< Genèse 24 >

1 Abraham était vieux, avancé en âge, et Yahweh avait béni Abraham en toutes choses.
अब्राहाम बहुत बूढ़े हो गये थे, और याहवेह ने उन्हें सब प्रकार से आशीषित किया था.
2 Et Abraham dit à son serviteur, le plus ancien de sa maison, qui administrait tous ses biens: " Mets donc ta main sous ma cuisse,
अब्राहाम ने अपने पुराने सेवक से, जो घर की और पूरे संपत्ति की देखभाल करता था, कहा, “तुम अपना हाथ मेरी जांघ के नीचे रखो.
3 et je te ferai jurer par Yahweh, Dieu du ciel et Dieu de la terre, que tu ne prendras pas pour mon fils une femme parmi les filles des Chananéens, au milieu desquels j'habite;
मैं चाहता हूं कि तुम स्वर्ग एवं पृथ्वी के परमेश्वर याहवेह की शपथ खाओ कि तुम इन कनानियों की पुत्रियों में से, जिनके बीच हम रह रहे हैं, मेरे बेटे की शादी नहीं कराओगे,
4 mais ce sera dans mon pays et dans ma patrie que tu iras prendre une femme pour mon fils, pour Isaac. "
परंतु तुम मेरे देश में मेरे रिश्तेदारों में से मेरे बेटे यित्सहाक के लिए पत्नी लाओगे.”
5 Le serviteur lui répondit: " Peut-être la femme ne voudra-t-elle pas me suivre dans ce pays; devrai-je ramener ton fils dans le pays d'où tu es sorti? "
उस सेवक ने अब्राहाम से पूछा, “उस स्थिति में मैं क्या करूं, जब वह स्त्री इस देश में आना ही न चाहे; क्या मैं आपके पुत्र को उस देश में ले जाऊं, जहां से आप आए हैं?”
6 Abraham lui dit: " Garde-toi d'y ramener mon fils!
इस पर अब्राहाम ने कहा, “तुम मेरे पुत्र को वहां कभी नहीं ले जाना.
7 Yahweh, le Dieu du ciel, qui m'a pris de la maison de mon père et du pays de ma naissance, qui m'a parlé et qui m'a fait serment en disant: Je donnerai ce pays à ta postérité, lui-même enverra son ange devant toi, et tu prendras de là une femme pour mon fils.
याहवेह, जो स्वर्ग के परमेश्वर हैं, जो मुझे मेरे पिता के परिवार और मेरी जन्मभूमि से लाये हैं और जिन्होंने शपथ खाकर मुझसे यह वायदा किया, ‘यह देश मैं तुम्हारे वंश को दूंगा’—वे ही स्वर्गदूत को तुम्हारे आगे-आगे भेजेंगे और तुम मेरे पुत्र के लिए वहां से एक पत्नी लेकर आओगे.
8 Si la femme ne veut pas te suivre, tu seras dégagé de ce serment que je te demande; mais tu ne ramèneras pas là mon fils. "
अगर कन्या तुम्हारे साथ आने के लिए मना करे, तब तुम मेरी इस शपथ से मुक्त हो जाओगे. लेकिन ध्यान रखना कि तुम मेरे पुत्र को वापस वहां न ले जाना.”
9 Alors le serviteur mit sa main sous la cuisse d'Abraham, son maître, et lui prêta serment à ce sujet.
इसलिये उस सेवक ने अपने स्वामी अब्राहाम की जांघ के नीचे अपना हाथ रखा और इस बारे में शपथ खाकर अब्राहाम से वायदा किया.
10 Le serviteur prit dix des chameaux de son maître, et il se mit en route; or il avait à sa disposition tous les biens de son maître. S'étant levé, il alla en Mésopotamie, à la ville de Nachor.
तब उस सेवक ने अपने स्वामी के ऊंट के झुंड में से दस ऊंटों को लिया और उन पर अपने स्वामी की ओर से विभिन्‍न उपहार लादा और नाहोर के गृहनगर उत्तर-पश्चिम मेसोपोतामिया की ओर प्रस्थान किया.
11 Il fit ployer les genoux aux chameaux hors de la ville, près d'un puits, vers le soir, à l'heure où les femmes sortent pour puiser de l'eau.
नगर के बाहर पहुंचकर उसने ऊंटों को कुएं के पास बैठा दिया; यह शाम का समय था. इसी समय स्त्रियां पानी भरने बाहर आया करती थीं.
