< تكوين 42 >

وَعِنْدَمَا رَأَى يَعْقُوبُ أَنَّ الْقَمْحَ مُتَوَافِرٌ فِي مِصْرَ، قَالَ لأَبْنَائِهِ: «مَا بَالُكُمْ تَنْظُرُونَ بَعْضُكُمْ إِلَى بَعْضٍ؟ ١ 1
जब याकोब को यह पता चला कि मिस्र देश में अन्‍न मिल रहा है, तो उन्होंने अपने बेटों से कहा, “क्यों एक दूसरे का मुख ताक रहे हो?
لَقَدْ سَمِعْتُ أَنَّ الْقَمْحَ مُتَوَافِرٌ فِي مِصْرَ. فَانْحَدِرُوا إِلَى هُنَاكَ وَاشْتَرُوا لَنَا قَمْحاً لِنَبْقَى عَلَى قَيْدِ الْحَيَاةِ وَلا نَمُوتَ». ٢ 2
मिस्र देश में अन्‍न मिल रहा है. जाओ और वहां से अन्‍न खरीद कर लाओ, कि हम जीवित रह सकें.”
فَذَهَبَ عَشَرَةٌ مِنْ إِخْوَةِ يُوسُفَ لِيَشْتَرُوا قَمْحاً مِنْ مِصْرَ، ٣ 3
तब योसेफ़ के दस भाई अन्‍न खरीदने मिस्र देश आये.
أَمَّا بَنْيَامِينُ أَخُو يُوسُفَ فَلَمْ يُرْسِلْهُ يَعْقُوبُ مَعَ إِخْوَتِهِ خَوْفاً مِنْ أَنْ يَنَالَهُ مَكْرُوهٌ. ٤ 4
किंतु याकोब ने योसेफ़ के भाई बिन्यामिन को नहीं भेजा क्योंकि उन्हें यह डर था कि कहीं उस पर कोई कष्ट न आ पड़े.
فَقَدِمَ أَبْنَاءُ إِسْرَائِيلَ إِلَى مِصْرَ مَعَ جُمْلَةِ الْقَادِمِينَ لِيَشْتَرُوا قَمْحاً، لأَنَّ الْمَجَاعَةَ كَانَتْ قَدْ أَصَابَتْ أَرْضَ كَنْعَانَ أَيْضاً. ٥ 5
इसलिये इस्राएल के पुत्र अन्‍न खरीदने मिस्र पहुंचे, क्योंकि कनान देश में भी अकाल था.
وَكَانَ يُوسُفُ هُوَ الْمُتَسَلِّطُ عَلَى مِصْرَ، وَالْقَائِمُ عَلَى بَيْعِ الْقَمْحِ لأَهْلِهَا جَمِيعاً. فَأَقْبَلَ إِخْوَةُ يُوسُفَ وَسَجَدُوا لَهُ بِوُجُوهِهِمْ إِلَى الأَرْضِ. ٦ 6
योसेफ़ मिस्र देश के प्रशासक थे. वही पूरे राष्ट्र को अन्‍न बेचते थे. योसेफ़ के भाई वहां पहुंचे और उनको प्रणाम किया और उनका मुह ज़मीन की ओर था.
فَلَمَّا رَآهُمْ عَرَفَهُمْ، وَلَكِنَّهُ تَنَكَّرَ لَهُمْ وَخَاطَبَهُمْ بِجَفَاءٍ وَسَأَلَهُمْ: «مِنْ أَيْنَ جِئْتُمْ؟» فَأَجَابُوهُ: «مِنْ أَرْضِ كَنْعَانَ لِنَشْتَرِيَ طَعَاماً». ٧ 7
योसेफ़ अपने भाइयों को देखते ही पहचान गए; लेकिन अनजान बनकर वह अपने भाइयों से कठोरता से बात कर रहे थे. योसेफ़ ने उनसे पूछा, “तुम लोग कहां से आए हो?” उन्होंने कहा, “कनान देश से, अन्‍न खरीदने के लिए आए हैं.”
وَمَعَ أَنَّ يُوسُفَ عَرَفَهُمْ، إِلّا أَنَّهُمْ لَمْ يَعْرِفُوهُ. ٨ 8
योसेफ़ ने तो अपने भाइयों को पहचान लिया था, किंतु भाइयों ने उन्हें नहीं पहचाना था.
