< Jeremia 52 >
1 Zedekia war einundzwanzig Jahre alt, da er König ward und regierte elf Jahre zu Jerusalem. Seine Mutter hieß Hamutal, eine Tochter Jeremia's zu Libna.
१जब सिदकिय्याह राज्य करने लगा, तब वह इक्कीस वर्ष का था; और यरूशलेम में ग्यारह वर्ष तक राज्य करता रहा। उसकी माता का नाम हमूतल था जो लिब्नावासी यिर्मयाह की बेटी थी।
2 Und er tat was dem HERRN übel gefiel, gleich wie Jojakim getan hatte.
२उसने यहोयाकीम के सब कामों के अनुसार वही किया जो यहोवा की दृष्टि में बुरा है।
3 Denn es ging des HERRN Zorn über Jerusalem und Juda, bis er sie von seinem Angesicht verwarf. Und Zedekia fiel ab vom König zu Babel.
३निश्चय यहोवा के कोप के कारण यरूशलेम और यहूदा की ऐसी दशा हुई कि अन्त में उसने उनको अपने सामने से दूर कर दिया। और सिदकिय्याह ने बाबेल के राजा से बलवा किया।
4 Aber im neunten Jahr seines Königreichs, am zehnten Tage des zehnten Monats, kam Nebukadnezar, der König zu Babel, samt all seinem Heer wider Jerusalem, und sie belagerten es und machten Bollwerke ringsumher.
४और उसके राज्य के नौवें वर्ष के दसवें महीने के दसवें दिन को बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर ने अपनी सारी सेना लेकर यरूशलेम पर चढ़ाई की, और उसने उसके पास छावनी करके उसके चारों ओर किला बनाया।
5 Und blieb also die Stadt belagert bis ins elfte Jahr des Königs Zedekia.
५अतः नगर घेरा गया, और सिदकिय्याह राजा के ग्यारहवें वर्ष तक घिरा रहा।
6 Aber am neunten Tage des vierten Monats nahm der Hunger überhand in der Stadt, und hatte das Volk vom Lande nichts mehr zu essen.
६चौथे महीने के नौवें दिन से नगर में अकाल यहाँ तक बढ़ गई, कि लोगों के लिये कुछ रोटी न रही।
7 Da brach man in die Stadt; und alle Kriegsleute gaben die Flucht und zogen zur Stadt hinaus bei der Nacht auf dem Wege durch das Tor zwischen den zwei Mauern, der zum Garten des Königs geht. Aber die Chaldäer lagen um die Stadt her.
७तब नगर की शहरपनाह में दरार की गई, और दोनों दीवारों के बीच जो फाटक राजा की बारी के निकट था, उससे सब योद्धा भागकर रात ही रात नगर से निकल गए, और अराबा का मार्ग लिया। (उस समय कसदी लोग नगर को घेरे हुए थे)।
8 Und da diese zogen des Weges zum blachen Feld, jagte der Chaldäer Heer dem König nach und ergriffen Zedekia in dem Felde bei Jericho; da zerstreute sich all sein Heer von ihm.
८परन्तु उनकी सेना ने राजा का पीछा किया, और उसको यरीहो के पास के अराबा में जा पकड़ा; तब उसकी सारी सेना उसके पास से तितर-बितर हो गई।
9 Und sie fingen den König und brachten ihn hinauf zum König zu Babel gen Ribla, das im Lande Hamath liegt, der sprach ein Urteil über ihn.
९तब वे राजा को पकड़कर हमात देश के रिबला में बाबेल के राजा के पास ले गए, और वहाँ उसने उसके दण्ड की आज्ञा दी।
10 Allda ließ der König zu Babel die Söhne Zedekias vor seinen Augen erwürgen und erwürgte alle Fürsten Juda's zu Ribla.
१०बाबेल के राजा ने सिदकिय्याह के पुत्रों को उसके सामने घात किया, और यहूदा के सारे हाकिमों को भी रिबला में घात किया।
11 Aber Zedekia ließ er die Augen ausstechen und ließ ihn mit zwei Ketten binden, und führte ihn also der König zu Babel gen Babel und legte ihn ins Gefängnis, bis daß er starb.
११फिर बाबेल के राजा ने सिदकिय्याह की आँखों को फुड़वा डाला, और उसको बेड़ियों से जकड़कर बाबेल तक ले गया, और उसको बन्दीगृह में डाल दिया। वह मृत्यु के दिन तक वहीं रहा।
12 Am zehnten Tage des fünften Monats, welches ist das neunzehnte Jahr Nebukadnezars, des Königs zu Babel, kam Nebusaradan, der Hauptmann der Trabanten, der stets um den König zu Babel war gen Jerusalem
१२फिर उसी वर्ष अर्थात् बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर के राज्य के उन्नीसवें वर्ष के पाँचवें महीने के दसवें दिन को अंगरक्षकों का प्रधान नबूजरदान जो बाबेल के राजा के सम्मुख खड़ा रहता था यरूशलेम में आया।
13 und verbrannte des HERRN Haus und des Königs Haus und alle Häuser zu Jerusalem; alle großen Häuser verbrannte er mit Feuer.
