< 2 Corinthians 7 >

1 These therefore having promises, beloved, we may cleanse ourselves from every defilement of flesh and spirit perfecting holiness in [the] fear of God.
हे प्यारे बिश्वासी भाईयो, जिब हमनै वो वादा मिल्या सै, ताके हम परमेसवर की ऊलाद कुह्वावां, तो आओ, हम अपणी देह अर आत्मा नै गंदा करण आळे सारे बुरे काम छोड़ द्या, अर परमेसवर का भय मानते होए पूरी रीति तै अपणे-आपनै पवित्र करण की कोशिश करां।
2 do make room for us; no [one] we have wronged, no [one] we have corrupted, no [one] we have exploited.
थम म्हारे तै पूरे मन तै प्यार करो। हमनै ना किसे पै जुल्म करया, ना किसे गैल अन्याय करया, अर ना किसे ताहीं ठग्या सै।
3 For condemnation not I speak; I have before said for that in the hearts of us you are for [us] to die together and to live together.
मै थमनै कसूरवार ठहराण कै खात्तर न्यू न्ही कहन्दा। क्यूँके मै पैहल्याए तै कह चुक्या सूं, के हम थारे ताहीं पूरे मन तै प्यार करां सां, अर हम थारे गेल्या जीण-मरण कै खात्तर भी त्यार सां।
4 Great [is] my boldness toward you, great my boasting on behalf of you; I have been filled with encouragement, I overabound with joy upon all the affliction of us.
मै थारे तै घणे बिश्वास कै गेल्या बोल्लण लागरया सूं, मन्नै थारे पै घणा गर्व सै, मै बड़ा उत्साहित सूं। अपणे सारे क्ळेश म्ह, मै आनन्द तै घणा भरपूर रहूँ सूं।
5 And for when were coming we into Macedonia none (did have *NK(o)*) rest the flesh of us but in every [way] we are being pressed: outside conflicts, within fears.
त्रोआस नगर तै जिब हम मकिदुनिया परदेस म्ह आये, फेर भी म्हारी देह नै चैन कोनी मिल्या, पर हम चौगरदे तै क्ळेश पावां थे, बाहरणै लड़ाई-झगड़े थे, म्हारे मन म्ह डरावणी बात थी।
6 But the [One] comforting the downcast comforted us God by the coming of Titus;
तोभी दुखियाँ ताहीं तसल्ली देणआळे परमेसवर नै तीतुस कै आण तै म्हारे ताहीं उत्साहित करया।
7 not only now by the coming of him, but also by the comfort with which he was comforted as to you relating to us your earnest desire, your mourning, your zeal for me, so as for me [the] more to rejoice.
ना सिर्फ उसके आण तै, पर उस उत्साह के जरिये भी, जो तीतुस नै थारे म्ह पाया, उसनै थारी लालसा, थारे दुख, अर मेरै खात्तर थारी धुन की खबर म्हारै ताहीं सुणायी, जिसतै मन्नै और भी खुशी होई।
8 For if even I have grieved you in the letter, not I do regret [it]; If even I was regreting [it], I see indeed that the letter that if even for an hour grieved you,
मै पसताऊ कोनी, के मन्नै थारे ताहीं चिट्ठी लिखी, हालाकि मन्नै अपणी चिट्ठी तै थारे ताहीं दुखी करया, मै पैहल्या तो पछताया, जिब मन्नै देख्या के थम मेरी चिट्ठी तै थोड़े बखत खात्तर तो उदास होए सों।
9 Now I rejoice, not that you were grieved, but that you were grieved unto repentance; you were grieved for according to God, so that in nothing you may suffer loss through us.
पर इब मै खुश सूं, ज्यांतै न्ही के मन्नै थारे ताहीं दुख पोंहचाया, बल्के ज्यांतै के थमनै उस दुख कै कारण पाप करणा छोड़ दिया, क्यूँके थम दुखी थे, जिसा परमेसवर चाहवै था, के म्हारी ओड़ तै थमनै किसे बात का नुकसान ना पोहोचै।
10 The for according to God grief repentance to salvation without regret (produces, *N(k)O*) and the of the world grief death produces.
क्यूँके परमेसवर की ओड़ तै मिलण आळा दुख, पापां नै छोड़ण का कारण बणै सै, जिसका नतिज्जा छुटकारा सै, उस तरियां के दुख का पछतावा कोनी होन्दा। पर दुनिया तै मिलण आळा दुख अनन्त मौत का कारण बणै सै।
11 Behold for this very same [thing] according to God to have been grieved (by you *K*) how much has produced in you earnestness, but instead reasoned defense, but indignation, but fear, but longing, but zeal, but vindication? In everything you have proved yourselves innocent to be (in *k*) this matter.
इस करकै सुणो, परमेसवर की ओड़ तै मिलण आळे दुख तै थम कितने गुणवाण बण गये, थारे म्ह कितना उत्साह, जबाबदारी, रिस, भय, लालसा, धुन अर बदला लेण का विचार छोड़णा, थमनै सारी तरियां तै न्यू साबित कर दिया सै, के थमनै इन सारी बात्तां म्ह कोए कमी कोनी छोड्डी।
12 So if even I wrote to you, [it was] not for the sake of the [one] having done wrong (but *O*) nor for the sake of the [one] having suffered wrong, but rather for the sake of being revealed the earnestness of you which [is] for us to you before God.
फेर मन्नै पैहले जो थारे धोरै वो चिट्ठी लिखी थी, वा ना तो उसकै कारण लिखी, जिसनै नाइंसाफी करी, अर ना उसकै कारण जिसके साथ नाइंसाफी करी गई, पर ज्यांतै के थारा जोश जो म्हारै खात्तर सै, वो परमेसवर कै स्याम्ही थारे पै जाहिर हो जावै।
13 On account of this we have been comforted. Besides also the comfort (of us *N(K)O*) [the] more abundantly (now *k*) rather we have rejoiced at the joy of Titus, because has been refreshed the spirit of him by all of you,
ज्यांतै हमनै तसल्ली मिली, म्हारी तसल्ली तो तीतुस की खुशी के कारण सै, म्हारे ताहीं और भी घणी खुशी होई क्यूँके उसका मन थारे कारण और भी ज्यादा खुशमिसाज होग्या सै।
14 For if anything to him about you I have boasted, not I was put to shame, but as all things in truth we have spoken to you, so also the boasting of us to Titus, truth became;
क्यूँके जै मन्नै उसकै स्याम्ही थारे बारै म्ह कुछ गर्व दिखाया, तो मै शर्मिन्दा कोनी होया, पर जिसा हमनै थारे तै सारी बात सच-सच कह दी थी, उस्से तरियां ए म्हारा गर्व दिखाणा तीतुस कै स्याम्ही भी सच्चा लिकड़या।
15 And the affections of him more abundantly toward you are remembering the of all of you obedience, how with fear and trembling you received him.
जिब तीतुस ताहीं थम सारया के आज्ञाकारी होण की बात याद आवै सै, अर किस ढाळ थम डरदे अर काम्बदे होए उसतै मिले, तो उसका प्यार थारे खात्तर और भी बधता जावै सै।
16 I rejoice that in everything I am confident in you.
मन्नै घणी खुशी हो सै, क्यूँके मन्नै हरेक बात म्ह थारे पै पूरा भरोस्सा सै।

< 2 Corinthians 7 >