ثُمَّ تَذَكَّرَ يُوسُفُ أَحْلامَهُ الَّتِي حَلَمَهَا بِشَأْنِهِمْ، فَقَالَ لَهُمْ: «أَنْتُمْ جَوَاسِيسُ، وَقَدْ جِئْتُمْ لاكْتِشَافِ ثُغُورِنَا غَيْرِ الْمَحْمِيَّةِ» ٩ 9
तब योसेफ़ को अपने स्वप्न याद आये, जो उन्होंने उनके विषय में देखे थे. उन्होंने अपने भाइयों से कहा, “तुम लोग भेदिए हो और तुम यहां हमारे देश की दुर्दशा देखने आए हो.”
فَقَالُوا لَهُ: «لا يَا سَيِّدِي إِنَّمَا قَدِمَ عَبِيدُكَ لِشِرَاءِ الطَّعَامِ، ١٠ 10
उन्होंने कहा, “नहीं, अधिपति महोदय, आपके ये सेवक अन्‍न खरीदने यहां आए हैं.
فَنَحْنُ كُلُّنَا أَبْنَاءُ رَجُلٍ وَاحِدٍ، نَحْنُ أُمَنَاءُ وَلَيْسَ عَبِيدُكَ جَوَاسِيسَ». ١١ 11
हम सभी एक ही पिता की संतान हैं. हम, सीधे और सच्चे लोग हैं, कोई जासूस नहीं.”
وَلَكِنَّهُ قَالَ لَهُمْ: «لا! أَنْتُمْ قَدْ جِئْتُمْ لاكْتِشَافِ ثُغُورِنَا غَيْرِ الْمَحْمِيَّةِ» ١٢ 12
योसेफ़ ने फिर भी उनसे कहा, “मैं नहीं मान सकता. तुम लोग अवश्य हमारे देश की दुर्दशा देखने आए हो!”
فَأَجَابُوهُ: «إِنَّ عَبِيدَكَ اثْنَا عَشَرَ أَخاً، أَبْنَاءُ رَجُلٍ وَاحِدٍ مُقِيمٍ فِي أَرْضِ كَنْعَانَ. وَقَدْ بَقِيَ أَخُونَا الصَّغِيرُ عِنْدَ أَبِينَا الْيَوْمَ، وَالآخَرُ مَفْقُودٌ». ١٣ 13
किंतु वे बार-बार कहते रहे, “आपके ये सेवक बारह भाई हैं, जो एक ही पिता की संतान हैं, हम कनान के रहनेवाले हैं. हमारा छोटा भाई हमारे पिता के साथ ही है. हमारा एक भाई अब जीवित नहीं है.”
فَقَالَ لَهُمْ: «إِنَّ الأَمْرَ كَمَا قُلْتُ لَكُمْ! أَنْتُمْ جَوَاسِيسُ. ١٤ 14
योसेफ़ ने उनसे कहा, “कुछ भी हो, मैं जानता हूं कि तुम लोग जासूस ही हो!
وَحَيَاةِ فِرْعَوْنَ إِنَّكُمْ لَنْ تُغَادِرُوا هُنَا حَتَّى تَأْتُوا بِأَخِيكُمُ الأَصْغَرِ، وَبِذَلِكَ تُثْبِتُونَ صِدْقَكُمْ. ١٥ 15
अब तुम्हें जांचने का एक ही तरीका हैं: फ़रोह के जीवन की शपथ, तुम्हारे छोटे भाई को यहां आना होगा.
أَوْفِدُوا وَاحِداً مِنْكُمْ لِيَأْتِيَ بِأَخِيكُمْ، أَمَّا بَقِيَّتُكُمْ فَتَمْكُثُونَ فِي السِّجْنِ حَتَّى تَثْبُتَ صِحَّةُ كَلامِكُمْ إِنْ كُنْتُمْ صَادِقِينَ. وَإلَّا فَوَحَيَاةِ فِرْعَوْنَ أَنْتُمْ لَسْتُمْ سِوَى جَوَاسِيسَ». ١٦ 16
तुममें से कोई जाकर अपने भाई को यहां लेकर आओ; फ़रोह की शपथ, तब तक तुम सभी बंदी बनकर यहीं रहोगे, और तुमने कितना सच कहा है वह पता चल जायेगा.”
