< יִרְמְיָהוּ 31 >
בָּעֵ֤ת הַהִיא֙ נְאֻם־יְהוָ֔ה אֶֽהְיֶה֙ לֵֽאלֹהִ֔ים לְכֹ֖ל מִשְׁפְּחֹ֣ות יִשְׂרָאֵ֑ל וְהֵ֖מָּה יִֽהְיוּ־לִ֥י לְעָֽם׃ ס | 1 |
“उस समय,” यह याहवेह की वाणी है, “मैं इस्राएल के सारे परिवारों का परमेश्वर हो जाऊंगा तथा वे मेरी प्रजा ठहरेंगी.”
כֹּ֚ה אָמַ֣ר יְהוָ֔ה מָצָ֥א חֵן֙ בַּמִּדְבָּ֔ר עַ֖ם שְׂרִ֣ידֵי חָ֑רֶב הָלֹ֥וךְ לְהַרְגִּיעֹ֖ו יִשְׂרָאֵֽל׃ | 2 |
यह याहवेह की वाणी है: “वे लोग, जो तलवार प्रहार से उत्तरजीवित रह गए, जब इस्राएल ने चैन की खोज की; उन्हें निर्जन क्षेत्र में आश्रय प्राप्त हो गया.”
מֵרָחֹ֕וק יְהוָ֖ה נִרְאָ֣ה לִ֑י וְאַהֲבַ֤ת עֹולָם֙ אֲהַבְתִּ֔יךְ עַל־כֵּ֖ן מְשַׁכְתִּ֥יךְ חָֽסֶד׃ | 3 |
सुदूर देश में याहवेह उसके समक्ष प्रकट हुए, याहवेह ने उससे यह बात की: “मैंने तुम्हें, मेरे लोगों को, अनश्वर प्रेम से प्रेम किया है, इसलिये मैंने तुम्हें अत्यंत प्रेमपूर्वक अपनी ओर आकर्षित किया है.
עֹ֤וד אֶבְנֵךְ֙ וְֽנִבְנֵ֔ית בְּתוּלַ֖ת יִשְׂרָאֵ֑ל עֹ֚וד תַּעְדִּ֣י תֻפַּ֔יִךְ וְיָצָ֖את בִּמְחֹ֥ול מְשַׂחֲקִֽים׃ | 4 |
तब मैं पुनः तुम्हारा निर्माण करूंगा, और तुम निर्मित हो जाओगी, कुंवारी इस्राएल तुम पुनः खंजरी उठाओगी तथा उनमें सम्मिलित हो जाओगी, जो आनन्दमग्न हो रहे होंगे.
עֹ֚וד תִּטְּעִ֣י כְרָמִ֔ים בְּהָרֵ֖י שֹֽׁמְרֹ֑ון נָטְע֥וּ נֹטְעִ֖ים וְחִלֵּֽלוּ׃ | 5 |
शमरिया की पहाड़ियों पर पुनः द्राक्षालता रोपण प्रारंभ हो जाएगा; रोपक इन्हें रोपेंगे ओर उनका सेवन करेंगे.
כִּ֣י יֶשׁ־יֹ֔ום קָרְא֥וּ נֹצְרִ֖ים בְּהַ֣ר אֶפְרָ֑יִם ק֚וּמוּ וְנַעֲלֶ֣ה צִיֹּ֔ון אֶל־יְהוָ֖ה אֱלֹהֵֽינוּ׃ פ | 6 |
क्योंकि एक दिन ऐसा भी आएगा जब एफ्राईम के पर्वतों से प्रहरी पुकारेंगे, ‘चलो-चलो, हमें याहवेह हमारे परमेश्वर के समक्ष ज़ियोन को जाना है.’”
