< هُوشَع 2 >
«قُولُوا لإِخْوَتِكُمْ عَمِّي (أَنْتُمْ شَعْبِي) وَلأَخَوَاتِكُمْ رُحَامَةَ (أَنَا أَرْحَمُكُم). | ١ 1 |
अपने भाइयों से 'अम्मी कहो, और अपनी बहनों से रुहामा।
حَاكِمُوا أُمَّكُمْ، لأَنَّهَا لَيْسَتْ زَوْجَتِي، وَأَنَا لَسْتُ رَجُلَهَا، حَتَّى تَخْلَعَ زِنَاهَا عَنْ وَجْهِهَا وَفُجُورَهَا مِنْ بَيْنِ ثَدْيَيْهَا. | ٢ 2 |
तुम अपनी माँ से हुज्जत करो — क्यूँकि न वह मेरी बीवी है, और न मैं उसका शौहर हूँ — वह अपनी बदकारी अपने सामने से, अपनी ज़िनाकारी अपने पिस्तानों से दूर करे;
لِئَلّا أُعَرِّيَهَا وَأَرُدَّهَا كَمَا كَانَتْ يَوْمَ مَوْلِدِهَا، وَأَجْعَلَهَا كَالْقَفْرِ أَوْ كَأَرْضٍ جَرْدَاءَ، وَأُمِيتَهَا ظَمَأً. | ٣ 3 |
ऐसा न हो कि मैं उसे बेपर्दा करूँ, और उस तरह डाल दूँ जिस तरह वह अपनी पैदाइश के दिन थी, और उसको बियाबान और खु़श्क ज़मीन की तरह बना कर प्यास से मार डालूँ।
وَلا أَرْحَمُ أَبْنَاءَهَا لأَنَّهُمْ أَوْلادُ زِنىً. | ٤ 4 |
मैं उसके बच्चों पर रहम न करूँगा, क्यूँकि वह हलालज़ादे नहीं हैं।
فَأُمُّهُمْ قَدْ زَنَتْ، وَالَّتِي حَمَلَتْهُمُ ارْتَكَبَتِ الْمُوبِقَاتِ، لأَنَّهَا قَالَتْ: أَسْعَى وَرَاءَ عُشَّاقِي الَّذِينَ يُقَدِّمُونَ لِي خُبْزِي وَمَائِي وَصُوفِي وَكَتَّانِي وَزَيْتِي وَمَشْرُوبَاتِي. | ٥ 5 |
उनकी माँ ने धोखा किया; उनकी वालिदा ने रूस्याही की। क्यूँकि उसने कहा, 'मैं अपने यारों के पीछे जाऊँगी, जो मुझ को रोटी — पानी और ऊनी, और कतानी कपड़े और रौग़न — ओ — शरबत देते हैं।
لِذَلِكَ أُسَيِّجُ طَرِيقَهَا بِالشَّوْكِ وَأَحُوطُهَا بِسُورٍ حَتَّى لَا تَجِدَ لَهَا مَسْلَكاً. | ٦ 6 |
इसलिए देखो, मैं उसकी राह काँटों से बन्द करूँगा, और उसके सामने दीवार बना दूँगा, ताकि उसे रास्ता न मिले।
فَتَسْعَى وَرَاءَ عُشَّاقِهَا وَلَكِنَّهَا لَا تُدْرِكُهُمْ، وَتَلْتَمِسُهُمْ فَلا تَجِدُهُمْ، ثُمَّ تَقُولُ، لأَنْطَلِقَنَّ وَأَرْجِعَنَّ إِلَى زَوْجِي الأَوَّلِ، فَقَدْ كُنْتُ مَعَهُ فِي حَالٍ خَيْرٍ مِمَّا أَنَا عَلَيْهِ الآنَ. | ٧ 7 |
और वह अपने यारों के पीछे जाएगी, पर उनसे जा न मिलेगी; और उनको ढूँडेगी पर न पाएगी। तब वह कहेगी, 'मैं अपने पहले शौहर के पास वापस जाऊँगी, क्यूँकि मेरी वह हालत अब से बेहतर थी।
إِنَّهَا لَمْ تَعْرِفْ أَنَّنِي أَنَا الَّذِي أَعْطَيْتُهَا الْقَمْحَ وَالْخُبْزَ وَالزَّيْتَ، وَأَغْدَقْتُ عَلَيْهَا الْفِضَّةَ وَالذَّهَبَ الَّتِي قَدَّمُوهَا لِلْبَعْلِ. | ٨ 8 |