وَطَرَحَهُمْ فِي السِّجْنِ مَعاً ثَلاثَةَ أَيَّامٍ. ١٧ 17
तब योसेफ़ ने उन्हें तीन दिन के लिए बंदीगृह में डाल दिया.
وَفِي الْيَوْمِ الثَّالِثِ قَالَ لَهُمْ: «افْعَلُوا مَا أَطْلُبُهُ مِنْكُمْ فَتَحْيَوْا، فَأَنَا رَجُلٌ أَتَّقِي اللهَ. ١٨ 18
तीसरे दिन योसेफ़ ने उनसे कहा, “यदि जीवित रहना चाहते हो, तो तुम्हें यह करना होगा; क्योंकि मुझमें परमेश्वर का भय है:
إِنْ كُنْتُمْ حَقّاً صَادِقِينَ فَلْيَبْقَ وَاحِدٌ مِنْكُمْ رَهِينَةً، بَيْنَمَا يَأْخُذُ بَقِيَّتُكُمُ الْقَمْحَ وَيَنْطَلِقُونَ إِلَى بُيُوتِكُمُ الْجَائِعَةِ. ١٩ 19
यदि तुम सच्चे हो, तो तुममें से एक भाई कारागार में रहे और बाकी तुम लोग वापस घर जाओ और अपने परिवार को अकाल से बचाने के लिए अन्‍न ले जाओ.
وَلَكِنْ إِيتُونِي بِأَخِيكُمُ الأَصْغَرِ فَأَتَحَقَّقَ بِذَلِكَ مِنْ صِدْقِكُمْ وَلا تَمُوتُوا». فَوَافَقُوا عَلَى ذَلِكَ. ٢٠ 20
और अपने छोटे भाई को यहां लेकर आना, ताकि वह तुम्हारे शब्दों को साबित कर सके और तुम्हारी मृत्यु न हो!” उन्होंने इस बात को माना.
وَقَالُوا: «حَقّاً إِنَّنَا أَذْنَبْنَا فِي حَقِّ أَخِينَا. لَقَدْ رَأَيْنَا ضِيقَةَ نَفْسِهِ عِنْدَمَا اسْتَرْحَمَنَا فَلَمْ نَسْمَعْ لَهُ. لِذَلِكَ أَصَابَتْنَا هَذِهِ الضِّيقَةُ» ٢١ 21
तब वे आपस में बात करने लगे, “हम अपने भाई के प्रति दोषी हैं, क्योंकि जब वह हमसे लगातार दया मांगी, और उसके प्राणों की वेदना दिख रही थी, किंतु हमने ही अपना मन कठोर बना लिया था. यही कारण कि आज हम पर यह कष्ट आ पड़ा है.”
فَقَالَ رَأُوبَيْنُ: «أَلَمْ أَقُلْ لَكُمْ لَا تَجْنُوا عَلَيْهِ فَلَمْ تَسْمَعُوا؟ وَالآنَ هَا نَحْنُ مُطَالَبُونَ بِدَمِهِ». ٢٢ 22
रियूबेन ने कहा, “क्या मैं नहीं कह रहा था, लड़के के विरुद्ध कोई अपराध मत करो? तुमने मेरी बात न सुनी. अब समय आ गया है; उसकी हत्या का बदला पाने का.”
وَلَمْ يَعْلَمُوا أَنَّ يُوسُفَ كَانَ فَاهِماً حَدِيثَهُمْ، لأَنَّهُ كَانَ يُخَاطِبُهُمْ عَنْ طَرِيقِ مُتَرْجِمٍ. ٢٣ 23
उन्हें मालूम नहीं पड़ा कि योसेफ़ उनकी बात को समझ रहे थे.
فَتَحَوَّلَ عَنْهُمْ وَبَكَى، ثُمَّ رَجَعَ إِلَيْهِمْ وَخَاطَبَهُمْ، وَأَخَذَ شِمْعُونَ وَقَيَّدَهُ أَمَامَ عُيُونِهِمْ. ٢٤ 24
योसेफ़ उनके सामने से अलग जाकर रोने लगे; फिर वापस आकर उन्होंने उन्हीं के सामने शिमओन को पकड़ा और बांध दिया.
