< Lévitique 11 >
1 Le Seigneur parla encore à Moïse et à Aaron, disant:
१फिर यहोवा ने मूसा और हारून से कहा,
2 Dites aux enfants d’Israël: Voici les animaux que vous devez manger, d’entre tous les animaux de la terre:
२“इस्राएलियों से कहो: जितने पशु पृथ्वी पर हैं उन सभी में से तुम इन जीवधारियों का माँस खा सकते हो।
3 Tout ce qui a l’ongle fendu et qui rumine parmi les bêtes, vous en mangerez.
३पशुओं में से जितने चिरे या फटे खुर के होते हैं और पागुर करते हैं उन्हें खा सकते हो।
4 Pour tout ce qui rumine et qui a un ongle, mais qui ne l’a pas fendu, comme le chameau et tous les autres, vous n’en mangerez point, et vous le compterez parmi les bêtes impures.
४परन्तु पागुर करनेवाले या फटे खुरवालों में से इन पशुओं को न खाना, अर्थात् ऊँट, जो पागुर तो करता है परन्तु चिरे खुर का नहीं होता, इसलिए वह तुम्हारे लिये अशुद्ध ठहरा है।
5 Le chérogrylle qui rumine, mais qui n’a point l’ongle fendu, est impur.
५और चट्टानी बिज्जू, जो पागुर तो करता है परन्तु चिरे खुर का नहीं होता, वह भी तुम्हारे लिये अशुद्ध है।
6 Le lièvre également; car il rumine, lui aussi, mais il n’a pas l’ongle fendu.
६और खरगोश, जो पागुर तो करता है परन्तु चिरे खुर का नहीं होता, इसलिए वह भी तुम्हारे लिये अशुद्ध है।
7 Le pourceau encore, qui quoiqu’il ait l’ongle fendu, ne rumine point.
७और सूअर, जो चिरे अर्थात् फटे खुर का होता तो है परन्तु पागुर नहीं करता, इसलिए वह तुम्हारे लिये अशुद्ध है।
8 Vous ne mangerez point de la chair de ces bêtes, et vous ne toucherez point leurs corps morts, parce qu’ils sont impurs pour vous.
८इनके माँस में से कुछ न खाना, और इनकी लोथ को छूना भी नहीं; ये तो तुम्हारे लिये अशुद्ध है।
9 Voici les bêtes qui sont engendrées dans les eaux, et dont il est permis de manger. Tout ce qui a des nageoires et des écailles, tant dans la mer que dans les rivières et dans les étangs, vous en mangerez.
९“फिर जितने जलजन्तु हैं उनमें से तुम इन्हें खा सकते हों, अर्थात् समुद्र या नदियों के जलजन्तुओं में से जितनों के पंख और चोंयेटे होते हैं उन्हें खा सकते हो।
10 Mais tout ce qui n’a pas de nageoires et d’écaillés dans ce qui se meut et vit dans les eaux, vous sera abominable,
१०और जलचरी प्राणियों में से जितने जीवधारी बिना पंख और चोंयेटे के समुद्र या नदियों में रहते हैं वे सब तुम्हारे लिये घृणित हैं।
11 Et vous l’aurez en exécration; vous n’en mangerez point la chair et vous éviterez leurs corps morts.
११वे तुम्हारे लिये घृणित ठहरें; तुम उनके माँस में से कुछ न खाना, और उनकी लोथों को अशुद्ध जानना।
12 Tout ce qui n’a pas de nageoires et d’écaillés dans les eaux sera impur.
१२जल में जिस किसी जन्तु के पंख और चोंयेटे नहीं होते वह तुम्हारे लिये अशुद्ध है।
13 Voici ceux des oiseaux que vous ne devez pas manger, et qui sont à éviter pour vous: l’aigle, le griffon, l’aigle de mer,
१३“फिर पक्षियों में से इनको अशुद्ध जानना, ये अशुद्ध होने के कारण खाए न जाएँ, अर्थात् उकाब, हड़फोड़, कुरर,
14 Le milan, le vautour, selon son espèce;
१४चील, और भाँति-भाँति के बाज,
15 Tout ce qui dans l’espèce du corbeau est à sa ressemblance:
१५और भाँति-भाँति के सब काग,
16 L’autruche, le hibou, le larus, l’épervier selon son espèce;
१६शुतुर्मुर्ग, तखमास, जलकुक्कट, और भाँति-भाँति के शिकरे,
17 Le chat-huant, le plongeon, l’ibis,
१७हबासिल, हाड़गील, उल्लू,
18 Le cygne, l’onocrotale, le porphyrion,
१८राजहँस, धनेश, गिद्ध,
19 Le héron, le pluvier selon son espèce; la huppe et la chauve-souris.
१९सारस, भाँति-भाँति के बगुले, टिटीहरी और चमगादड़।
20 Tout ce qui d’entre les volatiles, marche sur quatre pieds, vous sera abominable.
२०“जितने पंखवाले कीड़े चार पाँवों के बल चलते हैं वे सब तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं।
21 Tout ce qui au contraire marche, à la vérité, sur quatre pieds, mais a les jambes de derrière plus longues, avec lesquelles il saute sur la terre,
२१पर रेंगनेवाले और पंखवाले जो चार पाँवों के बल चलते हैं, जिनके भूमि पर कूदने फाँदने को टाँगें होती हैं उनको तो खा सकते हो।
22 Vous devez en manger; tel est le bruchus dans son espèce, l’attachus, l’ophiomachus, la sauterelle, chacun selon son espèce.
