְיָרַ֖ד עֵ֥ין רֹגֵֽל׃ | 16 |
और वहाँ से वह हद उस पहाड़ के सिरे तक जो हिन्नूम के बेटे की वादी के सामने है गयी, यह रिफ़ाईम की वादी के उत्तर में है और वहाँ से दख्खिन की तरफ़ हिन्नूम की वादी और यबूसियों के बराबर से गुज़रती हुई 'ऐन राजिल पहुँची;
וְתָאַ֣ר מִצָּפ֗וֹן וְיָצָא֙ עֵ֣ין שֶׁ֔מֶשׁ וְיָצָא֙ אֶל־גְּלִיל֔וֹת אֲשֶׁר־נֹ֖כַח מַעֲלֵ֣ה אֲדֻמִּ֑ים וְיָרַ֕ד אֶ֥בֶן בֹּ֖הַן בֶּן־רְאוּבֵֽן׃ | 17 |
वहाँ से वह उत्तर की तरफ़ मुड़ कर और 'ऐन शम्स से गुज़रती हुई जलीलोत को गयी जो अदुम्मीम की चढ़ाई के मुक़ाबिल है और वहाँ से रूबिन के बेटे बोहन के पत्थर तक पहुँची;
וְעָבַ֛ר אֶל־כֶּ֥תֶף מוּל־הָֽעֲרָבָ֖ה צָפ֑וֹנָה וְיָרַ֖ד הָעֲרָבָֽתָה׃ | 18 |
और फिर उत्तर को जाकर मैदान के मुक़ाबिल के रुख़ से निकलती हुयी मैदान ही में जा उतरी।
וְעָבַ֨ר הַגְּב֜וּל אֶל־כֶּ֣תֶף בֵּית־חָגְלָה֮ צָפוֹנָה֒ וְהָי֣וּ תֹּצְא֣וֹת הַגְּב֗וּל אֶל־לְשׁ֤וֹן יָם־הַמֶּ֙לַח֙ צָפ֔וֹנָה אֶל־קְצֵ֥ה הַיַּרְדֵּ֖ן נֶ֑גְבָּה זֶ֖ה גְּב֥וּל נֶֽגֶב׃ | 19 |
फिर वह हद वहाँ से बैत हुजला के उत्तरी पहलू तक पहुँची और उस हद का ख़ातिमा दरिया — ए — शोर की उत्तरी खाड़ी पर हुआ जो यरदन के दख्खिनी सिरे पर है, यह दख्खिन की हद थी।
וְהַיַּרְדֵּ֥ן יִגְבֹּל־אֹת֖וֹ לִפְאַת־קֵ֑דְמָה זֹ֡את נַחֲלַת֩ בְּנֵ֨י בִנְיָמִ֧ן לִגְבֽוּלֹתֶ֛יהָ סָבִ֖יב לְמִשְׁפְּחֹתָֽם׃ | 20 |
और उसकी पूरबी सिम्त की हद यरदन ठहरा, बनी बिनयमीन की मीरास उनकी चौगिर्द की हदों के 'ऐतबार से और उनके घरानों के मुवाफ़िक़ यह थी।
וְהָי֣וּ הֶֽעָרִ֗ים לְמַטֵּ֛ה בְּנֵ֥י בִנְיָמִ֖ן לְמִשְׁפְּחֽוֹתֵיהֶ֑ם יְרִיח֥וֹ וּבֵית־חָגְלָ֖ה וְעֵ֥מֶק קְצִֽיץ׃ | 21 |
और बनी बिन यमीन के क़बीले के शहर उनके घरानों के मुवाफ़िक़ यह थे, यरीहू और बैत हुजला और 'ईमक़ क़सीस।
וּבֵ֧ית הָֽעֲרָבָ֛ה וּצְמָרַ֖יִם וּבֵֽית־אֵֽל׃ | 22 |
और बैत 'अराबा और समरीम और बैतएल।
וְהָעַוִּ֥ים וְהַפָּרָ֖ה וְעָפְרָֽה׃ | 23 |
और 'अव्वीम और फ़ारा और 'उफ़रा।
וּכְפַ֧ר הָֽעַמֹּנָ֛ה וְהָֽעָפְנִ֖י וָגָ֑בַע עָרִ֥ים שְׁתֵּים־עֶשְׂרֵ֖ה וְחַצְרֵיהֶֽן׃ | 24 |
और कफ़रउल'उम्मूनी और 'उफ़नी और जबा', यह बारह शहर थे और इनके गाँव भी थे।
גִּבְע֥וֹן וְהָֽרָמָ֖ה וּבְאֵרֽוֹת׃ | 25 |
और जिबा'ऊन और रामा और बैरोत।
וְהַמִּצְפֶּ֥ה וְהַכְּפִירָ֖ה וְהַמֹּצָֽה׃ | 26 |
मिस्फ़ाह और कफ़ीरह और मोज़ा
וְרֶ֥קֶם וְיִרְפְּאֵ֖ל וְתַרְאֲלָֽה׃ | 27 |
और रक़म और अरफ़ील और तराला।
וְצֵלַ֡ע הָאֶ֜לֶף וְהַיְבוּסִ֨י הִ֤יא יְרֽוּשָׁלִַ֙ם֙ גִּבְעַ֣ת קִרְיַ֔ת עָרִ֥ים אַרְבַּֽע־עֶשְׂרֵ֖ה וְחַצְרֵיהֶ֑ן זֹ֛את נַֽחֲלַ֥ת בְּנֵֽי־בִנְיָמִ֖ן לְמִשְׁפְּחֹתָֽם׃ פ | 28 |
और ज़िला', अलिफ़ और यबूसियों का शहर जो येरूशलेम है और जिब'अत और क़रयत, यह चौदह शहर हैं और इनके गाँव भी हैं, बनी बिनयमीन की मीरास उनके घरानों के मुताबिक़ यह है।