< صَمُوئِيلَ ٱلْأَوَّلُ 11 >
وَصَعِدَ نَاحَاشُ ٱلْعَمُّونِيُّ وَنَزَلَ عَلَى يَابِيشِ جِلْعَادَ. فَقَالَ جَمِيعُ أَهْلِ يَابِيشَ لِنَاحَاشَ: «ٱقْطَعْ لَنَا عَهْدًا فَنُسْتَعْبَدَ لَكَ». | ١ 1 |
यह उस समय की घटना है, जब अम्मोनी राजा नाहाश ने याबेश-गिलआद पर हमले के उद्देश्य से सेना आगे बढ़ाई. याबेश-गिलआदवासियों ने राजा नाहाश से विनती की, “हमसे संधि कर लीजिए, हम आपके सेवक हो जाएंगे.”
فَقَالَ لَهُمْ نَاحَاشُ ٱلْعَمُّونِيُّ: «بِهَذَا أَقْطَعُ لَكُمْ. بِتَقْوِيرِ كُلِّ عَيْنٍ يُمْنَى لَكُمْ وَجَعْلِ ذَلِكَ عَارًا عَلَى جَمِيعِ إِسْرَائِيلَ». | ٢ 2 |
मगर अम्मोनी राजा नाहाश ने उन्हें उत्तर दिया, “मैं तुमसे संधि सिर्फ एक ही स्थिति में कर सकता हूं; यदि तुम सभी मुझे अपनी-अपनी दाईं आंख निकाल लेने दो, ताकि मैं इस्राएल राष्ट्र को अपमानित कर सकूं.”
فَقَالَ لَهُ شُيُوخُ يَابِيشَ: «ٱتْرُكْنَا سَبْعَةَ أَيَّامٍ فَنُرْسِلَ رُسُلًا إِلَى جَمِيعِ تُخُومِ إِسْرَائِيلَ. فَإِنْ لَمْ يُوجَدْ مَنْ يُخَلِّصُنَا نَخْرُجْ إِلَيْكَ». | ٣ 3 |
याबेश के पुरनियों ने उसके लिए यह संदेश भेजा, “हमें सात दिन का अवकाश दीजिए कि हम संपूर्ण इस्राएल राष्ट्र में अपने दूत भेज सके. तब यदि इसमें हमें कोई छुड़ाने वाला न मिले, हम स्वयं आपके प्रति समर्पण कर देंगे.”
فَجَاءَ ٱلرُّسُلُ إِلَى جِبْعَةِ شَاوُلَ وَتَكَلَّمُوا بِهَذَا ٱلْكَلَامِ فِي آذَانِ ٱلشَّعْبِ، فَرَفَعَ كُلُّ ٱلشَّعْبِ أَصْوَاتَهُمْ وَبَكَوْا. | ٤ 4 |
जब ये दूत शाऊल के गृहनगर, गिबिया, पहुंचे तथा वहां लोगों को इस विषय की सूचना दी गई, सभी लोग वहां उच्च स्वर में रोने लगे.
وَإِذَا بِشَاوُلَ آتٍ وَرَاءَ ٱلْبَقَرِ مِنَ ٱلْحَقْلِ، فَقَالَ شَاوُلُ: «مَا بَالُ ٱلشَّعْبِ يَبْكُونَ؟» فَقَصُّوا عَلَيْهِ كَلَامَ أَهْلِ يَابِيشَ. | ٥ 5 |
उस समय शाऊल अपने खेत से लौट रहे थे. वह अपने बैलों के पीछे-पीछे चल रहे थे. उन्होंने पूछा, “क्या हो गया है उन लोगों को? क्यों रो रहे हैं ये?” तब उन्होंने शाऊल को याबेशवासियों द्वारा भेजे संदेश के विषय बता दिया.
فَحَلَّ رُوحُ ٱللهِ عَلَى شَاوُلَ عِنْدَمَا سَمِعَ هَذَا ٱلْكَلَامَ وَحَمِيَ غَضَبُهُ جِدًّا. | ٦ 6 |
यह सुनना था कि शाऊल पर परमेश्वर का आत्मा बड़ी सामर्थ्य में तीव्र गति से उतरा. उनका क्रोध बहुत भयंकर तरीके से फूट गया.
فَأَخَذَ فَدَّانَ بَقَرٍ وَقَطَّعَهُ، وَأَرْسَلَ إِلَى كُلِّ تُخُومِ إِسْرَائِيلَ بِيَدِ ٱلرُّسُلِ قَائِلًا: «مَنْ لَا يَخْرُجُ وَرَاءَ شَاوُلَ وَوَرَاءَ صَمُوئِيلَ، فَهَكَذَا يُفْعَلُ بِبَقَرِهِ». فَوَقَعَ رُعْبُ ٱلرَّبِّ عَلَى ٱلشَّعْبِ، فَخَرَجُوا كَرَجُلٍ وَاحِدٍ. | ٧ 7 |
उन्होंने एक जोड़ी बैलों को लेकर टुकड़े-टुकड़े कर सारा इस्राएल देश में इन टुकड़ों को दूतों के हाथ से इस संदेश के साथ भेज दिए, “जो कोई इस मौके पर शाऊल तथा शमुएल का साथ देने से पीछे हटेगा, उसके बैलों की यही दुर्गति की जाएगी.” इस पर लोगों में याहवेह का भय छा गया और वे एकजुट होकर आगे आ गए.
