< Joel 2 >

1 Blow trumpets on Zion [Hill], God’s sacred hill [in Jerusalem]! Tell the people of Judah that they should tremble, because it will soon be the time for Yahweh [to punish us further].
सिय्योन में नरसिंगा फूँको; मेरे पवित्र पर्वत पर साँस बाँधकर फूँको! देश के सब रहनेवाले काँप उठें, क्योंकि यहोवा का दिन आता है, वरन् वह निकट ही है।
2 [That will be a very] dark and gloomy day; there will be [black] clouds and it will be very dark. A huge [swarm of locusts] has covered the mountains like [SIM] a black [cloud]. Nothing like this has ever happened before, and nothing like this will ever [happen] again.
वह अंधकार और अंधेरे का दिन है, वह बादलों का दिन है और अंधियारे के समान फैलता है। जैसे भोर का प्रकाश पहाड़ों पर फैलता है, वैसे ही एक बड़ी और सामर्थी जाति आएगी; प्राचीनकाल में वैसी कभी न हुई, और न उसके बाद भी फिर किसी पीढ़ी में होगी।
3 [It is as though the locusts bring] flames of fire from which no one can escape. In front of them, the land was [beautiful] like [SIM] the garden of Eden, but behind them [the land is like] a desert and nothing survives.
उसके आगे-आगे तो आग भस्म करती जाएगी, और उसके पीछे-पीछे लौ जलाती जाएगी। उसके आगे की भूमि तो अदन की बारी के समान होगी, परन्तु उसके पीछे की भूमि उजाड़ मरुस्थल बन जाएगी, और उससे कुछ न बचेगा।
4 [The locusts] resemble horses, and they run like [SIM] war horses.
उनका रूप घोड़ों का सा है, और वे सवारी के घोड़ों के समान दौड़ते हैं।
5 Leaping over the mountaintops, they make a noise like rumbling chariots, like [SIM] a mighty army that is preparing for a battle, or like [SIM] the roar of a fire that burns up stubble [in a field].
उनके कूदने का शब्द ऐसा होता है जैसा पहाड़ों की चोटियों पर रथों के चलने का, या खूँटी भस्म करती हुई लौ का, या जैसे पाँति बाँधे हुए बलवन्त योद्धाओं का शब्द होता है।
6 When people see them coming, they become very pale and frightened.
उनके सामने जाति-जाति के लोग पीड़ित होते हैं, सब के मुख मलिन होते हैं।
7 [The locusts] climb over walls like soldiers do; they march along in columns and never turn aside [from their columns].
वे शूरवीरों के समान दौड़ते, और योद्धाओं की भाँति शहरपनाह पर चढ़ते हैं। वे अपने-अपने मार्ग पर चलते हैं, और कोई अपनी पाँति से अलग न चलेगा।
8 They rush straight ahead without pushing each other. [Even though people throw] spears and javelins at them, that will not cause them to stop.
वे एक दूसरे को धक्का नहीं लगाते, वे अपनी-अपनी राह पर चलते हैं; शस्त्रों का सामना करने से भी उनकी पाँति नहीं टूटती।
9 They swarm over the city walls and enter our houses; they enter through our windows like [SIM] thieves do.
वे नगर में इधर-उधर दौड़ते, और शहरपनाह पर चढ़ते हैं; वे घरों में ऐसे घुसते हैं जैसे चोर खिड़कियों से घुसते हैं।
10 [It is as though] they cause the earth to shake and the sky to tremble. The sun and the moon become dark and the stars do not shine [because there are so many locusts in the sky].
१०उनके आगे पृथ्वी काँप उठती है, और आकाश थरथराता है। सूर्य और चन्द्रमा काले हो जाते हैं, और तारे नहीं झलकते।
11 Yahweh leads this army [of countless locusts], and they obey his commands. This time when he is judging and punishing us is very terrible, [with the result that it seems that] no one [RHQ] can survive it.
११यहोवा अपने उस दल के आगे अपना शब्द सुनाता है, क्योंकि उसकी सेना बहुत ही बड़ी है; जो अपना वचन पूरा करनेवाला है, वह सामर्थी है। क्योंकि यहोवा का दिन बड़ा और अति भयानक है; उसको कौन सह सकेगा?
12 But Yahweh says, “In spite of [these disasters that you have experienced], you can return to me with all your inner beings. Weep, and mourn, and (fast/abstain from eating food) [to show that you are sorry for having abandoned me].
