< 1 מְלָכִים 18 >
וַיְהִי֙ יָמִ֣ים רַבִּ֔ים וּדְבַר־יְהוָ֗ה הָיָה֙ אֶל־אֵ֣לִיָּ֔הוּ בַּשָּׁנָ֥ה הַשְּׁלִישִׁ֖ית לֵאמֹ֑ר לֵ֚ךְ הֵרָאֵ֣ה אֶל־אַחְאָ֔ב וְאֶתְּנָ֥ה מָטָ֖ר עַל־פְּנֵ֥י הָאֲדָמָֽה׃ | 1 |
१बहुत दिनों के बाद, तीसरे वर्ष में यहोवा का यह वचन एलिय्याह के पास पहुँचा, “जाकर अपने आपको अहाब को दिखा, और मैं भूमि पर मेंह बरसा दूँगा।”
וַיֵּ֙לֶךְ֙ אֵֽלִיָּ֔הוּ לְהֵרָא֖וֹת אֶל־אַחְאָ֑ב וְהָרָעָ֖ב חָזָ֥ק בְּשֹׁמְרֽוֹן׃ | 2 |
२तब एलिय्याह अपने आपको अहाब को दिखाने गया। उस समय सामरिया में अकाल भारी था।
וַיִּקְרָ֣א אַחְאָ֔ב אֶל־עֹבַדְיָ֖הוּ אֲשֶׁ֣ר עַל־הַבָּ֑יִת וְעֹבַדְיָ֗הוּ הָיָ֥ה יָרֵ֛א אֶת־יְהוָ֖ה מְאֹֽד׃ | 3 |
३अहाब ने ओबद्याह को जो उसके घराने का दीवान था बुलवाया।
וַיְהִי֙ בְּהַכְרִ֣ית אִיזֶ֔בֶל אֵ֖ת נְבִיאֵ֣י יְהוָ֑ה וַיִּקַּ֨ח עֹבַדְיָ֜הוּ מֵאָ֣ה נְבִאִ֗ים וַֽיַּחְבִּיאֵ֞ם חֲמִשִּׁ֥ים אִישׁ֙ בַּמְּעָרָ֔ה וְכִלְכְּלָ֖ם לֶ֥חֶם וָמָֽיִם׃ | 4 |
४ओबद्याह तो यहोवा का भय यहाँ तक मानता था कि जब ईजेबेल यहोवा के नबियों को नाश करती थी, तब ओबद्याह ने एक सौ नबियों को लेकर पचास-पचास करके गुफाओं में छिपा रखा; और अन्न जल देकर उनका पालन-पोषण करता रहा।
וַיֹּ֤אמֶר אַחְאָב֙ אֶל־עֹ֣בַדְיָ֔הוּ לֵ֤ךְ בָּאָ֙רֶץ֙ אֶל־כָּל־מַעְיְנֵ֣י הַמַּ֔יִם וְאֶ֖ל כָּל־הַנְּחָלִ֑ים אוּלַ֣י ׀ נִמְצָ֣א חָצִ֗יר וּנְחַיֶּה֙ ס֣וּס וָפֶ֔רֶד וְל֥וֹא נַכְרִ֖ית מֵהַבְּהֵמָֽה׃ | 5 |
५और अहाब ने ओबद्याह से कहा, “देश में जल के सब सोतों और सब नदियों के पास जा, कदाचित् इतनी घास मिले कि हम घोड़ों और खच्चरों को जीवित बचा सके, और हमारे सब पशु न मर जाएँ।”
וַֽיְחַלְּק֥וּ לָהֶ֛ם אֶת־הָאָ֖רֶץ לַֽעֲבָר־בָּ֑הּ אַחְאָ֞ב הָלַ֨ךְ בְּדֶ֤רֶךְ אֶחָד֙ לְבַדּ֔וֹ וְעֹֽבַדְיָ֛הוּ הָלַ֥ךְ בְּדֶרֶךְ־אֶחָ֖ד לְבַדּֽוֹ׃ | 6 |
६अतः उन्होंने आपस में देश बाँटा कि उसमें होकर चलें; एक ओर अहाब और दूसरी ओर ओबद्याह चला।
וַיְהִ֤י עֹבַדְיָ֙הוּ֙ בַּדֶּ֔רֶךְ וְהִנֵּ֥ה אֵלִיָּ֖הוּ לִקְרָאת֑וֹ וַיַּכִּרֵ֙הוּ֙ וַיִּפֹּ֣ל עַל־פָּנָ֔יו וַיֹּ֕אמֶר הַאַתָּ֥ה זֶ֖ה אֲדֹנִ֥י אֵלִיָּֽהוּ׃ | 7 |
७ओबद्याह मार्ग में था, कि एलिय्याह उसको मिला; उसे पहचानकर वह मुँह के बल गिरा, और कहा, “हे मेरे प्रभु एलिय्याह, क्या तू है?”