כִּי־כֹ֣ה ׀ אָמַ֣ר יְהוָ֗ה רָנּ֤וּ לְיַֽעֲקֹב֙ שִׂמְחָ֔ה וְצַהֲל֖וּ בְּרֹ֣אשׁ הַגֹּויִ֑ם הַשְׁמִ֤יעוּ הַֽלְלוּ֙ וְאִמְר֔וּ הֹושַׁ֤ע יְהוָה֙ אֶֽת־עַמְּךָ֔ אֵ֖ת שְׁאֵרִ֥ית יִשְׂרָאֵֽל׃ | 7 |
क्योंकि अब याहवेह का यह आदेश है: “हर्षोल्लास में याकोब के लिए गायन किया जाए; तथा राष्ट्रों के प्रमुख के लिए जयघोष किया जाए. स्तवन के साथ यह वाणी की जाए, ‘याहवेह, अपनी प्रजा को उद्धार प्रदान कीजिए, उनको, जो इस्राएल के बचे हुए लोग हैं.’
הִנְנִי֩ מֵבִ֨יא אֹותָ֜ם מֵאֶ֣רֶץ צָפֹ֗ון וְקִבַּצְתִּים֮ מִיַּרְכְּתֵי־אָרֶץ֒ בָּ֚ם עִוֵּ֣ר וּפִסֵּ֔חַ הָרָ֥ה וְיֹלֶ֖דֶת יַחְדָּ֑ו קָהָ֥ל גָּדֹ֖ול יָשׁ֥וּבוּ הֵֽנָּה׃ | 8 |
यह देखना, कि मैं उन्हें उत्तरी देश से लेकर आऊंगा, मैं उन्हें पृथ्वी के दूर क्षेत्रों से एकत्र करूंगा. उनमें ये सभी होंगे: नेत्रहीन, अपंग, गर्भवती स्त्री तथा वह जो प्रसूता है; एक साथ यह विशाल जनसमूह होगा, जो यहां लौट आएगा.
בִּבְכִ֣י יָבֹ֗אוּ וּֽבְתַחֲנוּנִים֮ אֹֽובִילֵם֒ אֹֽולִיכֵם֙ אֶל־נַ֣חֲלֵי מַ֔יִם בְּדֶ֣רֶךְ יָשָׁ֔ר לֹ֥א יִכָּשְׁל֖וּ בָּ֑הּ כִּֽי־הָיִ֤יתִי לְיִשְׂרָאֵל֙ לְאָ֔ב וְאֶפְרַ֖יִם בְּכֹ֥רִי הֽוּא׃ ס | 9 |
वे रोते हुए लौटेंगे; तथा वे प्रार्थना करेंगे और मैं उनका मार्गदर्शन करूंगा. मैं उन्हें जलधाराओं के निकट से लेकर आऊंगा, उनका मार्ग सीधा समतल होगा, जिस पर उन्हें ठोकर नहीं लगेगी, क्योंकि मैं इस्राएल के लिए पिता हूं, तथा एफ्राईम मेरा पहलौठा पुत्र है.
שִׁמְע֤וּ דְבַר־יְהוָה֙ גֹּויִ֔ם וְהַגִּ֥ידוּ בָאִיִּ֖ים מִמֶּרְחָ֑ק וְאִמְר֗וּ מְזָרֵ֤ה יִשְׂרָאֵל֙ יְקַבְּצֶ֔נּוּ וּשְׁמָרֹ֖ו כְּרֹעֶ֥ה עֶדְרֹֽו׃ | 10 |
“राष्ट्रों, याहवेह का संदेश सुनो, दूर तटवर्ती क्षेत्रों में घोषणा करो; जिसने इस्राएल को छिन्न-भिन्न कर दिया है: वही उन्हें एकत्र भी करेगा, वह उन्हें इस प्रकार सहेजेगा, जिस प्रकार चरवाहा अपनी भेड़-बकरियों को.
כִּֽי־פָדָ֥ה יְהוָ֖ה אֶֽת־יַעֲקֹ֑ב וּגְאָלֹ֕ו מִיַּ֖ד חָזָ֥ק מִמֶּֽנּוּ׃ | 11 |
क्योंकि याहवेह ने मूल्य चुका कर याकोब को छुड़ा लिया है तथा उसे उसके बंधन से विमुक्त कर दिया है, जो उससे सशक्त था.