१२“तो भी,” यहोवा की यह वाणी है, “अभी भी सुनो, उपवास के साथ रोते-पीटते अपने पूरे मन से फिरकर मेरे पास आओ।
13 Do not tear your clothes [to show that you are sorry]; instead, show [MET] that you are sorry.” Yahweh is merciful and kind; he does not quickly become angry; he faithfully loves [people]. He does not quickly become angry; instead, he greatly and faithfully loves [you], and he does not like to punish you.
१३अपने वस्त्र नहीं, अपने मन ही को फाड़कर” अपने परमेश्वर यहोवा की ओर फिरो; क्योंकि वह अनुग्रहकारी, दयालु, विलम्ब से क्रोध करनेवाला, करुणानिधान और दुःख देकर पछतानेवाला है।
14 No one knows [RHQ] if he will change his mind [about punishing you] and if instead he will act mercifully [toward you]. If he does that, he will bless you [by giving you plenty of grain and wine] in order that you can offer [some of] those things as sacrifices to him.
१४क्या जाने वह फिरकर पछताए और ऐसी आशीष दे जिससे तुम्हारे परमेश्वर यहोवा को अन्नबलि और अर्घ दिया जाए।
15 Blow the trumpets on Zion [Hill]! Gather the people together! Show by fasting that you are sorry [for the sins that you have committed].
१५सिय्योन में नरसिंगा फूँको, उपवास का दिन ठहराओ, महासभा का प्रचार करो;
16 Perform the rituals to cause yourselves to be acceptable to Yahweh. Gather everyone together— the old people and the children, even the babies, and summon brides and bridegrooms from their rooms.
१६लोगों को इकट्ठा करो। सभा को पवित्र करो; पुरनियों को बुला लो; बच्चों और दूधपीउवों को भी इकट्ठा करो। दूल्हा अपनी कोठरी से, और दुल्हन भी अपने कमरे से निकल आएँ।
17 Tell the priests who serve Yahweh to cry between the altar and the entrance to the temple and to pray [this]: “Yahweh, rescue/save [us] your people; do not allow people from other nations to despise us; do not allow them to ridicule us and say, ‘Why has [RHQ] their God [abandoned them]?’”
१७याजक जो यहोवा के टहलुए हैं, वे आँगन और वेदी के बीच में रो रोकर कहें, “हे यहोवा अपनी प्रजा पर तरस खा; और अपने निज भाग की नामधराई न होने दे; न जाति-जाति उसकी उपमा देने पाएँ। जाति-जाति के लोग आपस में क्यों कहने पाएँ, ‘उनका परमेश्वर कहाँ रहा?’”
18 But Yahweh [showed that he] was concerned about his people and that he would act mercifully toward them.
१८तब यहोवा को अपने देश के विषय में जलन हुई, और उसने अपनी प्रजा पर तरस खाया।
19 When the people prayed, Yahweh answered and said, “I will give you [plenty of] grain and wine and [olive] oil, and you will be satisfied. And I will no longer allow other nations to insult you.
१९यहोवा ने अपनी प्रजा के लोगों को उत्तर दिया, “सुनो, मैं अन्न और नया दाखमधु और ताजा तेल तुम्हें देने पर हूँ, और तुम उन्हें पाकर तृप्त होगे; और मैं भविष्य में अन्यजातियों से तुम्हारी नामधराई न होने दूँगा।
20 Another army [of locusts will come] from the north [to attack you], but I will force them to continue [past Jerusalem] into the desert. Some will go into the Dead Sea in the east and some will go into the [Mediterranean] Sea in the west. [There] they will [all die, and their bodies] will stink.” Yahweh does great things!
२०“मैं उत्तर की ओर से आई हुई सेना को तुम्हारे पास से दूर करूँगा, और उसे एक निर्जल और उजाड़ देश में निकाल दूँगा; उसका अगला भाग तो पूरब के ताल की ओर और उसका पिछला भाग पश्चिम के समुद्र की ओर होगा; उससे दुर्गन्ध उठेगी, और उसकी सड़ी गन्ध फैलेगी, क्योंकि उसने बहुत बुरे काम किए हैं।
21 He does wonderful things! So even the ground should rejoice!
२१“हे देश, तू मत डर; तू मगन हो और आनन्द कर, क्योंकि यहोवा ने बड़े-बड़े काम किए हैं!