וַיֹּ֥אמֶר ל֖וֹ אָ֑נִי לֵ֛ךְ אֱמֹ֥ר לַאדֹנֶ֖יךָ הִנֵּ֥ה אֵלִיָּֽהוּ׃ | 8 |
८उसने कहा “हाँ मैं ही हूँ: जाकर अपने स्वामी से कह, ‘एलिय्याह मिला है।’”
וַיֹּ֖אמֶר מֶ֣ה חָטָ֑אתִי כִּֽי־אַתָּ֞ה נֹתֵ֧ן אֶֽת־עַבְדְּךָ֛ בְּיַד־אַחְאָ֖ב לַהֲמִיתֵֽנִי׃ | 9 |
९उसने कहा, “मैंने ऐसा क्या पाप किया है कि तू मुझे मरवा डालने के लिये अहाब के हाथ करना चाहता है?
חַ֣י ׀ יְהוָ֣ה אֱלֹהֶ֗יךָ אִם־יֶשׁ־גּ֤וֹי וּמַמְלָכָה֙ אֲ֠שֶׁר לֹֽא־שָׁלַ֨ח אֲדֹנִ֥י שָׁם֙ לְבַקֶּשְׁךָ֔ וְאָמְר֖וּ אָ֑יִן וְהִשְׁבִּ֤יעַ אֶת־הַמַּמְלָכָה֙ וְאֶת־הַגּ֔וֹי כִּ֖י לֹ֥א יִמְצָאֶֽכָּה׃ | 10 |
१०तेरे परमेश्वर यहोवा के जीवन की शपथ कोई ऐसी जाति या राज्य नहीं, जिसमें मेरे स्वामी ने तुझे ढूँढ़ने को न भेजा हो, और जब उन लोगों ने कहा, ‘वह यहाँ नहीं है,’ तब उसने उस राज्य या जाति को इसकी शपथ खिलाई कि वह नहीं मिला।
וְעַתָּ֖ה אַתָּ֣ה אֹמֵ֑ר לֵ֛ךְ אֱמֹ֥ר לַאדֹנֶ֖יךָ הִנֵּ֥ה אֵלִיָּֽהוּ׃ | 11 |
११और अब तू कहता है, ‘जाकर अपने स्वामी से कह, कि एलिय्याह यहाँ है।’
וְהָיָ֞ה אֲנִ֣י ׀ אֵלֵ֣ךְ מֵאִתָּ֗ךְ וְר֨וּחַ יְהוָ֤ה ׀ יִֽשָּׂאֲךָ֙ עַ֚ל אֲשֶׁ֣ר לֹֽא־אֵדָ֔ע וּבָ֨אתִי לְהַגִּ֧יד לְאַחְאָ֛ב וְלֹ֥א יִֽמְצָאֲךָ֖ וַהֲרָגָ֑נִי וְעַבְדְּךָ֛ יָרֵ֥א אֶת־יְהוָ֖ה מִנְּעֻרָֽי׃ | 12 |
१२फिर ज्यों ही मैं तेरे पास से चला जाऊँगा, त्यों ही यहोवा का आत्मा तुझे न जाने कहाँ उठा ले जाएगा, अतः जब मैं जाकर अहाब को बताऊँगा, और तू उसे न मिलेगा, तब वह मुझे मार डालेगा: परन्तु मैं तेरा दास अपने लड़कपन से यहोवा का भय मानता आया हूँ!
