< Psalm 30 >

1 Ein Psalm. Lied zur Einweihung des Hauses. Von David. Jehovah, ich erhöhe Dich, Du hast mich emporgezogen und ließest meine Feinde nicht fröhlich sein über mich.
एक स्तोत्र. मंदिर के समर्पणोत्सव के लिए एक गीत, दावीद की रचना. याहवेह, मैं आपकी महिमा और प्रशंसा करूंगा, क्योंकि आपने मुझे गहराई में से बचा लिया है अब मेरे शत्रुओं को मुझ पर हंसने का संतोष प्राप्‍त न हो सकेगा.
2 Jehovah, mein Gott, ich schrie auf zu Dir, und Du hast mich geheilt.
याहवेह, मेरे परमेश्वर, मैंने सहायता के लिए आपको पुकारा, आपने मुझे पुनःस्वस्थ कर दिया.
3 Du brachtest, Jehovah, meine Seele aus der Hölle herauf, Du hast mich belebt vor denen, die in die Grube fuhren. (Sheol h7585)
याहवेह, आपने मुझे अधोलोक से ऊपर खींच लिया; आपने मुझे जीवनदान दिया, उनमें से बचा लिया, जो अधोलोक-कब्र में हैं. (Sheol h7585)
4 Singet Psalmen dem Jehovah, ihr, Seine Heiligen, und bekennet das Andenken Seiner Heiligkeit.
याहवेह के भक्तो, उनके स्तवन गान गाओ; उनकी महिमा में जय जयकार करो.
5 Denn einen Augenblick nur ist Er in Seinem Zorn, ein Leben in Seinem Wohlgefallen; am Abend kehrt Weinen ein, und am Morgen Lobpreisen.
क्योंकि क्षण मात्र का होता है उनका कोप, किंतु आजीवन स्थायी रहती है उनकी कृपादृष्टि; यह संभव है रोना रात भर रहे, किंतु सबेरा उल्लास से भरा होता है.
6 Ich aber sprach in meiner Gelassenheit: Ich werde nicht wanken in Ewigkeit.
अपनी समृद्धि की स्थिति में मैं कह उठा, “अब मुझ पर विषमता की स्थिति कभी न आएगी.”
7 Jehovah, in Deinem Wohlgefallen ließest Du mich stehen auf meinem Berg der Stärke, Du verbargst Dein Angesicht, ich ward bestürzt.
याहवेह, आपने ही मुझ पर कृपादृष्टि कर, मुझे पर्वत समान स्थिर कर दिया; किंतु जब आपने मुझसे अपना मुख छिपा लिया, तब मैं निराश हो गया.
8 Zu Dir, Jehovah, rufe ich, und zu Jehovah flehe ich.
याहवेह, मैंने आपको पुकारा; मेरे प्रभु, मैंने आपसे कृपा की प्रार्थना की:
9 Was für Gewinn ist mein Blut, wenn ich zur Grube hinabsteige? Wird der Staub Dich bekennen, wird er Deine Treue ansagen?
“क्या लाभ होगा मेरी मृत्यु से, मेरे अधोलोक में जाने से? क्या मिट्टी आपकी स्तुति करेगी? क्या वह आपकी सच्चाई की साक्ष्य देगी?
10 Jehovah höre und sei mir gnädig, sei Du, Jehovah, mein Beistand!
याहवेह, मेरी विनती सुनिए, मुझ पर कृपा कीजिए; याहवेह, मेरी सहायता कीजिए.”
11 In einen Reigen hast Du mir verwandelt meine Klage, den Sack mir aufgetan und mich mit Fröhlichkeit umgürtet;
आपने मेरे विलाप को उल्‍लास-नृत्य में बदल दिया; आपने मेरे शोक-वस्त्र टाट उतारकर मुझे हर्ष का आवरण दे दिया,
12 Auf daß Dir Psalmen singe die Herrlichkeit, und nicht stille werde. Jehovah, mein Gott, Dich will ich in Ewigkeit bekennen.
कि मेरा हृदय सदा आपका गुणगान करता रहे और कभी चुप न रहे. याहवेह, मेरे परमेश्वर, मैं सदा-सर्वदा आपके प्रति आभार व्यक्त करता रहूंगा.

< Psalm 30 >