וּבָאוּ֮ וְרִנְּנ֣וּ בִמְרֹום־צִיֹּון֒ וְנָהֲר֞וּ אֶל־ט֣וּב יְהוָ֗ה עַל־דָּגָן֙ וְעַל־תִּירֹ֣שׁ וְעַל־יִצְהָ֔ר וְעַל־בְּנֵי־צֹ֖אן וּבָקָ֑ר וְהָיְתָ֤ה נַפְשָׁם֙ כְּגַ֣ן רָוֶ֔ה וְלֹא־יֹוסִ֥יפוּ לְדַאֲבָ֖ה עֹֽוד׃ | 12 |
वे लौटेंगे तथा ज़ियोन की ऊंचाइयों पर आकर हर्षोल्लास करेंगे; याहवेह की कृपादृष्टि के कारण वे आनंदित हो जाएंगे— अन्न, नई दाखमधु तथा प्रचूर तेल के कारण, भेड़ों एवं पशुओं के बच्चों के कारण. उनका जीवन सिंचित उद्यान सदृश होगा, वे पुनः अंत न होंगे.
אָ֣ז תִּשְׂמַ֤ח בְּתוּלָה֙ בְּמָחֹ֔ול וּבַחֻרִ֥ים וּזְקֵנִ֖ים יַחְדָּ֑ו וְהָפַכְתִּ֨י אֶבְלָ֤ם לְשָׂשֹׂון֙ וְנִ֣חַמְתִּ֔ים וְשִׂמַּחְתִּ֖ים מִיגֹונָֽם׃ | 13 |
तब कुंवारी कन्या का हर्ष नृत्य में फूट पड़ेगा इसमें जवान एवं प्रौढ़, दोनों ही सम्मिलित हो जाएंगे. क्योंकि मैं उनकी छाया को उल्लास में परिवर्तित कर दूंगा; मैं उनके शोक को आनंद में ढाल कर उन्हें सांत्वना प्रदान करूंगा.
וְרִוֵּיתִ֛י נֶ֥פֶשׁ הַכֹּהֲנִ֖ים דָּ֑שֶׁן וְעַמִּ֛י אֶת־טוּבִ֥י יִשְׂבָּ֖עוּ נְאֻם־יְהוָֽה׃ ס | 14 |
मेजवानी ऐसी होगी कि पुरोहितों के प्राण तृप्त हो जाएंगे, तथा मेरी प्रजा मेरे द्वारा किए गए कल्याण पर संतुष्ट हो जाएगी,” यह याहवेह की वाणी है.
כֹּ֣ה ׀ אָמַ֣ר יְהוָ֗ה קֹ֣ול בְּרָמָ֤ה נִשְׁמָע֙ נְהִי֙ בְּכִ֣י תַמְרוּרִ֔ים רָחֵ֖ל מְבַכָּ֣ה עַל־בָּנֶ֑יהָ מֵאֲנָ֛ה לְהִנָּחֵ֥ם עַל־בָּנֶ֖יהָ כִּ֥י אֵינֶֽנּוּ׃ ס | 15 |
याहवेह की बात यह है: “रामाह नगर में एक शब्द सुना गया, रोना तथा घोर विलाप! राहेल अपने बालकों के लिए रो रही है. धीरज उसे स्वीकार नहीं क्योंकि अब वे हैं ही नहीं.”
