< Deuteronomy 28 >

1 It shall happen, if you shall listen diligently to the voice of the LORD your God, to observe to do all his commandments which I command you this day, that the LORD your God will set you on high above all the nations of the earth:
“यदि तू अपने परमेश्वर यहोवा की सब आज्ञाएँ, जो मैं आज तुझे सुनाता हूँ, चौकसी से पूरी करने को चित्त लगाकर उसकी सुने, तो वह तुझे पृथ्वी की सब जातियों में श्रेष्ठ करेगा।
2 and all these blessings shall come on you, and overtake you, if you shall listen to the voice of the LORD your God.
फिर अपने परमेश्वर यहोवा की सुनने के कारण ये सब आशीर्वाद तुझ पर पूरे होंगे।
3 You shall be blessed in the city, and you shall be blessed in the field.
धन्य हो तू नगर में, धन्य हो तू खेत में।
4 You shall be blessed in the fruit of your body, the fruit of your ground, the fruit of your animals, the increase of your livestock, and the young of your flock.
धन्य हो तेरी सन्तान, और तेरी भूमि की उपज, और गाय और भेड़-बकरी आदि पशुओं के बच्चे।
5 Your basket and your kneading trough shall be blessed.
धन्य हो तेरी टोकरी और तेरा आटा गूँधने का पात्र।
6 You shall be blessed when you come in, and you shall be blessed when you go out.
धन्य हो तू भीतर आते समय, और धन्य हो तू बाहर जाते समय।
7 The LORD will cause your enemies who rise up against you to be struck before you. They will come out against you one way, and will flee before you seven ways.
“यहोवा ऐसा करेगा कि तेरे शत्रु जो तुझ पर चढ़ाई करेंगे वे तुझ से हार जाएँगे; वे एक मार्ग से तुझ पर चढ़ाई करेंगे, परन्तु तेरे सामने से सात मार्ग से होकर भाग जाएँगे।
8 The LORD will command the blessing on you in your storehouses, and in all that you put your hand to; and he will bless you in the land which the LORD your God gives you.
तेरे खत्तों पर और जितने कामों में तू हाथ लगाएगा उन सभी पर यहोवा आशीष देगा; इसलिए जो देश तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है उसमें वह तुझे आशीष देगा।
9 The LORD will establish you for a holy people to himself, as he has sworn to you; if you shall keep the commandments of the LORD your God, and walk in his ways.
यदि तू अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञाओं को मानते हुए उसके मार्गों पर चले, तो वह अपनी शपथ के अनुसार तुझे अपनी पवित्र प्रजा करके स्थिर रखेगा।
10 All the peoples of the earth shall see that you are called by the name of the LORD; and they shall be afraid of you.
१०और पृथ्वी के देश-देश के सब लोग यह देखकर, कि तू यहोवा का कहलाता है, तुझ से डर जाएँगे।
11 The LORD will make you plenteous for good, in the fruit of your body, and in the fruit of your livestock, and in the fruit of your ground, in the land which the LORD swore to your fathers to give you.
११और जिस देश के विषय यहोवा ने तेरे पूर्वजों से शपथ खाकर तुझे देने को कहा था, उसमें वह तेरी सन्तान की, और भूमि की उपज की, और पशुओं की बढ़ती करके तेरी भलाई करेगा।
12 The LORD will open to you his good treasure in the sky, to give the rain of your land in its season, and to bless all the work of your hand: and you shall lend to many nations, and you shall not borrow.
१२यहोवा तेरे लिए अपने आकाशरूपी उत्तम भण्डार को खोलकर तेरी भूमि पर समय पर मेंह बरसाया करेगा, और तेरे सारे कामों पर आशीष देगा; और तू बहुतेरी जातियों को उधार देगा, परन्तु किसी से तुझे उधार लेना न पड़ेगा।
13 The LORD will make you the head, and not the tail; and you shall be above only, and you shall not be beneath; if you shall listen to the commandments of the LORD your God, which I command you this day, to observe and to do,
१३और यहोवा तुझको पूँछ नहीं, किन्तु सिर ही ठहराएगा, और तू नीचे नहीं, परन्तु ऊपर ही रहेगा; यदि परमेश्वर यहोवा की आज्ञाएँ जो मैं आज तुझको सुनाता हूँ, तू उनके मानने में मन लगाकर चौकसी करे;
14 and shall not turn aside from any of the words which I command you this day, to the right hand, or to the left, to go after other gods to serve them.