१३उसने यहोवा के भवन और राजभवन और यरूशलेम के सब बड़े-बड़े घरों को आग लगवाकर फुँकवा दिया।
14 Und das ganze Heer der Chaldäer, so bei dem Hauptmann war, riß um alle Mauern zu Jerusalem ringsumher.
१४और कसदियों की सारी सेना ने जो अंगरक्षकों के प्रधान के संग थी, यरूशलेम के चारों ओर की सब शहरपनाह को ढा दिया।
15 Aber das arme Volk und andere Volk so noch übrig war in der Stadt, und die zum König zu Babel fielen und das übrige Handwerksvolk führte Nebusaradan, der Hauptmann, gefangen weg.
१५अंगरक्षकों का प्रधान नबूजरदान कंगाल लोगों में से कितनों को, और जो लोग नगर में रह गए थे, और जो लोग बाबेल के राजा के पास भाग गए थे, और जो कारीगर रह गए थे, उन सब को बन्दी बनाकर ले गया।
16 Und vom armen Volk auf dem Lande ließ Nebusaradan, der Hauptmann, bleiben Weingärtner und Ackerleute.
१६परन्तु, दिहात के कंगाल लोगों में से कितनों को अंगरक्षकों के प्रधान नबूजरदान ने दाख की बारियों की सेवा और किसानी करने को छोड़ दिया।
17 Aber die ehernen Säulen am Hause des HERR und das Gestühl und das eherne Meer am Hause des HERRN zerbrachen die Chaldäer und führten all das Erz davon gen Babel.
१७यहोवा के भवन में जो पीतल के खम्भे थे, और कुर्सियों और पीतल के हौज जो यहोवा के भवन में थे, उन सभी को कसदी लोग तोड़कर उनका पीतल बाबेल को ले गए।
18 Und die Kessel, Schaufeln, Messer, Becken, Kellen und alle ehernen Gefäße, die man im Gottesdienst pflegte zu brauchen, nahmen sie weg.
१८और हाँड़ियों, फावड़ियों, कैंचियों, कटोरों, धूपदानों, और पीतल के और सब पात्रों को, जिनसे लोग सेवा टहल करते थे, वे ले गए।
19 Dazu nahm der Hauptmann, was golden und silbern war an Bechern, Räuchtöpfen, Becken, Kesseln, Leuchtern, Löffeln und Schalen.
१९और तसलों, करछों, कटोरियों, हाँड़ियों, दीवटों, धूपदानों, और कटोरों में से जो कुछ सोने का था, उनके सोने को, और जो कुछ चाँदी का था उनकी चाँदी को भी अंगरक्षकों का प्रधान ले गया।
20 Die zwei Säulen, das Meer, die Zwölf ehernen Rinder darunter und die Gestühle, welche der König Salomo hatte lassen machen zum Hause des HERRN, alles dieses Gerätes aus Erz war unermeßlich viel.
२०दोनों खम्भे, एक हौज और पीतल के बारहों बैल जो पायों के नीचे थे, इन सब को तो सुलैमान राजा ने यहोवा के भवन के लिये बनवाया था, और इन सब का पीतल तौल से बाहर था।
21 Der zwei Säulen aber war eine jegliche achtzehn Ellen hoch, und eine Schnur, zwölf Ellen lang, reichte um sie her, und war eine jegliche vier Finger dick und inwendig hohl;
२१जो खम्भे थे, उनमें से एक-एक की ऊँचाई अठारह हाथ, और घेरा बारह हाथ, और मोटाई चार अंगुल की थी, और वे खोखले थे।
22 und stand auf jeglicher ein eherner Knauf, fünf Ellen hoch, und ein Gitterwerk und Granatäpfel waren an jeglichem Knauf ringsumher, alles ehern; und war eine Säule wie die andere, die Granatäpfel auch.