כֹּ֣ה ׀ אָמַ֣ר יְהוָ֗ה מִנְעִ֤י קֹולֵךְ֙ מִבֶּ֔כִי וְעֵינַ֖יִךְ מִדִּמְעָ֑ה כִּי֩ יֵ֨שׁ שָׂכָ֤ר לִפְעֻלָּתֵךְ֙ נְאֻם־יְהוָ֔ה וְשָׁ֖בוּ מֵאֶ֥רֶץ אֹויֵֽב׃ | 16 |
याहवेह का आदेश है: “अपने रुदन स्वर को नियंत्रित करो तथा अपनी अश्रुधारा को प्रतिबद्ध करो, क्योंकि तुम्हारे श्रम को पुरस्कृत किया जाएगा,” यह याहवेह की वाणी है. “वे शत्रु के देश से लौट आएंगे.
וְיֵשׁ־תִּקְוָ֥ה לְאַחֲרִיתֵ֖ךְ נְאֻם־יְהוָ֑ה וְשָׁ֥בוּ בָנִ֖ים לִגְבוּלָֽם׃ ס | 17 |
तुम्हारा सुखद भविष्य संभव है,” यह याहवेह की वाणी है. “तुम्हारे वंशज निज भूमि में लौट आएंगे.
שָׁמֹ֣ועַ שָׁמַ֗עְתִּי אֶפְרַ֙יִם֙ מִתְנֹודֵ֔ד יִסַּרְתַּ֙נִי֙ וָֽאִוָּסֵ֔ר כְּעֵ֖גֶל לֹ֣א לֻמָּ֑ד הֲשִׁיבֵ֣נִי וְאָשׁ֔וּבָה כִּ֥י אַתָּ֖ה יְהוָ֥ה אֱלֹהָֽי׃ | 18 |
“वस्तुस्थिति यह है कि मैंने एफ्राईम का विलाप करना सुना है: ‘जिस प्रकार उद्दंड बछड़े को प्रताड़ित किया जाता है उसी प्रकार आपने मुझे भी प्रताड़ित किया है, और मैंने इससे शिक्षा ग्रहण की है. मुझे अपनी उपस्थिति में ले आइए, कि मैं पूर्ववत हो जाऊं, क्योंकि याहवेह, आप ही मेरे परमेश्वर हैं.
כִּֽי־אַחֲרֵ֤י שׁוּבִי֙ נִחַ֔מְתִּי וְאַֽחֲרֵי֙ הִוָּ֣דְעִ֔י סָפַ֖קְתִּי עַל־יָרֵ֑ךְ בֹּ֚שְׁתִּי וְגַם־נִכְלַ֔מְתִּי כִּ֥י נָשָׂ֖אתִי חֶרְפַּ֥ת נְעוּרָֽי׃ | 19 |
जब मैं आपसे दूर हो गया था, तब मैंने लौटकर पश्चात्ताप किया; जब मेरी समझ में आ गया, तब मैंने अपनी छाती पीटी; मुझे लज्जित होना पड़ा. तथा मेरी प्रतिष्ठा भी भंग हो गई क्योंकि मैं अपनी जवानी की लांछना लिए हुए चल रहा था.’
הֲבֵן֩ יַקִּ֨יר לִ֜י אֶפְרַ֗יִם אִ֚ם יֶ֣לֶד שַׁעֲשֻׁעִ֔ים כִּֽי־מִדֵּ֤י דַבְּרִי֙ בֹּ֔ו זָכֹ֥ר אֶזְכְּרֶ֖נּוּ עֹ֑וד עַל־כֵּ֗ן הָמ֤וּ מֵעַי֙ לֹ֔ו רַחֵ֥ם אֲֽרַחֲמֶ֖נּוּ נְאֻם־יְהוָֽה׃ ס | 20 |
क्या एफ्राईम मेरा प्रिय पुत्र है, क्या वह सुखदायक संतान है? वस्तुतः जब-जब मैंने उसके विरोध में कुछ कहा, मैंने उसे प्रेम के साथ ही स्मरण किया. इसलिये मेरा हृदय उसकी लालसा करता रहता है; इसमें कोई संदेह नहीं कि मैं उस पर अनुकम्पा करूंगा,” यह याहवेह की वाणी है.