12 Et il dit: " Yahweh, Dieu d'Abraham, mon maître, veuillez me faire rencontrer aujourd'hui ce que je désire, et usez de bonté envers mon maître Abraham.
तब सेवक ने प्रार्थना की, “याहवेह, मेरे स्वामी अब्राहाम के परमेश्वर, मेरे काम को सफल करें और मेरे स्वामी अब्राहाम पर दया करें.
13 Voici que je me tiens près de la source d'eau, et les filles des habitants de la ville vont sortir pour puiser de l'eau.
आप देख रहे हैं कि मैं इस पानी के सोते के निकट खड़ा हूं, और इस नगरवासियों की कन्याएं पानी भरने के लिए निकलकर आ रही हैं.
14 Que la jeune fille à laquelle je dirai: Penche ta cruche, je te prie, pour que je boive, — et qui répondra: Bois, et je donnerai aussi à boire à tes chameaux, — soit celle que vous avez destinée à votre serviteur Isaac! Et par là je connaîtrai que vous avez usé de bonté envers mon maître. "
आप कुछ ऐसा कीजिए कि जिस कन्या से मैं यह कहूं, ‘अपना घड़ा झुकाकर कृपया मुझे पानी पिला दे,’ और वह कन्या कहे, ‘आप पानी पी लीजिए, और फिर मैं आपके ऊंटों को भी पानी पिला दूंगी’—यह वही कन्या हो जिसे आपने अपने सेवक यित्सहाक के लिए चुना है. इसके द्वारा मुझे यह विश्वास हो जाएगा कि आपने मेरे स्वामी पर अपनी करुणा दिखाई है.”
15 Il n'avait pas encore fini de parler, et voici que sortit, sa cruche sur l'épaule, Rebecca, fille de Bathuel, fils de Melcha, femme de Nachor, frère d'Abraham.
इसके पूर्व कि उसकी प्रार्थना खत्म होती, रेबेकाह नगर के बाहर अपने कंधे पर घड़ा लेकर पानी भरने आई. वह मिलकाह के पुत्र बेथुएल की पुत्री थी और मिलकाह अब्राहाम के भाई नाहोर की पत्नी थी.
16 La jeune fille était fort belle de figure; elle était vierge, et nul homme ne l'avait connue. Elle descendit à la source, remplit sa cruche et remonta.
रेबेकाह बहुत सुंदर थी, कुंवारी थी; अब तक किसी पुरुष से उसका संसर्ग नहीं हुआ था. वह नीचे सोते पर गई, अपना घड़ा पानी से भरा और फिर ऊपर आ गई.
17 Le serviteur courut au-devant d'elle et dit: " Permets que je boive un peu d'eau de ta cruche. "
सेवक दौड़कर उसके निकट आया और उससे कहा, “कृपया अपने घड़े से मुझे थोड़ा पानी पिला दो.”
18 Elle répondit: " Bois, mon seigneur "; et, s'empressant d'abaisser sa cruche sur sa main, elle lui donna à boire.
रेबेकाह ने कहा, “हे मेरे प्रभु लीजिए, पीजिये” और उसने तुरंत घड़े को नीचे करके उसे पानी पिलाया.
19 Quand elle eut achevé de lui donner à boire, elle dit: " Je puiserai aussi de l'eau pour les chameaux, jusqu'à ce qu'ils aient bu assez. "
जब वह सेवक को पानी पिला चुकी, तब रेबेकाह ने उससे कहा, “मैं आपके ऊंटों के लिए भी पानी लेकर आती हूं, जब तक वे पूरे तृप्‍त न हो जाएं.”
20 Et elle se hâta de vider sa cruche dans l'abreuvoir, et courut encore au puits pour puiser, et elle puisa pour tous les chameaux.
उसने बिना देर किए घड़े का पानी हौदे में उंडेलकर वापस सोते पर और पानी भरने गई, और उसके सारे ऊंटों के लिये पर्याप्‍त पानी ले आई.
21 L'homme la considérait en silence, pour savoir si Yahweh avait fait réussir son voyage, ou non.
जब यह सब हो रहा था, बिना एक शब्द कहे, उस सेवक ध्यान से रेबेकाह को देखकर सोच रहा था कि याहवेह ने उसकी यात्रा को सफल किया है या नहीं.
