< בְּרֵאשִׁית 14 >

וַיְהִ֗י בִּימֵי֙ אַמְרָפֶ֣ל מֶֽלֶךְ־שִׁנְעָ֔ר אַרְי֖וֹךְ מֶ֣לֶךְ אֶלָּסָ֑ר כְּדָרְלָעֹ֙מֶר֙ מֶ֣לֶךְ עֵילָ֔ם וְתִדְעָ֖ל מֶ֥לֶךְ גּוֹיִֽם׃ 1
शिनार के राजा अम्रापेल, और एल्लासार के राजा अर्योक, और एलाम के राजा कदोर्लाओमेर, और गोयीम के राजा तिदाल के दिनों में ऐसा हुआ,
עָשׂ֣וּ מִלְחָמָ֗ה אֶת־בֶּ֙רַע֙ מֶ֣לֶךְ סְדֹ֔ם וְאֶת־בִּרְשַׁ֖ע מֶ֣לֶךְ עֲמֹרָ֑ה שִׁנְאָ֣ב ׀ מֶ֣לֶךְ אַדְמָ֗ה וְשֶׁמְאֵ֙בֶר֙ מֶ֣לֶךְ צְבוֹיִ֔ם וּמֶ֥לֶךְ בֶּ֖לַע הִיא־צֹֽעַר׃ 2
कि उन्होंने सदोम के राजा बेरा, और गमोरा के राजा बिर्शा, और अदमा के राजा शिनाब, और सबोयीम के राजा शेमेबेर, और बेला जो सोअर भी कहलाता है, इन राजाओं के विरुद्ध युद्ध किया।
כָּל־אֵ֙לֶּה֙ חָֽבְר֔וּ אֶל־עֵ֖מֶק הַשִּׂדִּ֑ים ה֖וּא יָ֥ם הַמֶּֽלַח׃ 3
इन पाँचों ने सिद्दीम नामक तराई में, जो खारे नदी के पास है, एका किया।
שְׁתֵּ֤ים עֶשְׂרֵה֙ שָׁנָ֔ה עָבְד֖וּ אֶת־כְּדָרְלָעֹ֑מֶר וּשְׁלֹשׁ־עֶשְׂרֵ֥ה שָׁנָ֖ה מָרָֽדוּ׃ 4
बारह वर्ष तक तो ये कदोर्लाओमेर के अधीन रहे; पर तेरहवें वर्ष में उसके विरुद्ध उठे।
וּבְאַרְבַּע֩ עֶשְׂרֵ֨ה שָׁנָ֜ה בָּ֣א כְדָרְלָעֹ֗מֶר וְהַמְּלָכִים֙ אֲשֶׁ֣ר אִתּ֔וֹ וַיַּכּ֤וּ אֶת־רְפָאִים֙ בְּעַשְׁתְּרֹ֣ת קַרְנַ֔יִם וְאֶת־הַזּוּזִ֖ים בְּהָ֑ם וְאֵת֙ הָֽאֵימִ֔ים בְּשָׁוֵ֖ה קִרְיָתָֽיִם׃ 5
चौदहवें वर्ष में कदोर्लाओमेर, और उसके संगी राजा आए, और अश्तारोत्कनम में रापाइयों को, और हाम में जूजियों को, और शावे-किर्यातैम में एमियों को,
וְאֶת־הַחֹרִ֖י בְּהַרְרָ֣ם שֵׂעִ֑יר עַ֚ד אֵ֣יל פָּארָ֔ן אֲשֶׁ֖ר עַל־הַמִּדְבָּֽר׃ 6
और सेईर नामक पहाड़ में होरियों को, मारते-मारते उस एल्पारान तक जो जंगल के पास है, पहुँच गए।
וַ֠יָּשֻׁבוּ וַיָּבֹ֜אוּ אֶל־עֵ֤ין מִשְׁפָּט֙ הִ֣וא קָדֵ֔שׁ וַיַּכּ֕וּ אֶֽת־כָּל־שְׂדֵ֖ה הָעֲמָלֵקִ֑י וְגַם֙ אֶת־הָ֣אֱמֹרִ֔י הַיֹּשֵׁ֖ב בְּחַֽצְצֹ֥ן תָּמָֽר׃ 7
वहाँ से वे लौटकर एन्मिशपात को आए, जो कादेश भी कहलाता है, और अमालेकियों के सारे देश को, और उन एमोरियों को भी जीत लिया, जो हसासोन्तामार में रहते थे।
וַיֵּצֵ֨א מֶֽלֶךְ־סְדֹ֜ם וּמֶ֣לֶךְ עֲמֹרָ֗ה וּמֶ֤לֶךְ אַדְמָה֙ וּמֶ֣לֶךְ צְבוֹיִ֔ם וּמֶ֥לֶךְ בֶּ֖לַע הִוא־צֹ֑עַר וַיַּֽעַרְכ֤וּ אִתָּם֙ מִלְחָמָ֔ה בְּעֵ֖מֶק הַשִּׂדִּֽים׃ 8
तब सदोम, गमोरा, अदमा, सबोयीम, और बेला, जो सोअर भी कहलाता है, इनके राजा निकले, और सिद्दीम नामक तराई में, उनके साथ युद्ध के लिये पाँति बाँधी:
