< Isaiah 22 >
1 The burden of the valley of vision. What aileth thee also, that thou too art wholly gone up to the housetops?
१दर्शन की तराई के विषय में भारी वचन। तुम्हें क्या हुआ कि तुम सब के सब छतों पर चढ़ गए हो,
2 Full of clamour, a populous city, a joyous city: thy slain are not slain by the sword, nor dead in battle.
२हे कोलाहल और ऊधम से भरी प्रसन्न नगरी? तुझ में जो मारे गए हैं वे न तो तलवार से और न लड़ाई में मारे गए हैं।
3 All the princes are fled together, and are bound hard: all that were found, are bound together, they are fled far off.
३तेरे सब शासक एक संग भाग गए और बिना धनुष के बन्दी बनाए गए हैं। तेरे जितने शेष पाए गए वे एक संग बाँधे गए, यद्यपि वे दूर भागे थे।
4 Therefore have I said: Depart from me, I will weep bitterly: labour not to comfort me, for the devastation of the daughter of my people.
४इस कारण मैंने कहा, “मेरी ओर से मुँह फेर लो कि मैं बिलख-बिलख कर रोऊँ; मेरे नगर के सत्यानाश होने के शोक में मुझे शान्ति देने का यत्न मत करो।”
5 For it is a day of slaughter and of treading down, and of weeping to the Lord the God of hosts in the valley of vision, searching the wall, and magnificent upon the mountain.
५क्योंकि सेनाओं के प्रभु यहोवा का ठहराया हुआ दिन होगा, जब दर्शन की तराई में कोलाहल और रौंदा जाना और बेचैनी होगी; शहरपनाह में सुरंग लगाई जाएगी और दुहाई का शब्द पहाड़ों तक पहुँचेगा।
6 And Elam took the quiver, the chariot of the horseman, and the shield was taken down from the wall.
६एलाम पैदलों के दल और सवारों समेत तरकश बाँधे हुए है, और कीर ढाल खोले हुए है।
7 And thy choice valleys shall be full of chariots, and the horseman shall place themselves in the gate.
७तेरी उत्तम-उत्तम तराइयाँ रथों से भरी हुई होंगी और सवार फाटक के सामने पाँति बाँधेंगे।
8 And the covering of Juda shall be discovered, and thou shalt see in that day the armoury of the house of the forest.
८उसने यहूदा का घूँघट खोल दिया है। उस दिन तूने वन नामक भवन के अस्त्र-शस्त्र का स्मरण किया,
9 And you shall see the breaches of the city of David, that they are many: and you have gathered together the waters of the lower pool,
९और तूने दाऊदपुर की शहरपनाह की दरारों को देखा कि वे बहुत हैं, और तूने निचले जलकुण्ड के जल को इकट्ठा किया।
10 And have numbered the houses of Jerusalem, and broken down houses to fortify the wall.
१०और यरूशलेम के घरों को गिनकर शहरपनाह के दृढ़ करने के लिये घरों को ढा दिया।
11 And you made a ditch between the two walls for the water of the old pool: and you have not looked up to the maker thereof, nor regarded him even at a distance, that wrought it long ago.
११तूने दोनों दीवारों के बीच पुराने जलकुण्ड के जल के लिये एक कुण्ड खोदा। परन्तु तूने उसके कर्ता को स्मरण नहीं किया, जिसने प्राचीनकाल से उसको ठहरा रखा था, और न उसकी ओर तूने दृष्टि की।
12 And the Lord, the God of hosts, in that day shall call to weeping, and to mourning, to baldness, and to girding with sackcloth:
१२उस समय सेनाओं के प्रभु यहोवा ने रोने-पीटने, सिर मुँड़ाने और टाट पहनने के लिये कहा था;
13 And behold joy and gladness, killing calves, and slaying rams, eating flesh, and drinking wine: Let us eat and drink; for tomorrow we shall die.
१३परन्तु क्या देखा कि हर्ष और आनन्द मनाया जा रहा है, गाय-बैल का घात और भेड़-बकरी का वध किया जा रहा है, माँस खाया और दाखमधु पीया जा रहा है। और कहते हैं, “आओ खाएँ-पीएँ, क्योंकि कल तो हमें मरना है।”
14 And the voice of the Lord of hosts was revealed in my ears: Surely this iniquity shall not be forgiven you till you die, saith the Lord God of hosts.
