< إشَعْياء 7 >
وَفِي أَيَّامِ آحَازَ بْنِ يُوثَامَ بْنِ عُزِّيَّا مَلِكِ يَهُوذَا، صَعِدَ رَصِينُ مَلِكُ أَرَامَ مَعَ فَقَحَ بْنِ رَمَلْيَا مَلِكِ إِسْرَائِيلَ عَلَى أُورُشَلِيمَ لِمُحَارَبَتِهَا، فَعَجَزَا عَنْ قَهْرِهَا. | ١ 1 |
और शाह — ए — यहूदाह आख़ज़ बिन यूताम बिन उज़्ज़ियाह के दिनों में यूँ हुआ कि रज़ीन, शाह — ए — इराम फ़िक़ह बिन रमलियाह, शाह — ए — इस्राईल ने येरूशलेम पर चढ़ाई की; लेकिन उस पर ग़ालिब न आ सके।
وَلَمَّا قِيلَ لِمَلِكِ يَهُوذَا إِنَّ الأَرَامِيِّينَ تَحَالَفُوا مَعَ الإِسْرَائِيلِيِّينَ، اعْتَرَى قَلْبَهُ وَقُلُوبَ شَعْبِهِ الاضْطِرَابُ، كَأَشْجَارِ الْغَابَةِ تَهُزُّهَا رِيحٌ عَاصِفَةٌ. | ٢ 2 |
उस वक़्त दाऊद के घराने को यह ख़बर दी गई कि अराम इफ़्राईम के साथ मुत्तहिद है इसलिए उसके दिल ने और उसके लोगों के दिलों ने यूँ जुम्बिश खाई, जैसे जंगल के दरख़्त आँधी से जुम्बिश खाते हैं।
فَقَالَ الرَّبُّ لإِشَعْيَاءَ: «امْضِ لِمُلاقَاةِ آحَازَ أَنْتَ وَشَآرَيَاشُوبَ ابْنُكَ عِنْدَ طَرَفِ قَنَاةِ الْبِرْكَةِ الْعُلْيَا فِي طَرِيقِ حَقْلِ الْقَصَّارِ، | ٣ 3 |
तब ख़ुदावन्द ने यसा'याह को हुक्म किया, कि “तू अपने बेटे शियार याशूब को लेकर ऊपर के चश्मे की नहर के सिरे पर, जो धोबियों के मैदान के रास्ते में है, आख़ज़ से मुलाक़ात कर,
وَقُلْ لَهُ: احْتَرِسْ، وَتَمَالَكْ نَفْسَكَ؛ لَا تَخَفْ وَلا يَهِنْ قَلْبُكَ مِنْ غَضَبِ رَصِينَ مَلِكِ أَرَامَ وَابْنِ رَمَلْيَا الْمُحْتَدِمِ فَإِنَّهُمَا كَحَطَبَتَيْنِ مُضْطَرِمَتَيْنِ مُدَخِّنَتَيْنِ. | ٤ 4 |
और उसे कह, 'ख़बरदार हो, और बेक़रार न हो; इन लुक्टियों के दो धुवें वाले टुकड़ों से, या'नी अरामी रज़ीन और रमलियाह के बेटे की क़हरअंगेज़ी से न डर, और तेरा दिल न घबराए।
فَإِنَّ أَرَامَ وَابْنَ رَمَلْيَا مَعَ أَفْرَايِمَ قَدْ تَآمَرُوا ضِدَّكَ لِيُنْزِلُوا بِكَ شَرّاً قَائِلِينَ: | ٥ 5 |
चूँकि अराम और इफ़्राईम और रमलियाह का बेटा तेरे ख़िलाफ़ मश्वरत करके कहते हैं,
لِنُهَاجِمْ يَهُوذَا وَنُمَزِّقْهَا وَنَتَقَاسَمْهَا بَيْنَنَا، وَنُمَلِّكْ عَلَيْهَا ابْنَ طَبْئِيلَ. | ٦ 6 |
कि आओ, हम यहूदाह पर चढ़ाई करें और उसे तंग करें, और अपने लिए उसमें रख़ना पैदा करे और ताबील के बेटे को उसके बीच तख़्तनशीन करें।
وَلَكِنْ هَذَا مَا يَقُولُهُ الرَّبُّ: إِنَّ هَذَا الأَمْرَ لَنْ يَتِمَّ وَلَنْ يَكُونَ، | ٧ 7 |
इसलिए ख़ुदावन्द ख़ुदा फ़रमाता है कि इसको पायदारी नहीं, बल्कि ऐसा हो भी नहीं सकता।
لأَنَّ رَأْسَ أَرَامَ هِيَ دِمَشْقُ، وَرَأْسَ دِمَشْقَ هُوَ رَصِينُ، وَفِي غُضُونِ خَمْسٍ وَسِتِّينَ سَنَةً تَتَمَزَّقُ مَمْلَكَةُ إِسْرَائِيلَ وَلا تَكُونُ أُمَّةً بَعْدُ. | ٨ 8 |