१४और जिन वचनों की मैं आज तुझे आज्ञा देता हूँ उनमें से किसी से दाएँ या बाएँ मुड़कर पराए देवताओं के पीछे न हो ले, और न उनकी सेवा करे।
15 But it shall come to pass, if you will not listen to the voice of the LORD your God, to observe to do all his commandments and his statutes which I command you this day, that all these curses shall come on you, and overtake you.
१५“परन्तु यदि तू अपने परमेश्वर यहोवा की बात न सुने, और उसकी सारी आज्ञाओं और विधियों के पालन करने में जो मैं आज सुनाता हूँ चौकसी नहीं करेगा, तो ये सब श्राप तुझ पर आ पड़ेंगे।
16 You shall be cursed in the city, and you shall be cursed in the field.
१६श्रापित हो तू नगर में, श्रापित हो तू खेत में।
17 Your basket and your kneading trough shall be cursed.
१७श्रापित हो तेरी टोकरी और तेरा आटा गूँधने का पात्र।
18 The fruit of your body, the fruit of your ground, the increase of your livestock, and the young of your flock shall be cursed.
१८श्रापित हो तेरी सन्तान, और भूमि की उपज, और गायों और भेड़-बकरियों के बच्चे।
19 You shall be cursed when you come in, and you shall be cursed when you go out.
१९श्रापित हो तू भीतर आते समय, और श्रापित हो तू बाहर जाते समय।
20 The LORD will send on you cursing, confusion, and rebuke, in all that you put your hand to do, until you are destroyed, and until you perish quickly; because of the evil of your doings, by which you have forsaken me.
२०“फिर जिस-जिस काम में तू हाथ लगाए, उसमें यहोवा तब तक तुझको श्राप देता, और भयातुर करता, और धमकी देता रहेगा, जब तक तू मिट न जाए, और शीघ्र नष्ट न हो जाए; यह इस कारण होगा कि तू यहोवा को त्याग कर दुष्ट काम करेगा।
21 The LORD will make the pestilence cling to you, until he has consumed you from off the land, where you go in to possess it.
२१और यहोवा ऐसा करेगा कि मरी तुझ में फैलकर उस समय तक लगी रहेगी, जब तक जिस भूमि के अधिकारी होने के लिये तू जा रहा है उस पर से तेरा अन्त न हो जाए।
22 The LORD will strike you with consumption, and with fever, and with inflammation, and with fiery heat, and with the sword, and with blight, and with mildew; and they shall pursue you until you perish.
२२यहोवा तुझको क्षयरोग से, और ज्वर, और दाह, और बड़ी जलन से, और तलवार, और झुलस, और गेरूई से मारेगा; और ये उस समय तक तेरा पीछा किए रहेंगे, जब तक तेरा सत्यानाश न हो जाए।
23 Your sky that is over your head shall be bronze, and the earth that is under you shall be iron.
२३और तेरे सिर के ऊपर आकाश पीतल का, और तेरे पाँव के तले भूमि लोहे की हो जाएगी।
24 The LORD will make the rain of your land powder and dust: from the sky shall it come down on you, until you are destroyed.
२४यहोवा तेरे देश में पानी के बदले रेत और धूलि बरसाएगा; वह आकाश से तुझ पर यहाँ तक बरसेगी कि तेरा सत्यानाश हो जाएगा।
25 The LORD will cause you to be struck before your enemies; you shall go out one way against them, and shall flee seven ways before them: and you shall be tossed back and forth among all the kingdoms of the earth.
२५“यहोवा तुझको शत्रुओं से हरवाएगा; और तू एक मार्ग से उनका सामना करने को जाएगा, परन्तु सात मार्ग से होकर उनके सामने से भाग जाएगा; और पृथ्वी के सब राज्यों में मारा-मारा फिरेगा।
26 Your dead body shall be food to all birds of the sky, and to the animals of the earth; and there shall be none to frighten them away.
