< Job 36 >
2 “Bear with me a little longer, and I will show you that there is more to be said on God’s behalf.
२“कुछ ठहरा रह, और मैं तुझको समझाऊँगा, क्योंकि परमेश्वर के पक्ष में मुझे कुछ और भी कहना है।
3 I get my knowledge from afar, and I will ascribe justice to my Maker.
३मैं अपने ज्ञान की बात दूर से ले आऊँगा, और अपने सृजनहार को धर्मी ठहराऊँगा।
4 For truly my words are free of falsehood; one perfect in knowledge is with you.
४निश्चय मेरी बातें झूठी न होंगी, वह जो तेरे संग है वह पूरा ज्ञानी है।
5 Indeed, God is mighty, but He despises no one; He is mighty in strength of understanding.
५“देख, परमेश्वर सामर्थी है, और किसी को तुच्छ नहीं जानता; वह समझने की शक्ति में समर्थ है।
6 He does not keep the wicked alive, but He grants justice to the afflicted.
६वह दुष्टों को जिलाए नहीं रखता, और दीनों को उनका हक़ देता है।
7 He does not take His eyes off the righteous, but He enthrones them with kings and exalts them forever.
७वह धर्मियों से अपनी आँखें नहीं फेरता, वरन् उनको राजाओं के संग सदा के लिये सिंहासन पर बैठाता है, और वे ऊँचे पद को प्राप्त करते हैं।
8 And if men are bound with chains, caught in cords of affliction,
८और चाहे वे बेड़ियों में जकड़े जाएँ और दुःख की रस्सियों से बाँधे जाए,
9 then He tells them their deeds and how arrogantly they have transgressed.
९तो भी परमेश्वर उन पर उनके काम, और उनका यह अपराध प्रगट करता है, कि उन्होंने गर्व किया है।
10 He opens their ears to correction and commands that they turn from iniquity.
१०वह उनके कान शिक्षा सुनने के लिये खोलता है, और आज्ञा देता है कि वे बुराई से दूर रहें।
11 If they obey and serve Him, then they end their days in prosperity and their years in happiness.
११यदि वे सुनकर उसकी सेवा करें, तो वे अपने दिन कल्याण से, और अपने वर्ष सुख से पूरे करते हैं।
12 But if they do not obey, then they perish by the sword and die without knowledge.
१२परन्तु यदि वे न सुनें, तो वे तलवार से नाश हो जाते हैं, और अज्ञानता में मरते हैं।
13 The godless in heart harbor resentment; even when He binds them, they do not cry for help.
१३“परन्तु वे जो मन ही मन भक्तिहीन होकर क्रोध बढ़ाते, और जब वह उनको बाँधता है, तब भी दुहाई नहीं देते,
14 They die in their youth, among the male shrine prostitutes.
१४वे जवानी में मर जाते हैं और उनका जीवन लुच्चों के बीच में नाश होता है।
15 God rescues the afflicted by their affliction and opens their ears in oppression.
१५वह दुःखियों को उनके दुःख से छुड़ाता है, और उपद्रव में उनका कान खोलता है।
16 Indeed, He drew you from the jaws of distress to a spacious and broad place, to a table full of richness.
१६परन्तु वह तुझको भी क्लेश के मुँह में से निकालकर ऐसे चौड़े स्थान में जहाँ सकेती नहीं है, पहुँचा देता है, और चिकना-चिकना भोजन तेरी मेज पर परोसता है।
17 But now you are laden with the judgment due the wicked; judgment and justice have seized you.
१७“परन्तु तूने दुष्टों का सा निर्णय किया है इसलिए निर्णय और न्याय तुझ से लिपटे रहते हैं।
18 Be careful that no one lures you with riches; do not let a large bribe lead you astray.
१८देख, तू जलजलाहट से भर के ठट्ठा मत कर, और न घूस को अधिक बड़ा जानकर मार्ग से मुड़।
19 Can your wealth or all your mighty effort keep you from distress?
१९क्या तेरा रोना या तेरा बल तुझे दुःख से छुटकारा देगा?
20 Do not long for the night, when people vanish from their homes.
२०उस रात की अभिलाषा न कर, जिसमें देश-देश के लोग अपने-अपने स्थान से मिटाएँ जाते हैं।
21 Be careful not to turn to iniquity, for this you have preferred to affliction.
२१चौकस रह, अनर्थ काम की ओर मत फिर, तूने तो दुःख से अधिक इसी को चुन लिया है।
22 Behold, God is exalted in His power. Who is a teacher like Him?
२२देख, परमेश्वर अपने सामर्थ्य से बड़े-बड़े काम करता है, उसके समान शिक्षक कौन है?
23 Who has appointed His way for Him, or told Him, ‘You have done wrong’?
२३किसने उसके चलने का मार्ग ठहराया है? और कौन उससे कह सकता है, ‘तूने अनुचित काम किया है?’
24 Remember to magnify His work, which men have praised in song.
२४“उसके कामों की महिमा और प्रशंसा करने को स्मरण रख, जिसकी प्रशंसा का गीत मनुष्य गाते चले आए हैं।
25 All mankind has seen it; men behold it from afar.
२५सब मनुष्य उसको ध्यान से देखते आए हैं, और मनुष्य उसे दूर-दूर से देखता है।
26 Indeed, God is great—beyond our knowledge; the number of His years is unsearchable.
२६देख, परमेश्वर महान और हमारे ज्ञान से कहीं परे है, और उसके वर्ष की गिनती अनन्त है।
27 For He draws up drops of water which distill the rain from the mist,
२७क्योंकि वह तो जल की बूँदें ऊपर को खींच लेता है वे कुहरे से मेंह होकर टपकती हैं,
28 which the clouds pour out and shower abundantly on mankind.
२८वे ऊँचे-ऊँचे बादल उण्डेलते हैं और मनुष्यों के ऊपर बहुतायत से बरसाते हैं।
29 Furthermore, who can understand how the clouds spread out, how the thunder roars from His pavilion?
२९फिर क्या कोई बादलों का फैलना और उसके मण्डल में का गरजना समझ सकता है?
30 See how He scatters His lightning around Him and covers the depths of the sea.
३०देख, वह अपने उजियाले को चहुँ ओर फैलाता है, और समुद्र की थाह को ढाँपता है।
31 For by these He judges the nations and provides food in abundance.
३१क्योंकि वह देश-देश के लोगों का न्याय इन्हीं से करता है, और भोजनवस्तुएँ बहुतायत से देता है।
32 He fills His hands with lightning and commands it to strike its mark.
३२वह बिजली को अपने हाथ में लेकर उसे आज्ञा देता है कि निशाने पर गिरे।
33 The thunder declares His presence; even the cattle regard the rising storm.
३३इसकी कड़क उसी का समाचार देती है पशु भी प्रगट करते हैं कि अंधड़ चढ़ा आता है।