הַצִּ֧יבִי לָ֣ךְ צִיֻּנִ֗ים שִׂ֤מִי לָךְ֙ תַּמְרוּרִ֔ים שִׁ֣תִי לִבֵּ֔ךְ לַֽמְסִלָּ֖ה דֶּ֣רֶךְ הָלָכְתִּי (הָלָ֑כְתְּ) שׁ֚וּבִי בְּתוּלַ֣ת יִשְׂרָאֵ֔ל שֻׁ֖בִי אֶל־עָרַ֥יִךְ אֵֽלֶּה׃ | 21 |
“अब अपने लिए मार्ग निर्देश नियत कर लो; अपने लिए तोड़ सूचक खड़े कर लो. तुम्हारा ध्यान राजपथ की ओर लगा रहे, उसी मार्ग पर, जिससे तुम गए थे. कुंवारी इस्राएल, लौट आओ, लौट आओ अपने इन्हीं नगरों में.
עַד־מָתַי֙ תִּתְחַמָּקִ֔ין הַבַּ֖ת הַשֹּֽׁובֵבָ֑ה כִּֽי־בָרָ֨א יְהוָ֤ה חֲדָשָׁה֙ בָּאָ֔רֶץ נְקֵבָ֖ה תְּסֹ֥ובֵֽב גָּֽבֶר׃ ס | 22 |
हे भटकने वाली कन्या, कब तक तुम यहां वहां भटकती रहोगी? याहवेह ने पृथ्वी पर एक अपूर्व परिपाटी प्रचलित कर दी है— अब पुरुष के लिए स्त्री सुरक्षा घेरा बनेगी.”
כֹּֽה־אָמַ֞ר יְהוָ֤ה צְבָאֹות֙ אֱלֹהֵ֣י יִשְׂרָאֵ֔ל עֹ֣וד יֹאמְר֞וּ אֶת־הַדָּבָ֣ר הַזֶּ֗ה בְּאֶ֤רֶץ יְהוּדָה֙ וּבְעָרָ֔יו בְּשׁוּבִ֖י אֶת־שְׁבוּתָ֑ם יְבָרֶכְךָ֧ יְהוָ֛ה נְוֵה־צֶ֖דֶק הַ֥ר הַקֹּֽדֶשׁ׃ | 23 |
इस्राएल के परमेश्वर, सेनाओं के याहवेह की यह वाणी है: “जब मैं उनकी समृद्धि लौटा दूंगा, तब यहूदिया देश में तथा उसके नगरों में पुनः ‘उनके मुख से ये वचन निकलेंगे, पवित्र पर्वत, पूर्वजों के आश्रय, याहवेह तुम्हें आशीष दें.’
וְיָ֥שְׁבוּ בָ֛הּ יְהוּדָ֥ה וְכָל־עָרָ֖יו יַחְדָּ֑ו אִכָּרִ֕ים וְנָסְע֖וּ בַּעֵֽדֶר׃ | 24 |
यहूदिया के सभी नगरों के निवासी, किसान तथा चरवाहे अपने पशुओं सहित वहां एक साथ निवास करेंगे.
כִּ֥י הִרְוֵ֖יתִי נֶ֣פֶשׁ עֲיֵפָ֑ה וְכָל־נֶ֥פֶשׁ דָּאֲבָ֖ה מִלֵּֽאתִי׃ | 25 |
क्योंकि मैं थके हुए व्यक्ति में संतोष, तथा हताश व्यक्ति में उत्साह का पुनःसंचार करता हूं.”
עַל־זֹ֖את הֱקִיצֹ֣תִי וָאֶרְאֶ֑ה וּשְׁנָתִ֖י עָ֥רְבָה לִּֽי׃ ס | 26 |
यह सुन मैं जाग पड़ा. उस समय मुझे यह बोध हुआ कि मेरी निद्रा मेरे लिए सुखद अनुभूति छोड़ गई है.