२२वे ये हैं, अर्थात् भाँति-भाँति की टिड्डी, भाँति-भाँति के फनगे, भाँति-भाँति के झींगुर, और भाँति-भाँति के टिड्डे।
23 Mais tout ce qui d’entre les volatiles a seulement quatre pieds vous sera en exécration;
२३परन्तु और सब रेंगनेवाले पंखवाले जो चार पाँव वाले होते हैं वे तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं।
24 Et quiconque touchera leurs corps morts, sera souillé, et il sera impur jusqu’au soir;
२४“इनके कारण तुम अशुद्ध ठहरोगे; जिस किसी से इनकी लोथ छू जाए वह साँझ तक अशुद्ध ठहरे।
25 Et s’il est nécessaire qu’il porte quelqu’un de ces animaux mort, il lavera ses vêtements, et il sera impur jusqu’au coucher du soleil.
२५और जो कोई इनकी लोथ में का कुछ भी उठाए वह अपने वस्त्र धोए और साँझ तक अशुद्ध रहे।
26 Tout animal qui a un ongle, mais qui ne l’a pas fendu et qui ne rumine pas, est impur; et celui qui le touchera sera souillé.
२६फिर जितने पशु चिरे खुर के होते हैं परन्तु न तो बिलकुल फटे खुर और न पागुर करनेवाले हैं वे तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं; जो कोई उन्हें छूए वह अशुद्ध ठहरेगा।
27 Ce qui marche sur quatre mains, d’entre tous les animaux quadrupèdes qui marchent, sera impur: celui qui touchera leurs corps morts sera souillé jusqu’au soir.
२७और चार पाँव के बल चलनेवालों में से जितने पंजों के बल चलते हैं वे सब तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं; जो कोई उनकी लोथ छूए वह साँझ तक अशुद्ध रहे।
28 Et celui qui portera des corps morts de cette sorte, lavera ses vêtements, et il sera impur jusqu’au soir, parce que toutes ces choses sont immondes pour vous.
२८और जो कोई उनकी लोथ उठाए वह अपने वस्त्र धोए और साँझ तक अशुद्ध रहे; क्योंकि वे तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं।
29 Vous compterez aussi parmi les choses souillées d’entre les animaux qui se meuvent sur la terre, la belette, le rat et le crocodile, chacun selon son espèce;
२९“और जो पृथ्वी पर रेंगते हैं उनमें से ये रेंगनेवाले तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं, अर्थात् नेवला, चूहा, और भाँति-भाँति के गोह,
30 La musaraigne, le caméléon, le stellion, le lézard et la taupe.
३०और छिपकली, मगर, टिकटिक, सांडा, और गिरगिट।
31 Tout ces animaux sont impurs. Celui qui touchera leurs corps morts sera impur jusqu’au soir;
३१सब रेंगनेवालों में से ये ही तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं; जो कोई इनकी लोथ छूए वह साँझ तक अशुद्ध रहे।
32 Et sur quoi que ce soit que tombe quelque chose de leurs corps morts, il sera souillé; que ce soit un vase de bois, ou un vêtement, ou des peaux et des cilices; et tous les objets avec lesquels se fait quelque ouvrage, seront lavés dans l’eau, et seront souillés jusqu’au soir, et de cette manière ils seront ensuite purifiés.
३२और इनमें से किसी की लोथ जिस किसी वस्तु पर पड़ जाए वह भी अशुद्ध ठहरे, चाहे वह काठ का कोई पात्र हो, चाहे वस्त्र, चाहे खाल, चाहे बोरा, चाहे किसी काम का कैसा ही पात्र आदि क्यों न हो; वह जल में डाला जाए, और साँझ तक अशुद्ध रहे, तब शुद्ध समझा जाए।
33 Mais le vase de terre dans l’intérieur duquel quelqu’une de ces choses sera tombée, sera souillé; il doit être brisé.
३३और यदि मिट्टी का कोई पात्र हो जिसमें इन जन्तुओं में से कोई पड़े, तो उस पात्र में जो कुछ हो वह अशुद्ध ठहरे, और पात्र को तुम तोड़ डालना।
34 Tout aliment que vous mangerez, s’il se répand de l’eau sur lui, sera impur; et toute liqueur qui se boit dans un vase quelconque, sera impure.
