< שיר השירים 3 >
על משכבי בלילות בקשתי את שאהבה נפשי בקשתיו ולא מצאתיו | 1 |
१रात के समय मैं अपने पलंग पर अपने प्राणप्रिय को ढूँढ़ती रही; मैं उसे ढूँढ़ती तो रही, परन्तु उसे न पाया;
אקומה נא ואסובבה בעיר בשוקים וברחבות--אבקשה את שאהבה נפשי בקשתיו ולא מצאתיו | 2 |
२“मैंने कहा, मैं अब उठकर नगर में, और सड़कों और चौकों में घूमकर अपने प्राणप्रिय को ढूँढ़ूगी।” मैं उसे ढूँढ़ती तो रही, परन्तु उसे न पाया।
מצאוני השמרים הסבבים בעיר את שאהבה נפשי ראיתם | 3 |
३जो पहरुए नगर में घूमते थे, वे मुझे मिले, मैंने उनसे पूछा, “क्या तुम ने मेरे प्राणप्रिय को देखा है?”
כמעט שעברתי מהם עד שמצאתי את שאהבה נפשי אחזתיו ולא ארפנו--עד שהביאתיו אל בית אמי ואל חדר הורתי | 4 |
४मुझ को उनके पास से आगे बढ़े थोड़े ही देर हुई थी कि मेरा प्राणप्रिय मुझे मिल गया। मैंने उसको पकड़ लिया, और उसको जाने न दिया जब तक उसे अपनी माता के घर अर्थात् अपनी जननी की कोठरी में न ले आई।
השבעתי אתכם בנות ירושלם בצבאות או באילות השדה אם תעירו ואם תעוררו את האהבה עד שתחפץ | 5 |
५हे यरूशलेम की पुत्रियों, मैं तुम से चिकारियों और मैदान की हिरनियों की शपथ धराकर कहती हूँ, कि जब तक प्रेम आप से न उठे, तब तक उसको न उकसाओं और न जगाओ। वधू
מי זאת עלה מן המדבר כתימרות עשן מקטרת מר ולבונה מכל אבקת רוכל | 6 |
६यह क्या है जो धुएँ के खम्भे के समान, गन्धरस और लोबान से सुगन्धित, और व्यापारी की सब भाँति की बुकनी लगाए हुए जंगल से निकला आता है?
הנה מטתו שלשלמה--ששים גברים סביב לה מגברי ישראל | 7 |
७देखो, यह सुलैमान की पालकी है! उसके चारों ओर इस्राएल के शूरवीरों में के साठ वीर हैं।
כלם אחזי חרב מלמדי מלחמה איש חרבו על ירכו מפחד בלילות | 8 |
८वे सब के सब तलवार बाँधनेवाले और युद्ध विद्या में निपुण हैं। प्रत्येक पुरुष रात के डर से जाँघ पर तलवार लटकाए रहता है।
אפריון עשה לו המלך שלמה--מעצי הלבנון | 9 |
९सुलैमान राजा ने अपने लिये लबानोन के काठ की एक बड़ी पालकी बनवा ली।
עמודיו עשה כסף רפידתו זהב מרכבו ארגמן תוכו רצוף אהבה מבנות ירושלם | 10 |
१०उसने उसके खम्भे चाँदी के, उसका सिरहाना सोने का, और गद्दी बैंगनी रंग की बनवाई है; और उसके भीतरी भाग को यरूशलेम की पुत्रियों की ओर से बड़े प्रेम से जड़ा गया है।
צאנה וראינה בנות ציון במלך שלמה--בעטרה שעטרה לו אמו ביום חתנתו וביום שמחת לבו | 11 |
११हे सिय्योन की पुत्रियों निकलकर सुलैमान राजा पर दृष्टि डालो, देखो, वह वही मुकुट पहने हुए है जिसे उसकी माता ने उसके विवाह के दिन और उसके मन के आनन्द के दिन, उसके सिर पर रखा था।