22 Quand les chameaux eurent fini de boire, l'homme prit un anneau d'or du poids d'un demi-sicle, et deux bracelets du poids de dix sicles d'or,
जब ऊंटों ने पानी पी लिया, तब सेवक ने आधा शेकेल सोने की एक नथ और दस शेकेल सोने के दो कंगन निकाला.
23 et il dit: " De qui es-tu fille? Dis-le-moi donc. Y a-t-il dans la maison de ton père une place où nous puissions passer la nuit? "
और रेबेकाह को देकर उससे पूछा, “तुम किसकी बेटी हो? कृपया मुझे बताओ, क्या तुम्हारे पिता के घर में इस रात ठहरने के लिए जगह है?”
24 Elle répondit: " Je suis fille de Bathuel, le fils de Melcha, qu'elle enfanta à Nachor. "
रेबेकाह ने उत्तर दिया, “मैं नाहोर तथा मिलकाह के पुत्र बेथुएल की बेटी हूं.”
25 Elle ajouta: Il y a chez nous de la paille et du fourrage en abondance, et aussi de la place pour y passer la nuit. "
और उसने यह भी कहा, “हमारे यहां घास और चारा बहुत है, और रात में ठहरने के लिये जगह भी है.”
26 Alors cet homme s'inclina et se prosterna devant Yahweh,
तब उस सेवक ने झुककर और यह कहकर याहवेह की आराधना की,
27 et il dit: " Béni soit Yahweh, le Dieu d'Abraham, mon maître, qui n'a pas manqué à sa bonté et à sa fidélité envers mon maître. Moi-même, Yahweh m'a conduit par le chemin chez les frères de mon maître. "
“धन्य हैं याहवेह, मेरे स्वामी अब्राहाम के परमेश्वर, जिन्होंने मेरे स्वामी के प्रति अपने प्रेम और करुणा को नहीं हटाया. याहवेह मुझे सही जगह पर लाये जो मेरे स्वामी के रिश्तेदारों का ही घर है.”
28 La jeune fille courut raconter chez sa mère ce qui s'était passé.
वह कन्या दौड़कर अपने घर गई और अपनी माता के घर के लोगों को सब बातें बताई.
29 Rebecca avait un frère, nommé Laban. Laban courut dehors vers cet homme, près de la source.
रेबेकाह के भाई लाबान दौड़कर कुएं के पास गए जहां सेवक था.
30 Il avait vu l'anneau et les bracelets aux mains de sa sœur, et il avait entendu les paroles de Rebecca, sa sœur, disant: " L'homme m'a parlé ainsi. " Il vint donc à cet homme, qui se tenait auprès des chameaux, à la source,
जब उसने नथ और अपनी बहन के हाथों में कंगन देखा और जो बात सेवक ने कही थी, उसे सुनी, तब वह उस सेवक के पास गया, और देखा कि वह सेवक सोते के निकट ऊंटों के बाजू में खड़ा है.
31 et il dit: " Viens, béni de Yahweh; pourquoi restes-tu dehors? J'ai préparé la maison et une place pour les chameaux. "
लाबान ने सेवक से कहा, “हे याहवेह के आशीषित जन, मेरे साथ चलिए! आप यहां बाहर क्यों खड़े हैं? मैंने घर को, और ऊंटों के ठहरने के लिये भी जगह तैयार की है.”
32 Et l'homme entra à la maison. Laban débâta les chameaux, et il donna de la paille et du fourrage aux chameaux, et de l'eau pour laver les pieds de l'homme et les pieds des gens qui étaient avec lui.
वह सेवक लाबान के साथ घर आया और ऊंटों पर से सामान उतारा गया. ऊंटों के लिये पैंरा और चारा लाया गया. सेवक तथा उसके साथ के लोगों के लिये पैर धोने हेतु पानी दिया गया.
33 Puis il lui servit à manger; mais l'homme dit: " Je ne mangerai point que je n'aie dit ce que j'ai à dire. " — " Parle, " dit Laban.
तब सेवक को खाना दिया गया, पर उसने कहा, “मैं तब तक भोजन न करूंगा, जब तक कि मैं अपने आने का प्रयोजन न बता दूं.” लाबान ने कहा, “ठीक है, बता दें.”
34 Il dit: Je suis serviteur d'Abraham.
तब उसने कहा, “मैं अब्राहाम का सेवक हूं.