२६और तेरा शव आकाश के भाँति-भाँति के पक्षियों, और धरती के पशुओं का आहार होगा; और उनको कोई भगानेवाला न होगा।
27 The LORD will strike you with the boil of Egypt, and with the tumors, and with the scurvy, and with the itch, of which you can not be healed.
२७यहोवा तुझको मिस्र के से फोड़े, और बवासीर, और दाद, और खुजली से ऐसा पीड़ित करेगा, कि तू चंगा न हो सकेगा।
28 The LORD will strike you with madness, and with blindness, and with astonishment of heart;
२८यहोवा तुझे पागल और अंधा कर देगा, और तेरे मन को अत्यन्त घबरा देगा;
29 and you shall grope at noonday, as the blind gropes in darkness, and you shall not prosper in your ways: and you shall be only oppressed and robbed always, and there shall be none to save you.
२९और जैसे अंधा अंधियारे में टटोलता है वैसे ही तू दिन दुपहरी में टटोलता फिरेगा, और तेरे काम-काज सफल न होंगे; और तू सदैव केवल अत्याचार सहता और लुटता ही रहेगा, और तेरा कोई छुड़ानेवाला न होगा।
30 You shall betroth a wife, and another man shall lie with her: you shall build a house, and you shall not dwell in it: you shall plant a vineyard, and shall not use its fruit.
३०तू स्त्री से ब्याह की बात लगाएगा, परन्तु दूसरा पुरुष उसको भ्रष्ट करेगा; घर तू बनाएगा, परन्तु उसमें बसने न पाएगा; दाख की बारी तू लगाएगा, परन्तु उसके फल खाने न पाएगा।
31 Your ox shall be slain before your eyes, and you shall not eat of it: your donkey shall be violently taken away from before your face, and shall not be restored to you: your sheep shall be given to your enemies, and you shall have none to save you.
३१तेरा बैल तेरी आँखों के सामने मारा जाएगा, और तू उसका माँस खाने न पाएगा; तेरा गदहा तेरी आँख के सामने लूट में चला जाएगा, और तुझे फिर न मिलेगा; तेरी भेड़-बकरियाँ तेरे शत्रुओं के हाथ लग जाएँगी, और तेरी ओर से उनका कोई छुड़ानेवाला न होगा।
32 Your sons and your daughters shall be given to another people; and your eyes shall look, and fail with longing for them all the day: and there shall be nothing in the power of your hand.
३२तेरे बेटे-बेटियाँ दूसरे देश के लोगों के हाथ लग जाएँगे, और उनके लिये चाव से देखते-देखते तेरी आँखें रह जाएँगी; और तेरा कुछ बस न चलेगा।
33 The fruit of your ground, and all your labors, shall a nation which you do not know eat up; and you shall be only oppressed and crushed always;
३३तेरी भूमि की उपज और तेरी सारी कमाई एक अनजाने देश के लोग खा जाएँगे; और सर्वदा तू केवल अत्याचार सहता और पिसता रहेगा;
34 so that you shall be mad for the sight of your eyes which you shall see.
३४यहाँ तक कि तू उन बातों के कारण जो अपनी आँखों से देखेगा पागल हो जाएगा।
35 The LORD will strike you in the knees, and in the legs, with a sore boil, of which you can not be healed, from the sole of your foot to the crown of your head.
३५यहोवा तेरे घुटनों और टाँगों में, वरन् नख से शीर्ष तक भी असाध्य फोड़े निकालकर तुझको पीड़ित करेगा।
36 The LORD will bring you, and your king whom you shall set over you, to a nation that you have not known, you nor your fathers; and there you shall serve other gods, wood and stone.
३६“यहोवा तुझको उस राजा समेत, जिसको तू अपने ऊपर ठहराएगा, तेरे और तेरे पूर्वजों के लिए अनजानी एक जाति के बीच पहुँचाएगा; और उसके मध्य में रहकर तू काठ और पत्थर के दूसरे देवताओं की उपासना और पूजा करेगा।
37 You shall become an astonishment, a proverb, and a byword, among all the peoples where the LORD shall lead you away.
३७और उन सब जातियों में जिनके मध्य में यहोवा तुझको पहुँचाएगा, वहाँ के लोगों के लिये तू चकित होने का, और दृष्टान्त और श्राप का कारण समझा जाएगा।
38 You shall carry much seed out into the field, and shall gather little in; for the locust shall consume it.
३८तू खेत में बीज तो बहुत सा ले जाएगा, परन्तु उपज थोड़ी ही बटोरेगा; क्योंकि टिड्डियाँ उसे खा जाएँगी।
39 You shall plant vineyards and dress them, but you shall neither drink of the wine, nor harvest; for the worm shall eat them.