२२एक-एक की कँगनी पीतल की थी, और एक-एक कँगनी की ऊँचाई पाँच हाथ की थी; और उस पर चारों ओर जो जाली और अनार बने थे वे सब पीतल के थे।
23 Es waren der Granatäpfel sechsundneunzig daran, und aller Granatäpfel waren hundert an einem Gitterwerk rings umher.
२३कँगनियों के चारों ओर छियानवे अनार बने थे, और जाली के ऊपर चारों ओर एक सौ अनार थे।
24 Und der Hauptmann nahm den obersten Priester Seraja und den Priester Zephanja, den nächsten nach ihm, und die drei Torhüter
२४अंगरक्षकों के प्रधान ने सरायाह महायाजक और उसके नीचे के सपन्याह याजक, और तीनों डेवढ़ीदारों को पकड़ लिया;
25 und einen Kämmerer aus der Stadt, welcher über die Kriegsleute gesetzt war, und sieben Männer, welche um den König sein mußten, die in der Stadt gefunden wurden, dazu den Schreiber des Feldhauptmanns, der das Volk im Lande zum Heer aufbot, dazu sechzig Mann Landvolks, so in der Stadt gefunden wurden:
२५और नगर में से उसने एक खोजा पकड़ लिया, जो योद्धाओं के ऊपर ठहरा था; और जो पुरुष राजा के सम्मुख रहा करते थे, उनमें से सात जन जो नगर में मिले; और सेनापति का मुंशी जो साधारण लोगों को सेना में भरती करता था; और साधारण लोगों में से साठ पुरुष जो नगर में मिले,
26 diese nahm Nebusaradan, der Hauptmann, und brachte sie dem König zu Babel gen Ribla.
२६इन सब को अंगरक्षकों का प्रधान नबूजरदान रिबला में बाबेल के राजा के पास ले गया।
27 Und der König zu Babel schlug sie tot zu Ribla, das im Lande Hamath liegt. Also ward Juda aus seinem Lande weggeführt.
२७तब बाबेल के राजा ने उन्हें हमात देश के रिबला में ऐसा मारा कि वे मर गए। इस प्रकार यहूदी अपने देश से बँधुए होकर चले गए।
28 Dies ist das Volk, welches Nebukadnezar weggeführt hat: im siebenten Jahr dreitausend und dreiundzwanzig Juden;
२८जिन लोगों को नबूकदनेस्सर बँधुआ करके ले गया, वे ये हैं, अर्थात् उसके राज्य के सातवें वर्ष में तीन हजार तेईस यहूदी;
29 Im achtzehnten Jahr aber des Nebukadnezars achthundert und zweiunddreißig Seelen aus Jerusalem;
२९फिर अपने राज्य के अठारहवें वर्ष में नबूकदनेस्सर यरूशलेम से आठ सौ बत्तीस प्राणियों को बँधुआ करके ले गया;
30 und im dreiundzwanzigsten Jahr des Nebukadnezars führte Nebusaradan, der Hauptmann, siebenhundert und fünfundvierzig Seelen weg aus Juda. Alle Seelen sind viertausend und sechshundert.
३०फिर नबूकदनेस्सर के राज्य के तेईसवें वर्ष में अंगरक्षकों का प्रधान नबूजरदान सात सौ पैंतालीस यहूदी जनों को बँधुए करके ले गया; सब प्राणी मिलकर चार हजार छः सौ हुए।
31 Aber im siebenunddreißigsten Jahr, nachdem Jojachin, der König zu Juda, weggeführt war, am fünfundzwanzigsten Tage des zwölften Monats, erhob Evil-Merodach, der König zu Babel, im Jahr, da er König ward, das Haupt Jojachins, des Königs in Juda, und ließ ihn aus dem Gefängnis
३१फिर यहूदा के राजा यहोयाकीन की बँधुआई के सैंतीसवें वर्ष में अर्थात् जिस वर्ष बाबेल का राजा एवील्मरोदक राजगद्दी पर विराजमान हुआ, उसी के बारहवें महीने के पच्चीसवें दिन को उसने यहूदा के राजा यहोयाकीन को बन्दीगृह से निकालकर बड़ा पद दिया;
32 und redete freundlich mit ihm und setzte seinen Stuhl über der Könige Stühle, die bei ihm zu Babel waren,
३२और उससे मधुर-मधुर वचन कहकर, जो राजा उसके साथ बाबेल में बँधुए थे, उनके सिंहासनों से उसके सिंहासन को अधिक ऊँचा किया।
33 und wandelte ihm seines Gefängnisses Kleider, daß er vor ihm aß stets sein Leben lang.
३३उसके बन्दीगृह के वस्त्र बदल दिए; और वह जीवन भर नित्य राजा के सम्मुख भोजन करता रहा;
34 Und ihm ward stets sein Unterhalt vom König zu Babel gegeben, wie es ihm verordnet war, sein ganzes Leben lang bis an sein Ende.
३४और प्रतिदिन के खर्च के लिये बाबेल के राजा के यहाँ से उसको नित्य कुछ मिलने का प्रबन्ध हुआ। यह प्रबन्ध उसकी मृत्यु के दिन तक उसके जीवन भर लगातार बना रहा।