35 Yahweh a comblé de bénédictions mon maître, et il est devenu puissant. Il lui a donné des brebis et des bœufs, des serviteurs et des servantes, des chameaux et des ânes.
याहवेह ने मेरे स्वामी को बहुत आशीष दी हैं, जिससे वे धनवान हो गए हैं. याहवेह ने उन्हें बहुत भेड़-बकरी और पशु, सोना और चांदी, सेवक और सेविकाएं तथा ऊंट और गधे दिये हैं.
36 Sara, femme de mon maître, a enfanté dans sa vieillesse un fils à mon maître, et il lui a donné tous ses biens.
मेरे स्वामी की पत्नी साराह को वृद्धावस्था में एक बेटा पैदा हुआ, और अब्राहाम ने उसे अपना सब कुछ दे दिया है.
37 Mon maître m'a fait jurer, en disant: Tu ne prendras pas pour mon fils une femme parmi les filles des Chananéens, dans le pays desquels j'habite.
और मेरे स्वामी ने मुझे शपथ दिलाकर कहा, ‘तुम मेरे पुत्र की पत्नी बनने के लिए कनानियों की किसी बेटी को, जिनके बीच मैं रहता हूं, न लाना,
38 Mais tu iras dans la maison de mon père et dans ma parenté, et tu prendras là une femme pour mon fils.
पर तुम मेरे पिता के परिवार, मेरे अपने वंश में जाना, और मेरे पुत्र के लिए एक पत्नी लाना.’
39 — Je dis à mon maître: Peut-être la femme ne voudra-t-elle pas me suivre.
“तब मैंने अपने स्वामी से पूछा, ‘यदि वह युवती मेरे साथ आना नहीं चाहेगी, तब क्या?’
40 Et il m'a répondu: Yahweh, devant qui je marche, enverra son ange avec toi et fera réussir ton voyage, et tu prendras pour mon fils une femme de ma parenté et de la maison de mon père.
“मेरे स्वामी ने कहा, ‘याहवेह, जिनके सामने मैं ईमानदारी से चलता आया हूं, वे अपने स्वर्गदूत को तुम्हारे साथ भेजेंगे और तुम्हारी यात्रा को सफल करेंगे, ताकि तुम मेरे पुत्र के लिए मेरे अपने वंश और मेरे पिता के परिवार से एक पत्नी ला सको.
41 Tu seras dégagé du serment que tu me fais, une fois que tu te seras rendu dans ma parenté; si on ne te l'accorde pas, tu seras dégagé du serment que je te demande. —
तुम मेरे इस शपथ से तब ही छूट पाओगे, जब तुम मेरे वंश के लोगों के पास जाओगे, और यदि वे उस कन्या को तुम्हारे साथ भेजने के लिए मना करें—तब तुम मेरे शपथ से छूट जाओगे.’
42 En arrivant aujourd'hui à la source, j'ai dit: Yahweh, Dieu de mon maître Abraham, si vous daignez faire réussir le voyage que je fais,
“आज जब मैं कुएं के पास पहुंचा, तो मैंने यह प्रार्थना की, ‘याहवेह, मेरे स्वामी अब्राहाम के परमेश्वर, मैं जिस उद्देश्य से यहां आया हूं, वह काम पूरा हो जाये.
43 voici que je me tiens près de la source d'eau; que la jeune fille qui sortira pour puiser et à qui je dirai: Laisse-moi boire, je te prie, un peu d'eau de ta cruche,
देखिये, मैं इस कुएं के किनारे खड़ा हूं. यदि कोई कन्या निकलकर पानी भरने के लिये आती है और मैं उससे कहता हूं, “कृपा करके मुझे अपने घड़े से थोड़ा पानी पिला दे,”
44 et qui me répondra: Bois toi-même, et je puiserai aussi pour tes chameaux, — qu'elle soit la femme que Yahweh a destinée au fils de mon maître.
और यदि वह मुझसे कहती है, “पीजिये, और मैं आपके ऊंटों के लिये भी पानी लेकर आती हूं,” तो वह वही कन्या हो, जिसे याहवेह ने मेरे मालिक के बेटे के लिये चुना है.’