אֵ֣ת כְּדָרְלָעֹ֜מֶר מֶ֣לֶךְ עֵילָ֗ם וְתִדְעָל֙ מֶ֣לֶךְ גּוֹיִ֔ם וְאַמְרָפֶל֙ מֶ֣לֶךְ שִׁנְעָ֔ר וְאַרְי֖וֹךְ מֶ֣לֶךְ אֶלָּסָ֑ר אַרְבָּעָ֥ה מְלָכִ֖ים אֶת־הַחֲמִשָּֽׁה׃ 9
अर्थात् एलाम के राजा कदोर्लाओमेर, गोयीम के राजा तिदाल, शिनार के राजा अम्रापेल, और एल्लासार के राजा अर्योक, इन चारों के विरुद्ध उन पाँचों ने पाँति बाँधी।
וְעֵ֣מֶק הַשִׂדִּ֗ים בֶּֽאֱרֹ֤ת בֶּאֱרֹת֙ חֵמָ֔ר וַיָּנֻ֛סוּ מֶֽלֶךְ־סְדֹ֥ם וַעֲמֹרָ֖ה וַיִּפְּלוּ־שָׁ֑מָּה וְהַנִּשְׁאָרִ֖ים הֶ֥רָה נָּֽסוּ׃ 10
१०सिद्दीम नामक तराई में जहाँ लसार मिट्टी के गड्ढे ही गड्ढे थे; सदोम और गमोरा के राजा भागते-भागते उनमें गिर पड़े, और जो बचे वे पहाड़ पर भाग गए।
וַ֠יִּקְחוּ אֶת־כָּל־רְכֻ֨שׁ סְדֹ֧ם וַעֲמֹרָ֛ה וְאֶת־כָּל־אָכְלָ֖ם וַיֵּלֵֽכוּ׃ 11
११तब वे सदोम और गमोरा के सारे धन और भोजनवस्तुओं को लूट-लाट कर चले गए।
וַיִּקְח֨וּ אֶת־ל֧וֹט וְאֶת־רְכֻשׁ֛וֹ בֶּן־אֲחִ֥י אַבְרָ֖ם וַיֵּלֵ֑כוּ וְה֥וּא יֹשֵׁ֖ב בִּסְדֹֽם׃ 12
१२और अब्राम का भतीजा लूत, जो सदोम में रहता था; उसको भी धन समेत वे लेकर चले गए।
וַיָּבֹא֙ הַפָּלִ֔יט וַיַּגֵּ֖ד לְאַבְרָ֣ם הָעִבְרִ֑י וְהוּא֩ שֹׁכֵ֨ן בְּאֵֽלֹנֵ֜י מַמְרֵ֣א הָאֱמֹרִ֗י אֲחִ֤י אֶשְׁכֹּל֙ וַאֲחִ֣י עָנֵ֔ר וְהֵ֖ם בַּעֲלֵ֥י בְרִית־אַבְרָֽם׃ 13
१३तब एक जन जो भागकर बच निकला था उसने जाकर इब्री अब्राम को समाचार दिया; अब्राम तो एमोरी मम्रे, जो एशकोल और आनेर का भाई था, उसके बांजवृक्षों के बीच में रहता था; और ये लोग अब्राम के संग वाचा बाँधे हुए थे।
וַיִּשְׁמַ֣ע אַבְרָ֔ם כִּ֥י נִשְׁבָּ֖ה אָחִ֑יו וַיָּ֨רֶק אֶת־חֲנִיכָ֜יו יְלִידֵ֣י בֵית֗וֹ שְׁמֹנָ֤ה עָשָׂר֙ וּשְׁלֹ֣שׁ מֵא֔וֹת וַיִּרְדֹּ֖ף עַד־דָּֽן׃ 14
१४यह सुनकर कि उसका भतीजा बन्दी बना लिया गया है, अब्राम ने अपने तीन सौ अठारह प्रशिक्षित, युद्ध कौशल में निपुण दासों को लेकर जो उसके कुटुम्ब में उत्पन्न हुए थे, अस्त्र-शस्त्र धारण करके दान तक उनका पीछा किया।
וַיֵּחָלֵ֨ק עֲלֵיהֶ֧ם ׀ לַ֛יְלָה ה֥וּא וַעֲבָדָ֖יו וַיַּכֵּ֑ם וַֽיִּרְדְּפֵם֙ עַד־חוֹבָ֔ה אֲשֶׁ֥ר מִשְּׂמֹ֖אל לְדַמָּֽשֶׂק׃ 15
१५और अपने दासों के अलग-अलग दल बाँधकर रात को उन पर चढ़ाई करके उनको मार लिया और होबा तक, जो दमिश्क की उत्तर की ओर है, उनका पीछा किया।
וַיָּ֕שֶׁב אֵ֖ת כָּל־הָרְכֻ֑שׁ וְגַם֩ אֶת־ל֨וֹט אָחִ֤יו וּרְכֻשׁוֹ֙ הֵשִׁ֔יב וְגַ֥ם אֶת־הַנָּשִׁ֖ים וְאֶת־הָעָֽם׃ 16