क्यूँकि उसने न जाना कि मैं ने ही उसे ग़ल्ला — ओ — मय और रौग़न दिया, और सोने चाँदी की फ़िरवानी बख़्शी जिसको उन्होंने बा'ल पर ख़र्च किया
لِذَلِكَ أَسْتَرِدُّ حِنْطَتِي فِي حِينِهَا، وَخَمْرِي فِي أَوَانِهِ، وَأَنْتَزِعُ صُوفِي وَكَتَّانِي اللَّذَيْنِ تَسْتُرُ بِهِمَا عُرْيَهَا. | ٩ 9 |
इसलिए मैं अपना ग़ल्ला फ़सल के वक़्त, और अपनी मय को उसके मौसम में वापस ले लूँगा, और अपने ऊनी और कतानी कपड़े जो उसकी सत्रपोशी करते हैं, छीन लूँगा।
وَأَكْشِفُ عَوْرَتَهَا أَمَامَ عُشَّاقِهَا، وَلا يُنْقِذُهَا أَحَدٌ مِنْ يَدِي. | ١٠ 10 |
अब मैं उसकी फ़ाहिशागरी उसके यारों के सामने फ़ाश करूँगा, और कोई उसको मेरे हाथ से नहीं छुड़ाएगा।
وَأُبَطِّلُ كُلَّ أَفْرَاحِهَا وَأَعْيَادِهَا وَاحْتِفَالاتِ رُؤُوسِ شُهُورِهَا وَسُبُوتِهَا وَجَمِيعَ مَوَاسِمِهَا. | ١١ 11 |
अलावा इसके मैं उसकी तमाम ख़ुशियों, और ज़शनो और नए चाँद और सबत के दिनों और तमाम मु'अय्यन 'ईदों को ख़त्म करूँगा।
وَأُتْلِفُ كُرُومَهَا وَتِينَهَا الَّتِي قَالَتْ عَنْهَا: هِيَ أُجْرَتِي الَّتِي قَبَضْتُهَا مِنْ عُشَّاقِي، فَأُحَوِّلُهَا إِلَى غَابَةٍ يَلْتَهِمُهَا وَحْشُ الصَّحْرَاءِ. | ١٢ 12 |
और मैं उसके अंगूर और अंजीर के दरख़्तों को, जिनके बारे में उसने कहा है, ये मेरी उजरत है, जो मेरे यारों ने मुझे दी है,' बर्बाद करूँगा और उनको जंगल बनाऊँगा, और जंगली जानवर उनको खाएँगे।
وَأُعَاقِبُهَا عَلَى أَيَّامِ احْتِفَالاتِهَا بِآلِهَةِ الْبَعْلِ، حِينَ أَحْرَقَتْ لَهَا الْبَخُورَ، وَتَزَيَّنَتْ بِخَوَاتِمِهَا وَحُلِّيِهَا وَضَلَّتْ وَرَاءَ عُشَّاقِهَا وَنَسِيَتْنِي، يَقُولُ الرَّبُّ. | ١٣ 13 |
और ख़ुदावन्द फ़रमाता है, मैं उसे बा'लीम के दिनों के लिए सज़ा दूँगा जिनमें उसने उनके लिए ख़ुशबू जलाई, जब वह बालियों और ज़ेवरों से आरास्ता होकर अपने यारों के पीछे गई, और मुझे भूल गई।
لِهَذَا، هَا أَنَا أَتَمَلَّقُهَا وَآخُذُهَا إِلَى الصَّحْرَاءِ وَأُخَاطِبُهَا بِحَنَانٍ، | ١٤ 14 |
तोभी मैं उसे फ़रेफ़्ता कर लूँगा, और बियावान में लाकर, उससे तसल्ली की बातें कहूँगा।
وَأَرُدُّ لَهَا كُرُومَهَا هُنَاكَ، وَأَجْعَلُ مِنْ وَادِي عَخُورَ (أَيْ وَادِي الإِزْعَاجِ) بَاباً لِلرَّجَاءِ، فَتَتَجَاوَبُ مَعِي كَالْعَهْدِ بِها فِي أَيَّامِ صِبَاهَا، حِينَ خَرَجَتْ مِنْ دِيَارِ مِصْرَ. | ١٥ 15 |
