< Ezekiel 3 >

1 He said to me, “You human, eat this scroll that is in front of you. Then go and speak to the Israeli people [MTY].”
तब उसने मुझसे कहा, “हे मनुष्य के सन्तान, जो तुझे मिला है उसे खा ले; अर्थात् इस पुस्तक को खा, तब जाकर इस्राएल के घराने से बातें कर।”
2 So I opened my mouth, and he gave me the scroll to eat it.
इसलिए मैंने मुँह खोला और उसने वह पुस्तक मुझे खिला दी।
3 Then he said to me, “You human, eat the scroll that I have given to you. Fill your stomach with it.” So I ate it, and in my mouth it tasted as sweet as honey.
तब उसने मुझसे कहा, “हे मनुष्य के सन्तान, यह पुस्तक जो मैं तुझे देता हूँ उसे पचा ले, और अपनी अंतड़ियाँ इससे भर ले।” अतः मैंने उसे खा लिया; और मेरे मुँह में वह मधु के तुल्य मीठी लगी।
4 Then he said to me, “You human, go to the Israeli people [MTY] and tell them my message.
फिर उसने मुझसे कहा, “हे मनुष्य के सन्तान, तू इस्राएल के घराने के पास जाकर उनको मेरे वचन सुना।
5 The people to whom I am sending you are not people whose language is very [to learn], a language which you do not understand. I am sending you to your Israeli people [MTY].
क्योंकि तू किसी अनोखी बोली या कठिन भाषावाली जाति के पास नहीं भेजा जाता है, परन्तु इस्राएल ही के घराने के पास भेजा जाता है।
6 I am sending you to people whose language you understand very well. If I were sending you to people whose language was difficult for you to understand, they [be surprised and] pay attention to what [say to them].
अनोखी बोली या कठिन भाषावाली बहुत सी जातियों के पास जो तेरी बात समझ न सकें, तू नहीं भेजा जाता। निःसन्देह यदि मैं तुझे ऐसों के पास भेजता तो वे तेरी सुनते।
7 But the Israeli people do not want to listen to you because they do not want to listen to me. [They do not want to listen because] they are all very stubborn [DOU].
परन्तु इस्राएल के घरानेवाले तेरी सुनने से इन्कार करेंगे; वे मेरी भी सुनने से इन्कार करते हैं; क्योंकि इस्राएल का सारा घराना ढीठ और कठोर मन का है।
8 But I will enable you [SYN] to be as stubborn and tough as they are.
देख, मैं तेरे मुख को उनके मुख के सामने, और तेरे माथे को उनके माथे के सामने, ढीठ कर देता हूँ।
9 I will cause you to be as firm/unbreakable as [SIM] the hardest stone, like flint. So, [even though] they are very rebellious people, do not be afraid of them; do not allow them to cause you to be afraid.”
मैं तेरे माथे को हीरे के तुल्य कड़ा कर देता हूँ जो चकमक पत्थर से भी कड़ा होता है; इसलिए तू उनसे न डरना, और न उनके मुँह देखकर तेरा मन कच्चा हो; क्योंकि वे विद्रोही घराने के हैं।”
10 He also said to me, “You human, listen very carefully to what I say, and keep thinking about it [IDM].
१०फिर उसने मुझसे कहा, “हे मनुष्य के सन्तान, जितने वचन मैं तुझ से कहूँ, वे सब हृदय में रख और कानों से सुन।
11 Go to your fellow Israelis who [here after being] (exiled/forced to leave their country), and speak to them. Say to them, ‘This is what Yahweh the Lord says,’ [and then tell them my message], whether they want to hear it or whether they do not want to hear it.”
११और उन बन्दियों के पास जाकर, जो तेरे जाति भाई हैं, उनसे बातें करना और कहना, ‘प्रभु यहोवा यह कहता है;’ चाहे वे सुनें, या न सुनें।”
12 [in the vision] the [of God] lifted me up, and I heard behind [someone speaking very loudly], like a loud rumbling sound. [I heard someone say, ] “Praise our glorious Yahweh in the place where he [in heaven]!”
१२तब परमेश्वर के आत्मा ने मुझे उठाया, और मैंने अपने पीछे बड़ी घड़घड़ाहट के साथ एक शब्द सुना, “यहोवा के भवन से उसका तेज धन्य है।”
13 [I heard] the sound of the wings of the four living creatures brushing against each other, [I also heard] the sound of the wheels that were beside them. It was a loud rumbling sound.
१३और उसके साथ ही उन जीवधारियों के पंखों का शब्द, जो एक दूसरे से लगते थे, और उनके संग के पहियों का शब्द और एक बड़ी ही घड़घड़ाहट सुन पड़ी।
14 The Spirit took me away. Within me I was very bitter and angry [DOU], but I felt Yahweh holding me very powerfully.
१४तब आत्मा मुझे उठाकर ले गई, और मैं कठिन दुःख से भरा हुआ, और मन में जलता हुआ चला गया; और यहोवा की शक्ति मुझ में प्रबल थी;
15 I came to the exiles who lived at Tel [town] near the Kebar River/ [south of Babylon]. Then, where they were living, I sat for seven days. I was [about everything that I had seen].