הֲלֹֽא־הֻגַּ֤ד לַֽאדֹנִי֙ אֵ֣ת אֲשֶׁר־עָשִׂ֔יתִי בַּהֲרֹ֣ג אִיזֶ֔בֶל אֵ֖ת נְבִיאֵ֣י יְהוָ֑ה וָאַחְבִּא֩ מִנְּבִיאֵ֨י יְהוָ֜ה מֵ֣אָה אִ֗ישׁ חֲמִשִּׁ֨ים חֲמִשִּׁ֥ים אִישׁ֙ בַּמְּעָרָ֔ה וָאֲכַלְכְּלֵ֖ם לֶ֥חֶם וָמָֽיִם׃ | 13 |
१३क्या मेरे प्रभु को यह नहीं बताया गया, कि जब ईजेबेल यहोवा के नबियों को घात करती थी तब मैंने क्या किया? कि यहोवा के नबियों में से एक सौ लेकर पचास-पचास करके गुफाओं में छिपा रखा, और उन्हें अन्न जल देकर पालता रहा।
וְעַתָּה֙ אַתָּ֣ה אֹמֵ֔ר לֵ֛ךְ אֱמֹ֥ר לַֽאדֹנֶ֖יךָ הִנֵּ֣ה אֵלִיָּ֑הוּ וַהֲרָגָֽנִי׃ ס | 14 |
१४फिर अब तू कहता है, ‘जाकर अपने स्वामी से कह, कि एलिय्याह मिला है!’ तब वह मुझे घात करेगा।”
וַיֹּ֙אמֶר֙ אֵֽלִיָּ֔הוּ חַ֚י יְהוָ֣ה צְבָא֔וֹת אֲשֶׁ֥ר עָמַ֖דְתִּי לְפָנָ֑יו כִּ֥י הַיּ֖וֹם אֵרָאֶ֥ה אֵלָֽיו׃ | 15 |
१५एलिय्याह ने कहा, “सेनाओं का यहोवा जिसके सामने मैं रहता हूँ, उसके जीवन की शपथ आज मैं अपने आपको उसे दिखाऊँगा।”
וַיֵּ֧לֶךְ עֹבַדְיָ֛הוּ לִקְרַ֥את אַחְאָ֖ב וַיַּגֶּד־ל֑וֹ וַיֵּ֥לֶךְ אַחְאָ֖ב לִקְרַ֥את אֵלִיָּֽהוּ׃ | 16 |
१६तब ओबद्याह अहाब से मिलने गया, और उसको बता दिया; अतः अहाब एलिय्याह से मिलने चला।
וַיְהִ֛י כִּרְא֥וֹת אַחְאָ֖ב אֶת־אֵלִיָּ֑הוּ וַיֹּ֤אמֶר אַחְאָב֙ אֵלָ֔יו הַאַתָּ֥ה זֶ֖ה עֹכֵ֥ר יִשְׂרָאֵֽל׃ | 17 |
१७एलिय्याह को देखते ही अहाब ने कहा, “हे इस्राएल के सतानेवाले क्या तू ही है?”