45 Je n'avais pas encore fini de parler en mon cœur, voici que Rebecca sortait, sa cruche sur l'épaule; elle est descendue à la source et a puisé; et je lui ai dit: Donne-moi à boire, je te prie. —
“इसके पहले कि मैं अपने मन में यह प्रार्थना खत्म करता, रेबेकाह अपने कंधे पर घड़ा लिये निकलकर आई. वह नीचे सोते के पास जाकर पानी भरने लगी, और मैंने उससे कहा, ‘कृपया मुझे थोड़ा पानी पिला दो.’
46 Abaissant aussitôt sa cruche de dessus son épaule, elle me dit: Bois, et je donnerai aussi à boire à tes chameaux. J'ai donc bu, et elle a aussi donné à boire aux chameaux.
“तब उसने तुरंत अपने कंधे में से घड़े को झुकाकर कहा, ‘पी लीजिये, और फिर मैं आपके ऊंटों को भी पानी पिला दूंगी.’ तब मैंने पानी पिया, और उसने ऊंटों को भी पानी पिलाया.
47 Et je l'ai interrogée, en disant: De qui es-tu fille? Elle a répondu: Je suis fille de Bathuel, le fils de Nachor, que Melcha lui a enfanté. Alors j'ai mis l'anneau à ses narines et les bracelets à ses mains.
“तब मैंने उससे पूछा, ‘तुम किसकी बेटी हो?’ “उसने कहा, ‘मैं बेथुएल की बेटी हूं, जो नाहोर तथा मिलकाह के पुत्र है.’ “तब मैंने उसके नाक में नथ तथा उसके हाथों में कंगन पहना दिए,
48 Puis je me suis incliné et prosterné devant Yahweh, et j'ai béni Yahweh, le Dieu de mon maître Abraham, qui m'a conduit dans le vrai chemin pour prendre la fille du frère de mon maître pour son fils.
और मैंने झुककर याहवेह की आराधना की. मैंने याहवेह, अपने मालिक अब्राहाम के परमेश्वर की महिमा की, जिन्होंने मुझे सही मार्ग में अगुवाई की, ताकि मैं अपने मालिक के भाई की नतनिन को अपने मालिक के बेटे के लिये पत्नी के रूप में ले जा सकूं.
49 Maintenant, si vous voulez user de bonté et de fidélité envers mon maître, déclarez-le-moi; sinon, déclarez-le-moi encore, et je me tournerai à droite ou à gauche. "
इसलिये अब, यदि आप मेरे मालिक के प्रति दया और सच्चाई दिखाना चाहते हैं, तो मुझे बताईये; और यदि नहीं, तो वह भी बताईये, कि किस रास्ते पर मुड़ना है.”
50 Laban et Bathuel répondirent, en disant: " La chose vient de Yahweh, nous ne pouvons te dire ni mal ni bien.
यह सब सुनकर लाबान एवं बेथुएल ने कहा, “यह सब याहवेह की ओर से हुआ है; हम तुमसे अच्छा या बुरा कुछ नहीं कह सकते.
51 Voici Rebecca devant toi; prends-la et t'en va; qu'elle soit la femme du fils de ton maître, comme Yahweh l'a dit. "
रेबेकाह तुम्हारे सामने है; इसे अपने साथ ले जाओ, ताकि वह तुम्हारे स्वामी के पुत्र की पत्नी हो जाए, जैसा कि याहवेह ने निर्देश दिया है.”
52 Lorsque le serviteur d'Abraham eut entendu ces paroles, il se prosterna à terre devant Yahweh.
उनकी बातों को सुनकर अब्राहाम के सेवक ने भूमि पर झुककर याहवेह को दंडवत किया.
53 Et le serviteur tira des objets d'argent, des objets d'or et des vêtements, qu'il donna à Rebecca; il fit aussi de riches présents à son frère et à sa mère.
तब सेवक ने सोने और चांदी के गहने तथा वस्त्र निकालकर रेबेकाह को दिए; उसने रेबेकाह के भाई और उसकी माता को भी बहुमूल्य वस्तुएं दी.
54 Ensuite ils mangèrent et burent, lui et les gens qui étaient avec lui, et ils passèrent là la nuit. Le matin, quand ils furent levés, le serviteur dit: " Laissez-moi retourner vers mon maître. "
फिर उसने तथा उसके साथ के लोगों ने खाया पिया और वहां रात बिताई. अगले दिन सुबह जब वे सोकर उठे तो सेवक ने कहा, “मुझे अपने स्वामी के पास वापस जाने के लिए विदा कीजिये.”
