< דְּבָרִים 10 >

בָּעֵ֨ת הַהִ֜וא אָמַ֧ר יְהוָ֣ה אֵלַ֗י פְּסָל־לְךָ֞ שְׁנֵֽי־לוּחֹ֤ת אֲבָנִים֙ כָּרִ֣אשֹׁנִ֔ים וַעֲלֵ֥ה אֵלַ֖י הָהָ֑רָה וְעָשִׂ֥יתָ לְּךָ֖ אֲרֹ֥ון עֵֽץ׃ 1
फिर याहवेह ने मुझसे कहा: “पहले की पट्टियों के समान दो पट्टियां और बनाओ और मेरे सामने इस पर्वत पर आ जाओ. लकड़ी का एक संदूक भी बनाओ.
וְאֶכְתֹּב֙ עַל־הַלֻּחֹ֔ת אֶת־הַדְּבָרִ֔ים אֲשֶׁ֥ר הָי֛וּ עַל־הַלֻּחֹ֥ת הָרִאשֹׁנִ֖ים אֲשֶׁ֣ר שִׁבַּ֑רְתָּ וְשַׂמְתָּ֖ם בָּאָרֹֽון׃ 2
मैं इन पत्थर की पट्टियों पर वही सब लिख दूंगा, जो उन पटलों पर लिखा गया था, जिन्हें तुमने तोड़ दिया है. इन पटलों को तुम उस संदूक में रख दोगे.”
וָאַ֤עַשׂ אֲרֹון֙ עֲצֵ֣י שִׁטִּ֔ים וָאֶפְסֹ֛ל שְׁנֵי־לֻחֹ֥ת אֲבָנִ֖ים כָּרִאשֹׁנִ֑ים וָאַ֣עַל הָהָ֔רָה וּשְׁנֵ֥י הַלֻּחֹ֖ת בְּיָדִֽי׃ 3
फिर मैंने बबूल की लकड़ी से एक संदूक बनाया फिर दो पट्टियां काटी और अपने हाथों में वे दो पट्टियां लेकर पर्वत पर चढ़ गया.
וַיִּכְתֹּ֨ב עַֽל־הַלֻּחֹ֜ת כַּמִּכְתָּ֣ב הָרִאשֹׁ֗ון אֵ֚ת עֲשֶׂ֣רֶת הַדְּבָרִ֔ים אֲשֶׁ֣ר דִּבֶּר֩ יְהוָ֨ה אֲלֵיכֶ֥ם בָּהָ֛ר מִתֹּ֥וךְ הָאֵ֖שׁ בְּיֹ֣ום הַקָּהָ֑ל וַיִּתְּנֵ֥ם יְהוָ֖ה אֵלָֽי׃ 4
याहवेह ने उन दो पट्टियों पर वही लिख दिया, जो उन पहले की पट्टियों पर लिखा गया था: वे दस आदेश, जो तुम्हारे वहां इकट्ठा होने के अवसर पर पर्वत पर अग्नि में से गए थे. ये पटल याहवेह ने मुझे सौंप दिए.
וָאֵ֗פֶן וָֽאֵרֵד֙ מִן־הָהָ֔ר וָֽאָשִׂם֙ אֶת־הַלֻּחֹ֔ת בָּאָרֹ֖ון אֲשֶׁ֣ר עָשִׂ֑יתִי וַיִּ֣הְיוּ שָׁ֔ם כַּאֲשֶׁ֥ר צִוַּ֖נִי יְהוָֽה׃ 5
फिर मैं पर्वत से लौट आया और दोनों पट्टियों को उस संदूक में रख दिया, जिसे मैंने बनाया था. याहवेह के आदेश के अनुसार वे वही हैं.
וּבְנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֗ל נָֽסְע֛וּ מִבְּאֵרֹ֥ת בְּנֵי־יַעֲקָ֖ן מֹוסֵרָ֑ה שָׁ֣ם מֵ֤ת אַהֲרֹן֙ וַיִּקָּבֵ֣ר שָׁ֔ם וַיְכַהֵ֛ן אֶלְעָזָ֥ר בְּנֹ֖ו תַּחְתָּֽיו׃ 6
(इस अवसर पर इस्राएलियों ने बेने-जआकन के कुंओं से मोसेराह की ओर कूच किया. यहां अहरोन की मृत्यु हो गई और उसे वहीं गाड़ दिया गया. उसके स्थान पर उसके पुत्र एलिएज़र ने पौरोहितिक सेवा शुरू की.
מִשָּׁ֥ם נָסְע֖וּ הַגֻּדְגֹּ֑דָה וּמִן־הַגֻּדְגֹּ֣דָה יָטְבָ֔תָה אֶ֖רֶץ נַֽחֲלֵי מָֽיִם׃ 7
वहां से वे गुदगोदाह की दिशा में आगे बढ़े, फिर गुदगोदाह से योतबाथाह की ओर. यह नदियों की भूमि थी.