१४सेनाओं के यहोवा ने मेरे कान में कहा और अपने मन की बात प्रगट की, “निश्चय तुम लोगों के इस अधर्म का कुछ भी प्रायश्चित तुम्हारी मृत्यु तक न हो सकेगा,” सेनाओं के प्रभु यहोवा का यही कहना है।
15 Thus saith the Lord God of hosts: Go, get thee in to him that dwelleth in the tabernacle, to Sobna who is over the temple: and thou shalt say to him:
१५सेनाओं का प्रभु यहोवा यह कहता है, “शेबना नामक उस भण्डारी के पास जो राजघराने के काम पर नियुक्त है जाकर कह,
16 What dost thou here, or as if thou wert somebody here? for thou hast hewed thee out a sepulchre here, thou hast hewed out a monument carefully in a high place, a dwelling for thyself in a rock.
१६‘यहाँ तू क्या करता है? और यहाँ तेरा कौन है कि तूने अपनी कब्र यहाँ खुदवाई है? तू अपनी कब्र ऊँचे स्थान में खुदवाता और अपने रहने का स्थान चट्टान में खुदवाता है?
17 Behold the Lord will cause thee to be carried away, as a cock is carried away, and he will lift thee up as a garment.
१७देख, यहोवा तुझको बड़ी शक्ति से पकड़कर बहुत दूर फेंक देगा।
18 He will crown thee with a crown of tribulation, he will toss thee like a ball into a large and spacious country: there shalt thou die, and there shall the chariot of thy glory be, the shame of the house of thy Lord.
१८वह तुझे मरोड़कर गेन्द के समान लम्बे चौड़े देश में फेंक देगा; हे अपने स्वामी के घराने को लज्जित करनेवाले वहाँ तू मरेगा और तेरे वैभव के रथ वहीं रह जाएँगे।
19 And I will drive thee out From thy station, and depose thee from thy ministry.
१९मैं तुझको तेरे स्थान पर से ढकेल दूँगा, और तू अपने पद से उतार दिया जाएगा।
20 And it shall come to pass in that day, that I will call my servant Eliacim the son of Helcias,
२०उस समय मैं हिल्किय्याह के पुत्र अपने दास एलयाकीम को बुलाकर, उसे तेरा अंगरखा पहनाऊँगा,
21 And I will clothe him with thy robe, and will strengthen him with thy girdle, and will give thy power into his hand: and he shall be as a father to the inhabitants of Jerusalem, and to the house of Juda.
२१और उसकी कमर में तेरी पेटी कसकर बाँधूँगा, और तेरी प्रभुता उसके हाथ में दूँगा। और वह यरूशलेम के रहनेवालों और यहूदा के घराने का पिता ठहरेगा।
22 And I will lay the key of the house of David upon his shoulder: and he shall open, and none shall shut: and he shall shut, and none shall open.
२२मैं दाऊद के घराने की कुँजी उसके कंधे पर रखूँगा, और वह खोलेगा और कोई बन्द न कर सकेगा; वह बन्द करेगा और कोई खोल न सकेगा।
23 And I will fasten him as a peg in a sure place, and he shall be for a throne of glory to the house of his father.
२३और मैं उसको दृढ़ स्थान में खूँटी के समान गाड़ूँगा, और वह अपने पिता के घराने के लिये वैभव का कारण होगा।
24 And they shall hang upon him all the glory of his father’s house, divers kinds of vessels, every little vessel, from the vessels of cups even to every instrument of music.
२४और उसके पिता से घराने का सारा वैभव, वंश और सन्तान, सब छोटे-छोटे पात्र, क्या कटोरे क्या सुराहियाँ, सब उस पर टाँगी जाएँगी।
25 In that day, saith the Lord of hosts, shall the peg be removed, that was fastened in the sure place: and it shall be broken and shall fall: and that which hung thereon, shall perish, because the Lord hath spoken it.
२५सेनाओं के यहोवा की यह वाणी है कि उस समय वह खूँटी जो दृढ़ स्थान में गाड़ी गई थी, वह ढीली हो जाएगी, और काटकर गिराई जाएगी; और उस पर का बोझ गिर जाएगा, क्योंकि यहोवा ने यह कहा है।’”