< עָמוֹס 8 >
כֹּ֥ה הִרְאַ֖נִי אֲדֹנָ֣י יְהוִ֑ה וְהִנֵּ֖ה כְּל֥וּב קָֽיִץ׃ | 1 |
ख़ुदावन्द ख़ुदा ने मुझे ख़्वाब दिखाया, और क्या देखता हूँ कि ताबिस्तानी मेवों की टोकरी है।
וַיֹּ֗אמֶר מָֽה־אַתָּ֤ה רֹאֶה֙ עָמ֔וֹס וָאֹמַ֖ר כְּל֣וּב קָ֑יִץ וַיֹּ֨אמֶר יְהוָ֜ה אֵלַ֗י בָּ֤א הַקֵּץ֙ אֶל־עַמִּ֣י יִשְׂרָאֵ֔ל לֹא־אוֹסִ֥יף ע֖וֹד עֲב֥וֹר לֽוֹ׃ | 2 |
और उसने फ़रमाया, ऐ 'आमूस, तू क्या देखता है? मैंने 'अर्ज़ की, ताबिस्तानी मेवों की टोकरी। तब ख़ुदावन्द ने मुझे फ़रमाया कि मेरी क़ौम इस्राईल का वक़्त आ पहुँचा है; अब मैं उससे दरगुज़र न करूँगा।
וְהֵילִ֜ילוּ שִׁיר֤וֹת הֵיכָל֙ בַּיּ֣וֹם הַה֔וּא נְאֻ֖ם אֲדֹנָ֣י יְהוִ֑ה רַ֣ב הַפֶּ֔גֶר בְּכָל־מָק֖וֹם הִשְׁלִ֥יךְ הָֽס׃ פ | 3 |
और उस वक़्त हैकल के नग़मे नौहे हो जायेंगे, ख़ुदावन्द ख़ुदा फ़रमाता, बहुत सी लाशें पड़ी होंगी वह चुपके — चुपके उनको हर जगह निकाल फेकेंगे।
שִׁמְעוּ־זֹ֕את הַשֹּׁאֲפִ֖ים אֶבְי֑וֹן וְלַשְׁבִּ֖ית עֲנִיֵּי אָֽרֶץ׃ | 4 |
तुम जो चाहते हो कि मुहताजों को निगल जाओ, और ग़रीबों को मुल्क से हलाक करो,
לֵאמֹ֗ר מָתַ֞י יַעֲבֹ֤ר הַחֹ֙דֶשׁ֙ וְנַשְׁבִּ֣ירָה שֶּׁ֔בֶר וְהַשַּׁבָּ֖ת וְנִפְתְּחָה־בָּ֑ר לְהַקְטִ֤ין אֵיפָה֙ וּלְהַגְדִּ֣יל שֶׁ֔קֶל וּלְעַוֵּ֖ת מֹאזְנֵ֥י מִרְמָֽה׃ | 5 |
और ऐफ़ा को छोटा और मिस्क़ाल को बड़ा बनाते, और फ़रेब की तराजू से दग़ाबाज़ी करते, और कहते हो, कि नये चाँद का दिन कब गुज़रेगा, ताकि हम ग़ल्ला बेचें, और सबत का दिन कब ख़त्म होगा के गेहूँ के खत्ते खोलें,
לִקְנ֤וֹת בַּכֶּ֙סֶף֙ דַּלִּ֔ים וְאֶבְי֖וֹן בַּעֲב֣וּר נַעֲלָ֑יִם וּמַפַּ֥ל בַּ֖ר נַשְׁבִּֽיר׃ | 6 |
ताकि ग़रीब को रुपये से और मुहताज को एक जोड़ी जूतियों से ख़रीदें, और गेहूँ की फटकन बेचें, ये बात सुनो,
נִשְׁבַּ֥ע יְהוָ֖ה בִּגְא֣וֹן יַעֲקֹ֑ב אִם־אֶשְׁכַּ֥ח לָנֶ֖צַח כָּל־מַעֲשֵׂיהֶֽם׃ | 7 |
ख़ुदावन्द ने या'क़ूब की हश्मत की क़सम खाकर फ़रमाया है: “मैं उनके कामों में से एक को भी हरगिज़ न भूलूँगा।
הַ֤עַל זֹאת֙ לֹֽא־תִרְגַּ֣ז הָאָ֔רֶץ וְאָבַ֖ל כָּל־יוֹשֵׁ֣ב בָּ֑הּ וְעָלְתָ֤ה כָאֹר֙ כֻּלָּ֔הּ וְנִגְרְשָׁ֥ה וְנִשְׁקְעָ֖ה כִּיא֥וֹר מִצְרָֽיִם׃ ס | 8 |