३९तू दाख की बारियाँ लगाकर उनमें काम तो करेगा, परन्तु उनकी दाख का मधु पीने न पाएगा, वरन् फल भी तोड़ने न पाएगा; क्योंकि कीड़े उनको खा जाएँगे।
40 You shall have olive trees throughout all your borders, but you shall not anoint yourself with the oil; for your olives shall drop off.
४०तेरे सारे देश में जैतून के वृक्ष तो होंगे, परन्तु उनका तेल तू अपने शरीर में लगाने न पाएगा; क्योंकि वे झड़ जाएँगे।
41 You shall father sons and daughters, but they shall not be yours; for they shall go into captivity.
४१तेरे बेटे-बेटियाँ तो उत्पन्न होंगे, परन्तु तेरे रहेंगे नहीं; क्योंकि वे बन्धुवाई में चले जाएँगे।
42 All your trees and the fruit of your ground shall the locust possess.
४२तेरे सब वृक्ष और तेरी भूमि की उपज टिड्डियाँ खा जाएँगी।
43 The foreigner who is in the midst of you shall mount up above you higher and higher; and you shall come down lower and lower.
४३जो परदेशी तेरे मध्य में रहेगा वह तुझ से बढ़ता जाएगा; और तू आप घटता चला जाएगा।
44 He shall lend to you, and you shall not lend to him: he shall be the head, and you shall be the tail.
४४“वह तुझको उधार देगा, परन्तु तू उसको उधार न दे सकेगा; वह तो सिर और तू पूँछ ठहरेगा।
45 All these curses shall come on you, and shall pursue you, and overtake you, until you are destroyed; because you did not listen to the voice of the LORD your God, to keep his commandments and his statutes which he commanded you:
४५तू जो अपने परमेश्वर यहोवा की दी हुई आज्ञाओं और विधियों के मानने को उसकी न सुनेगा, इस कारण ये सब श्राप तुझ पर आ पड़ेंगे, और तेरे पीछे पड़े रहेंगे, और तुझको पकड़ेंगे, और अन्त में तू नष्ट हो जाएगा।
46 and they shall be on you for a sign and for a wonder, and on your descendants forever.
४६और वे तुझ पर और तेरे वंश पर सदा के लिये बने रहकर चिन्ह और चमत्कार ठहरेंगे;
47 Because you did not serve the LORD your God with joyfulness, and with gladness of heart, by reason of the abundance of all things;
४७“तू जो सब पदार्थ की बहुतायत होने पर भी आनन्द और प्रसन्नता के साथ अपने परमेश्वर यहोवा की सेवा नहीं करेगा,
48 therefore you shall serve your enemies whom the LORD shall send against you, in hunger, and in thirst, and in nakedness, and in want of all things: and he shall put a yoke of iron on your neck, until he has destroyed you.
४८इस कारण तुझको भूखा, प्यासा, नंगा, और सब पदार्थों से रहित होकर अपने उन शत्रुओं की सेवा करनी पड़ेगी जिन्हें यहोवा तेरे विरुद्ध भेजेगा; और जब तक तू नष्ट न हो जाए तब तक वह तेरी गर्दन पर लोहे का जूआ डाल रखेगा।
49 The LORD will bring a nation against you from far away, from a distant land, as the eagle flies; a nation whose language you shall not understand;
४९यहोवा तेरे विरुद्ध दूर से, वरन् पृथ्वी के छोर से वेग से उड़नेवाले उकाब सी एक जाति को चढ़ा लाएगा जिसकी भाषा को तू न समझेगा;
50 a nation of fierce facial expressions, that shall not respect the person of the old, nor show favor to the young,
५०उस जाति के लोगों का व्यवहार क्रूर होगा, वे न तो बूढ़ों का मुँह देखकर आदर करेंगे, और न बालकों पर दया करेंगे;
51 and shall eat the fruit of your livestock, and the fruit of your ground, until you are destroyed; that also shall not leave you grain, new wine, or oil, the increase of your livestock, or the young of your flock, until they have caused you to perish.