וַיֹּ֗אמֶר לֹ֤א עָכַ֙רְתִּי֙ אֶת־יִשְׂרָאֵ֔ל כִּ֥י אִם־אַתָּ֖ה וּבֵ֣ית אָבִ֑יךָ בַּֽעֲזָבְכֶם֙ אֶת־מִצְוֹ֣ת יְהוָ֔ה וַתֵּ֖לֶךְ אַחֲרֵ֥י הַבְּעָלִֽים׃ | 18 |
१८उसने कहा, “मैंने इस्राएल को कष्ट नहीं दिया, परन्तु तू ही ने और तेरे पिता के घराने ने दिया है; क्योंकि तुम यहोवा की आज्ञाओं को टालकर बाल देवताओं की उपासना करने लगे।
וְעַתָּ֗ה שְׁלַ֨ח קְבֹ֥ץ אֵלַ֛י אֶת־כָּל־יִשְׂרָאֵ֖ל אֶל־הַ֣ר הַכַּרְמֶ֑ל וְאֶת־נְבִיאֵ֨י הַבַּ֜עַל אַרְבַּ֧ע מֵא֣וֹת וַחֲמִשִּׁ֗ים וּנְבִיאֵ֤י הָֽאֲשֵׁרָה֙ אַרְבַּ֣ע מֵא֔וֹת אֹכְלֵ֖י שֻׁלְחַ֥ן אִיזָֽבֶל׃ | 19 |
१९अब दूत भेजकर सारे इस्राएल को और बाल के साढ़े चार सौ नबियों और अशेरा के चार सौ नबियों को जो ईजेबेल की मेज पर खाते हैं, मेरे पास कर्मेल पर्वत पर इकट्ठा कर ले।”
וַיִּשְׁלַ֥ח אַחְאָ֖ב בְּכָל־בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֑ל וַיִּקְבֹּ֥ץ אֶת־הַנְּבִיאִ֖ים אֶל־הַ֥ר הַכַּרְמֶֽל׃ | 20 |
२०तब अहाब ने सारे इस्राएलियों को बुला भेजा और नबियों को कर्मेल पर्वत पर इकट्ठा किया।
וַיִּגַּ֨שׁ אֵלִיָּ֜הוּ אֶל־כָּל־הָעָ֗ם וַיֹּ֙אמֶר֙ עַד־מָתַ֞י אַתֶּ֣ם פֹּסְחִים֮ עַל־שְׁתֵּ֣י הַסְּעִפִּים֒ אִם־יְהוָ֤ה הָֽאֱלֹהִים֙ לְכ֣וּ אַחֲרָ֔יו וְאִם־הַבַּ֖עַל לְכ֣וּ אַחֲרָ֑יו וְלֹֽא־עָנ֥וּ הָעָ֛ם אֹת֖וֹ דָּבָֽר׃ | 21 |
२१और एलिय्याह सब लोगों के पास आकर कहने लगा, “तुम कब तक दो विचारों में लटके रहोगे, यदि यहोवा परमेश्वर हो, तो उसके पीछे हो लो; और यदि बाल हो, तो उसके पीछे हो लो।” लोगों ने उसके उत्तर में एक भी बात न कही।
וַיֹּ֤אמֶר אֵלִיָּ֙הוּ֙ אֶל־הָעָ֔ם אֲנִ֞י נוֹתַ֧רְתִּי נָבִ֛יא לַיהוָ֖ה לְבַדִּ֑י וּנְבִיאֵ֣י הַבַּ֔עַל אַרְבַּע־מֵא֥וֹת וַחֲמִשִּׁ֖ים אִֽישׁ׃ | 22 |
२२तब एलिय्याह ने लोगों से कहा, “यहोवा के नबियों में से केवल मैं ही रह गया हूँ; और बाल के नबी साढ़े चार सौ मनुष्य हैं।
וְיִתְּנוּ־לָ֜נוּ שְׁנַ֣יִם פָּרִ֗ים וְיִבְחֲר֣וּ לָהֶם֩ הַפָּ֨ר הָאֶחָ֜ד וִֽינַתְּחֻ֗הוּ וְיָשִׂ֙ימוּ֙ עַל־הָ֣עֵצִ֔ים וְאֵ֖שׁ לֹ֣א יָשִׂ֑ימוּ וַאֲנִ֞י אֶעֱשֶׂ֣ה ׀ אֶת־הַפָּ֣ר הָאֶחָ֗ד וְנָֽתַתִּי֙ עַל־הָ֣עֵצִ֔ים וְאֵ֖שׁ לֹ֥א אָשִֽׂים׃ | 23 |