בָּעֵ֣ת הַהִ֗וא הִבְדִּ֤יל יְהוָה֙ אֶת־שֵׁ֣בֶט הַלֵּוִ֔י לָשֵׂ֖את אֶת־אֲרֹ֣ון בְּרִית־יְהוָ֑ה לַעֲמֹד֩ לִפְנֵ֨י יְהוָ֤ה לְשָֽׁרְתֹו֙ וּלְבָרֵ֣ךְ בִּשְׁמֹ֔ו עַ֖ד הַיֹּ֥ום הַזֶּֽה׃ 8
इस अवसर पर याहवेह ने यह तय कर दिया की लेवी गोत्र के लोग ही याहवेह की वाचा का संदूक उठाया करेंगे, वे ही याहवेह की उपस्थिति में ठहरे रहेंगे, कि उनकी सेवा करें और उनकी महिमा में उनके गीत गाया करें, जो आज तक होता आया है.
עַל־כֵּ֞ן לֹֽא־הָיָ֧ה לְלֵוִ֛י חֵ֥לֶק וְנַחֲלָ֖ה עִם־אֶחָ֑יו יְהוָה֙ ה֣וּא נַחֲלָתֹ֔ו כַּאֲשֶׁ֥ר דִּבֶּ֛ר יְהוָ֥ה אֱלֹהֶ֖יךָ לֹֽו׃ 9
यही कारण है कि लेवी गोत्र के लिए न तो कोई भाग दिया गया है और न ही उनके भाइयों के साथ उनकी कोई मीरास है. खुद याहवेह इस वंश की मीरास हैं, जैसी प्रतिज्ञा याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर द्वारा की गई थी.)
וְאָנֹכִ֞י עָמַ֣דְתִּי בָהָ֗ר כַּיָּמִים֙ הָרִ֣אשֹׁנִ֔ים אַרְבָּעִ֣ים יֹ֔ום וְאַרְבָּעִ֖ים לָ֑יְלָה וַיִּשְׁמַ֨ע יְהוָ֜ה אֵלַ֔י גַּ֚ם בַּפַּ֣עַם הַהִ֔וא לֹא־אָבָ֥ה יְהוָ֖ה הַשְׁחִיתֶֽךָ׃ 10
पहले की अवधि के समान मैं पर्वत पर चालीस दिन और चालीस रात ठहरा रहा. इस अवसर पर भी याहवेह ने मेरी प्रार्थना सुन ली; उन्होंने तुम्हें नाश करने का विचार ही त्याग दिया.
וַיֹּ֤אמֶר יְהוָה֙ אֵלַ֔י ק֛וּם לֵ֥ךְ לְמַסַּ֖ע לִפְנֵ֣י הָעָ֑ם וְיָבֹ֙אוּ֙ וְיִֽרְשׁ֣וּ אֶת־הָאָ֔רֶץ אֲשֶׁר־נִשְׁבַּ֥עְתִּי לַאֲבֹתָ֖ם לָתֵ֥ת לָהֶֽם׃ פ 11
तब याहवेह ने मुझे आदेश दिया, “इन लोगों के अगुए होकर यात्रा शुरू करो, कि वे उस देश में प्रवेश करके उस पर अधिकार कर लें, जो देश इन्हें देने की प्रतिज्ञा मैंने शपथ के साथ उनके पूर्वजों से की थी.”
וְעַתָּה֙ יִשְׂרָאֵ֔ל מָ֚ה יְהוָ֣ה אֱלֹהֶ֔יךָ שֹׁאֵ֖ל מֵעִמָּ֑ךְ כִּ֣י אִם־לְ֠יִרְאָה אֶת־יְהוָ֨ה אֱלֹהֶ֜יךָ לָלֶ֤כֶת בְּכָל־דְּרָכָיו֙ וּלְאַהֲבָ֣ה אֹתֹ֔ו וְלַֽעֲבֹד֙ אֶת־יְהוָ֣ה אֱלֹהֶ֔יךָ בְּכָל־לְבָבְךָ֖ וּבְכָל־נַפְשֶֽׁךָ׃ 12
तब इस्राएल, तुमसे याहवेह की क्या अपेक्षा है, इसके अलावा कि तुम याहवेह, अपने परमेश्वर के प्रति श्रद्धा और भय का भाव रखो, उनसे प्रेम करो, याहवेह, अपने परमेश्वर की सेवा अपने पूरे हृदय और अपने पूरे प्राण से करो,
לִשְׁמֹ֞ר אֶת־מִצְוֹ֤ת יְהוָה֙ וְאֶת־חֻקֹּתָ֔יו אֲשֶׁ֛ר אָנֹכִ֥י מְצַוְּךָ֖ הַיֹּ֑ום לְטֹ֖וב לָֽךְ׃ 13
और याहवेह के आदेशों और नियमों का पालन करो, जो तुम्हारी ही भलाई के उद्देश्य से मैं तुम्हें दे रहा हूं?
הֵ֚ן לַיהוָ֣ה אֱלֹהֶ֔יךָ הַשָּׁמַ֖יִם וּשְׁמֵ֣י הַשָּׁמָ֑יִם הָאָ֖רֶץ וְכָל־אֲשֶׁר־בָּֽהּ׃ 14
याद रहे, आकाश, सबसे ऊंचा स्वर्ग, पृथ्वी और वह सब, जो पृथ्वी में है, याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर का ही है.