और वहाँ से उसके ताकिस्तान उसे दूँगा, और 'अकूर की वादी भी, ताकि वह उम्मीद का दरवाज़ा हो, और वह वहाँ गाया करेगी जैसे अपनी जवानी के दिनों में, और मुल्क — ए — मिस्र से निकल आने के दिनों में गाया करती थी
فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ، يَقُولُ الرَّبُّ، تَدْعِينَنِي: زَوْجِي، وَلا تَدْعِينَنِي أَبَداً: بَعْلِي. | ١٦ 16 |
और ख़ुदावन्द फ़रमाता है, तब वह मुझे ईशी कहेगी और फिर बाली न कहेगी।
لأَنِّي أَنْزِعُ أَسْمَاءَ الْبَعْلِ مِنْ فَمِكِ، وَلا يَرِدُ ذِكْرُهَا بِأَسْمَائِهَا مِنْ بَعْدُ. | ١٧ 17 |
क्यूँकि मैं बा'लीम के नाम उसके मुँह से दूर करूँगा, और फिर कभी उनका नाम न लिया जाएगा।
وَأُبْرِمُ فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ مِنْ أَجْلِكِ عَهْداً مَعَ وَحْشِ الْبَرِّيَّةِ وَطُيُورِ السَّمَاءِ وَزَوَاحِفِ الأَرْضِ وَأُحَطِّمُ الْقَوْسَ وَالسَّيْفَ، وَأُبْطِلُ الْحَرْبَ مِنَ الأَرْضِ، وَأَجْعَلُكِ تَنَامِينَ مُطْمَئِنَّةً | ١٨ 18 |
तब मैं उनके लिए जंगली जानवरों, और हवा के परिन्दों, और ज़मीन पर रेंगने वालों से 'अहद करूँगा; और कमान और तलवार और लड़ाई को मुल्क से नेस्त करूँगा, और लोगों को अम्न — ओ — अमान से लेटने का मौक़ा दूँगा।
وَأَخْطُبُكِ لِنَفْسِي إِلَى الأَبَدِ، أَخْطُبُكِ بِالْعَدْلِ وَالْحَقِّ وَالإِحْسَانِ وَالْمَرَاحِمِ. | ١٩ 19 |
और तुझे अपनी अबदी नामज़द करूँगा। हाँ, तुझे सदाक़त और 'अदालत और शफ़क़त — ओ — रहमत से अपनी नामज़द करूँगा।
أَخْطُبُكِ لِنَفْسِي بِالأَمَانَةِ فَتَعْرِفِينَ الرَّبَّ. | ٢٠ 20 |
मैं तुझे वफ़ादारी से अपनी नामज़द बनाऊँगा और तू ख़ुदावन्द को पहचानेगी।
فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ أَسْتَجِيبُ لِشَعْبِي إِسْرَائِيلَ، وَأَغْمُرُ أَرْضَهُمْ بِالْمَطَرِ، فَتُثْمِرُ. | ٢١ 21 |
“और उस वक़्त मैं सुनूँगा, ख़ुदावन्द फ़रमाता है, मैं आसमान की सुनूँगा और आसमान ज़मीन की सुनेगा;
فَتُنْبِتُ الأَرْضُ الْقَمْحَ وَالْعِنَبَ وَالزَّيْتَ، وَكُلُّهَا تَسْتَجِيبُ لِيَزْرَعِيلَ (أَيْ: اللهُ يَزْرَعُ) | ٢٢ 22 |
और ज़मीन अनाज और मय और तेल की सुनेगी, और वह यज़र'एल की सुनेंगे;
وَأَزْرَعُ شَعْبِي فِي الأَرْضِ لِنَفْسِي، وَأَرْحَمُ لُورُحَامَةَ (أَيْ: لَا رَحْمَةَ)، وَأَقُولُ: لِلُوعَمِّي (أَيْ: لَيْسَ شَعْبِي) أَنْتَ شَعْبِي، فَيَقُولُ: أَنْتَ إِلَهِي». | ٢٣ 23 |
और मैं उसको उस सरज़मीन मेंअपने लिए बोऊँगा। और लूरहामा पर रहम करूँगा, और लो'अम्मी से कहूँगा, 'तुम मेरे लोग हो; और वह कहेंगे, 'ऐ हमारे ख़ुदा।”