५१और वे तेरे पशुओं के बच्चे और भूमि की उपज यहाँ तक खा जाएँगे कि तू नष्ट हो जाएगा; और वे तेरे लिये न अन्न, और न नया दाखमधु, और न टटका तेल, और न बछड़े, न मेम्ने छोड़ेंगे, यहाँ तक कि तू नाश हो जाएगा।
52 They shall besiege you in all your gates, until your high and fortified walls come down, in which you trusted, throughout all your land; and they shall besiege you in all your gates throughout all your land, which the LORD your God has given you.
५२और वे तेरे परमेश्वर यहोवा के दिये हुए सारे देश के सब फाटकों के भीतर तुझे घेर रखेंगे; वे तेरे सब फाटकों के भीतर तुझे उस समय तक घेरेंगे, जब तक तेरे सारे देश में तेरी ऊँची-ऊँची और दृढ़ शहरपनाहें जिन पर तू भरोसा करेगा गिर न जाएँ।
53 You shall eat the fruit of your own body, the flesh of your sons and of your daughters, whom the LORD your God has given you, in the siege and in the distress with which your enemies shall distress you.
५३तब घिर जाने और उस संकट के समय जिसमें तेरे शत्रु तुझको डालेंगे, तू अपने निज जन्माए बेटे-बेटियों का माँस जिन्हें तेरा परमेश्वर यहोवा तुझको देगा खाएगा।
54 The man who is tender among you, and very delicate, his eye shall be evil toward his brother, and toward the wife of his bosom, and toward the remnant of his children whom he has remaining;
५४और तुझ में जो पुरुष कोमल और अति सुकुमार हो वह भी अपने भाई, और अपनी प्राणप्रिय, और अपने बचे हुए बालकों को क्रूर दृष्टि से देखेगा;
55 so that he will not give to any of them of the flesh of his children whom he shall eat, because he has nothing left him, in the siege and in the distress with which your enemy shall distress you in all your gates.
५५और वह उनमें से किसी को भी अपने बालकों के माँस में से जो वह आप खाएगा कुछ न देगा, क्योंकि घिर जाने और उस संकट में, जिसमें तेरे शत्रु तेरे सारे फाटकों के भीतर तुझे घेर डालेंगे, उसके पास कुछ न रहेगा।
56 The tender and delicate woman among you, who would not adventure to set the sole of her foot on the ground for delicateness and tenderness, her eye shall be evil toward the husband of her bosom, and toward her son, and toward her daughter,
५६और तुझ में जो स्त्री यहाँ तक कोमल और सुकुमार हो कि सुकुमारपन के और कोमलता के मारे भूमि पर पाँव धरते भी डरती हो, वह भी अपने प्राणप्रिय पति, और बेटे, और बेटी को,
57 and toward her young one who comes out from between her feet, and toward her children whom she shall bear; for she shall eat them for want of all things secretly, in the siege and in the distress with which your enemy shall distress you in your gates.
५७अपनी खेरी, वरन् अपने जने हुए बच्चों को क्रूर दृष्टि से देखेगी, क्योंकि घिर जाने और उस संकट के समय जिसमें तेरे शत्रु तुझे तेरे फाटकों के भीतर घेरकर रखेंगे, वह सब वस्तुओं की घटी के मारे उन्हें छिपके खाएगी।
58 If you will not observe to do all the words of this law that are written in this book, that you may fear this glorious and fearful name, The LORD your God;
५८“यदि तू इन व्यवस्था के सारे वचनों का पालन करने में, जो इस पुस्तक में लिखे हैं, चौकसी करके उस आदरणीय और भययोग्य नाम का, जो यहोवा तेरे परमेश्वर का है भय न माने,
59 then the LORD will make your plagues extraordinary, and the plagues of your descendants, even great plagues, and of long continuance, and severe sicknesses, and of long continuance.
