< Jeremiah 28 >

1 And it came to pass in the same year, in the beginning of the reign of Zedekiah the king of Judah, in the fourth year, in the fifth month, that there said unto me Chananyah the son of 'Azzur the prophet, who was from Gib'on, in the house of the Lord, before the eyes of the priests, and of all the people, as followeth,
फिर उसी वर्ष, अर्थात् यहूदा के राजा सिदकिय्याह के राज्य के चौथे वर्ष के पाँचवें महीने में, अज्जूर का पुत्र हनन्याह जो गिबोन का एक भविष्यद्वक्ता था, उसने मुझसे यहोवा के भवन में, याजकों और सब लोगों के सामने कहा,
2 Thus hath said the Lord of hosts, the God of Israel, saying, I have broken the yoke of the king of Babylon;
“इस्राएल का परमेश्वर सेनाओं का यहोवा यह कहता है मैंने बाबेल के राजा के जूए को तोड़ डाला है।
3 Within yet two years' time will I cause to be brought back unto this place all the vessels of the house of the Lord, which Nebuchadnezzar the king of Babylon hath taken away from this place, and which he hath carried to Babylon:
यहोवा के भवन के जितने पात्र बाबेल का राजा नबूकदनेस्सर इस स्थान से उठाकर बाबेल ले गया, उन्हें मैं दो वर्ष के भीतर फिर इसी स्थान में ले आऊँगा।
4 And Jechonyah the son of Jehoyakim the king of Judah, and all the exiles of Judah that are gone to Babylon, will I cause to return to this place, saith the Lord; for I will break the yoke of the king of Babylon.
मैं यहूदा के राजा यहोयाकीम का पुत्र यकोन्याह और सब यहूदी बन्दियों को भी जो बाबेल को गए हैं, उनको भी इस स्थान में लौटा ले आऊँगा; क्योंकि मैंने बाबेल के राजा के जूए को तोड़ दिया है, यहोवा की यही वाणी है।”
5 Then said Jeremiah the prophet unto Chananyah the prophet before the eyes of the priests, and before the eyes of all the people that stood in the house of the Lord,
तब यिर्मयाह नबी ने हनन्याह नबी से, याजकों और उन सब लोगों के सामने जो यहोवा के भवन में खड़े हुए थे कहा,
6 Yea, then said Jeremiah the prophet, Amen, may the Lord do so: may the Lord fulfill thy words which thou hast prophesied, to cause the vessels of the Lord's house, and all that have been carried into exile, to be brought back from Babylon unto this place.
“आमीन! यहोवा ऐसा ही करे; जो बातें तूने भविष्यद्वाणी करके कही हैं कि यहोवा के भवन के पात्र और सब बन्दी बाबेल से इस स्थान में फिर आएँगे, उन्हें यहोवा पूरा करे।
7 Nevertheless hear thou now this word which I speak before thy ears, and before the ears of all the people:
तो भी मेरा यह वचन सुन, जो मैं तुझे और सब लोगों को कह सुनाता हूँ।
8 The prophets that have been before me and before thee from olden times prophesied both concerning many countries, and against great kingdoms, respecting war, and respecting evil, and respecting pestilence.
जो भविष्यद्वक्ता प्राचीनकाल से मेरे और तेरे पहले होते आए थे, उन्होंने तो बहुत से देशों और बड़े-बड़े राज्यों के विरुद्ध युद्ध और विपत्ति और मरी के विषय भविष्यद्वाणी की थी।
9 The prophet who prophesieth of peace, when the word of the prophet doth come to pass, then shall the prophet be known, [as the one] whom the Lord hath sent in truth.
परन्तु जो भविष्यद्वक्ता कुशल के विषय भविष्यद्वाणी करे, तो जब उसका वचन पूरा हो, तब ही उस भविष्यद्वक्ता के विषय यह निश्चय हो जाएगा कि यह सचमुच यहोवा का भेजा हुआ है।”
10 Then took Chananyah the prophet the yoke-bar from off the neck of Jeremiah the prophet, and broke it.
१०तब हनन्याह भविष्यद्वक्ता ने उस जूए को जो यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता की गर्दन पर था, उतारकर तोड़ दिया।
11 And Chananyah said before the eyes of all the people, as followeth, Thus hath said the Lord, Even so will I break the yoke of Nebuchadnezzar the king of Babylon within two years' time from the neck of all the nations. And Jeremiah the prophet went his way.
११और हनन्याह ने सब लोगों के सामने कहा, “यहोवा यह कहता है कि इसी प्रकार से मैं पूरे दो वर्ष के भीतर बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर के जूए को सब जातियों की गर्दन पर से उतारकर तोड़ दूँगा।” तब यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता चला गया।
12 Then came the word of the Lord unto Jeremiah, after Chananyah the prophet had broken the yoke-bar from off the neck of Jeremiah the prophet, saying,
१२जब हनन्याह भविष्यद्वक्ता ने यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता की गर्दन पर से जूआ उतारकर तोड़ दिया, उसके बाद यहोवा का यह वचन यिर्मयाह के पास पहुँचा;
13 Go and say unto Chananyah as followeth, Thus hath said the Lord, Yoke-bars of wood hast thou broken; but thou shalt make in their stead yoke-bars of iron.
१३“जाकर हनन्याह से यह कह, ‘यहोवा यह कहता है कि तूने काठ का जूआ तो तोड़ दिया, परन्तु ऐसा करके तूने उसके बदले लोहे का जूआ बना लिया है।
14 For thus hath said the Lord of hosts, the God of Israel, A yoke of iron have I placed upon the neck of all these nations, that they may serve Nebuchadnezzar the king of Babylon; and they shall work for him: and also the beasts of the field have I given him.
१४क्योंकि इस्राएल का परमेश्वर, सेनाओं का यहोवा यह कहता है कि मैं इन सब जातियों की गर्दन पर लोहे का जूआ रखता हूँ और वे बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर के अधीन रहेंगे, और इनको उसके अधीन होना पड़ेगा, क्योंकि मैदान के जीवजन्तु भी मैं उसके वश में कर देता हूँ।’”
15 Then said Jeremiah the prophet unto Chananyah the prophet, Hear now, Chananyah, The Lord did not send thee; but thou hast caused this people to trust on a falsehood.
१५यिर्मयाह नबी ने हनन्याह नबी से यह भी कहा, “हे हनन्याह, देख यहोवा ने तुझे नहीं भेजा, तूने इन लोगों को झूठी आशा दिलाई है।
16 Therefore thus hath said the Lord, Behold, I will send thee away from off the face of the earth: this year shalt thou die, because thou hast spoken rebellion against the Lord.
१६इसलिए यहोवा तुझ से यह कहता है, ‘देख, मैं तुझको पृथ्वी के ऊपर से उठा दूँगा, इसी वर्ष में तू मरेगा; क्योंकि तूने यहोवा की ओर से फिरने की बातें कही हैं।’”
17 So Chananyah the prophet died in that same year, in the seventh month.
१७इस वचन के अनुसार हनन्याह उसी वर्ष के सातवें महीने में मर गया।

< Jeremiah 28 >