३४उसमें जो खाने के योग्य भोजन हो, जिसमें पानी का छुआव हो वह सब अशुद्ध ठहरे; फिर यदि ऐसे पात्र में पीने के लिये कुछ हो तो वह भी अशुद्ध ठहरे।
35 Et tout ce qui de tels corps morts tombera sur le vase, sera impur; que ce soient des fours, ou des marmites, ils seront brisés et ils seront impurs.
३५और यदि इनकी लोथ में का कुछ तंदूर या चूल्हे पर पड़े तो वह भी अशुद्ध ठहरे, और तोड़ डाला जाए; क्योंकि वह अशुद्ध हो जाएगा, वह तुम्हारे लिये भी अशुद्ध ठहरे।
36 Mais les fontaines et les citernes et tout réservoir d’eaux sera pur. Celui qui touchera le corps mort de ces animaux, sera souillé.
३६परन्तु सोता या तालाब जिसमें जल इकट्ठा हो वह तो शुद्ध ही रहे; परन्तु जो कोई इनकी लोथ को छूए वह अशुद्ध ठहरे।
37 S’il tombe sur la semence, il ne la souillera pas.
३७और यदि इनकी लोथ में का कुछ किसी प्रकार के बीज पर जो बोने के लिये हो पड़े, तो वह बीज शुद्ध रहे;
38 Mais si quelqu’un répand de l’eau sur la semence, et qu’après cela elle soit touchée par les corps morts, elle sera aussitôt souillée.
३८पर यदि बीज पर जल डाला गया हो और पीछे लोथ में का कुछ उस पर पड़ जाए, तो वह तुम्हारे लिये अशुद्ध ठहरे।
39 S’il meurt un animal qu’il vous est permis de manger, celui qui touchera son corps sera impur jusqu’au soir;
३९फिर जिन पशुओं के खाने की आज्ञा तुम को दी गई है यदि उनमें से कोई पशु मरे, तो जो कोई उसकी लोथ छूए वह साँझ तक अशुद्ध रहे।
40 Et celui qui en mangera quelque chose ou en portera, lavera ses vêtements et sera impur jusqu’au soir.
४०और उसकी लोथ में से जो कोई कुछ खाए वह अपने वस्त्र धोए और साँझ तक अशुद्ध रहे; और जो कोई उसकी लोथ उठाए वह भी अपने वस्त्र धोए और साँझ तक अशुद्ध रहे।
41 Tout ce qui rampe sur la terre sera abominable; et l’on n’en prendra point pour nourriture.
४१“सब प्रकार के पृथ्वी पर रेंगनेवाले जन्तु घिनौने हैं; वे खाए न जाएँ।
42 Tout ce qui étant quadrupède, et ce qui ayant beaucoup de pieds marche sur la poitrine, ou se traîne sur la terre, vous n’en mangerez point, parce qu’il est abominable.
४२पृथ्वी पर सब रेंगनेवालों में से जितने पेट या चार पाँवों के बल चलते हैं, या अधिक पाँव वाले होते हैं, उन्हें तुम न खाना; क्योंकि वे घिनौने हैं।
43 Ne souillez point vos âmes, et ne touchez aucune de ces choses, de peur que vous ne soyez impurs.
४३तुम किसी प्रकार के रेंगनेवाले जन्तु के द्वारा अपने आपको घिनौना न करना; और न उनके द्वारा अपने को अशुद्ध करके अपवित्र ठहराना।
44 Car c’est moi qui suis le Seigneur votre Dieu: soyez saints, parce que moi, je suis saint. Ne souillez point vos âmes par aucun reptile qui se meut sur la terre.
४४क्योंकि मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ; इस कारण अपने को शुद्ध करके पवित्र बने रहो, क्योंकि मैं पवित्र हूँ। इसलिए तुम किसी प्रकार के रेंगनेवाले जन्तु के द्वारा जो पृथ्वी पर चलता है अपने आपको अशुद्ध न करना।
45 Car c’est moi qui suis le Seigneur qui vous ai retirés de la terre d’Egypte, afin que je fusse Dieu pour vous. Soyez saints, parce que moi, je suis saint.
४५क्योंकि मैं वह यहोवा हूँ जो तुम्हें मिस्र देश से इसलिए निकाल ले आया हूँ कि तुम्हारा परमेश्वर ठहरूँ; इसलिए तुम पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूँ।
46 Telle est la loi des animaux et des volatiles et de toute âme vivante, qui se meut dans l’eau, et qui rampe sur la terre;
४६“पशुओं, पक्षियों, और सब जलचरी प्राणियों, और पृथ्वी पर सब रेंगनेवाले प्राणियों के विषय में यही व्यवस्था है,
47 Afin que vous connaissiez les différences de ce qui est pur et impur, et que vous sachiez ce que vous devez manger et ce que vous devez rejeter
४७कि शुद्ध अशुद्ध और भक्ष्य और अभक्ष्य जीवधारियों में भेद किया जाए।”