רַ֧ק בַּאֲבֹתֶ֛יךָ חָשַׁ֥ק יְהוָ֖ה לְאַהֲבָ֣ה אֹותָ֑ם וַיִּבְחַ֞ר בְּזַרְעָ֣ם אַחֲרֵיהֶ֗ם בָּכֶ֛ם מִכָּל־הָעַמִּ֖ים כַּיֹּ֥ום הַזֶּֽה׃ 15
फिर भी, याहवेह ने तुम्हारे पूर्वजों पर अपना प्रेम बनाए रखा. उनके बाद उनके वंशजों को उन्होंने चुना, अर्थात् अन्य सभी की अपेक्षा तुम सबको, जैसा आज तुम्हारे सामने स्पष्ट है.
וּמַלְתֶּ֕ם אֵ֖ת עָרְלַ֣ת לְבַבְכֶ֑ם וְעָ֨רְפְּכֶ֔ם לֹ֥א תַקְשׁ֖וּ עֹֽוד׃ 16
इसलिये अपने हृदय का ख़तना करो और अब तो हठ करना छोड़ दो.
כִּ֚י יְהוָ֣ה אֱלֹֽהֵיכֶ֔ם ה֚וּא אֱלֹהֵ֣י הָֽאֱלֹהִ֔ים וַאֲדֹנֵ֖י הָאֲדֹנִ֑ים הָאֵ֨ל הַגָּדֹ֤ל הַגִּבֹּר֙ וְהַנֹּורָ֔א אֲשֶׁר֙ לֹא־יִשָּׂ֣א פָנִ֔ים וְלֹ֥א יִקַּ֖ח שֹֽׁחַד׃ 17
क्योंकि याहवेह तुम्हारे परमेश्वर ही देवताओं से अति महान परमेश्वर हैं. वह अधिराजों के अधिराज हैं, महान, सर्वशक्तिमान, भय-योग्य परमेश्वर. उनके व्यवहार में न तो भेद-भाव है और न ही घूस की कोई संभावना.
עֹשֶׂ֛ה מִשְׁפַּ֥ט יָתֹ֖ום וְאַלְמָנָ֑ה וְאֹהֵ֣ב גֵּ֔ר לָ֥תֶת לֹ֖ו לֶ֥חֶם וְשִׂמְלָֽה׃ 18
वह अनाथों और विधवाओं का न्याय करते हैं. वह परदेशी के प्रति अपने प्रेम के निमित्त उसे भोजन और वस्त्र प्रदान करते हैं.
וַאֲהַבְתֶּ֖ם אֶת־הַגֵּ֑ר כִּֽי־גֵרִ֥ים הֱיִיתֶ֖ם בְּאֶ֥רֶץ מִצְרָֽיִם׃ 19
तब तुम भी परदेशी के प्रति अपना प्रेम प्रदर्शित करो; क्योंकि तुम खुद मिस्र देश में परदेशी ही थे.
אֶת־יְהוָ֧ה אֱלֹהֶ֛יךָ תִּירָ֖א אֹתֹ֣ו תַעֲבֹ֑ד וּבֹ֣ו תִדְבָּ֔ק וּבִשְׁמֹ֖ו תִּשָּׁבֵֽעַ׃ 20
तुममें याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर के प्रति श्रद्धा हो. तुम उन्हीं की सेवा करोगे, उन्हीं के अनुरूप रहोगे और शपथ सिर्फ उन्हीं के नाम की लिया करोगे.
ה֥וּא תְהִלָּתְךָ֖ וְה֣וּא אֱלֹהֶ֑יךָ אֲשֶׁר־עָשָׂ֣ה אִתְּךָ֗ אֶת־הַגְּדֹלֹ֤ת וְאֶת־הַנֹּֽורָאֹת֙ הָאֵ֔לֶּה אֲשֶׁ֥ר רָא֖וּ עֵינֶֽיךָ׃ 21
याहवेह ही तुम्हारी स्तुति के योग्य हैं, वही तुम्हारे परमेश्वर हैं, जिन्होंने तुम्हारे लिए ये अद्धुत और अचंभे के काम किए हैं, जिनके तुम गवाह हो.
בְּשִׁבְעִ֣ים נֶ֔פֶשׁ יָרְד֥וּ אֲבֹתֶ֖יךָ מִצְרָ֑יְמָה וְעַתָּ֗ה שָֽׂמְךָ֙ יְהוָ֣ה אֱלֹהֶ֔יךָ כְּכֹוכְבֵ֥י הַשָּׁמַ֖יִם לָרֹֽב׃ 22
जब तुम्हारे पूर्वज मिस्र में गए थे, तब वे गिनती में कुल सिर्फ सत्तर व्यक्ति ही थे, मगर अब याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हें ऐसे अनगिनत बना दिया है, जैसे आकाश के तारे.

< דְּבָרִים 10 >