وَعَدَّهُمْ فِي بَازَقَ، فَكَانَ بَنُو إِسْرَائِيلَ ثَلَاثَ مِئَةِ أَلْفٍ، وَرِجَالُ يَهُوذَا ثَلَاثِينَ أَلْفًا. | ٨ 8 |
जब शाऊल ने बेज़ेक नामक स्थान पर इनकी गणना की, इस्राएल राष्ट्र से आए व्यक्ति तीन लाख तथा यहूदिया राष्ट्र से आए व्यक्ति तीस हज़ार थे.
وَقَالُوا لِلرُّسُلِ ٱلَّذِينَ جَاءُوا: «هَكَذَا تَقُولُونَ لِأَهْلِ يَابِيشَ جِلْعَادَ: غَدًا عِنْدَمَا تَحْمَى ٱلشَّمْسُ يَكُونُ لَكُمْ خَلَاصٌ». فَأَتَى ٱلرُّسُلُ وَأَخْبَرُوا أَهْلَ يَابِيشَ فَفَرِحُوا. | ٩ 9 |
उन्होंने वहां आए हुए दूतों को यह संदेश भेजने का आदेश दिया, “जाकर याबेश-गिलआद के निवासियों से यह कहो, ‘कल, जब सूर्य प्रकाश में उष्णता का भास होने लगे, तुम्हें छुड़ौती प्राप्त हो जाएगी.’” जब संदेशवाहकों ने याबेश-गिलआदवासियों को यह संदेश दिया, उनमें उल्लास की लहर दौड़ गई.
وَقَالَ أَهْلُ يَابِيشَ: «غَدًا نَخْرُجُ إِلَيْكُمْ فَتَفْعَلُونَ بِنَا حَسَبَ كُلِّ مَا يَحْسُنُ فِي أَعْيُنِكُمْ». | ١٠ 10 |
याबेशवासियों ने राजा नाहाश को यह संदेश भेज दिया, “हम कल आपके पास आ जाएंगे और आपको जो कुछ सही लगे, आप कर लेना.”
وَكَانَ فِي ٱلْغَدِ أَنَّ شَاوُلَ جَعَلَ ٱلشَّعْبَ ثَلَاثَ فِرَقٍ، وَدَخَلُوا فِي وَسَطِ ٱلْمَحَلَّةِ عِنْدَ سَحَرِ ٱلصُّبْحِ وَضَرَبُوا ٱلْعَمُّونِيِّينَ حَتَّى حَمِيَ ٱلنَّهَارُ. وَٱلَّذِينَ بَقُوا تَشَتَّتُوا حَتَّى لَمْ يَبْقَ مِنْهُمُ ٱثْنَانِ مَعًا. | ١١ 11 |
अगले दिन शाऊल ने इकट्ठा हुए लोगों को तीन समूहों में बांट दिया. फिर उन्होंने पौ फटते ही अम्मोनियों की छावनी पर हमला कर दिया और सूर्य के गर्मी बढ़ने तक वे अम्मोनियों का नाश कर चुके थे. वे जो इस संहार से बच गए थे, ऐसे तितर-बितर हो चुके थे कि कहीं भी दो अम्मोनी साथ साथ देखे न जा सके.
وَقَالَ ٱلشَّعْبُ لِصَمُوئِيلَ: «مَنْ هُمُ ٱلَّذِينَ يَقُولُونَ: هَلْ شَاوُلُ يَمْلِكُ عَلَيْنَا؟ اِيْتُوا بِٱلرِّجَالِ فَنَقْتُلَهُمْ». | ١٢ 12 |
तब लोग शमुएल से प्रश्न करने लगे, “कौन हैं वे, जिन्होंने यह कहते हुए आपत्ति उठाई थी, ‘क्या शाऊल हम पर शासन करेगा?’ उन्हें यहां ले आओ कि उन्हें मृत्यु दंड दिया जा सके.”
فَقَالَ شَاوُلُ: «لَا يُقْتَلْ أَحَدٌ فِي هَذَا ٱلْيَوْمِ، لِأَنَّهُ فِي هَذَا ٱلْيَوْمِ صَنَعَ ٱلرَّبُّ خَلَاصًا فِي إِسْرَائِيلَ». | ١٣ 13 |
मगर शाऊल ने उन्हें यह कहते हुए रोक दिया, “किसी को भी मृत्यु दंड न दिया जाएगा. क्योंकि आज वह दिन है, जिसमें याहवेह ने इस्राएल को मुक्ति प्रदान की है.”
وَقَالَ صَمُوئِيلُ لِلشَّعْبِ: «هَلُمُّوا نَذْهَبْ إِلَى ٱلْجِلْجَالِ وَنُجَدِّدْ هُنَاكَ ٱلْمَمْلَكَةَ». | ١٤ 14 |
तब शमुएल ने इस्राएलियों से कहा, “आओ नगर को जाएं, और वहां राजत्व की पुनर्प्रतिष्ठा करें.”
فَذَهَبَ كُلُّ ٱلشَّعْبِ إِلَى ٱلْجِلْجَالِ وَمَلَّكُوا هُنَاكَ شَاوُلَ أَمَامَ ٱلرَّبِّ فِي ٱلْجِلْجَالِ، وَذَبَحُوا هُنَاكَ ذَبَائِحَ سَلَامَةٍ أَمَامَ ٱلرَّبِّ. وَفَرِحَ هُنَاكَ شَاوُلُ وَجَمِيعُ رِجَالِ إِسْرَائِيلَ جِدًّا. | ١٥ 15 |
तब वे सभी गिलगाल नगर चले गए और गिलगाल नगर में याहवेह के सामने शाऊल का राजाभिषेक किया गया. याहवेह की ही उपस्थिति में वहां उन्हें मेल बलि अर्पित की गई. शाऊल एवं सारे इस्राएल के लिए यह बड़े आनंद का मौका था.