22 And the wild animals should not be afraid, because the meadows will soon become green again; the fig trees and [other] trees will be full of fruit, and the grapevines will be covered with grapes.
२२हे मैदान के पशुओं, मत डरो, क्योंकि जंगल में चराई उगेगी, और वृक्ष फलने लगेंगे; अंजीर का वृक्ष और दाखलता अपना-अपना बल दिखाने लगेंगी।
23 You people of Jerusalem, rejoice about what Yahweh, your God, [will be doing for you]. He will send abundant rain at the (right time/time when it is needed)— (in the spring/early in the year) and (in the autumn/late in the year) like he did previously.
२३“हे सिय्योन के लोगों, तुम अपने परमेश्वर यहोवा के कारण मगन हो, और आनन्द करो; क्योंकि तुम्हारे लिये वह वर्षा, अर्थात् बरसात की पहली वर्षा बहुतायत से देगा; और पहले के समान अगली और पिछली वर्षा को भी बरसाएगा।
24 The ground where you thresh the grain will be covered with grain, and your vats where you store grape juice and [olive] oil will be full.
२४“तब खलिहान अन्न से भर जाएँगे, और रसकुण्ड नये दाखमधु और ताजे तेल से उमड़ेंगे।
25 [Yahweh said, ] “I will repay you for everything that was destroyed by those great swarms of locusts that I sent to attack you.
२५और जिन वर्षों की उपज अर्बे नामक टिड्डियों, और येलेक, और हासील ने, और गाजाम नामक टिड्डियों ने, अर्थात् मेरे बड़े दल ने जिसको मैंने तुम्हारे बीच भेजा, खा ली थी, मैं उसकी हानि तुम को भर दूँगा।
26 You, my people, will eat until your stomachs are full. Then you will praise me [MTY], Yahweh, your God, for the wonderful things that I have done for you. And never again will you be disgraced.
२६“तुम पेट भरकर खाओगे, और तृप्त होगे, और अपने परमेश्वर यहोवा के नाम की स्तुति करोगे, जिसने तुम्हारे लिये आश्चर्य के काम किए हैं। और मेरी प्रजा की आशा फिर कभी न टूटेगी।
27 When that happens, you will know that I am [always] among you, and that I am Yahweh, your God, and that there is no other [God]. Never again will you be disgraced.”
२७तब तुम जानोगे कि मैं इस्राएल के बीच में हूँ, और मैं, यहोवा, तुम्हारा परमेश्वर हूँ और कोई दूसरा नहीं है। मेरी प्रजा की आशा फिर कभी न टूटेगी।
28 “Some time later, I will give my Spirit to many [HYP] people. Your sons and daughters will proclaim messages that come directly from me. Your old men will have dreams [that come from me], and your young men will have visions [that come from me].
२८“उन बातों के बाद मैं सब प्राणियों पर अपना आत्मा उण्डेलूँगा; तुम्हारे बेटे-बेटियाँ भविष्यद्वाणी करेंगी, और तुम्हारे पुरनिये स्वप्न देखेंगे, और तुम्हारे जवान दर्शन देखेंगे।
29 At that time, I will give my Spirit even to servants, both men and women.
२९तुम्हारे दास और दासियों पर भी मैं उन दिनों में अपना आत्मा उण्डेलूँगा।
30 I will do unusual/amazing things on the earth and in the sky. [On the earth] [CHI], there will be much blood [shed] and [there will be very large] fires and smoke that resembles huge clouds.
३०“और मैं आकाश में और पृथ्वी पर चमत्कार, अर्थात् लहू और आग और धुएँ के खम्भे दिखाऊँगा
31 [In the sky, ] the sun will become dark and the moon will become [as red as] [MET] blood. [Those things will happen] before that great and terrible day when [I], Yahweh, appear.
३१यहोवा के उस बड़े और भयानक दिन के आने से पहले सूर्य अंधियारा होगा और चन्द्रमा रक्त सा हो जाएगा।
32 But at that time [I] will save everyone who worships me. I promise that some people in Jerusalem [DOU] will escape [those disasters]; those whom I have chosen will survive.”
३२उस समय जो कोई यहोवा से प्रार्थना करेगा, वह छुटकारा पाएगा; और यहोवा के वचन के अनुसार सिय्योन पर्वत पर, और यरूशलेम में जिन बचे हुओं को यहोवा बुलाएगा, वे उद्धार पाएँगे।

< Joel 2 >