१६और वह सारे धन को, और अपने भतीजे लूत, और उसके धन को, और स्त्रियों को, और सब बन्दियों को, लौटा ले आया।
וַיֵּצֵ֣א מֶֽלֶךְ־סְדֹם֮ לִקְרָאתוֹ֒ אַחֲרֵ֣י שׁוּב֗וֹ מֵֽהַכּוֹת֙ אֶת־כְּדָרְ־לָעֹ֔מֶר וְאֶת־הַמְּלָכִ֖ים אֲשֶׁ֣ר אִתּ֑וֹ אֶל־עֵ֣מֶק שָׁוֵ֔ה ה֖וּא עֵ֥מֶק הַמֶּֽלֶךְ׃ 17
१७जब वह कदोर्लाओमेर और उसके साथी राजाओं को जीतकर लौटा आता था तब सदोम का राजा शावे नामक तराई में, जो राजा की तराई भी कहलाती है, उससे भेंट करने के लिये आया।
וּמַלְכִּי־צֶ֙דֶק֙ מֶ֣לֶךְ שָׁלֵ֔ם הוֹצִ֖יא לֶ֣חֶם וָיָ֑יִן וְה֥וּא כֹהֵ֖ן לְאֵ֥ל עֶלְיֽוֹן׃ 18
१८तब शालेम का राजा मलिकिसिदक, जो परमप्रधान परमेश्वर का याजक था, रोटी और दाखमधु ले आया।
וַֽיְבָרְכֵ֖הוּ וַיֹּאמַ֑ר בָּר֤וּךְ אַבְרָם֙ לְאֵ֣ל עֶלְי֔וֹן קֹנֵ֖ה שָׁמַ֥יִם וָאָֽרֶץ׃ 19
१९और उसने अब्राम को यह आशीर्वाद दिया, “परमप्रधान परमेश्वर की ओर से, जो आकाश और पृथ्वी का अधिकारी है, तू धन्य हो।
וּבָרוּךְ֙ אֵ֣ל עֶלְי֔וֹן אֲשֶׁר־מִגֵּ֥ן צָרֶ֖יךָ בְּיָדֶ֑ךָ וַיִּתֶּן־ל֥וֹ מַעֲשֵׂ֖ר מִכֹּֽל׃ 20
२०और धन्य है परमप्रधान परमेश्वर, जिसने तेरे द्रोहियों को तेरे वश में कर दिया है।” तब अब्राम ने उसको सब का दशमांश दिया।
וַיֹּ֥אמֶר מֶֽלֶךְ־סְדֹ֖ם אֶל־אַבְרָ֑ם תֶּן־לִ֣י הַנֶּ֔פֶשׁ וְהָרְכֻ֖שׁ קַֽח־לָֽךְ׃ 21
२१तब सदोम के राजा ने अब्राम से कहा, “प्राणियों को तो मुझे दे, और धन को अपने पास रख।”
וַיֹּ֥אמֶר אַבְרָ֖ם אֶל־מֶ֣לֶךְ סְדֹ֑ם הֲרִימֹ֨תִי יָדִ֤י אֶל־יְהוָה֙ אֵ֣ל עֶלְי֔וֹן קֹנֵ֖ה שָׁמַ֥יִם וָאָֽרֶץ׃ 22
२२अब्राम ने सदोम के राजा से कहा, “परमप्रधान परमेश्वर यहोवा, जो आकाश और पृथ्वी का अधिकारी है,
אִם־מִחוּט֙ וְעַ֣ד שְׂרֽוֹךְ־נַ֔עַל וְאִם־אֶקַּ֖ח מִכָּל־אֲשֶׁר־לָ֑ךְ וְלֹ֣א תֹאמַ֔ר אֲנִ֖י הֶעֱשַׁ֥רְתִּי אֶת־אַבְרָֽם׃ 23
२३उसकी मैं यह शपथ खाता हूँ, कि जो कुछ तेरा है उसमें से न तो मैं एक सूत, और न जूती का बन्धन, न कोई और वस्तु लूँगा; कि तू ऐसा न कहने पाए, कि अब्राम मेरे ही कारण धनी हुआ।
בִּלְעָדַ֗י רַ֚ק אֲשֶׁ֣ר אָֽכְל֣וּ הַנְּעָרִ֔ים וְחֵ֙לֶק֙ הָֽאֲנָשִׁ֔ים אֲשֶׁ֥ר הָלְכ֖וּ אִתִּ֑י עָנֵר֙ אֶשְׁכֹּ֣ל וּמַמְרֵ֔א הֵ֖ם יִקְח֥וּ חֶלְקָֽם׃ ס 24
२४पर जो कुछ इन जवानों ने खा लिया है और उनका भाग जो मेरे साथ गए थे; अर्थात् आनेर, एशकोल, और मम्रे मैं नहीं लौटाऊँगा वे तो अपना-अपना भाग रख लें।”

< בְּרֵאשִׁית 14 >