< Psalm 147 >
1 Lobet den HERRN! Denn es ist gut, unserm Gott zu singen: es ist lieblich, es ziemt sich der Lobgesang.
याहवेह का स्तवन करो. शोभनीय है हमारे परमेश्वर का गुणगान करना, क्योंकि यह सुखद है और स्तवन गान एक धर्ममय कार्य है!
2 Der HERR baut Jerusalem, die Verjagten Israels wird er sammeln.
येरूशलेम के निर्माता याहवेह हैं; वह इस्राएल में से ठुकराए हुओं को एकत्र करते हैं.
3 Er heilt, die zerbrochenen Herzens sind, und lindert ihre Schmerzen;
जिनके हृदय भग्न हैं, वह उन्हें चंगा करते हैं, वह उनके घावों पर पट्टी बांधते हैं.
4 er zählt die Zahl der Sterne und nennt sie alle mit Namen.
उन्होंने ही तारों की संख्या निर्धारित की है; उन्होंने ही हर एक को नाम दिया है.
5 Groß ist unser Herr und reich an Macht; sein Verstand ist unermeßlich.
पराक्रमी हैं हमारे प्रभु और अपार है उनका सामर्थ्य; बड़ी है उनकी समझ.
6 Der HERR richtet die Gedemütigten wieder auf, er erniedrigt die Gottlosen bis zur Erde.
याहवेह विनम्रों को ऊंचा उठाते तथा दुर्जनों को धूल में मिला देते हैं.
7 Stimmt dem HERRN ein Danklied an, spielt unserm Gott auf der Harfe,
धन्यवाद के साथ याहवेह का स्तवन गान करो; किन्नोर की संगत पर परमेश्वर की वंदना करो.
8 der den Himmel mit Wolken bedeckt, der Regen bereitet für die Erde und auf den Bergen Gras wachsen läßt;
वही आकाश को बादलों से ढांक देते हैं; वह पृथ्वी के लिए वर्षा की तैयारी करते और पहाड़ियों पर घास उपजाते हैं.
9 der dem Vieh sein Futter gibt, den jungen Raben, die ihn anrufen!
वही पशुओं के लिए आहार नियोजन तथा चिल्लाते हुए कौवे के बच्चों के लिए भोजन का प्रबंध करते हैं.
10 Er hat nicht Lust an der Stärke des Rosses, noch Gefallen an den Schenkeln des Mannes;
घोड़े के बल में उन्हें कोई रुचि नहीं है, और न ही किसी मनुष्य के शक्तिशाली पैरों में.
11 der HERR hat Gefallen an denen, die ihn fürchten, die auf seine Gnade hoffen.
याहवेह को प्रसन्न करते हैं वे, जिनमें उनके प्रति श्रद्धा है, जिन्होंने उनके करुणा-प्रेम को अपनी आशा का आधार बनाया है.
12 Preise, Jerusalem, den HERRN; lobe, Zion, deinen Gott!
येरूशलेम, याहवेह की महिमा करो; ज़ियोन, अपने परमेश्वर की वंदना करो.
13 Denn er hat die Riegel deiner Tore befestigt, deine Kinder gesegnet in deiner Mitte;
क्योंकि याहवेह ने तुम्हारे द्वार के खंभों को सुदृढ़ बना दिया है; उन्होंने नगर के भीतर तुम्हारी संतान पर कृपादृष्टि की है.
14 er gibt deinen Grenzen Frieden und sättigt dich mit dem besten Weizen.
तुम्हारी सीमाओं के भीतर वह शांति की स्थापना करते तथा तुमको सर्वोत्तम गेहूं से तृप्त करते हैं.
15 Er sendet seine Rede auf Erden; gar schnell läuft sein Wort;
वह अपना आदेश पृथ्वी के लिए भेजा करते हैं; और उनका वचन अति गति से प्रसारित होता है.
16 er gibt Schnee wie Wolle, er streut Reif wie Asche;
वह हिमवृष्टि करते हैं, जो ऊन समान दिखता है; जब पाला पड़ता है, वह बिखरे हुए भस्म समान लगता है.
17 er wirft sein Eis wie Brocken; wer kann bestehen vor seinem Frost?
जब वह ओले के छोटे-छोटे टुकड़े से वृष्टि करते हैं, तो किसमें उस शीत को सहने की क्षमता है?
18 Er sendet sein Wort, so zerschmelzen sie; er läßt seinen Wind wehen, so tauen sie auf.
वह अपना आदेश भेजकर उसे पिघला देते हैं; वह हवा और जल में प्रवाह उत्पन्न करते हैं.
19 Er läßt Jakob sein Wort verkündigen, Israel seine Satzungen und Rechte.
उन्होंने याकोब के लिए अपना संदेश तथा इस्राएल के लिए अपने अधिनियम तथा व्यवस्था स्पष्ट कर दिए.
20 So hat er keinem Volk getan, noch läßt er sie wissen seine Rechte. Hallelujah!
ऐसा उन्होंने किसी भी अन्य राष्ट्र के लिए नहीं किया; वे उनकी व्यवस्था से अनजान हैं. याहवेह का स्तवन हो.