ثُمَّ أَمَرَ يُوسُفُ مُوَظَّفِيهِ أَنْ يَمْلَأُوا أَكْيَاسَهُمْ بِالْقَمْحِ، وَأَنْ يَرُدُّوا فِضَّةَ كُلِّ وَاحِدٍ مِنْهُمْ إِلَى كِيسِهِ، وَأَنْ يُعْطُوهُمْ زَاداً لِلطَّرِيقِ. فَفَعَلُوا ذَلِكَ. ٢٥ 25
फिर योसेफ़ ने आदेश दिया कि उनके बोरों को अन्‍न से भर दिया जाए और जो दाम दिया है, वह भी उसी के बोरे में रख दिया जाए. और योसेफ़ ने कहा कि उनकी यात्रा के लिए आवश्यक सामान भी उन्हें दे दिया जाए.
فَحَمَّلُوا حَمِيرَهُمُ الْقَمْحَ وَانْطَلَقُوا مِنْ هُنَاكَ. ٢٦ 26
तब भाइयों ने अपने-अपने गधों पर अन्‍न के बोरे रखे और वहां से चल पड़े.
وَحِينَ فَتَحَ أَحَدُهُمْ كِيسَهُ فِي الْخَانِ لِيَعْلِفَ حِمَارَهُ، لَمَحَ فِضَّتَهُ لأَنَّهَا كَانَتْ مَوْضُوعَةً فِي فَمِ الْكِيسِ. ٢٧ 27
जब रास्ते में गधे को चारा देने के उद्देश्य से उनमें से एक ने बोरा खोला, तो उसे वही रुपया दिखा जिसे उसने उन्हें दिया था.
فَقَالَ لإِخْوَتِهِ: «لَقَدْ رُدَّتْ إِلَيَّ فِضَّتِي، انْظُرُوا هَا هِيَ فِي كِيسِي». فَغَاصَتْ قُلُوبُهُمْ، وَتَطَلَّعَ بَعْضُهُمْ إِلَى بَعْضٍ مُرْتَعِدِينَ وَقَالُوا: «مَا هَذَا الَّذِي فَعَلَهُ اللهُ بِنَا؟». ٢٨ 28
यह उसने अपने भाइयों को बताया, “मैंने जो रुपया दिया था वह मेरे बोरे में मिला है.” वे सभी आश्चर्य करने लगे. और कांपने लगे तथा एक दूसरे की ओर देखते हुए कहने लगे, “परमेश्वर ने हमारे साथ यह क्या कर दिया है?”
وَعِنْدَمَا قَدِمُوا عَلَى أَبِيهِمْ يَعْقُوبَ فِي أَرْضِ كَنْعَانَ قَصُّوا عَلَيْهِ مَا حَلَّ بِهِمْ، وَقَالُوا: ٢٩ 29
जब वे कनान देश में अपने पिता याकोब के पास पहुंचे, तब उन्होंने अपने पिता को पूरी घटना बताई.
«الرَّجُلُ الْمُتَسَلِّطُ عَلَى مِصْرَ خَاطَبَنَا بِجَفَاءٍ، وَظَنَّ أَنَّنَا جَوَاسِيسُ عَلَى الأَرْضِ، ٣٠ 30
और कहा, “उस देश का अधिपति हमसे कठोर होकर बात कर रहा था. उसने हमें अपने देश का जासूस समझा.
فَقُلْنَا لَهُ: نَحْنُ أُمَنَاءُ وَلَسْنَا جَوَاسِيسَ. ٣١ 31
हमने उन्हें समझाया, ‘हम सच्चे लोग हैं; जासूस नहीं.
نَحْنُ اثْنَا عَشَرَ أَخاً أَبْنَاءُ أَبِينَا. أَحَدُنَا مَفْقُودٌ، وَالأَصْغَرُ بَقِيَ الْيَوْمَ مَعَ أَبِينَا فِي أَرْضِ كَنْعَانَ. ٣٢ 32
और बताया कि हम बारह भाई हैं, एक ही पिता की संतान. एक भाई अब जीवित नहीं रहा, तथा हमारा छोटा भाई पिता के साथ कनान देश में ही है.’