הִנֵּ֛ה יָמִ֥ים בָּאִ֖ים נְאֻם־יְהוָ֑ה וְזָרַעְתִּ֗י אֶת־בֵּ֤ית יִשְׂרָאֵל֙ וְאֶת־בֵּ֣ית יְהוּדָ֔ה זֶ֥רַע אָדָ֖ם וְזֶ֥רַע בְּהֵמָֽה׃ | 27 |
“यह देखना, वे दिन आ रहे हैं,” यह याहवेह की वाणी है, “जब मैं इस्राएल के परिवार में तथा यहूदिया के परिवार में मनुष्य का तथा पशु का बीज रोपित करूंगा.
וְהָיָ֞ה כַּאֲשֶׁ֧ר שָׁקַ֣דְתִּי עֲלֵיהֶ֗ם לִנְתֹ֧ושׁ וְלִנְתֹ֛וץ וְלַהֲרֹ֖ס וּלְהַאֲבִ֣יד וּלְהָרֵ֑עַ כֵּ֣ן אֶשְׁקֹ֧ד עֲלֵיהֶ֛ם לִבְנֹ֥ות וְלִנְטֹ֖ועַ נְאֻם־יְהוָֽה׃ | 28 |
जिस प्रकार मैं उनके उखाड़ने में, उनके तोड़ने में, उनके पराभव करने में, उनके नष्ट करने में तथा उन पर सर्वनाश लाने में मैं उन पर नजर रखता आया, उसी प्रकार मैं उनका परिरक्षण भी करता रहूंगा, जब वे निर्माण करेंगे तथा रोपण करेंगे,” यह याहवेह की वाणी है.
בַּיָּמִ֣ים הָהֵ֔ם לֹא־יֹאמְר֣וּ עֹ֔וד אָבֹ֖ות אָ֣כְלוּ בֹ֑סֶר וְשִׁנֵּ֥י בָנִ֖ים תִּקְהֶֽינָה׃ | 29 |
“उन दिनों में उनके मुख से ये शब्द पुनः सुने नहीं जाएंगे, “‘खट्टे अंगूर तो पूर्वजों ने खाए थे, किंतु दांत खट्टे हुए वंशजों के.’
כִּ֛י אִם־אִ֥ישׁ בַּעֲוֹנֹ֖ו יָמ֑וּת כָּל־הָֽאָדָ֛ם הָאֹכֵ֥ל הַבֹּ֖סֶר תִּקְהֶ֥ינָה שִׁנָּֽיו׃ ס | 30 |
किंतु हर एक की मृत्यु का कारण होगा स्वयं उसी की पापिष्ठता; हर एक व्यक्ति, जो खट्टे अंगूर खाएगा, दांत उसी के खट्टे होंगे.
הִנֵּ֛ה יָמִ֥ים בָּאִ֖ים נְאֻם־יְהוָ֑ה וְכָרַתִּ֗י אֶת־בֵּ֧ית יִשְׂרָאֵ֛ל וְאֶת־בֵּ֥ית יְהוּדָ֖ה בְּרִ֥ית חֲדָשָֽׁה׃ | 31 |
“यह देख लेना, वे दिन आ रहे हैं,” यह याहवेह की वाणी है, “जब मैं इस्राएल वंश के साथ तथा यहूदिया वंश के साथ एक नयी वाचा स्थापित करूंगा.
לֹ֣א כַבְּרִ֗ית אֲשֶׁ֤ר כָּרַ֙תִּי֙ אֶת־אֲבֹותָ֔ם בְּיֹום֙ הֶחֱזִיקִ֣י בְיָדָ֔ם לְהֹוצִיאָ֖ם מֵאֶ֖רֶץ מִצְרָ֑יִם אֲשֶׁר־הֵ֜מָּה הֵפֵ֣רוּ אֶת־בְּרִיתִ֗י וְאָנֹכִ֛י בָּעַ֥לְתִּי בָ֖ם נְאֻם־יְהוָֽה׃ | 32 |
उस वाचा के सदृश नहीं, जो मैंने उस समय उनके पूर्वजों के साथ स्थापित की थी, जब मैंने उनका हाथ पकड़कर उन्हें मिस्र देश से उनका निकास किया था, यद्यपि मैं उनके लिए पति-सदृश था, उन्होंने मेरी वाचा भंग कर दी,” यह याहवेह की वाणी है.
