< Psalms 39 >

1 To the excellent musician Ieduthun. I thought, I will take heede to my wayes, that I sinne not with my tongue: I will keepe my mouth brideled, while the wicked is in my sight.
मैंने कहा “मैं अपनी राह की निगरानी करूँगा, ताकि मेरी ज़बान से ख़ता न हो; जब तक शरीर मेरे सामने है, मैं अपने मुँह को लगाम दिए रहूँगा।”
2 I was dumme and spake nothing: I kept silece euen from good, and my sorow was more stirred.
मैं गूंगा बनकर ख़ामोश रहा, और नेकी की तरफ़ से भी ख़ामोशी इख़्तियार की; और मेरा ग़म बढ़ गया।
3 Mine heart was hote within me, and while I was musing, the fire kindeled, and I spake with my tongue, saying,
मेरा दिल अन्दर ही अन्दर जल रहा था। सोचते सोचते आग भड़क उठी, तब मैं अपनी ज़बान से कहने लगा,
4 Lord, let me know mine ende, and the measure of my dayes, what it is: let mee knowe howe long I haue to liue.
“ऐ ख़ुदावन्द! ऐसा कर कि मैं अपने अंजाम से वाकिफ़ हो जाऊँ, और इससे भी कि मेरी उम्र की मी'आद क्या है; मैं जान लूँ कि कैसा फ़ानी हूँ!
5 Beholde, thou hast made my dayes as an hand breadth, and mine age as nothing in respect of thee: surely euery man in his best state is altogether vanitie. (Selah)
देख, तूने मेरी उम्र बालिश्त भर की रख्खी है, और मेरी ज़िन्दगी तेरे सामने बे हक़ीक़त है। यक़ीनन हर इंसान बेहतरीन हालत में भी बिल्कुल बेसबात है (सिलाह)
6 Doubtlesse man walketh in a shadowe, and disquieteth himselfe in vaine: he heapeth vp riches, and cannot tell who shall gather them.
दर हक़ीकत इंसान साये की तरह चलता फिरता है; यक़ीनन वह फ़जूल घबराते हैं; वह ज़ख़ीरा करता है और यह नहीं जानता के उसे कौन लेगा!
7 And now Lord, what wait I for? mine hope is euen in thee.
“ऐ ख़ुदावन्द! अब मैं किस बात के लिए ठहरा हूँ? मेरी उम्मीद तुझ ही से है।
8 Deliuer me from all my transgressions, and make me not a rebuke vnto the foolish.
मुझ को मेरी सब ख़ताओं से रिहाई दे। बेवक़ूफ़ों को मुझ पर अंगुली न उठाने दे।
9 I should haue bene dumme, and not haue opened my mouth, because thou didest it.
मैं गूंगा बना, मैंने मुँह न खोला क्यूँकि तू ही ने यह किया है।
10 Take thy plague away from mee: for I am consumed by the stroke of thine hand.
मुझ से अपनी बला दूर कर दे; मैं तो तेरे हाथ की मार से फ़ना हुआ जाता हूँ।
11 When thou with rebukes doest chastise man for iniquitie, thou as a mothe makest his beautie to consume: surely euery man is vanitie. (Selah)
जब तू इंसान को बदी पर मलामत करके तम्बीह करता है; तो उसके हुस्न को पतंगे की तरह फ़ना कर देता है; यक़ीनन हर इंसान बेसबात है। (सिलाह)
12 Heare my prayer, O Lord, and hearken vnto my cry: keepe not silence at my teares, for I am a strager with thee, and a soiourner as all my fathers.
“ऐ ख़ुदावन्द! मेरी दुआ सुन और मेरी फ़रियाद पर कान लगा; मेरे आँसुओं को देखकर ख़ामोश न रह! क्यूँकि मैं तेरे सामने परदेसी और मुसाफ़िर हूँ, जैसे मेरे सब बाप — दादा थे।
13 Stay thine anger from me, that I may recouer my strength, before I go hence and be not.
आह! मुझ से नज़र हटा ले ताकि ताज़ा दम हो जाऊँ, इससे पहले के मर जाऊँ और हलाक हो जाऊँ।”

< Psalms 39 >