२३इसलिए दो बछड़े लाकर हमें दिए जाएँ, और वे एक अपने लिये चुनकर उसे टुकड़े-टुकड़े काटकर लकड़ी पर रख दें, और कुछ आग न लगाएँ; और मैं दूसरे बछड़े को तैयार करके लकड़ी पर रखूँगा, और कुछ आग न लगाऊँगा।
וּקְרָאתֶ֞ם בְּשֵׁ֣ם אֱלֹֽהֵיכֶ֗ם וַֽאֲנִי֙ אֶקְרָ֣א בְשֵׁם־יְהוָ֔ה וְהָיָ֧ה הָאֱלֹהִ֛ים אֲשֶׁר־יַעֲנֶ֥ה בָאֵ֖שׁ ה֣וּא הָאֱלֹהִ֑ים וַיַּ֧עַן כָּל־הָעָ֛ם וַיֹּאמְר֖וּ ט֥וֹב הַדָּבָֽר׃ | 24 |
२४तब तुम अपने देवता से प्रार्थना करना, और मैं यहोवा से प्रार्थना करूँगा, और जो आग गिराकर उत्तर दे वही परमेश्वर ठहरे।” तब सब लोग बोल उठे, “अच्छी बात।”
וַיֹּ֨אמֶר אֵלִיָּ֜הוּ לִנְבִיאֵ֣י הַבַּ֗עַל בַּחֲר֨וּ לָכֶ֜ם הַפָּ֤ר הָֽאֶחָד֙ וַעֲשׂ֣וּ רִאשֹׁנָ֔ה כִּ֥י אַתֶּ֖ם הָרַבִּ֑ים וְקִרְאוּ֙ בְּשֵׁ֣ם אֱלֹהֵיכֶ֔ם וְאֵ֖שׁ לֹ֥א תָשִֽׂימוּ׃ | 25 |
२५और एलिय्याह ने बाल के नबियों से कहा, “पहले तुम एक बछड़ा चुनकर तैयार कर लो, क्योंकि तुम तो बहुत हो; तब अपने देवता से प्रार्थना करना, परन्तु आग न लगाना।”
וַ֠יִּקְחוּ אֶת־הַפָּ֨ר אֲשֶׁר־נָתַ֣ן לָהֶם֮ וַֽיַּעֲשׂוּ֒ וַיִּקְרְא֣וּ בְשֵׁם־הַ֠בַּעַל מֵהַבֹּ֨קֶר וְעַד־הַצָּהֳרַ֤יִם לֵאמֹר֙ הַבַּ֣עַל עֲנֵ֔נוּ וְאֵ֥ין ק֖וֹל וְאֵ֣ין עֹנֶ֑ה וַֽיְפַסְּח֔וּ עַל־הַמִּזְבֵּ֖חַ אֲשֶׁ֥ר עָשָֽׂה׃ | 26 |
२६तब उन्होंने उस बछड़े को जो उन्हें दिया गया था लेकर तैयार किया, और भोर से लेकर दोपहर तक वह यह कहकर बाल से प्रार्थना करते रहे, “हे बाल हमारी सुन, हे बाल हमारी सुन!” परन्तु न कोई शब्द और न कोई उत्तर देनेवाला हुआ। तब वे अपनी बनाई हुई वेदी पर उछलने कूदने लगे।
וַיְהִ֨י בַֽצָּהֳרַ֜יִם וַיְהַתֵּ֧ל בָּהֶ֣ם אֵלִיָּ֗הוּ וַיֹּ֙אמֶר֙ קִרְא֤וּ בְקוֹל־גָּדוֹל֙ כִּֽי־אֱלֹהִ֣ים ה֔וּא כִּ֣י שִׂ֧יחַ וְכִֽי־שִׂ֛יג ל֖וֹ וְכִֽי־דֶ֣רֶךְ ל֑וֹ אוּלַ֛י יָשֵׁ֥ן ה֖וּא וְיִקָֽץ׃ | 27 |
२७दोपहर को एलिय्याह ने यह कहकर उनका उपहास किया, “ऊँचे शब्द से पुकारो, वह तो देवता है; वह तो ध्यान लगाए होगा, या कहीं गया होगा या यात्रा में होगा, या हो सकता है कि सोता हो और उसे जगाना चाहिए।”