כִּ֣י זֹ֣את הַבְּרִ֡ית אֲשֶׁ֣ר אֶכְרֹת֩ אֶת־בֵּ֨ית יִשְׂרָאֵ֜ל אַחֲרֵ֨י הַיָּמִ֤ים הָהֵם֙ נְאֻם־יְהוָ֔ה נָתַ֤תִּי אֶת־תֹּֽורָתִי֙ בְּקִרְבָּ֔ם וְעַל־לִבָּ֖ם אֶכְתֲּבֶ֑נָּה וְהָיִ֤יתִי לָהֶם֙ לֵֽאלֹהִ֔ים וְהֵ֖מָּה יִֽהְיוּ־לִ֥י לְעָֽם׃ | 33 |
“किंतु उन दिनों के बाद इस्राएल वंश के साथ मैं इस वाचा की स्थापना करूंगा,” यह याहवेह की वाणी है. “उनके अंतर्मन में मैं अपना व्यवस्था-विधान संस्थापित कर दूंगा तथा उनके हृदय पर मैं इसे लिख दूंगा. मैं उनका परमेश्वर हो जाऊंगा, तथा वे मेरी प्रजा.
וְלֹ֧א יְלַמְּד֣וּ עֹ֗וד אִ֣ישׁ אֶת־רֵעֵ֜הוּ וְאִ֤ישׁ אֶת־אָחִיו֙ לֵאמֹ֔ר דְּע֖וּ אֶת־יְהוָ֑ה כִּֽי־כוּלָּם֩ יֵדְע֨וּ אֹותִ֜י לְמִקְטַנָּ֤ם וְעַד־גְּדֹולָם֙ נְאֻם־יְהוָ֔ה כִּ֤י אֶסְלַח֙ לַֽעֲוֹנָ֔ם וּלְחַטָּאתָ֖ם לֹ֥א אֶזְכָּר־עֹֽוד׃ ס | 34 |
तब हर एक व्यक्ति अपने पड़ोसी को, हर एक व्यक्ति अपने सजातीय को पुनः यह कहते हुए यह शिक्षा नहीं देने लगेगा, ‘याहवेह को जान लो,’ क्योंकि वे सभी मुझे जान जाएंगे, छोटे से बड़े तक,” यह याहवेह की वाणी है. “क्योंकि मैं उनकी पापिष्ठता क्षमा कर दूंगा तथा इसके बाद उनका पाप मैं पुनः स्मरण ही न करूंगा.”
כֹּ֣ה ׀ אָמַ֣ר יְהוָ֗ה נֹתֵ֥ן שֶׁ֙מֶשׁ֙ לְאֹ֣ור יֹומָ֔ם חֻקֹּ֛ת יָרֵ֥חַ וְכֹוכָבִ֖ים לְאֹ֣ור לָ֑יְלָה רֹגַ֤ע הַיָּם֙ וַיֶּהֱמ֣וּ גַלָּ֔יו יְהוָ֥ה צְבָאֹ֖ות שְׁמֹֽו׃ | 35 |
यह याहवेह की वाणी है, जिन्होंने दिन को प्रकाशित करने के लिए सूर्य को स्थित किया है, जिन्होंने चंद्रमा तथा तारों के क्रम को रात्रि के प्रकाश के लिए निर्धारित कर दिया, जो समुद्र को हिलाते हैं कि उसकी लहरों में गर्जन आए— उनका नाम है सेनाओं के याहवेह:
אִם־יָמֻ֜שׁוּ הַחֻקִּ֥ים הָאֵ֛לֶּה מִלְּפָנַ֖י נְאֻם־יְהוָ֑ה גַּם֩ זֶ֨רַע יִשְׂרָאֵ֜ל יִשְׁבְּת֗וּ מִֽהְיֹ֥ות גֹּ֛וי לְפָנַ֖י כָּל־הַיָּמִֽים׃ ס | 36 |
“यदि यह व्यवस्थित विन्यास मेरे समक्ष से विघटित होता है,” यह याहवेह की वाणी है, “तब एक राष्ट्र के रूप में इस्राएल के वंशजों का अस्तित्व भी मेरे समक्ष से सदा-सर्वदा के लिए समाप्त हो जाएगा.”