१५और मैं उन बन्दियों के पास आया जो कबार नदी के तट पर तेलाबीब में रहते थे। और वहाँ मैं सात दिन तक उनके बीच व्याकुल होकर बैठा रहा।
16 After those seven days had ended, Yahweh gave me this message:
१६सात दिन के व्यतीत होने पर यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा,
17 “You human, I am appointing [to be like] a watchman [MET] for the Israeli people [MTY]. [So] listen to these messages that I will give you, and tell them those messages to warn them.
१७“हे मनुष्य के सन्तान मैंने तुझे इस्राएल के घराने के लिये पहरुआ नियुक्त किया है; तू मेरे मुँह की बात सुनकर, उन्हें मेरी ओर से चेतावनी देना।
18 When I say about some wicked people, ‘They will surely [because of their sins],’ if you do not warn them or tell them that they must turn from their wicked behavior if they want to (save their lives/remain alive), those wicked people will die because of the sins that they have committed, but I will consider that you are responsible for their deaths [MTY].
१८जब मैं दुष्ट से कहूँ, ‘तू निश्चय मरेगा,’ और यदि तू उसको न चिताए, और न दुष्ट से ऐसी बात कहे जिससे कि वह सचेत हो और अपना दुष्ट मार्ग छोड़कर जीवित रहे, तो वह दुष्ट अपने अधर्म में फँसा हुआ मरेगा, परन्तु उसके खून का लेखा मैं तुझी से लूँगा।
19 But if you warn the wicked people and they do not turn from all their wicked behavior [DOU], they will die because of their sins, but you will have saved [from my punishing you].
१९पर यदि तू दुष्ट को चिताए, और वह अपनी दुष्टता और दुष्ट मार्ग से न फिरे, तो वह तो अपने अधर्म में फँसा हुआ मर जाएगा; परन्तु तू अपने प्राणों को बचाएगा।
20 Similarly, when righteous people turn from their righteous behavior and do evil deeds, I will cause bad things to happen [IDM] to them. [But you must warn them. If you do not warn them], and if they do not stop their sinful behavior, they will die because of their sins; I will not think about the righteous things that they [previously], but I will consider that you are responsible for their deaths [MTY].
२०फिर जब धर्मी जन अपने धार्मिकता से फिरकर कुटिल काम करने लगे, और मैं उसके सामने ठोकर रखूँ, तो वह मर जाएगा, क्योंकि तूने जो उसको नहीं चिताया, इसलिए वह अपने पाप में फँसा हुआ मरेगा; और जो धार्मिकता के कर्म उसने किए हों, उनकी सुधि न ली जाएगी, पर उसके खून का लेखा मैं तुझी से लूँगा।
21 But if you warn righteous people not to sin, and they do not sin, they will surely remain alive because they [your] warning, and you will have saved [from my punishing you].”
२१परन्तु यदि तू धर्मी को ऐसा कहकर चेतावनी दे, कि वह पाप न करे, और वह पाप से बच जाए, तो वह चितौनी को ग्रहण करने के कारण निश्चय जीवित रहेगा, और तू अपने प्राण को बचाएगा।”
22 [I felt] Yahweh take control [MTY] of me, and he said to me, “Get up and go [from the city down] to the plain/valley, and there I will speak to you.”
२२फिर यहोवा की शक्ति वहीं मुझ पर प्रगट हुई, और उसने मुझसे कहा, “उठकर मैदान में जा; और वहाँ मैं तुझ से बातें करूँगा।”
23 So I got up and went down to the valley. And I saw the glory of Yahweh there, like the glory that I had seen along the Kebar River/Canal. And I prostrated myself on the ground.
२३तब मैं उठकर मैदान में गया, और वहाँ क्या देखा, कि यहोवा का प्रताप जैसा मुझे कबार नदी के तट पर, वैसा ही यहाँ भी दिखाई पड़ता है; और मैं मुँह के बल गिर पड़ा।
24 Then the [of God] entered me and enabled me to stand up. He said to me, “Go into your house and stay inside it.
२४तब आत्मा ने मुझ में समाकर मुझे पाँवों के बल खड़ा कर दिया; फिर वह मुझसे कहने लगा, “जा अपने घर के भीतर द्वार बन्द करके बैठा रह।
25 People will tie you with ropes, with the result that you will be unable to go out among the people.
२५हे मनुष्य के सन्तान, देख; वे लोग तुझे रस्सियों से जकड़कर बाँध रखेंगे, और तू निकलकर उनके बीच जाने नहीं पाएगा।
26 [Even though] they are very rebellious people, I will cause your tongue to stick to the roof of your mouth, with the result that you will be unable to talk and to rebuke them.
२६मैं तेरी जीभ तेरे तालू से लगाऊँगा; जिससे तू मौन रहकर उनका डाँटनेवाला न हो, क्योंकि वे विद्रोही घराने के हैं।
27 [then] when I speak to [again], I will enable you to talk [MTY], and you will say to them, ‘This is what Yahweh the Lord says,’ [and you will tell them my message]. Those who are willing to [to what you say] will listen, [many] will refuse to listen, because they are rebellious people [MTY].”
२७परन्तु जब जब मैं तुझ से बातें करूँ, तब-तब तेरे मुँह को खोलूँगा, और तू उनसे ऐसा कहना, ‘प्रभु यहोवा यह कहता है,’ जो सुनता है वह सुन ले और जो नहीं सुनता वह न सुने, वे तो विद्रोही घराने के हैं ही।”

< Ezekiel 3 >