55 Le frère et la mère de Rebecca dirent: " Que la jeune fille demeure avec nous quelques jours encore, une dizaine; après quoi elle partira. "
पर रेबेकाह के भाई और उसकी मां ने कहा, “कन्या को हमारे साथ कुछ दिन अर्थात् कम से कम दस दिन रहने दो; तब उसे ले जाना.”
56 Il leur répondit: " Ne me retardez pas, puisque Yahweh a fait réussir mon voyage; laissez-moi partir, pour que je retourne vers mon maître. "
पर सेवक ने उनसे कहा, “मुझे मत रोकिए; क्योंकि याहवेह ने मेरी इस यात्रा को सफल किया है. मुझे अपने स्वामी के पास लौट जाने के लिये विदा कीजिए.”
57 Ils dirent: " Appelons la jeune fille, et demandons-lui ce qu'elle désire. "
तब उन्होंने कहा, “हम रेबेकाह को बुलाकर इसके बारे में उससे पूछते हैं.”
58 Ils appelèrent donc Rebecca et lui dirent: " Veux-tu partir avec cet homme? " Elle répondit: " Je partirai. "
तब उन्होंने रेबेकाह को बुलाकर उससे पूछा, “क्या तुम इस व्यक्ति के साथ जाओगी?” उसने कहा, “हां, मैं जाऊंगी.”
59 Alors ils congédièrent Rebecca, leur sœur, et sa nourrice, avec le serviteur d'Abraham et ses gens.
इसलिये उन्होंने अपनी बहन रेबेकाह को उसकी परिचारिका और अब्राहाम के सेवक और उसके लोगों के साथ विदा किया.
60 Ils bénirent Rebecca et lui dirent: " O notre sœur, puisses-tu devenir des milliers de myriades! Puisse ta postérité posséder la porte de ses ennemis! "
और उन्होंने रेबेकाह को आशीर्वाद देते हुए कहा, “हे हमारी बहन, तुम्हारा वंश हजारों हजार की संख्या में बढ़े; तुम्हारा वंश अपने शत्रुओं के नगर पर अधिकार करने पाये.”
61 Alors Rebecca et ses servantes, s'étant levées, montèrent sur les chameaux, et suivirent cet homme. Et le serviteur emmena Rebecca et se mit en route.
तब रेबेकाह और उसकी परिचारिकाएं तैयार हुईं और ऊंटों पर चढ़कर उस व्यक्ति के साथ गईं और वह सेवक रेबेकाह को लेकर रवाना हो गया.
62 Cependant Isaac était revenu du puits de Chai-Roï, et il habitait dans le pays du Midi.
यित्सहाक बएर-लहाई-रोई से आकर अब नेगेव में निवास कर रहे थे.
63 Un soir qu' Isaac était sorti dans les champs pour méditer, levant les yeux, il vit des chameaux qui arrivaient.
एक शाम जब वे चिंतन करने मैदान में गये थे, तब उन्होंने ऊंटों को आते हुए देखा.
64 Rebecca leva aussi les yeux et, ayant aperçu Isaac, elle sauta à bas de son chameau.
रेबेकाह ने भी आंख उठाकर यित्सहाक को देखा और वह अपने ऊंट पर से नीचे उतरी
65 Elle dit au serviteur: " Qui est cet homme qui vient dans les champs à notre rencontre? " Le serviteur répondit: " C'est mon maître. " Et elle prit son voile et se couvrit.
और सेवक से पूछा, “मैदान में वह कौन व्यक्ति है, जो हमसे मिलने आ रहे हैं?” सेवक ने उत्तर दिया, “वे मेरे स्वामी हैं.” यह सुनकर रेबेकाह ने अपना घूंघट लिया और अपने आपको ढांप लिया.
66 Le serviteur raconta à Isaac toutes les choses qu'il avait faites.
तब सेवक ने यित्सहाक को वे सब बातें बताई, जो उसने किया था.
67 Et Isaac conduisit Rebecca dans la tente de Sara, sa mère. Il prit Rebecca, qui devint sa femme, et il l'aima; et Isaac se consola de la mort de sa mère.
तब यित्सहाक रेबेकाह को अपनी मां साराह के तंबू में ले आया, और उसने रेबेकाह से शादी की. वह उसकी पत्नी हो गई, और उसने उससे प्रेम किया; इस प्रकार यित्सहाक को उसकी माता की मृत्यु के बाद सांत्वना मिली.

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