וַֽיִּקְרְאוּ֙ בְּק֣וֹל גָּד֔וֹל וַיִּתְגֹּֽדְדוּ֙ כְּמִשְׁפָּטָ֔ם בַּחֲרָב֖וֹת וּבָֽרְמָחִ֑ים עַד־שְׁפָךְ־דָּ֖ם עֲלֵיהֶֽם׃ | 28 |
२८और उन्होंने बड़े शब्द से पुकार-पुकारके अपनी रीति के अनुसार छुरियों और बर्छियों से अपने-अपने को यहाँ तक घायल किया कि लहू लुहान हो गए।
וַֽיְהִי֙ כַּעֲבֹ֣ר הַֽצָּהֳרַ֔יִם וַיִּֽתְנַבְּא֔וּ עַ֖ד לַעֲל֣וֹת הַמִּנְחָ֑ה וְאֵֽין־ק֥וֹל וְאֵין־עֹנֶ֖ה וְאֵ֥ין קָֽשֶׁב׃ | 29 |
२९वे दोपहर भर ही क्या, वरन् भेंट चढ़ाने के समय तक नबूवत करते रहे, परन्तु कोई शब्द सुन न पड़ा; और न तो किसी ने उत्तर दिया और न कान लगाया।
וַיֹּ֨אמֶר אֵלִיָּ֤הוּ לְכָל־הָעָם֙ גְּשׁ֣וּ אֵלַ֔י וַיִּגְּשׁ֥וּ כָל־הָעָ֖ם אֵלָ֑יו וַיְרַפֵּ֛א אֶת־מִזְבַּ֥ח יְהוָ֖ה הֶהָרֽוּס׃ | 30 |
३०तब एलिय्याह ने सब लोगों से कहा, “मेरे निकट आओ;” और सब लोग उसके निकट आए। तब उसने यहोवा की वेदी की जो गिराई गई थी मरम्मत की।
וַיִּקַּ֣ח אֵלִיָּ֗הוּ שְׁתֵּ֤ים עֶשְׂרֵה֙ אֲבָנִ֔ים כְּמִסְפַּ֖ר שִׁבְטֵ֣י בְנֵֽי־יַעֲקֹ֑ב אֲשֶׁר֩ הָיָ֨ה דְבַר־יְהוָ֤ה אֵלָיו֙ לֵאמֹ֔ר יִשְׂרָאֵ֖ל יִהְיֶ֥ה שְׁמֶֽךָ׃ | 31 |
३१फिर एलिय्याह ने याकूब के पुत्रों की गिनती के अनुसार जिसके पास यहोवा का यह वचन आया था, “तेरा नाम इस्राएल होगा,” बारह पत्थर छाँटे,
וַיִּבְנֶ֧ה אֶת־הָאֲבָנִ֛ים מִזְבֵּ֖חַ בְּשֵׁ֣ם יְהוָ֑ה וַיַּ֣עַשׂ תְּעָלָ֗ה כְּבֵית֙ סָאתַ֣יִם זֶ֔רַע סָבִ֖יב לַמִּזְבֵּֽחַ׃ | 32 |
३२और उन पत्थरों से यहोवा के नाम की एक वेदी बनाई; और उसके चारों ओर इतना बड़ा एक गड्ढा खोद दिया, कि उसमें दो सआ बीज समा सके।
וַֽיַּעֲרֹ֖ךְ אֶת־הָֽעֵצִ֑ים וַיְנַתַּח֙ אֶת־הַפָּ֔ר וַיָּ֖שֶׂם עַל־הָעֵצִֽים׃ וַיֹּ֗אמֶר מִלְא֨וּ אַרְבָּעָ֤ה כַדִּים֙ מַ֔יִם וְיִֽצְק֥וּ עַל־הָעֹלָ֖ה וְעַל־הָעֵצִ֑ים | 33 |
३३तब उसने वेदी पर लकड़ी को सजाया, और बछड़े को टुकड़े-टुकड़े काटकर लकड़ी पर रख दिया, और कहा, “चार घड़े पानी भर के होमबलि, पशु और लकड़ी पर उण्डेल दो।”
וַיֹּ֤אמֶר שְׁנוּ֙ וַיִּשְׁנ֔וּ וַיֹּ֥אמֶר שַׁלֵּ֖שׁוּ וַיְשַׁלֵּֽשׁוּ׃ | 34 |