क्यूँकि अराम का दारुस — सल्तनत दमिश्क़ ही होगा, और दमिश्क़ का सरदार रज़ीन; और पैंसठ बरस के अन्दर इफ़्राईम ऐसा कट जाएगा कि क़ौम न रहेगी।
إِنَّ رَأْسَ أَفْرَايِمَ هِيَ السَّامِرَةُ، وَرَأْسَ السَّامِرَةِ هُوَ ابْنُ رَمَلْيَا. وَإِنْ لَمْ تُؤْمِنُوا فَلَنْ تَأْمَنُوا». | ٩ 9 |
इफ़्राईम का भी दारुस — सल्तनत सामरिया ही होगा, और सामरिया का सरदार रमलियाह का बेटा। अगर तुम ईमान न लाओगे तो यक़ीनन तुम भी क़ाईम न रहोगे।
ثُمَّ عَادَ الرَّبُّ يُخَاطِبُ آحَازَ ثَانِيَةً قَائِلاً: | ١٠ 10 |
फिर ख़ुदावन्द ने आख़ज़ से फ़रमाया,
«اطْلُبْ عَلامَةً مِنَ الرَّبِّ إِلَهِكَ، سَوَاءٌ فِي عُمْقِ الْهَاوِيَةِ أَوْ فِي ارْتِفَاعِ أَعْلَى السَّمَاوَاتِ». (Sheol ) | ١١ 11 |
ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा से कोई निशान तलब कर चाहे नीचे पाताल में चाहे ऊपर बुलन्दी पर।” (Sheol )
فَأَجَابَ آحَازُ: «لَنْ أَطْلُبَ وَلَنْ أُجَرِّبَ الرَّبَّ». | ١٢ 12 |
लेकिन आख़ज़ ने कहा, कि मैं तलब नहीं करूँगा और ख़ुदावन्द को नहीं, आज़माऊँगा।
عِنْدَئِذٍ قَالَ إِشَعْيَاءُ: «اسْمَعُوا يَا بَيْتَ دَاوُدَ: أَمَا كَفَاكُمْ أَنَّكُمْ أَضْجَرْتُمُ النَّاسَ حَتَّى تُضْجِرُوا إِلَهِي أَيْضاً؟ | ١٣ 13 |
तब उसने कहा, ऐ दाऊद के खान्दान, अब सुनो क्या तुम्हारा इंसान को बेज़ार करना कोई हल्की बात है कि मेरे ख़ुदा को भी बेज़ार करोगे?
وَلَكِنَّ السَّيِّدَ نَفْسَهُ يُعْطِيكُمْ آيَةً: هَا الْعَذْرَاءُ تَحْبَلُ وَتَلِدُ ابْناً، وَتَدْعُو اسْمَهُ عِمَّانُوئِيلَ. | ١٤ 14 |
लेकिन ख़ुदावन्द आप तुम को एक निशान बख़्शेगा। देखो, एक कुँवारी हामिला होगी, और बेटा पैदा होगा और वह उसका नाम' इम्मानुएल रख्खेगी।
وَحِينَ يَعْرِفُ أَنْ يُمَيِّزَ بَيْنَ الْخَيْرِ وَالشَّرِّ يَأْكُلُ زُبْداً وَعَسَلاً، | ١٥ 15 |
वह दही और शहद खाएगा, जब तक कि वह नेकी और बदी के रद्द — ओ — क़ुबूल के क़ाबिल न हो।
لأَنَّهُ قَبْلَ أَنْ يَعْرِفَ الصَّبِيُّ كَيْفَ يَرْفُضُ الشَّرَّ وَيَخْتَارُ الْخَيْرَ، فَإِنَّ إِسْرَائِيلَ وَأَرَامَ اللَّتَيْنِ تَخْشَيَانِ مَلِكَيْهِمَا تُصْبِحَانِ مَهْجُورَتَيْنِ. | ١٦ 16 |
लेकिन इससे पहले कि ये लड़का नेकी और बदी के रद्द — ओ — क़ुबूल के क़ाबिल हो, ये मुल्क जिसके दोनों बादशाहों से तुझ को नफ़रत है, वीरान हो जाएगा।
وَسَيَجْلِبُ الرَّبُّ عَلَيْكَ وَعَلَى شَعْبِكَ وَعَلَى بَيْتِ أَبِيكَ أَيَّاماً لَمْ تَمُرَّ بِكُمْ مُنْذُ انْفِصَالِ أَفْرَايِمَ عَنْ يَهُوذَا، وَذَلِكَ عَلَى يَدِ مَلِكِ أَشُورَ. | ١٧ 17 |
ख़ुदावन्द तुझ पर और तेरे लोगों और तेरे बाप के घराने पर ऐसे दिन लाएगा जैसे उस दिन से जब इफ़्राईम यहूदाह से जुदा हुआ, आज तक कभी न लाया या'नी शाह — ए — असूर के दिन।
فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ يَصْفِرُ الرَّبُّ لِلْمِصْرِيِّينَ فَيَجِيئُونَ عَلَيْكُمْ مِنْ كُلِّ أَنْهَارِ مِصْرَ، وَلِلأَشُورِيِّينَ فَيَجِيئُونَ عَلَيْكُمْ كَأَسْرَابِ النَّحْلِ، | ١٨ 18 |
और उस वक़्त यूँ होगा कि ख़ुदावन्द मिस्र की नहरों के उस सिरे पर से मक्खियों को, और असूर के मुल्क से ज़म्बूरों को सुसकार कर बुलाएगा।
فَتُقْبِلُ كُلُّهَا وَتَنْتَشِرُ فِي الأَوْدِيَةِ الْمُقْفِرَةِ، وَفِي شُقُوقِ الصُّخُورِ وَشُجَيْرَاتِ الشَّوْكِ الْمُتَكَاثِفَةِ، وَفِي الْمَرَاعِي قَاطِبَةً. | ١٩ 19 |
इसलिए वह सब आएँगे और वीरान वादियों में, और चटटानों की दराड़ों में, और सब ख़ारिस्तानों में, और सब चरागाहों में छा जाएँगे।
فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ يَسْتَأْجِرُ الرَّبُّ مَلِكَ أَشُورَ مِنْ عَبْرِ نَهْرِ الْفُرَاتِ، فَيَكُونُ الْمُوسَى الَّتِي يَحْلِقُ بِها الرَّبُّ شَعْرَ رُؤُوسِكُمْ وَأَرْجُلِكُمْ، وَحَتَّى لِحَاكُمْ أَيْضاً. | ٢٠ 20 |
उसी रोज़ ख़ुदावन्द उस उस्तरे से जो दरिया — ए — फ़रात के पार से किराये पर लिया या'नी असूर के बादशाह से, सिर और पाँव के बाल मूण्डेगा और इससे दाढ़ी भी खुर्ची जाएगी।
فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ يُرَبِّي وَاحِدٌ عِجْلَةَ بَقَرٍ وَشَاتَيْنِ. | ٢١ 21 |
और उस वक़्त यूँ होगा कि आदमी सिर्फ़ एक गाय और दो भेड़ें पालेगा,
وَلِوَفْرَةِ مَا تُدِرُّ مِنْ حَلِيبٍ يَأْكُلُ الزُّبْدَ، لأَنَّ الزُّبْدَ وَالْعَسَلَ يَأْكُلُهُمَا كُلُّ مَنْ يُسْتَبْقَى فِي الأَرْضِ. | ٢٢ 22 |
और उनके दूध की फ़िरावानी से लोग मक्खन खाएँगे; क्यूँकि हर एक जो इस मुल्क में बच रहेगा मख्खन और शहद ही खाया करेगा।
فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ يَصِيرُ كُلُّ مَوْضِعٍ كَانَ فِيهِ أَلْفُ كَرْمَةٍ بِأَلْفِ شَاقِلٍ (نَحْوَ اثْنَيْ عَشَرَ كِيلُو جِرَاماً) مِنَ الْفِضَّةِ، مَنْبَتاً لِلشَّوْكِ وَالْحَسَكِ. | ٢٣ 23 |
और उस वक़्त यह हालत हो जाएगी कि हर जगह हज़ारों रुपये के बाग़ों की जगह ख़ारदार झाड़ियाँ होंगी।
وَلا يَقْتَحِمُ الأَرْضَ إِلّا كُلُّ مَنْ يَحْمِلُ سِهَاماً وَأَقْوَاساً، لأَنَّهَا أَرْضٌ مَلِيئَةٌ بِالشَّوْكِ وَالْحَسَكِ. | ٢٤ 24 |
लोग तीर और कमाने लेकर वहाँ आयेंगे क्यूँकि तमाम मुल्क काँटों और झाड़ियों से पुर होगा।
أَمَّا الْجِبَالُ الَّتِي كَانَتْ تُنْقَبُ بِالْفَأْسِ، فَلا يَصْعَدُ إِلَيْهَا أَحَدٌ خَوْفاً مِنَ الشَّوْكِ وَالْحَسَكِ، فَتُصْبِحُ مَسْرَحاً لِلثِّيرَانِ وَمَوْطِئاً لِلْغَنَمِ». | ٢٥ 25 |
मगर उन सब पहाड़ियों पर जो कुदाली से खोदी जाती थीं, झाड़ियों और काँटों के ख़ौफ़ से तू फिर न चढ़ेगा लेकिन वह गाय बैल और भेड़ बकरियों की चरागाह होंगी।