< Isaiah 46 >

1 [It is as though] Bel and Nebo, the statues of the gods [of Babylonia], are bowing down as those statues are put on animals and carried away! The statues are heavy burdens and will cause the animals to become tired [SAR]!
बेल देवता झुक गया, नबो देवता नब गया है, उनकी प्रतिमाएँ पशुओं वरन् घरेलू पशुओं पर लदी हैं; जिन वस्तुओं को तुम उठाए फिरते थे, वे अब भारी बोझ हो गईं और थकित पशुओं पर लदी हैं।
2 [It seems like] both gods are bowing down; not only can they not save themselves, but they themselves are being (exiled/taken to another country)!
वे नब गए, वे एक संग झुक गए, वे उस भार को छुड़ा नहीं सके, और आप भी बँधुवाई में चले गए हैं।
3 [Yahweh says], “You descendants of Jacob who were exiled, [I am not like the gods of Babylonia that must be carried]; [instead, it is as though] I have carried you since you first became a nation [MET]. I carried you [even] before you became a nation.
“हे याकूब के घराने, हे इस्राएल के घराने के सब बचे हुए लोगों, मेरी ओर कान लगाकर सुनो; तुम को मैं तुम्हारी उत्पत्ति ही से उठाए रहा और जन्म ही से लिए फिरता आया हूँ।
4 I will be your God, and I will carry you for many years, until [it is as though] [MET] your nation is an old man with gray hair. I caused [you to become a nation], and I will sustain you and rescue you.
तुम्हारे बुढ़ापे में भी मैं वैसा ही बना रहूँगा और तुम्हारे बाल पकने के समय तक तुम्हें उठाए रहूँगा। मैंने तुम्हें बनाया और तुम्हें लिए फिरता रहूँगा; मैं तुम्हें उठाए रहूँगा और छुड़ाता भी रहूँगा।
5 There is certainly [RHQ] no one to whom I can be compared. There is [RHQ] no one who is equal to me [DOU].
“तुम किस से मेरी उपमा दोगे और मुझे किसके समान बताओगे, किस से मेरा मिलान करोगे कि हम एक समान ठहरें?
6 [So it is stupid/ridiculous that] some people pour out gold and silver from their bags and weigh it on a scale. [Then] they hire a man who makes things from gold to make an idol from it. [After he makes an idol], they bow down and worship it!
जो थैली से सोना उण्डेलते या काँटे में चाँदी तौलते हैं, जो सुनार को मजदूरी देकर उससे देवता बनवाते हैं, तब वे उसे प्रणाम करते वरन् दण्डवत् भी करते हैं!
7 They lift it up and carry it on their shoulders. They put it in a [special] place, and it stays there. It cannot move! And when someone prays to it, it does not answer. So [obviously] it cannot rescue anyone from his troubles!
वे उसको कंधे पर उठाकर लिए फिरते हैं, वे उसे उसके स्थान में रख देते और वह वहीं खड़ा रहता है; वह अपने स्थान से हट नहीं सकता; यदि कोई उसकी दुहाई भी दे, तो भी न वह सुन सकता है और न विपत्ति से उसका उद्धार कर सकता है।
8 [You people of Judah], do not forget this; keep thinking about it, you sinful people!
“हे अपराधियों, इस बात को स्मरण करो और ध्यान दो, इस पर फिर मन लगाओ।
9 Think about the things [that I did] long ago. Only I am God; I am God, and there is no one like me.
प्राचीनकाल की बातें स्मरण करो जो आरम्भ ही से है, क्योंकि परमेश्वर मैं ही हूँ, दूसरा कोई नहीं; मैं ही परमेश्वर हूँ और मेरे तुल्य कोई भी नहीं है।
10 Only I can tell what will happen in the future before it occurs; I tell it long before it happens. I will accomplish everything that I plan to accomplish, and I will do everything that I want to do.
१०मैं तो अन्त की बात आदि से और प्राचीनकाल से उस बात को बताता आया हूँ जो अब तक नहीं हुई। मैं कहता हूँ, ‘मेरी युक्ति स्थिर रहेगी और मैं अपनी इच्छा को पूरी करूँगा।’
11 So I will summon [someone to come] from the east [like a swift and powerful] eagle; he will come from a distant country. He will accomplish what I want him to. [He is the one who] will do what I have said that I want him to do, what I have planned.
११मैं पूर्व से एक उकाब पक्षी को अर्थात् दूर देश से अपनी युक्ति के पूरा करनेवाले पुरुष को बुलाता हूँ। मैं ही ने यह बात कही है और उसे पूरी भी करूँगा; मैंने यह विचार बाँधा है और उसे सफल भी करूँगा।
12 You stubborn people [of Israel], [you think that] it will be a long time before you are allowed to return to your own country.
१२“हे कठोर मनवालों तुम जो धार्मिकता से दूर हो, कान लगाकर मेरी सुनो।
13 But I will rescue you, and it will not be a long time [before that happens]. I will do it soon. I will rescue Jerusalem and show to you Israeli [people] that I am glorious.”
१३मैं अपनी धार्मिकता को समीप ले आने पर हूँ वह दूर नहीं है, और मेरे उद्धार करने में विलम्ब न होगा; मैं सिय्योन का उद्धार करूँगा और इस्राएल को महिमा दूँगा।”

< Isaiah 46 >