३४तब उसने कहा, “दूसरी बार वैसा ही करो;” तब लोगों ने दूसरी बार वैसा ही किया। फिर उसने कहा, “तीसरी बार करो;” तब लोगों ने तीसरी बार भी वैसा ही किया।
וַיֵּלְכ֣וּ הַמַּ֔יִם סָבִ֖יב לַמִּזְבֵּ֑חַ וְגַ֥ם אֶת־הַתְּעָלָ֖ה מִלֵּא־מָֽיִם׃ | 35 |
३५और जल वेदी के चारों ओर बह गया, और गड्ढे को भी उसने जल से भर दिया।
וַיְהִ֣י ׀ בַּעֲל֣וֹת הַמִּנְחָ֗ה וַיִּגַּ֞שׁ אֵלִיָּ֣הוּ הַנָּבִיא֮ וַיֹּאמַר֒ יְהוָ֗ה אֱלֹהֵי֙ אַבְרָהָם֙ יִצְחָ֣ק וְיִשְׂרָאֵ֔ל הַיּ֣וֹם יִוָּדַ֗ע כִּֽי־אַתָּ֧ה אֱלֹהִ֛ים בְּיִשְׂרָאֵ֖ל וַאֲנִ֣י עַבְדֶּ֑ךָ וּבִדְבָרְךָ֣ עָשִׂ֔יתִי אֵ֥ת כָּל־הַדְּבָרִ֖ים הָאֵֽלֶּה׃ | 36 |
३६फिर भेंट चढ़ाने के समय एलिय्याह नबी समीप जाकर कहने लगा, “हे अब्राहम, इसहाक और इस्राएल के परमेश्वर यहोवा! आज यह प्रगट कर कि इस्राएल में तू ही परमेश्वर है, और मैं तेरा दास हूँ, और मैंने ये सब काम तुझ से वचन पाकर किए हैं।
עֲנֵ֤נִי יְהוָה֙ עֲנֵ֔נִי וְיֵֽדְעוּ֙ הָעָ֣ם הַזֶּ֔ה כִּֽי־אַתָּ֥ה יְהוָ֖ה הָאֱלֹהִ֑ים וְאַתָּ֛ה הֲסִבֹּ֥תָ אֶת־לִבָּ֖ם אֲחֹרַנִּֽית׃ | 37 |
३७हे यहोवा! मेरी सुन, मेरी सुन, कि ये लोग जान लें कि हे यहोवा, तू ही परमेश्वर है, और तू ही उनका मन लौटा लेता है।”
וַתִּפֹּ֣ל אֵשׁ־יְהוָ֗ה וַתֹּ֤אכַל אֶת־הָֽעֹלָה֙ וְאֶת־הָ֣עֵצִ֔ים וְאֶת־הָאֲבָנִ֖ים וְאֶת־הֶעָפָ֑ר וְאֶת־הַמַּ֥יִם אֲשֶׁר־בַּתְּעָלָ֖ה לִחֵֽכָה׃ | 38 |
३८तब यहोवा की आग आकाश से प्रगट हुई और होमबलि को लकड़ी और पत्थरों और धूलि समेत भस्म कर दिया, और गड्ढे में का जल भी सूखा दिया।
וַיַּרְא֙ כָּל־הָעָ֔ם וַֽיִּפְּל֖וּ עַל־פְּנֵיהֶ֑ם וַיֹּ֣אמְר֔וּ יְהוָה֙ ה֣וּא הָאֱלֹהִ֔ים יְהוָ֖ה ה֥וּא הָאֱלֹהִֽים׃ | 39 |
३९यह देख सब लोग मुँह के बल गिरकर बोल उठे, “यहोवा ही परमेश्वर है, यहोवा ही परमेश्वर है;”
וַיֹּאמֶר֩ אֵלִיָּ֨הוּ לָהֶ֜ם תִּפְשׂ֣וּ ׀ אֶת־נְבִיאֵ֣י הַבַּ֗עַל אִ֛ישׁ אַל־יִמָּלֵ֥ט מֵהֶ֖ם וַֽיִּתְפְּשׂ֑וּם וַיּוֹרִדֵ֤ם אֵלִיָּ֙הוּ֙ אֶל־נַ֣חַל קִישׁ֔וֹן וַיִּשְׁחָטֵ֖ם שָֽׁם׃ | 40 |