כֹּ֣ה ׀ אָמַ֣ר יְהוָ֗ה אִם־יִמַּ֤דּוּ שָׁמַ֙יִם֙ מִלְמַ֔עְלָה וְיֵחָקְר֥וּ מֹֽוסְדֵי־אֶ֖רֶץ לְמָ֑טָּה גַּם־אֲנִ֞י אֶמְאַ֨ס בְּכָל־זֶ֧רַע יִשְׂרָאֵ֛ל עַֽל־כָּל־אֲשֶׁ֥ר עָשׂ֖וּ נְאֻם־יְהוָֽה׃ ס | 37 |
यह याहवेह की वाणी है: “यदि हमारे ऊपर विस्तीर्ण आकाशमंडल का मापा जाना संभव हो जाए तथा भूतल में पृथ्वी की नीवों की खोज निकालना संभव हो जाए, तो मैं भी इस्राएल द्वारा किए गए उन सारे कार्यों के कारण इस्राएल के सभी वंशजों का परित्याग कर दूंगा,” यह याहवेह की वाणी है.
הִנֵּ֛ה יָמִ֥ים (בָּאִ֖ים) נְאֻם־יְהוָ֑ה וְנִבְנְתָ֤ה הָעִיר֙ לַֽיהוָ֔ה מִמִּגְדַּ֥ל חֲנַנְאֵ֖ל שַׁ֥עַר הַפִּנָּֽה׃ | 38 |
देखना, “वे दिन आ रहे हैं,” यह याहवेह की वाणी है, “जब हनानेल स्तंभ से लेकर कोने के प्रवेश द्वार तक याहवेह के लिए नगर को पुनर्निर्माण किया जाएगा.
וְיָצָ֨א עֹ֜וד קְוֵה (קָ֤ו) הַמִּדָּה֙ נֶגְדֹּ֔ו עַ֖ל גִּבְעַ֣ת גָּרֵ֑ב וְנָסַ֖ב גֹּעָֽתָה׃ | 39 |
मापक डोर आगे बढ़ती हुई सीधी गारेब पर्वत तक पहुंच जाएगी, तत्पश्चात वह और आगे बढ़कर गोआह की ओर मुड़ जाएगी.
וְכָל־הָעֵ֣מֶק הַפְּגָרִ֣ים ׀ וְהַדֶּ֡שֶׁן וְכָֽל־הַשְּׁרֵמֹות (הַשְּׁדֵמֹות֩) עַד־נַ֨חַל קִדְרֹ֜ון עַד־פִּנַּ֨ת שַׁ֤עַר הַסּוּסִים֙ מִזְרָ֔חָה קֹ֖דֶשׁ לַֽיהוָ֑ה לֹֽא־יִנָּתֵ֧שׁ וְֽלֹא־יֵהָרֵ֛ס עֹ֖וד לְעֹולָֽם׃ ס | 40 |
शवों तथा भस्म से आच्छादित संपूर्ण घाटी तथा किद्रोन सरिता तक विस्तृत खेत, पूर्व तोड़ के घोड़े-द्वार के कोण तक का क्षेत्र याहवेह के निमित्त पवित्र ठहरेगा. यह क्षेत्र तब सदा-सर्वदा के लिए न तो उखाड़ा जाएगा और न ही ध्वस्त किया जाएगा.”