५९तो यहोवा तुझको और तेरे वंश को भयानक-भयानक दण्ड देगा, वे दुष्ट और बहुत दिन रहनेवाले रोग और भारी-भारी दण्ड होंगे।
60 He will bring on you again all the diseases of Egypt, which you were afraid of; and they shall cling to you.
६०और वह मिस्र के उन सब रोगों को फिर तेरे ऊपर लगा देगा, जिनसे तू भय खाता था; और वे तुझ में लगे रहेंगे।
61 Also every sickness, and every plague, which is not written in the book of this law, the LORD will bring them on you, until you are destroyed.
६१और जितने रोग आदि दण्ड इस व्यवस्था की पुस्तक में नहीं लिखे हैं, उन सभी को भी यहोवा तुझको यहाँ तक लगा देगा, कि तेरा सत्यानाश हो जाएगा।
62 You shall be left few in number, whereas you were as the stars of the sky for multitude; because you did not listen to the voice of the LORD your God.
६२और तू जो अपने परमेश्वर यहोवा की न मानेगा, इस कारण आकाश के तारों के समान अनगिनत होने के बदले तुझ में से थोड़े ही मनुष्य रह जाएँगे।
63 It shall happen that as the LORD rejoiced over you to do you good, and to multiply you, so the LORD will rejoice over you to cause you to perish, and to destroy you; and you shall be plucked from off the land where you go in to possess it.
६३और जैसे अब यहोवा को तुम्हारी भलाई और बढ़ती करने से हर्ष होता है, वैसे ही तब उसको तुम्हारा नाश वरन् सत्यानाश करने से हर्ष होगा; और जिस भूमि के अधिकारी होने को तुम जा रहे हो उस पर से तुम उखाड़े जाओगे।
64 The LORD will scatter you among all peoples, from the one end of the earth even to the other end of the earth; and there you shall serve other gods, which you have not known, you nor your fathers, even wood and stone.
६४और यहोवा तुझको पृथ्वी के इस छोर से लेकर उस छोर तक के सब देशों के लोगों में तितर-बितर करेगा; और वहाँ रहकर तू अपने और अपने पुरखाओं के अनजाने काठ और पत्थर के दूसरे देवताओं की उपासना करेगा।
65 Among these nations you shall find no ease, and there shall be no rest for the sole of your foot: but the LORD will give you there a trembling heart, and failing of eyes, and pining of soul;
६५और उन जातियों में तू कभी चैन न पाएगा, और न तेरे पाँव को ठिकाना मिलेगा; क्योंकि वहाँ यहोवा ऐसा करेगा कि तेरा हृदय काँपता रहेगा, और तेरी आँखें धुँधली पड़ जाएँगी, और तेरा मन व्याकुल रहेगा;
66 and your life shall hang in doubt before you; and you shall fear night and day, and shall have no assurance of your life.
६६और तुझको जीवन का नित्य सन्देह रहेगा; और तू दिन-रात थरथराता रहेगा, और तेरे जीवन का कुछ भरोसा न रहेगा।
67 In the morning you shall say, "I wish it were evening." and at evening you shall say, "I wish it were morning." for the fear of your heart which you shall fear, and for the sight of your eyes which you shall see.
६७तेरे मन में जो भय बना रहेगा, और तेरी आँखों को जो कुछ दिखता रहेगा, उसके कारण तू भोर को आह मारकर कहेगा, ‘साँझ कब होगी!’ और साँझ को आह मारकर कहेगा, ‘भोर कब होगा!’
68 The LORD will bring you into Egypt again with ships, by the way of which I said to you, You shall see it no more again: and there you shall sell yourselves to your enemies for bondservants and for bondmaids, and no man shall buy you.
६८और यहोवा तुझको नावों पर चढ़ाकर मिस्र में उस मार्ग से लौटा देगा, जिसके विषय में मैंने तुझ से कहा था, कि वह फिर तेरे देखने में न आएगा; और वहाँ तुम अपने शत्रुओं के हाथ दास-दासी होने के लिये बिकाऊ तो रहोगे, परन्तु तुम्हारा कोई ग्राहक न होगा।”

< Deuteronomy 28 >