४०एलिय्याह ने उनसे कहा, “बाल के नबियों को पकड़ लो, उनमें से एक भी छूटने न पाए;” तब उन्होंने उनको पकड़ लिया, और एलिय्याह ने उन्हें नीचे कीशोन के नाले में ले जाकर मार डाला।
וַיֹּ֤אמֶר אֵלִיָּ֙הוּ֙ לְאַחְאָ֔ב עֲלֵ֖ה אֱכֹ֣ל וּשְׁתֵ֑ה כִּי־ק֖וֹל הֲמ֥וֹן הַגָּֽשֶׁם׃ | 41 |
४१फिर एलिय्याह ने अहाब से कहा, “उठकर खा पी, क्योंकि भारी वर्षा की सनसनाहट सुन पड़ती है।”
וַיַּעֲלֶ֥ה אַחְאָ֖ב לֶאֱכֹ֣ל וְלִשְׁתּ֑וֹת וְאֵ֨לִיָּ֜הוּ עָלָ֨ה אֶל־רֹ֤אשׁ הַכַּרְמֶל֙ וַיִּגְהַ֣ר אַ֔רְצָה וַיָּ֥שֶׂם פָּנָ֖יו בֵּ֥ין בִּרְכָּֽיו׃ | 42 |
४२तब अहाब खाने-पीने चला गया, और एलिय्याह कर्मेल की चोटी पर चढ़ गया, और भूमि पर गिरकर अपना मुँह घुटनों के बीच किया,
וַיֹּ֣אמֶר אֶֽל־נַעֲר֗וֹ עֲלֵֽה־נָא֙ הַבֵּ֣ט דֶּֽרֶךְ־יָ֔ם וַיַּ֙עַל֙ וַיַּבֵּ֔ט וַיֹּ֖אמֶר אֵ֣ין מְא֑וּמָה וַיֹּ֕אמֶר שֻׁ֖ב שֶׁ֥בַע פְּעָמִֽים׃ | 43 |
४३और उसने अपने सेवक से कहा, “चढ़कर समुद्र की ओर दृष्टि करके देख,” तब उसने चढ़कर देखा और लौटकर कहा, “कुछ नहीं दिखता।” एलिय्याह ने कहा, “फिर सात बार जा।”
וַֽיְהִי֙ בַּשְּׁבִעִ֔ית וַיֹּ֗אמֶר הִנֵּה־עָ֛ב קְטַנָּ֥ה כְּכַף־אִ֖ישׁ עֹלָ֣ה מִיָּ֑ם וַיֹּ֗אמֶר עֲלֵ֨ה אֱמֹ֤ר אֶל־אַחְאָב֙ אֱסֹ֣ר וָרֵ֔ד וְלֹ֥א יַעַצָרְכָ֖ה הַגָּֽשֶׁם׃ | 44 |
४४सातवीं बार उसने कहा, “देख समुद्र में से मनुष्य का हाथ सा एक छोटा बादल उठ रहा है।” एलिय्याह ने कहा, “अहाब के पास जाकर कह, ‘रथ जुतवाकर नीचे जा, कहीं ऐसा न हो कि तू वर्षा के कारण रुक जाए।’”
וַיְהִ֣י ׀ עַד־כֹּ֣ה וְעַד־כֹּ֗ה וְהַשָּׁמַ֙יִם֙ הִֽתְקַדְּרוּ֙ עָבִ֣ים וְר֔וּחַ וַיְהִ֖י גֶּ֣שֶׁם גָּד֑וֹל וַיִּרְכַּ֥ב אַחְאָ֖ב וַיֵּ֥לֶךְ יִזְרְעֶֽאלָה׃ | 45 |
४५थोड़ी ही देर में आकाश वायु से उड़ाई हुई घटाओं, और आँधी से काला हो गया और भारी वर्षा होने लगी; और अहाब सवार होकर यिज्रेल को चला।
וְיַד־יְהוָ֗ה הָֽיְתָה֙ אֶל־אֵ֣לִיָּ֔הוּ וַיְשַׁנֵּ֖ס מָתְנָ֑יו וַיָּ֙רָץ֙ לִפְנֵ֣י אַחְאָ֔ב עַד־בֹּאֲכָ֖ה יִזְרְעֶֽאלָה׃ | 46 |
४६तब यहोवा की शक्ति एलिय्याह पर ऐसी हुई; कि वह कमर बाँधकर अहाब के आगे-आगे यिज्रेल तक दौड़ता चला गया।