क्या इस वजह से ज़मीन न थरथराएगी, और उसका हर एक बाशिंदा मातम न करेगा? हाँ, वह बिल्कुल दरिया-ए-नील की तरह उठेगी और रोद — ए — मिस्र की तरह फैल कर फिर सुकड़ जाएगी।”
וְהָיָ֣ה ׀ בַּיּ֣וֹם הַה֗וּא נְאֻם֙ אֲדֹנָ֣י יְהוִ֔ה וְהֵבֵאתִ֥י הַשֶּׁ֖מֶשׁ בַּֽצָּהֳרָ֑יִם וְהַחֲשַׁכְתִּ֥י לָאָ֖רֶץ בְּי֥וֹם אֽוֹר׃ | 9 |
और ख़ुदावन्द ख़ुदा फ़रमाता है, उस रोज़ आफ़ताब दोपहर ही को ग़ुरूब हो जाएगा और मैं रोज़ — ए — रोशन ही में ज़मीन को तारीक कर दूँगा।
וְהָפַכְתִּ֨י חַגֵּיכֶ֜ם לְאֵ֗בֶל וְכָל־שִֽׁירֵיכֶם֙ לְקִינָ֔ה וְהַעֲלֵיתִ֤י עַל־כָּל־מָתְנַ֙יִם֙ שָׂ֔ק וְעַל־כָּל־רֹ֖אשׁ קָרְחָ֑ה וְשַׂמְתִּ֙יהָ֙ כְּאֵ֣בֶל יָחִ֔יד וְאַחֲרִיתָ֖הּ כְּי֥וֹם מָֽר׃ | 10 |
तुम्हारी 'ईदों को मातम से और तुम्हारे नामों को नौहों से बदल दुँगा, और हर एक की कमर पर टाट बँधवाऊँगा और हर एक के सिर पर चँदलापन भेजूँगा और ऐसा मातम खड़ा करूँगा जैसा इकलौते बेटे पर होता है और उसका अंजाम रोज़ — ए — तल्ख़ सा होगा।
הִנֵּ֣ה ׀ יָמִ֣ים בָּאִ֗ים נְאֻם֙ אֲדֹנָ֣י יְהוִ֔ה וְהִשְׁלַחְתִּ֥י רָעָ֖ב בָּאָ֑רֶץ לֹֽא־רָעָ֤ב לַלֶּ֙חֶם֙ וְלֹֽא־צָמָ֣א לַמַּ֔יִם כִּ֣י אִם־לִשְׁמֹ֔עַ אֵ֖ת דִּבְרֵ֥י יְהוָֽה׃ | 11 |
ख़ुदावन्द ख़ुदा फ़रमाता है, देखो, वह दिन आते हैं कि मैं इस मुल्क में क़हत डालूँगा न पानी की प्यास और न रोटी का क़हत, बल्कि ख़ुदावन्द का कलाम सुनने का।
וְנָעוּ֙ מִיָּ֣ם עַד־יָ֔ם וּמִצָּפ֖וֹן וְעַד־מִזְרָ֑ח יְשֽׁוֹטְט֛וּ לְבַקֵּ֥שׁ אֶת־דְּבַר־יְהוָ֖ה וְלֹ֥א יִמְצָֽאוּ׃ | 12 |
तब लोग समन्दर से समन्दर तक और उत्तर से पूरब तक भटकते फिरेंगे, और ख़ुदावन्द के कलाम की तलाश में इधर उधर दौड़ेंगे लेकिन कहीं न पाएँगे।
בַּיּ֨וֹם הַה֜וּא תִּ֠תְעַלַּפְנָה הַבְּתוּלֹ֧ת הַיָּפ֛וֹת וְהַבַּחוּרִ֖ים בַּצָּמָֽא׃ | 13 |
और उस रोज़ हसीन कुँवारियाँ और जवान मर्द प्यास से बेताब हो जाएँगे।
הַנִּשְׁבָּעִים֙ בְּאַשְׁמַ֣ת שֹֽׁמְר֔וֹן וְאָמְר֗וּ חֵ֤י אֱלֹהֶ֙יךָ֙ דָּ֔ן וְחֵ֖י דֶּ֣רֶךְ בְּאֵֽר־שָׁ֑בַע וְנָפְל֖וּ וְלֹא־יָק֥וּמוּ עֽוֹד׃ ס | 14 |
जो सामरिया के बुत की क़सम खाते हैं, और कहते हैं, 'ऐ दान, तेरे मा'बूद की क़सम' और 'बैर सबा' के तरीक़े की क़सम,' वह गिर जाएँगे और फिर हरगिज़ न उठेंगे।