فَقَالَ لَنَا الرَّجُلُ سَيِّدُ الْبِلادِ: لِكَيْ أَتَحَقَّقَ مِنْ كَوْنِكُمْ أُمَنَاءَ. دَعُوا أَخاً وَاحِداً مِنْكُمْ عِنْدِي رَهِينَةً وَخُذُوا طَعَاماً لِبُيُوتِكُمُ الْجَائِعَةِ وَامْضُوا، ٣٣ 33
“उस देश के अधिपति ने हमसे कहा, ‘तुम्हारी सच्चाई तब प्रकट होगी जब तुम अपने भाइयों में से एक को मेरे पास छोड़कर जाओगे; और अब अकाल में अपने परिवारों के लिए अन्‍न लेकर जाओ.
ثُمَّ أَحْضِرُوا لِي أَخَاكُمُ الأَصْغَرَ، وَبَذَلِكَ أَعْرِفُ أَنَّكُمْ لَسْتُمْ جَوَاسِيسَ بَلْ قَوْماً أُمَنَاءَ، فَأُطْلِقَ لَكُمْ أَخَاكُمْ وَتَتَّجِرُونَ فِي الأَرْضِ». ٣٤ 34
जब तुम अपने छोटे भाई को मेरे पास लाओगे, तब मालूम पड़ेगा कि तुम जासूस नहीं हो, फिर मैं तुम्हारे भाई को छोड़ दूंगा और तुम इस देश में व्यापार कर सकोगे.’”
وَإِذْ شَرَعُوا فِي تَفْرِيغِ أَكْيَاسِهِمْ وَجَدَ كُلُّ وَاحِدٍ مِنْهُمْ فِضَّتَهُ فِي كِيسِهِ، وَمَا إِنْ رَأَوْا هُمْ وَأَبُوهُمْ ذَلِكَ حَتَّى اسْتَبَدَّ بِهِمِ الْخَوْفُ. ٣٥ 35
जब वे अपने-अपने बोरे खाली कर रहे थे, उन सभी ने देखा कि सबके बोरों में उनके रुपये की थैलियां रखी हुई है! जब उन्होंने तथा उनके पिता ने रुपये की थैली देखी, तब वे डर गए.
فَقَالَ لَهُمْ أَبُوهُمْ: «لَقَدْ أَثْكَلْتُمُونِي أَوْلادِي. يُوسُفُ مَفْقُودٌ، وَشِمْعُونُ مَفْقُودٌ، وَهَا أَنْتُمْ تَأْخُذُونَ بِنْيَامِينَ بَعِيداً! كُلُّ هَذِهِ الدَّوَاهِي حَلَّتْ بِي!» ٣٦ 36
उनके पिता याकोब ने उनसे कहा, “तुम लोगों ने तो मुझसे मेरी संतान ही छीन ली है. योसेफ़ नहीं रहा और अब तुम लोग बिन्यामिन को ले जा रहे हो. यह सब मेरे विरुद्ध ही हो रहा है!”
فَقَالَ لَهُ رَأُوبَيْنُ: «اقْتُلِ ابْنَيَّ إِنْ لَمْ أَرْجِعْ بِهِ إِلَيْكَ. اعْهَدْ بِهِ إِلَيَّ وَأَنَا أَرُدُّهُ إِلَيْكَ». ٣٧ 37
रियूबेन ने अपने पिता को यह आश्वासन दिया, “अगर मैं बिन्यामिन को यहां वापस न लाऊं, तो आप मेरे दोनों पुत्रों की हत्या कर देना. आप बिन्यामिन को मेरे हाथों में सौंप दीजिए, मैं उसे वापस लाऊंगा.”
فَقَالَ: «لَنْ يَذْهَبَ ابْنِي مَعَكُمْ، فَقَدْ مَاتَ أَخُوهُ، وَهُوَ وَحْدَهُ بَاقٍ. فَإِنْ نَالَهُ مَكْرُوهٌ فِي الطَّرِيقِ الَّتِي تَذْهَبُونَ فِيهَا، فَإِنَّكُمْ تُنْزِلُونَ شَيْبَتِي بِحُزْنٍ إِلَى قَبْرِي». (Sheol h7585) ٣٨ 38
किंतु याकोब कहते रहे, “मेरा पुत्र तुम्हारे साथ न जाएगा; क्योंकि उसके भाई की मृत्यु हो ही चुकी है, इसलिये वह अकेला ही रह गया है. यदि इस यात्रा में उसके साथ कुछ अनर्थ हुआ तो तुम इस बुढ़ापे में मुझे घोर वेदना के साथ कब्र में नीचे उतारोगे.” (Sheol h7585)

< تكوين 42 >